RE: Hindi Sex Stories याराना
मैंने अपने लिंग मुंड को बहुत अधिक क्रीम से भर रखा था। मैंने तृप्ति के गांड को चौड़ा करते हुए अपने लिंगको उसकी गांड के छेद पर टिका दिया, तृप्ति के मुंह से हल्की सी सिसकारी निकली। मैंने अपने लिंग को तृप्ति की गांड के छेद में दबाया।
उसने कहा- यार, बहुत दर्द हुआ। (उसकी आंखों से आंसू आने लगे)
मैंने प्यार से कहा- हम एक बार और कोशिश करेंगे नहीं हुआ तो रहने देंगे। लेकिन तुम यह समझ लो कि जैसे तुम्हें पहली बार चूत चुदवाने में दर्द हुआ होगा, उतना दर्द तो तुम्हें पहली बार गांड मरवाने में भी सहना ही होगा।
अपनी उंगलियों को क्रीम में भरकर मैंने उसकी गांड में एक-एक करके डालना शुरू किया। दर्द के साथ थोड़ी देर में मैंने तृप्ति की गांड में तीन उंगलियां डाल दी थी जो मेरे लिंग के लिए पर्याप्त जगह बना चुकी थी। मैंने फिर से तृप्ति को घोड़ी बनाया और अपना लिंग फिर से उसकी गांड के छेद पर दबाया। मेरे लिंग मुंड तृप्ति की गांड में चला गया उसने दर्द से तकिए को पकड़ लिया और छटपटाकर मेरे लिंग को बाहर निकालने की कोशिश करने लगी। लेकिन मैंने आगे से उसकी कमर पकड़ कर एक हाथ से उसकी गर्दन को अपनी ओर खींचा जिससे वह आगे की तरफ नहीं जा पाई। इससे वह छटपटाई लेकिन इतने में मैंने जोर लगा कर अपना लिंग उसकी गांड में पेल दिया। तभी मेरी मनोकामना तृप्ति को पूरा लाल करते हुए पूरी हुई। तृप्ति का गोरा चिट्टा बदन पूरी तरह से लाल हो चुका था जैसे कि किसी इंग्लिश ब्लू xxx फिल्म की हीरोइन वाइल्ड सेक्स करवाते हुए लाल हो जाती है।
जब मेरे दोस्त की बीवी, मेरी जानम का दर्द थोड़ा कम हुआ तो मैंने पहले हल्के झटके देने शुरू किए। तृप्ति जो शुरू में असहज महसूस कर रही थी, दर्द की जगह अब मजे ने ले ली थी तो मेरी प्यारी तृप्ति अपनी गांड आगे पीछे करके गांड मरवाने का मजा लेने लगी थी। फिर मैंने अंत में धक्कों की गति बढ़ा कर उसको बेहाल कर दिया और मैं उसकी संकरी सी गांड में स्खलित हो गया। तृप्ति उल्टी ही लेट गयी और मैं भी उसकी गांड में अपना लिंग रख कर उसके नंगे चिकने जिस्म पर लेट गया। आज मेरी सब इच्छाएं पूरी हो गई थी। ऐसी मनो-कामना पूर्ण करने वाली रात जीवन में कभी कभार ही मिल पाती है। जितना मजा तृप्ति को चोदकर मिला इतना मजा अभी तक तो नहीं मिला था। अब भविष्य में मैं तृप्ति को दोबारा चोद पाऊंगा या नहीं... मुझे पता नहीं था. लेकिन मुझे अपने दोस्त के भागे पर रश्क होने लगा था, राजवीर बड़े नसीब वाला था जो उसके पास तृप्ति थी।
और राजवीर भी शायद मेरे लिए ऐसा ही सोचता होगा क्योंकि प्रिया जैसी वाइफ मुझे मिली। क्योंकि प्रिया की बॉडी बहुत प्यार आकर्षक शरीर वाली थी जैसे किसी सांचे में डाली हुई हो।
तृप्ति थक कर गहरी नींद में सो चुकी थी और यह सब सोचते हुए मुझे भी नींद आ गई, जब मैंने आखिरी बार टाइम देखा तो सुबह के 5:00 बज चुके थे।
एक सवाल मेरे मन में तब भी था कि क्या राजवीर और प्रिया सो गए होंगे? या मेरा दोस्त राज अभी भी मेरी पत्नी प्रिया की चूत या गांड को ठोक रहा होगा?
आगे की कहानी कहानी अब मेरे मतलब राजवीर के शब्दों में"
जब रणविजय ने मुझे अपनी और तृप्ति की ठुकाई का किस्सा सुनाया तो मेरे मन में जलन की भावना आ गई, मैंने उसकी पत्नी प्रिया को प्यार से ठोका था लेकिन विजय ने मेरी पत्नी तृप्ति के साथ वाइल्ड सेक्स किया था। यह खुद में एक बड़ी उत्तेजना का भाव है।
इसकी अगली वाली सुबह जब हम 10:00 बजे ब्रेकफास्ट के लिए फोन करके रेस्तरां में इकट्ठे हुए तब हम दोनों एक दूसरे की बीवियों के साथ रेस्तराँ में आए थे, मैंने दूर से अपनी बीवी तृप्ति को आते हुए देखा तो तृप्ति की चाल बदली बदली हुई लग रही थी, उसने चूत का भोसड़ा बनने और गांड के उद्घाटन का मीठा दर्द जो सहा था। जब हम मिले तो हम चारों के चेहरे पर मुस्कान थी और रणविजय और मेरे चेहरे पर जीत की चमक। हमने आंखों ही आंखों में एक दूसरे को सफलतापूर्वक एक दूसरे की बीवी की ठुकाई करने पर बधाई दी। मुझे तृप्ति से और प्रिया को विजय से बात करने का मौका नहीं मिला था। विजय ने मुझे इशारे में बताया कि उसने कोई पिक या किसी भी प्रकार का xxx वीडियो नहीं बनाया।
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