RE: Hindi Sex Stories याराना
जब हम चारों टेबल पर बैठ गए तो हम दोनों की बीवियों के चहेरे नीचेको झुके हुए थे, शायद नारी सुलभा लज्जा के कारण। हमने आपस में बातें करते हुए माहौल को सही किया, अब हमारी बीवियों की शर्म उड़ चुकी थी और हम चारों एक दूसरे से हंसी मजाक करने लगे थे। चारों ने कहा कि पिछली रात का अनुभव वास्तव में यादगार था, अतुलनीय था। और हम चारों आगे भी यह बीवियों की अदला बदली यानि वाइफ स्वप्पिंग करने के लिए राजी थे। लेकिन पारिवारिक लड़ाई की वजह से शायद घर जाकर ऐसा करना दोबारा संभव ना हो इसलिए हमने फैसला किया कि इस टूर को इसी प्रकार यादगार बनाए रखने के लिए बाकी की बची हुई रातें और दिन हम बीवियां बदल कर ही रहेंगे अर्थात मैं और प्रिया, तृप्ति और रणविजय। प्रिया और तृप्ति भी इस बात से लिए पूर्ण रूप से सहमत थी।
हमने होटल बदल लिया, दूसरे होटल में दोस्त की बीवी अपनी बीवी बता रूम लिया और पूरा टूर इंजॉय किया। हमने चारों ने मिलकर ग्रुप सेक्स नहीं किया क्योंकि हमारी बीवियों की शर्म इतनी भी नहीं खुल पाई थी, वे अपने पतियों के सामने दूसरे मर्द का लंड लेने से हिचक रही थी। फिर हम 1 दिन के अंतराल से अपनी अपनी पत्नी के साथ घर लौट गए ताकि हमारे घर वालों को शक ना हो कि हम एक ही जगह से एक साथ लौटे हैं।
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विदा लेते हुए हमारा यह फैसला हुआ कि कोई पत्नी और पति अपने पार्टनर से यह न पूछे कि उन रातों को उनके साथ कैसे क्या हुआ और जो हुआ उसे सब भूल जाए क्योंकि यही हमारी शादीशुदा जिंदगी के लिए सही था।
हम अब खुशी से अपनी लाइफ में मस्त हैं, घर वालों के लिए हम एक दूसरे के दुश्मन थे। कभी प्रिया दिखती तो मैं बस मुस्कुरा जाता वह भी जब कोई देखे ना और शायद विजय और तृप्ति का भी ऐसा ही था।
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बिजनेस संभालने के कुछ दिन बाद विजय और मैं क्रिकेट के ग्राउंड में मिले। और तभी मैंने तृप्ति और रणविजय की ठुकाई की कहानी सुनी जो कि अभी आप को बताई है। मैंने भी रणविजय को प्रिया की चुदाई की कहानी बताई।
हम अभी दोस्त हैं और कभी-कभी ऐसे ही गांव से दूर बैठकर बातें कर लिया करते हैं। एक दूसरे की बीवी को चोदने को लेकर मजाक कर लेते थे। मुझे दुख था कि मैंने प्रिया की चूत को चूत ही रहने दिया, उसका भोसड़ा नहीं बनाया। मुझे और विजय को ऐसा फिर कर पाने की चाहत है लेकिन इतने बड़े बिजनेस में दूर जाकर इतने दिन निकालना बड़ा मुश्किल था।
कुछ दिन बाद हमने बिजनेस में एक दूसरे का साथ देने की डील पक्की की, घरवालों की लड़ाई के बावजूद हम गुपचुप एक दूसरे के साथ बिजनेस करते और सब कुछ सही चलने लगा था, हमारे बिजनेस ने काफी तरक्की की, हम दोनों ने इससे लाखों का फायदा कमाया।
रही स्वैपिंग की बात... तो मैंने सोच लिया था कि अब यह खत्म हो चुका है और ऐसा फिर नहीं होगा। लेकिन यह सोचना मेरी गलतफहमी थी। वाइफ स्वैपिंग एक ऐसा चस्का है जो अगर लग जाए तो दिन-रात दिमाग पर छा जाता है। मुझे नहीं पता था कि एक और शानदार याराना मेरा और तृप्ति का इंतजार कर रहा है।
एक ऐसा किस्सा बनने वाला था जोकि विश्वास से परे था, उत्तेजना से भरपूर था, रोमांच को चरम पर पहुंचाने वाला था। इस स्वैपिंग में तृप्ति का सेक्स पार्टनर वह था जिसके साथ यह सब करना तृप्ति कभी सोच भी नहीं सकती थी और मेरी पार्टनर भी ऐसी ही महिला थी।
स्वैपिंग की शुरुआत होने का रोमांच अभी बाकी है। कितनी मुश्किल और असलियत से भरपूर एक और आपबीती शुरू होने वाली है। असली याराना तो अब शुरू होगा।
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