RE: Hindi Sex Stories याराना
याराना (दुबारा)
मेरा साला यानि मेरी बीवी तृप्ति का भाई श्लोक की शादी के समय की बात है। श्लोक ने विदेश में जाकर बिजनेस मैनेजमेंट की पढ़ाई की थी और वह एक बड़ी कंपनी का कर्मचारी था। शादी के लिए काफी लड़कियां देखने के बाद उसे एक लड़की पसंद आईथी जिसका नाम था सीमा। सीमा वास्तव में एक रूप की परी थी। यह श्लोक की पढ़ाई में मेहनत और अच्छी कंपनी में होने का ही नतीजा था कि उसे सीमा जैसी बीवी मिली। सीमा आजकल के चलन जीरो फिगर के अनुसार ही परफेक्ट शरीर वाली थी उसके शरीर की एक खास बात यह थी कि वह काफी लंबी थी। उत्तेजना पैदा करने वाले चेहरे वाली सीमा लंबाई और शरीर में फिल्मों की हीरोइन कृति सेनन जैसी थी।
मैं और तृप्ति शादी में 4 दिन के लिए सम्मिलित हुए थे। सब कह रहे थे 'वाह, यह तो फिल्म हीरोपंती की नई हीरोइन जैसी लग रही है।' हालांकि तब तक मैंने ना हीरोपंती देखी थी ना उसकी हीरोइन। यह बात तो उसकी शादी के काफी समय बाद मैंने महसूस की जब मैंने फिल्म देखी। तब अनायास ही मेरे मुंह से निकल गया- वाह! यह तो सीमा जैसी लगती है। सीमा ने भी बिजनेस मैनेजमेंट का कोई कोर्स किया हुआ था लेकिन श्लोक की बड़ी जॉब की वजह से उसने नौकरी ज्वाइन नहीं की। शादी के वक्त श्लोक ने मेरे साथ बहुत वक्त गुजारा क्योंकि मैं उसका सगा जीजा था। हमने उसकी शादी में बहुत मजे किए। तृप्ति भी अपने भाई की शादी में कयामत ढा रही थी। जी हां, वही तृप्ति तमन्ना भाटिया और संजना खान के मिक्स चेहरे और शरीर के मालकिन। वधू पक्ष के काफी लड़के तृप्ति को घूर रहे थे और बहाने बहाने से उसके पास भटक रहे थे और किसी ना किसी बहाने से उससे बात करने की कोशिश कर रहे थे और करे भी क्यों ना तृप्ति चीज ही ऐसी थी।
श्लोक की शादी में बड़े जाने माने लोग आए थे क्योंकि वह एक बड़े परिवार का पुत्र था। सबसे ज्यादा आश्चर्यचकित करने वाली हस्ती हिमाचल के पहाड़ों से प्रसिद्ध कुख्यात अनंत बाबा (बदला हुआ नाम) शादी में आए थे l उनके बारे में कहा जाता था कि वह जो भी बोलते थे वह सत्य हो जाता था, अतः बाबा व्यर्थ कुछ भी नहीं बोलते थे, केवल आशीर्वाद के लिए अपना हाथ उठाते थे। मेरे ससुराल पक्ष वाले परिवार पर उनकी बड़ी कृपा थी जिसके कारण मेरा ससुराल पक्ष प्रतिष्ठित परिवार बना था।
श्लोक ने शादी के वक्त मेरे मेरे सामने एक प्रस्ताव रखा, उसने कहा- जीजा जी, आप जो प्रोडक्ट बनाते हैं, उसका काफी नाम है। मैं चाहता हूं कि यह प्रोडक्ट एक शहर का जाना माना नाम ही ना बनकर भारत में पहचान बनाए! और इसका पहला कदम होगा जब हम अपने पास के बड़े शहर जयपुर में इसकी शुरुआत करें क्योंकि मेरी जॉब जयपुरमें ही है तो मैं वहां एक ऑफिस खोलकर, वहां कुछ कर्मचारी रख कर यह मैनेज कर सकता हूं। मुझे उसका विचार अच्छा लगा, मैंने उसे सहमति दी।
श्लोक की शादी के कुछ समय बाद उसने मुझे एक दिन जयपुर बुलाया और हमारे नए प्रोडक्ट का नया ऑफिस बताया। मैं तो आश्चर्यचकित हो गया था उसने बिना बताए लाखों की लागत से ऑफिस खरीद लिया था और उसे चलाने की तैयारी भी शुरू कर दी थी। कुछ ही महीने के अंदर-अंदर उसके जयपुर के ऑफिस से मेरे प्रोडक्ट को 15 लाख का कारोबार मिला और अब वही हुआ, इसकी पहचान बन गई थी। इस बीच मेरे, रणविजय तृप्ति और प्रिया का याराना वाला वह के अदला बदली का किस्सा घटित हुआ।
एक दिन मेरे प्रोडक्ट के लिए श्लोक के जयपुर के ऑफिस में 90 लाख का ऑर्डर आया। बिजनेस फैल चुका था, श्लोक ने इसके लिए अपनी बड़ी कंपनी की नौकरी छोड़ दी और वह यहां अपने ऑफिस में हेड मैनेजर बन गया था। अब क्योंकि प्रजंटेशन और बाकी के सारे जरूरी कामों के लिए प्रोडक्ट के मालिक की बहुत जरूरत होने लगी तो अब मुझे जयपुर ही शिफ्ट होना पड़ा। घर वालों ने तृप्ति को साथ रखने के लिए जयपुर जाने की अनुमति दे दी थी। वहां का प्रोडक्शन बिज़नेस पिताजी और छोटा भाई चला रहे थे, मैं अब अपने व्यापार को आगे बढ़ाने के लिए जयपुर आ गया था। रहने की व्यवस्था श्लोक ने कर ली थी, उसने एक बड़ा दो बेडरूम वाला फ्लैट किराए से लिया जो कि शानदार लोकेशन पर था वास्तव में बहुत शानदार फ्लैट था। बड़ा किचन और बड़े-बड़े बाथरूम जोकि कई तरह के शावर से सिरमोर थे, जैसे कि कोई पांच सितारा होटल! विदेश में पढ़ाई करने और बड़ी कंपनी में जॉब करने से उसका लिविंग सेंस शानदार था। यह उस की ही देन थी। सीमा के हाई क्लास लिविंग सेंस की वजह से भी ऐसा था।
श्लोक और मेरा परिवार साथ ही रहने वाले थे। यानि कि हम चारों तृप्ति और मैं तथा श्लोक और सीमा।
तृप्ति और सीमा दोनों ननद भाभी की अच्छी मेल खाती थी, दोनों एक तरह से सहेलियां थी। तृप्ति हालांकि एक अच्छी बहू थी लेकिन पति के साथ अलग रहना हर लड़की का ख्वाब होता है। शादी से पहले तृप्ति काफी खुले विचारों की थी, जींस और छोटे कपड़े पहनना उसके शौक में शुमार था लेकिन उसने अपनी बहू की जिम्मेदारी को समझते हुए सबसे मोह छुड़ा लिया था। एक महीने बाद वह दिन आ गया जब हम चारों फ्लैट में शिफ्ट हुए। तृप्ति और सीमा फ्लैट देखकर बहुत खुश हुई, केवल 4 ही लोगों का काम होने से उन्होंने केवल सुबह फ्लैट की सफाई के लिए बाई लगाने की सहमति दी। खाना दोनों खुद बनाना चाहती थी। शिफ्ट होने के 15 दिन तक तो ऑफिस सेट अप करने और ऑफिस के एंप्लाइज की जॉइनिंग के साक्षात्कारमें ही लग गए। सुबह 9:00 बजे जाते तो आने में रात को 10:00 बज जाते। इस बीच मेरी सीमा से केवल ना के बराबर बात हुई। क्योंकि श्लोक और तृप्ति तो भाई बहन थे तो उनकी बातें ज्यादा हो जाती थी पर अभी चारों के बीच "याराना नहीं था।
यह तो याराना कहानी की पूरी पृष्ठभूमि बदलने की बातें थी। कहानी की वासना वाली बातें तो अब शुरू करते हैं।
जब ऑफिस और घर दोनों जम गए तब श्लोक और हमने 2 दिन की सप्ताहांत पर छुट्टी करने की सोची, अतः दोनों घर पर ही रहे। जब सुबह हम उठे तो दोनों की बीवियां नाश्ते पर हमारा इंतजार कर रही थी। हम थोड़ा समय लेकर डाइनिंग टेबल पर पहुंचे। तृप्ति और सीमा ने इन दिनों काफी सारी शॉपिंग की थी। ससुराल में साड़ी पहनने वाली तृप्ति की जगह अब छोटी पैंटी समान जींस के निकर ने ले ली थी जिससे तृप्ति की गोरी और भरी हुई बालों रहित जांघों के दर्शन हो रहे थे जो उत्तेजना का भाव पैदा करने वाले थे। सीमा ने भी इसी तरह का छोटा निकर पहना हुआ था। आज फ्री होने के कारण मेरा ध्यान अनायास ही उसके तृप्ति से पतली गोरी गोरी जांघ पर गया लेकिन बाकी तीनों के वहां होने से मैं उसकी गोरी टांगों को घूर के मन भर के नहीं देख पाया। अभी तक सीमा के लिए मन में कोई बुरे विचार नहीं थे लेकिन आज सफेद चमड़ी से सटे निक्कर में सीमा को देख कर मन में अचानक से एक हिलोरा आया। श्लोक सीमा की शादी के 2 साल बाद मैंने सीमा को यहीं फ्लैट में ही अच्छे से देखा था, काफी मॉडर्न थी। लेकिन हमारी बातचीत कम ही हुई थी जितनी जरूरत हो। यह समय की कमी की वजह से था लेकिन अब हमारे पास वक्त था। टेबल पर थोड़ी अनौपचारिक बातचीत और नाश्ते के बाद महिलाएं अपने काम में लग गई और श्लोक और हम टाइम पास करने लगे। बिजनेस के इधर उधर की बातों के बाद हम अपने अपने कमरे में तैयार हुए और दिन में आराम करने लगे। तृप्ति मेरे पास थी लेकिन मेरे दिमाग में सीमा छाई हुई थी। मैं खुश था कि तृप्ति सीमा इसी तरह के कपड़े घर में पहनने के लिए लाई थी जो कि उसने मुझे बताए थे कि चलो घर में मेरी वासना का समाधान तृप्ति के साथ सीमा का अंग प्रदर्शन भी रहेगा। मैं चाहता था हम चारों रिश्तेदार ना रह कर यार बन जायें। इसलिए हम चारों एक को एक दूसरे के साथ घुलना जरूरी था। क्योंकि तृप्ति सीमा ननद भाभी और श्लोक तृप्ति भाई बहन होने से उनकी तो फिर भी बातचीत जान पहचान थी लेकिन श्लोक मेरे बीच गंदी बातें ना करने की मर्यादा थी। हम अभी तक दोस्त नहीं थे।
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