RE: Hindi Sex Stories याराना
मैं- सच बताऊं तो जब तक हम हमारे गांव में रहते थे तब तक तो नहीं। फिर इस बदलाव वाले जीवन अर्थात अदला-बदली वाले जीवन की शुरुआत करने के बाद दिल काफी बिगड़ गया। यह एक ऐसा नशा है जो कभी दिमाग से नहीं उतरता। एक भी ऐसी सुंदर वैवाहिक स्त्री नहीं बची होगी जिसे मैंने देखा होगा और उसके साथ अदला-बदली करके चुदाई के बारे में नहीं सोचा होगा। अदला-बदली करके चुदाई करने में जो सुख है वह चोरी छुपे महिला मित्र और पुरुष मित्र से चुदाई करने में नहीं। इसका नशा कुछ अलग ही है।
श्लोक और सीमा के बाद जब तुम उनकी जगह यहाँ आए तो तुम्हारे बारे में भी ऐसे विचार आना स्वाभाविक था। लेकिन विक्रम को देखते हुए मैंने उनको अपने ऊपर हावी होने नहीं दिया। मुझे लगा कि विक्रम को इस खेल में शामिल न ही किया जाए तो सही रहेगा क्योंकि वह सीधा है। लेकिन मुझे क्या पता था वह जलेबी की तरह सीधा निकलेगा।
एक बार तुम नहाने के बाद छत पर कपड़े सुखाने टॉवल में ही चली गई थी। यह दिन का समय था जिस वक्त मैं ऑफिस में हुआ करता था। लेकिन उस दिन मैं ऑफिस नहीं गया था। इसके बारे में तुम्हें पता नहीं था। तुमने सोचा घर पर केवल तृप्ति और तुम ही हो। तुमने अपने स्तनों पर टॉवल लपेटकर अपने कूल्हे व स्तन ढक रखे थे। उस वक्त मैं ऊपर वाले कमरे में ही था। तुम्हें इसके बारे में पता नहीं था। लेकिन जब मैंने अंदर से तुम्हें देखा तो देखता ही रह गया।
उस दिन मैंने तुम्हारे उभरे हुए स्तनों का आकार तथा गोरी भरी हुई मोटी जांघें देखीं। जिसने मेरे लंड में हलचल मचा दी। मैं तब तक तुम्हें निहारता रहा जब तक तुम मेरी नजरों से ओझल नहीं हो गई। तुम्हें देख कर मुझे टेलीविजन अभिनेत्री रश्मि देसाई को इस प्रकार देखने की अनुभूति हुई। मैंने इंटरनेट पर उसका एक भी वीडियो नहीं छोड़ा और सब तुम्हारी दीवानगी में देखता गया। बहुत ज्यादा उत्तेजित हो जाने पर मैंने तृप्ति को उपासना समझकर जोरदार तरीके से चोदा और ऐसा मैं सप्ताह में कम से कम 4 बार करता था। इसीलिए तृप्ति और मेरा संभोग जीवन सफल है क्योंकि मुझे भी पता है कि वह भी ख्यालों में किसी और से चुदाई करवाती है और मैं भी ख्यालों में किसी और की चुदाई करता हूं। जिसके बारे में हम एक दूसरे को नहीं बताते। हम तो केवल रणवीर और श्लोक तक की ही बातें करते हैं। बाकी किसे पता कि तृप्ति कितनों से खयालों में चुदी है और मैंने न जाने कितनी चूतों को खयालों में चोदा है।
उपासना- जी, यह बहुत ही अनोखा तरीका है, अपने ख्यालों में किसी और के साथ चुदाई करके अपने मन की इच्छा पूरी करने का। इसका मजा मैंने और विक्रम ने भी काफी लिया है। मुझे बहुत खुशी हुई भैया कि आपने भी मेरे लिए वासना महसूस की। अब तो मजा जरूर आएगा इस चुदाई का। देखो मेरी चूत गीली हो गई है। मुझे भी आपके लंड को खड़ा हुआ देखा नहीं जा रहा। आओ शुरू करते हैं आज का घमासान।
मैं- घमासान तो आज होगा ही। पहले सोच रहा हूं कि तुम्हारी कुछ ख्वाहिशें पूरी कर लूं क्योंकि तुम्हारा भरा हुआ शरीर है। इसे देखकर मुझे नहीं लगता कि मैं ज्यादा देर अपने आप पर काबू कर पाऊंगा और अगर मुझ पर एक बार उत्तेजना हावी हो गई तो फिर मैं केवल अपने मन की करूंगा।
उपासना- ठीक है राज भैया, आज मैं अपने मन की करवाती हूं। मैं अपने सबसे पसंदीदा सेक्स आसन 69 में आपके लन्ड को अपने मुंह में निचोड़ना चाहूंगी। उसी समय आप भी मेरी चूत का रसपान कीजिए। मेरी पहली ख्वाहिश तो यही है क्योंकि मैंने आपको तृप्ति भाभी के साथ सबसे पहले यही करते देखा था। नग्न तो हम दोनों थे ही ... एक दूसरे के शरीर को स्वयं से चिपका कर हमने एक दूसरे को आलिंगन में लिया था तथा एक दूसरे के शरीर को स्वयं के शरीर पर स्पर्श कराकर मजे की अनुभूति कर रहे थे। उसके बाद हमने एक दूसरे के होंठों को मुंह में लेकर उनका रसपान किया।
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उपासना बहुत ही सुंदर गोल चेहरे वाली तथा शानदार भरे-पूरे शरीर वाली स्त्री थी, जिसके प्रतिरूप का उदाहरण तो मैं दे ही चुका हूं। उपासना की शारीरिक संरचना जिससे मिलती है, इस कहानी को पढ़ते वक्त उसे आप इंटरनेट पर देखेंगे तो कहानी का रोमांच और ज्यादा आएगा।
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उपासना ने अपने बाल क्लिप से समेटे हुए थे जिन्हें मैंने पूरी तरह से खोल दिया। अब वह खुले बालों में नग्न अप्सरा लग रही थी। मैंने उपासना के चेहरे से अपना मुंह हटा कर उसके उभरे हुए स्तनों पर अपने मुंह से प्रहार बोल दिया तथा उसके गोल, बड़े, सफेद रंग के स्तनों को चूस कर, चाट कर तथा दांतों से काट कर लाल कर दिया। उपासना की हल्के गुलाबी रंग की चूचियां जो कि पूर्ण रूप से तनी हुई थीं, मेरे चेहरे पर स्पर्श करके मेरे शरीर में एक अलग ही गुदगुदी उत्पन्न कर रही थीं। उत्तेजना में मैंने उपासना के चूचुक को भी काट लिया। मेरी हरकतें उपासना को उत्तेजित कर रही थीं लेकिन उसका मकसद कुछ और था। उसने मुझे जोरदार धक्का देकर बेड पर लेटा दिया और अपने कूल्हों को मेरे मुंह पर रख कर अपनी चूत मेरे मुंह पर टिका कर उसे मेरे मुंह पर रगड़ने लगी।
यह देख कर मुझे विक्रम के द्वारा बताई गई विक्रम और उपासना की पहली चुदाई की दास्तान याद आ गई। मैंने विक्रम की कहानी से मन हटा कर उपासना की गुलाबी चूत पर ध्यान लगाया और अपनी जीभ का पूरा इस्तेमाल करते हुए मैंने अपने छोटे भाई की पत्नी की चूत और उसके गांड के छेद को चाट चाट कर गीला कर दिया। उपासना मेरा लिंग पूर्ण रूप से अंदर लेकर अपने मुंह को ऊपर नीचे करने लगी। हमने करीब 5 मिनट तक एक दूसरे को सिक्स नाइन की मुद्रा में मुंह से चोदा। उसके बाद उपासना ने अपनी अगली इच्छा जाहिर की।
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