Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस
12-27-2020, 12:55 PM,
#12
RE: Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस
खैर बाली पहना दी गई चूत पर उसके बाद पार्लर वाले ने जहां पर उसकी कमर में एक तागड़ी बांधी जो कि काले डोरे की ना होकर सोने की चैन की थी , और उस पर एक ताबीज था जो चूत के हल्का सा ऊपर तक लटकता था यानी कि जहां पर उपासना की झांट शुरू होती थी वहां पर वह ताबीज लटकता था ।

फिर उसने नैकलेस पहना दिया गले मे । जो बूब्स तक लटकता था । इसपर दिल का डिजाइन बना हुआ था और डिजाइन के बीच मे वाइट कलर से रंडी लिखा हुआ था ।

फिर उसने डार्क रैड कलर की liquid मैट लिपस्टिक लगाई जो दिखने में सूखी हुई नजर नही आती है ।

फिर पार्लर वाली ने आंखों के पलको पर हल्के हरे रंग से पलको को सजाया ।

पुरी तैयार हो चुकी थी उपासना की । सोलह श्रृंगार कर चुकी थी । अपने भोसड़े को पूरी तरह सजाकर तैयार हो चुकी थी।

काम खातन होंने के बाद उपासना पार्लर वाली से बिल कितना हो गया ये पूछने लगी ।

पार्लर वाली - मैम आप जैसे लोगो की सेवा करने का मौका मिला वही काफी है ।

उपासना ने फिर भी उसे पचास हजार का एक नोट देकर किया ।

दोस्तों वाली के जाने के बाद उपासना ने अपने कपड़े निकालें। जो उसने चुन्नी वाले कपड़े के बनवाए थे।

उसने वह सलवार निकाली और उसे पहनने लगी घुंगरू से उलझते उलझते सलवार को उसने ऊपर किया और फिर जैसे ही उसने सलवार ऊपर जांघों से ऊपर करने की कोशिश की तो वह सलवार जांघों पर नहीं चढ़ी ।

उपासना ने सोचा लगता है ज्यादा टाइट रह गई है और ऊपर से इसका कपड़ा भी इतना पतला है कि अगर जोर लगाया तो फट जाएगी, उपासना ने जैसे तैसे करके बैठकर एक एक सेंटीमीटर उस सलवार को ऊपर चढाया और तकरीबन आधे घंटे बाद में उस सलवार को ऊपर तक पहुंचाने में कामयाब हुई ।

अब आप समझ ही गए होंगे दोस्तों की सलवार उसके जिस्म पर किस तरह से फंसी पड़ी थी।

सलवार का नाडा कुछ इस तरह था कि दिखने में किसी गोल्डन चैन की तरह लग रहा था ।

उसने उस में हल्की सी गांठ लगाई और उसको बांध दिया।

नाड़ा बाहर की तरफ थोड़ा लटका हुआ छोड़ दिया ताकि कोई एक झटके से खिंचे तो खुल जाए ।

सलवार नाभि के इतने नीचे बांधी गयी कि झांटो के दो चार बाल दिख रहे थे गांठ के पास ।

उसके बाद उसने उसने कुर्ती को पहना लेकिन कुर्ती भी नहीं आ रही थी ।

तो उसने अचानक मन ही मन मुस्कुराते हुए कुर्ती को पहनने का डिसीजन बदल दिया ।

उसने उसके ऊपर एक शालिनी का टॉप पहना।

दोस्तों शालिनी और उपासना में बहुत फर्क था क्योंकि उपासना की शादी हो चुकी थी। उसकी चुचियों का फैलाव और उठान दोनों ही ज्यादा था शालीनी से ।

जिस वजह से शालिनी के कपड़े उपासना को आते ही नहीं थे लेकिन जैसे तैसे उसने एक पिंक कलर का टॉप सिलेक्ट किया और उसको फसाने लगी। बड़ी ही मशक्कत करने के बाद उसने पहना तो देखकर कि वह पहना ही नहीं है बल्कि फसाया गया है ।टॉप इस कदर टाइट था कि निप्पल भी साफ देखे जा सकते थे ।

नीचे उपासना ने कोई ब्रा नहीं पहनी थी और ना ही सलवार के नीचे कोई पेंटी पहनी थी ।

वह टॉप उसकी नाभि के ऊपर ही खत्म हो जाता था यानी कि पेट बिल्कुल नंगा देखा जा सकता था।

उसके बाद उसने अपने आप को शीशे में देखा तो देखकर शरमा गई। इतनी चुस्त सलवार और टॉप में फंसी हुई वह रंडी अपने आप से कहने लगी - कि जिस रंडी को अपने ऊपर फक्र हो एक बार आकर मुझे देखे और बताए कि रंडियां कैसी होती हैं ।

मैं हूं एक संस्कारी रंडी ऐसा कहकर उसने अपनी सलवार को देखा तो दोस्तों एक तो सलवार चुस्ती इतनी ज्यादा थी कि उसकी जांघों से चिपकी हुई थी बिल्कुल ऊपर से टाइट भी इतनी ज्यादा थी कि उसकी चूत का शेप बिल्कुल साफ देखा जा सकता था।

उनकी चूत की फांकों के बीच कि वह दरार आसानी से देखी जा सकती थी ।

यह देखकर शरमा गई उपासना ।

और उसके बाद उपासना ने दुपट्टा ले लिया दोस्तों सलवार और उस शॉर्ट टॉप में फंसी हुई वह घोड़ी ऐसी लग रही थी जैसे उसके छातियों के वजन से वह गिर ना जाए।

उसके छातियों पर उसके बूब्स ऐसे लग रहे थे जैसे कह रहे हो की है कोई इतना चौड़ा मुँह खोलने वाला जो हमें भर सके अपने मुंह में ।

ऊपर से उसने दुपट्टा ओढ़ा हुआ था तो बिल्कुल ही मादक और सस्ती रंडी को भी पीछे छोड़ने वाली रंडी नजर आ रही थी ।

अब चलते हैं दोस्तों दूसरी तरफ धर्मवीर जी अपने कमरे में बैठे हुए थे । 2 घंटे हो गए थे उन्हें अपने एक ही यार से बात करते हुए फोन पर । बहुत दिनों के बाद होशियार का फोन आया था ।

रात के 10:00 बज चुके थे धर्मवीर जी ने सोचा की दूध पीने का टाइम भी हो गया है और आरती अभी तक भी नहीं आई है ।

अपनी बहन की उन्हें चिंता होने लगी और ऐसा सोचते हुए उन्होंने आरती को कॉल लगाया ।

धर्मवेर - आरती तुम कहां हो ?

उधरआरती बड़े भैया का कॉल आते देख तेज धड़कनों से फोन उठाया ।

आरती - जी भैया ।

उधर से धर्मवीर बोला - आरती वो मैं इसलिए कॉल कर रहा था कि आप शाम को आने के लिए कह रही थी।

और अभी तक नहीं आई हो तो मैंने सोचा पूछ लेता हूं कि आप आओगे या नही ।

आरती - जी भैया मैं घर पर आने ही वाली थी लेकिन मेरी फ्रेंड मुझसे काफी जिद कर रही है रुकने को ।

और वह कह रही है कि सुबह चले जाना बहुत दिनों के बाद तो हम मिले हैं । तो मैं सोच रही थी कि मैं यहीं पर रुक जाऊं ।

ऐसा सुनकर धर्मवीर जी बोले- हां जैसा तुम चाहो , जैसा तुम्हें अच्छा लगे । आप कल आ जाना कोई बात नहीं। जब तुम्हारी फ्रेंड जिद कर कर ही रही है तो रुक जाओ एक दिन ।

ऐसा कहकर धर्मवीर ने कॉल रख दिया।

दोस्तों आरती आज घर नहीं आने वाली थी उसका आना कैंसिल हो चुका था और यह कैंसिल तब हुआ जब उपासना ने उसकी सहेली को मैसेज किया कि आरती आज घर नहीं आनी चाहिए ।

हां दोस्तों आप सही सोच रहे हैं उपासना ने ही आरती को आज घर से बाहर भेजा था अपनी सहेली के जरिये । और आरती या किसी और को इसकी भनक तक नही थी । उपासना का ही यह सारा प्लान था । आरती को घर से बाहर भेजना और उसे आज घर से बाहर ही रुकवाना ।

उपासना को तो यह पहले से ही पता था कि आज आरती नहीं आने वाली है अब धर्मवीर को भी पता चल चुका था कि आज आरती नहीं आने वाली है घर पर ।

ऐसा सोचते हुए धर्मवीर नहीं सोचा कि दूध लाने के लिए बहू को फोन कर देता हूं लेकिन तभी अचानक उसने सोचा कि मैं भी बहुत देर से बैठा हुआ हूं इसी बहाने थोड़ा सा घूम भी लूंगा। मैं ही नीचे जाकर दूध पी लेता हूं ऐसा सोचते धर्मवीर लिफ्ट से नीचे की तरफ आने लगा ।

दोस्तों समय रात के 10:15 हो चुके थे और धर्मवीर नीचे किचन में गया और उसने दूध निकालकर वहीं खड़े-खड़े दो गिलास दूध पी लिया।

फिर वह गिलास को बर्तन साफ धोने वाली सिंक में डालकर ऊपर की तरफ जाने लगा अचानक उसने सोचा की उपासना बहू को भी देख लेते हैं क्या कर रही है ।

बहु बोर तो नहीं हो रही है अकेली ।

वह जैसे ही आरती के में जाने के लिए मुड़ा उसने देखा कि आरती का डोर बाहर से लॉक है।

एक शिकन उसके माथे पर आ गई । उसने सोचा इस टाइम बहू कहां जा सकती है। और वह भी बिना मुझे बताए । क्योंकि घर पर मैं अकेला था तो कम से कम मुझे तो बताना ही चाहिए था ।

यह सोचते हुए वह बेसमेंट में गया यह देखने के लिए की उपासना की गाड़ी है या गाड़ी लेकर वह कहीं गई है।

लेकिन बेसमेंट में आकर देखा तो उपासना की गाड़ी वहीं

पर खड़ी हुई थी ।

फिर वह वापस ऊपर की तरफ आने लगा अचानक उसने सोचा कि हो सकता है ग्राउंड फ्लोर पर कोई काम हो जिस वजह से वह ग्राउंड फ्लोर पर आई हो ।

ऐसा सोचते हुए धर्मवीर ग्राउंड फ्लोर पर आ गया जैसे ही बैक ग्राउंड फ्लोर पर आया तो अचानक उसे एक कमरे से बहुत सारी रोशनी बाहर आती हुई दिखाई दी ।

वह सोचने लगा कितनी तेज रोशनी तो हमारे किसी भी कमरे में नहीं होती है आखिर यहां पर यह क्या चीज है ।

ऐसा सोचते हुए वह कमरे की तरफ जाने लगा कमरे की तरफ जैसे ही बह गया तो गेट पर सामने जाने से पहले उसने सोचा कि खिड़की में से ही देखा जाए ।

दोस्तों धर्मवीर ने जैसे ही खिड़की से अंदर की तरफ देखा तो अंदर का नजारा देखकर उसके पैरों के नीचे से जमीन ही निकल गई ।

धर्मवीर को काटो तो खून नहीं इस तरह वाली हालत हो गई।

धर्मवीर का गुस्सा आठवें आसमान पर पहुंच गया , आठवें पर नहीं दसवें आसमान पर पहुंच गया।

और धर्मवीर की आंखें लाल पड़ गई सामने वाला मंजर देखकर।

धर्मवीर उस स्थिति में पहुंच गया जिस स्थिति में इंसान का दिमाग काम करना बंद कर देता है ।

जिस स्थिति में इंसान कोई भी एक्टिविटी नहीं कर पाता, ना वह हंस सकता है ना रो सकता है , ना बोल सकता है , ना पलक झपका सकता है ।

इस तरह की हालत धर्मवीर की हो चुकी थी क्योंकि सामने मंजर ही कुछ ऐसा था ।

अब सामने मंजर ऐसा था की उपासना कमरे में खड़ी हुई थी हल्का सा उसने घूंघट डाल रखा था । यानी कि उसके होंठ साफ दिखाई दे सकते थे । इस तरह से उसने घूंघट डाला हुआ था । और साइड से धर्मवीर को दिखाई पड़ रहा था। यानी कि साइड से उसकी ना ही गांड दिख रही थी और ना ही चूत । लेकिन साइड से ही देखकर गांड का पीछे की तरफ इतना निकलना उसे पागल कर गया।

धर्मवीर ने देखा कि चूतड़ों और जांघों के बीच में जो कट होता है , उसमें सलवार इतने अंदर तक घुसी हुई थी कि मानो जबरदस्ती करके पहनाई गई हो। ऊपर छोटा सा वो टॉप जिसमें से उसके बूब्स फ़टने को बाहर हो रहे थे । उसकी नाभि पर रिंग टाइप में बाली उसकी नाक पर एक बड़ी सी बाली लटक रही थी ।

चूड़ियों से भरे हुए दोनों हाथ और हाथों में एक थाली लेकर उपासना खड़ी थी । उस थाली में एक दिया जल रहा था।

और हल्दी और चावल टीका लगाने के लिए रखे हुए थे थाली में ।

नीचे घुटनों के नीचे ही वह सलवार खत्म हो जाती थी । क्योंकि शॉर्ट सलवार थी तो उसकी मेहंदी लगे हुए टांग देखकर शौक हो गया । धर्मवीर उसके पैरों में घुंघरू देखकर धर्मवीर को कुछ समझ ही नहीं आ रहा था । उसके पैरों की सजावट इतनी ज्यादा सुंदर थी कि जैसे आजकल किसी दुल्हन का चेहरा । इस तरह से सजी हुई उपासना को देखा धर्मवीर ने । लेकिन दोस्तों आप सोच रहे होगे कि धर्मवीर की आंखें लाल क्यों पड़ी हुई थी गुस्से में ।धर्मवीर अपनी बहू को इस तरह देखकर गुस्से में क्यों हुआ ।

तो दोस्तों धर्मवीर का गुस्से में होना जायज था क्योंकि वह उसके परिवार की एकलौती बहू थी ।

घर की सारी संस्कृति, घर के सारे संस्कार ,घर की सारी मर्यादा , घर की सारी आदरणीय भावनाएं उस बहू से ही तो थी ।।

धर्मवीर का गुस्सा होना जायज था कि घर की इकलौती बहू इस तरह से सजधजकर दो कौड़ी के नौकर अनवर के सामने खड़ी थी । हां दोस्तो अनवर नौकर चार दिन के बाद आज आ चुका था ।

यह सब देखकर धर्मवीर के मुह से निकला -

मैं तो समझत था मेरी संस्कारी बहु लजीज है ,

मैं तो समझत था मेरी संस्कारी बहु लजीज है ,

पर भोसड़ी वाली तू तो बड़ी कुत्ती चीज है ।

********

प्रिय पाठकों कर दिया ना सस्पेंस create कहानी में ।

बोलो twist आया ना।

चुदाई होगी नेक्स्ट अपडेट में । दोस्तों क्योंकि मुझे दो-तीन घंटे लग जाएंगे और अब इतना मेरे पास टाइम नहीं है सो अगली अपडेट में धमाकेदार चुदाई होगी क्योकि स्टोरी की पहली चुदाई होगी । और वैसे भी सजने धजने में इतना टाइम लिया है उपासना ने तो चूत किस कदर हाल बेहाल होगी उसकी बस अब ये सोचिये ।

अपडेट कैसी लगी बताना जरूर और अपने छोटे भाई पर अपना प्यार और सपोर्ट बनाये रखना ।।
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RE: Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस - by desiaks - 12-27-2020, 12:55 PM

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