RE: Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस
और तुम आज तीसरे फ्लोर पर ही गेस्ट रूम में सो जाना यह सुनकर अनवर धर्मवीर की तरफ देखने लगा। लेकिन धर्मवीर की लाल आंखों को देखकर वह डर गया और सर झुका कर जी बाबू जी बोलते हुए चला गया ।
धर्मवीर सोचने लगा हे भगवान मैं तो अपनी बहन के ही सपने देख रहा था मैने तो सोचा भी नही था कि यह कोहिनूर का खजाना भी मेरी राह देख रहा होगा।
लेकिन भगवान को कोसने लगा और कहने लगा कि यदि ऐसा कोई प्रोग्राम था तो पहले से बताया होता क्योंकि मुझे भी तो तैयार होने में थोड़ा समय लगता है ।
दोस्तों जल्दी से धर्मवीर अपने बाथरूम में गया उसने वहां जाकर अपने लंड को देखा उसका लंड राकेश से बड़ा था।
वह सोया हुआ लंड ही कम से कम 7 इंच का नजर आता था । और खड़ा होने के बाद वह 12 से 13 इंच का हो जाता था । और उसकी मोटाई हाथ की कलाई के बराबर मोटा था
यह देखकर अपने ऊपर गर्व महसूस करने लगा धर्मवीर उसने अपनी ज्यादा लंबी बढ़ी हुई झांटों को छोटा किया।
और गर्म पानी से नहाया , नहाने के बाद वह निकला और उसने अपने शरीर पर इत्र लगाया । इत्र लगाने के बाद हल्की-हल्की खुशबू धर्मवीर के जिस्म से आने लगी थी।
लेकिन उसने सोचा कि वह बहू को कैसे फेस कर पाएगा और कैसे बहू उसको फेस कर पायेगी ।
यह सोचते ही उसने सोचा कि क्यों ना बहू को पहले कॉल कर लिया जाए ऐसा सोचते हुए उसने उपासना को फोन लगाया उपासना ने जैसे ही अपने मोबाइल पर धर्मवीर जी का कॉल आते हुए देखा तो उसकी धड़कन तेज हो गई।
उसने सोचा कि हे भगवान पता नहीं क्या हो गया क्योंकि ससुर जी आने की जगह मुझे फोन क्यों कर रहे हैं ।
पापा जरूर गुस्सा होंगे ऐसे सोचते हुए उसने फोन उठाया और कुछ बोली नहीं । बस फोन उठाकर अपने कान पर लगा लिया ।
उधर से धर्मवीर धीमी आवाज में बोला । उपासना ने यह धीमी आवाज सुनकर थोड़ा दिल को तसल्ली दी और कहने लगी - जी पापा जी ।
धर्मवीर - उपासना बेटा मुझे दूध पीना था ।
धर्मवीर के इस अटपटे सवाल से चौक पर हैरान रह गई उपासना । वह समझ नहीं पाई कि अनवर ने उसे कुछ बताया है या नहीं ।
ऐसा सोचते हुए उपासना कहने लगी -जी पापा जी अनवर आ गया है मैं बोल देती हूं उसको ।
यह बात तो धर्मवीर को उल्टा ही पड़ी।
धर्मवीर- मुझे तुमसे कुछ बात भी करनी है बहू तुम ऊपर आ जाओ ।
ऐसा सुनकर उपासना कहने लगी पापा जी मैं ऊपर नहीं आ पाऊंगी क्योंकि मेरी तबीयत ठीक नहीं है माफी चाहती हूं।
मना करने की हिम्मत बड़ी ही मुश्किल से जुटा पाई । { उपासना अब धर्मवीर को कैसे बताती कि वह सजी सजाई नीचे फर्स्ट फ्लोर पर बैठी हुई है। और ऊपर आने के लिए उसे चलकर आना पड़ेगा और उसके कपड़े ऐसे नहीं है कि वह चल कर आ सके क्योंकि सलवार उसे चलने ही नहीं देगी ।
ऐसा सुनकर उपासना के मुंह से धर्मवीर बोला की बहू ठीक है तुम आराम करो मैं तुम्हारे पास आ जाता हूं ।
ऐसा सुनकर उपासना नहीं फोन पर ही एक गहरी सांस ली जो कि साफ-साफ सुनाई दी धर्मवीर को ।
धर्मवीर बोला क्या हुआ उपासना कहने लगी कुछ नहीं पापा जी आप आ सकते हैं ।
नीचे फ्लोर पर आकर धर्मवीर ने उपासना को फिर से कॉल किया ।
उपासना ने फोन उठाया - जी पापा जी।
इतना ही बोल पाई उपासना ।
धर्मवीर - उपासना बेटा तुम तो हो ही नहीं अपने कमरे में । तुम्हारा कमरा तो बाहर से लॉक है फिर तुम कहां पर हो।
यह सुनकर उपासना मन ही मन में अनवर पर गुस्सा करने लगी और कहने लगी कि कुत्ते मरवाएगा मुझे आज ।
बता नहीं सकता था पापाजी को जाकर। पापाजी को तो कुछ पता ही नहीं है ,और अगर उन्होंने मुझे इस हालत में देख लिया , बिना यह जाने कि मैं आज क्यों सजी हूं , तो अनर्थ ही हो जाएगा ।
उपासना ऐसा सोच ही रही थी कि अचानक उसके मुंह से निकला पापाजी- आप अनवर से पूछ लीजिये ।
अचानक उसके मुंह से इतना जल्दी निकला कि वह बिना सोचे समझे बोल गई
ऐसा सुनकर धर्मवीर धर्मवीर कहने लगा कि बहू - इसमे अनवर का क्या सीन है , तुम मुझे भी तो बता सकती हो, बताओ तुम कहां हो ।
यह सुनकर उपासना की हिम्मत नहीं हुई बताने की।
उपासना फोन पर हल्की सी मायूस और रोने जैसी आवाज से बोली - पापाजी आप प्लीज एक बार अनवर से मिल लीजिए ।
ऐसा कहकर उपासना चुप हो गई तो धर्मवीर कहने लगा कि बेटा अनवर से तो मैं मिल हूं ।
और उसने मुझे बताया भी है लेकिन मैं तुमसे भी तो कुछ सुनना चाहता हूं ।
यह सुनकर उपासना का दिल धड़कने लगा और छाती ऊपर नीचे होने लगी सांसो से, मन में सोचने लगी कि हे भगवान यह बुड्ढा चाहता है कि मैं खुद इसे बोलूं कि आकर अपनी बहू को चोद दे । कोई बहू ऐसे कैसे बोल सकती है।
उपासना - पापाजी मैं नहीं बोल पाऊंगी ।
धर्मवीर - जब तुम बोल ही नहीं पाओगी तो मैं यकीनन कह सकता हूं कि तुम कर भी नहीं पाओगी।
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