RE: Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस
और जब तुम कर ही नहीं पाओगी तो मेरे आने से क्या फायदा। इस कलंक को मैं क्यों लगाऊ जब तुम ही इसमें रजामंद नहीं हो ।
यह सुनकर उपासना बोली - पापा जी ऐसा नहीं है, मैं उसी की तैयारियां करके बैठी हूं । अब आपको जो करना है आप कीजिए ।
धर्मवीर - बहू वह तो हमें करना ही पड़ेगा। लेकिन मैं सुनना चाहता हूं कि तुम कहां हो ।
उपासना - पापाजी मैं नीचे वाले फ्लोर पर कमरे में हूं।
धर्मवीर - तुमने नीचे वाला फ्लोर इसलिए चुना ताकि तुम्हारी चीखने की आवाजें किसी को ना सुनाई दे सकें ना सुनाई दे सकें ।
दरअसल पाठकों धर्मवीर उपासना को थोड़ा खोल लेना चाहता था ,, ताकि वह खुल कर बोल सके ।
उपासना - पापा जी आप आ जाइए।
धर्मवीर बोला मैं क्यों आ जाऊं ।
उपासना -0यदि आप सुनना ही चाहते हैं मेरे मुंह से तो लीजिए मैं कह देती हूं आ जाइए आपकी बहू सजधजकर आपका इंतजार कर रही है।
ऐसा कहकर उपासना नहीं फोन रख दिया । धर्मवीर का तो मानो लंड पेंट फाड़ कर बाहर आने को हो गया।
और धर्मवीर ने फोन को चूमते हुए नीचे की तरफ कदम बढ़ाने शुरू किये ।
जैसे ही धर्मवीर नीचे फ्लोर पर आकर कमरे में घुसने लगा ।
उपासना कमरे में दूसरी तरफ मुंह करके खड़ी हो गई।
उपासना का पिछवाड़ा धर्मवीर की ओर था ।
धर्मवीर वहीं खड़ा होकर उपासना को निहारने लगा और सोचने लगा कि इस सलवार में बहू की जवानी चुप ही नहीं रही है ।। क्या किस्मत है मेरे बेटे राकेश की जो उसे इतनी गदरायी हुई जवानी मिली है ।
मुझे तो लगता है कि राकेश संभाल भी नहीं पाता होगा उपासना को ।
ऐसा सोचते हुए उसकी नजर उसकी जांघो पर पड़ी जो सलवार में बुरी तरह फंसी हुई थी ।
और सलवार भी कुछ अजीब सी लगी धर्मवीर को क्योंकि वह दुपट्टे वाले कपड़े की थी ।
उसके बाल जुड़े में बंधे हुए उसके सर पर थे ,
कमर साफ दिख रही थी क्योंकि टॉप भी छोटा था इस रूप को देखकर धर्मवीर अपनी आंखें जब झपकाना ही भूल गया था ।
धर्मवीर ने अपने लंड पर हाथ ले जाकर उसे एडजस्ट किया पैंट में और आगे बढ़ने लगा जैसे ही धर्मवीर उपासना के पीछे पहुंचा ,उपासना की जिस्म की खुशबू धर्मवीर की नाक के नथुनों में भर गई । उसकी खुशबू उसे पागल कर गई।
उधर जैसे ही उपासना ने मैंने महसूस किया उसका ससुर उसके पीछे खड़ा है, इस हालत में तो वह शर्म से गढ़ी मरी जा रही थी।
धर्मवीर ने अपना चेहरा उपासना की पीछे गर्दन पर रखा, और एक लंबी सांस खींची ऐसा करते ही उपासना की छातियां ऊपर नीचे की तरफ उठान मारने लगी।
उसकी सांसें तेज हो चली थी क्योंकि उसे शर्म ही इतनी ज्यादा आ रही थी।
अपने पिछवाड़े को ससुर की तरफ निकाले हुए वह किसी मादरजात रंडी से कम नहीं लग रही थी ।
धर्मवीर ने उसकी गर्दन को सूंघा और लंबी सांस खींचकर अपनी सांस छोड़ी ।
फिर धर्मवीर अपना हाथ ले जाकर उसके कंधे पर रखा ।
कंधे पर धर्मवीर के हाथ का स्पर्श पाते ही उपासना आने वाले पल का इंतजार करने लगी।
धर्मवीर ने कहा बहू आपका यह रूप देखकर हमें यकीन नहीं हो रहा है कि आपने इतना सब कुछ हमारे लिए किया।
पहली बार बोला था धरम वीर जब से कमरे में आया था।
ऐसा सुनकर उपासना के मुंह से कोई बोल ही नहीं निकल रहा था ।
वह बस इतना ही बोल पाई - जी पापा जी ।
धर्मवीर ने ऐसा सुन तो सोचने लगा कि बहू खुलने में बहुत टाइम लेगी ।
वह आगे बढ़ा और जैसा ही हल्का आगे बढ़ा ।उपासना की भारी-भरकम गांड उसके लंड से टच हो गयी।
स्पर्श को पाते ही उपासना थोड़ी आगे हो गयी।
उपासना के इस तरह के नखरीले स्वभाव को देखकर धर्मवीर सोचने लगा। कि आज तेरे अंदर की रंडी ना जगाई तो मैं भी धर्मवीर नहीं ।
धर्मवीर ने अपने दोनों हाथ आगे की तरफ लंबे किए ।
उपासना की दोनों बाजुओं को पकड़कर धर्मवीर ने अपनी तरफ इतनी तेज खींचा । इस तरह झटका मारा कि जिसकी उम्मीद उपासना को भी नहीं थी ।
उपासना की गांड एकदम धर्मवीर के लंड से टकरा गई और धर्मवीर ने अपना चेहरा उसकी गर्दन के साइड में कंधे पर रख दिया ।।
उपासना जब एक साथ झटके सो पीछे को धर्मवीर से जाकर टकराई तो कमरे में एक साथ छन छन की आवाज हुई ।
उपासना की चूड़ियां और पैरों के घुंघरू की आवाज से धर्मवीर को पागलपन छा गया ।
उसने अपने हाथ आगे ले जाकर उसके पेट पर रखें। जैसे ही पेट पर हाथ रखे तो उसकी नाभि में लगी हुई बाली धर्मवीर की उंगलियों से टकरा गई ।
धर्मवीर ने धीरे से कहा कि आज तो मेरी बहू लगता है पैरों से लेकर सिर तक सजी है ।
उपासना सुनकर शरमा गई और कहने लगी यह क्या कर रहे हैं पापाजी आप ।
धर्मवीर को उपासना का यह नाटक बिल्कुल भी पसंद नहीं आया धर्मवीर बोल उठा कि मैं क्या कर रहा हूं तुम मुझसे पूछ रही हो। मुझे अभी 20 मिनट पहले पता चला है और तुम इस बैड पर अपनी जवानी को पूरी रात जी भर के पिलवाने के लिए सुबह से तैयारियां कर रही हो, और तुम मुझसे पूछ रही हो कि मैं क्या कर रहा हूं ।
उपासना ऐसा सुनकर एक एक गहरी सांस ली और चुप रही।
धर्मवीर ने उसके पेट पर हाथ फेरते हुए उपासना से पूछा कि तुमने मुझे पहले क्यों नहीं बताया ।
उपासना कहने लगी आज सुबह ही मुझे पता चला इस बारे में फिर कभी बताऊंगी । ऐसा कहकर उपासना अपने आप को छुड़ाकर रूम से बाहर जाने लगी दोस्तों कपड़ों की वजह से उपासना चल भी नहीं पा रही थी । और चलते हुए उसके हाथों की चूड़ियां और पैरों के घुंघरू की छन छन छन छन की आवाज आ रही थी। सलवार की वजह से उपासना बहुत ही धीरे धीरे चल पा रही थी और उपासना ने चूत पर भी एक बाली लगाई हुई थी जिस वजह से उसे चलने में परेशानी हो रही थी ।
वह धीरे-धीरे कि आगे कदम बढ़ा पा रही थी ।उपासना निकल गई रूम से ।
उधर उपासना की गांड की थिरकन देख कर धर्मवीर को आज पता चला कि किसी की गांड इतनी भी मटक सकती है । क्योंकि उपासना की दोनों चूतड़ बारी-बारी से ऊपर नीचे हो रहे थे । कुछ समय बाद उपासना कमरे में आई और इस बार उसके हाथ में बड़ी सी थाली थी उसमें चारों तरफ दिए लगे हुए थे । उपासना धीरे धीरे चलती हुई आ रही थी दोस्तों चेहरे पर घूंघट लेकिन नीचे उसके पेट पर लगी वह बाली , उसकी टॉप फाड़ कर बाहर आने वाली छातियां देखकर धर्मवीर से सबर नहीं हो रहा था ।
धर्मवीर की नजर उसकी जांघों पर पड़ी तो उसकी सांसे रुक गयीं क्योंकि उपासना की चूत का शेप उस सलवार से साफ पता लग रहा था। देख कर ही धर्मवीर समझ गया था की उपासना की चूत कितनी भरी हुई और रसीली होगी । वह उसकी चूत को छूने की कल्पना करके ही सिहर उठा।
उपासना धीरे धीरे चल कर उसके पास आई और आकर उसके पैर छुए और बस इतना ही बोल पाई कि आज मैं आपको आज की रात में अपने पति के रूप में स्वीकार करती हूं ।
धर्मवीर ने उपासना के कंधों को पकड़कर उसे ऊपर उठाया और उसके होठों पर लगी हुई लिक्विड मेट लिपस्टिक को देखकर अपनो जीभ होंठो पर फेरता हुआ कहने लगा कि मैं आज तुम्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार करता हूं।
लेकिन केवल इसी पल क्योंकि इसके आगे आने वाले पल में तुम मेरे बिस्तर पर मेरी बहू रंडी बन जाओगी।
ऐसा सुनकर उपासना बुरी तरह से शरमा गई और चेहरा तो धर्मवीर को दिखाई नहीं दिया लेकिन उपासना की होठों पर आई मुस्कुराहट यह सब बयान कर गई ।
धर्मवीर ने सोफे पर बैठते हुए कहा कि मैं चाहता हूं मेरी पत्नी मेरी गोद में आकर बैठे ।
ऐसा सुनते ही उपासना ने ने धीरे-धीरे धर्मवीर की तरफ चलना शुरू किया और उसके सामने जाकर उसकी तरफ पिछवाड़ा करके धीरे-धीरे नीचे बैठने लगी ।
दोस्तों धर्मवीर की आंखों ने इतना नजदीक से जब उपासना का पिछवाड़ा देखा तो उसकी आंखें फैल गई। क्योंकि उन कूल्हों पर जो चर्बी चढ़ी हुई थी वह बयान कर रही थी कि उन्हें बेरहमी से कोई ठोकने वाला मिले । उसकी गांड के छेद को उसकी गांड के अनुसार ही चौड़ा करने वाला उसे आज मिल चुका था ।
और जैसे ही उपासना धर्मवीर की गोद में बैठी उसके भारी-भरकम चूतड़ों की गर्माहट उसके लंड तक चली गई।
उपासना ने भी भी यह महसूस किया की धर्मवीर का लंड खड़ा है और उपासना चुपचाप बैठी रही ।
धर्मवीर मन में सोचा की बहू को थोड़ा खुल कर बोलना चाहिए इसे थोड़ी सी बेशर्म होना चाहिए ।
ऐसा सोचते हुए धर्मवीर कहने लगा मैंने सोचा भी नहीं
था कि कोई बहू अपने ससुर के लोड़े पर इस तरह बैठेगी।
यह सुनकर उपासना शरमाते हुए धीरे से कहने लगी कि मैं केवल अपने ससुर की गोद में बैठी हूं और कहीं नहीं ।
ऐसा सुनकर धर्मवीर बोला तो जल्दी किस बात की है लोड़े पर भी बिठा ही लेंगे ।
उपासना ऐसा सुनकर बोली- पापा जी ऐसा मत बोलिए ।
धर्मवीर बोला क्यों तुम पूरी तैयारी कर चुकी हो और अब मेरे लंड पर भी अपनी गांड रख कर बैठी हो और तुम कह रही हो मैं बोलूं ना ।
मैं तो आज तुम्हारी इस जवानी को चमेली के फूल की तरह खिला दूंगा मेरी जान ।
ऐसा सुनकर उपासना शर्मा उठी ।
फिर धर्मवीर ने उसके कंधों को पकड़कर उसे अपनी एक बाजू पर लिटाया और कहने लगा कि अपनी बहू का चेहरा तो देख लूं। बहू के चेहरे को देखने के लिए घूंघट को उठाने लगा ।
जैसे ही उसने घूंघट उठाया उपासना ने अपनी आंखें बंद कर ले दोस्तों नजारा कुछ ऐसा था की उपासना उसकी गोद में लेटी हुई थी अपनी आंखें बंद किए हुए।
और उसके होठों पर लगी हुई लिक्विड मैट लिपस्टिक जैसे ही देखी धर्मवीर पागल हो उठा ।
उसके चेहरे की सजावट देखकर धर्मवीर से रहा ना गया।
उसके गालों की लाली देखकर धर्मवीर कहने लगा कि तुझे असली लंडधारी मर्द आज मिला है ।
ऐसा सुनकर उपासना ने अपनी आंखें और तेज मींच लीं ।
फिर धर्मवीर ने धीरे-धीरे अपना चेहरा उपासना की चेहरे की चेहरे की तरफ बढ़ाया और जैसे ही धर्मवीर की सांसें उपासना के चेहरे पर महसूस हुई उपासना आने वाले पल का इंतजार करने लगी । शर्म से उसकी आंखें बंद थी और हाथों की मुट्ठियाँ पूरी जान लगाकर उसने भींची हुई थी ।
फिर धर्मवीर उसकी नाक से अपनी नाक को टच करता हुआ बोला कि जब तक तुम आंखें नहीं खोलोगी मैं तुम्हारे इन लबों पर अपने होठों को नहीं रख सकता।
उपासना को इसकी उम्मीद नहीं थी वह सोच रही थी कैसे अपने ससुर के होठों को चूसते हुए वह देखेगी ।
वह नजर किस तरह मिला पाएगी उपासना ने धीरे से बोला पापाजी मुझ में हिम्मत नहीं है ।
जब इतनी पास से उपासना बोली तो धर्मवीर को उसके मुंह की सुगंध और उसकी सांसे धर्मवीर के मुंह में भर गई ।
धर्मवीर ने बोला यदि आज तुम्हें चुदना है तो आंखें तो खोलनी पड़ेगी ।
ऐसा सुनकर उपासना ने धीरे-धीरे अपनी आंखें खोली
अपनी आंखें जैसे ही उसने खोली उसकी नजर धर्मवीर की निगाहों से टकरा गई । दोनों एक दूसरे दूसरे की आंखों में देख रहे थे ।
उपासना की आंखों में देखते हुए धर्मवीर को ऐसा लगा जैसे बहू कह रही है कि उसे जी भर के प्यार करो ।
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