RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
“पिताजी सो गये?” कैप उतारकर कील पर टांगते हुए देशराज ने पूछा।
आंचल सम्भालती आरती ने कहा—“नींद कहां आती है उन्हें, सारी रात खांसते रहते हैं—मैंने दवा के लिए कहा तो बोले, ‘दवा से बीमारियां ठीक होती हैं बहू, बुढ़ापे का इलाज नहीं हो सकता और यह खांसी, नींद न आना … सब बुढ़ापे की निशानी हैं।”
“कल उन्हें जबरदस्ती डॉक्टर के पास ले जाना पड़ेगा।” वर्दी के बटन खोलते हुए उसने कहा ही था कि फोन की घंटी घनघना उठी।
आरती ने तेजी से हाथ बढ़ाकर रिसीवर उठा लिया, बोली—“हैलो!”
“ब्लैक स्टार!” दूसरी तरफ से उभरने वाला स्वर इतना सर्द था कि आरती के संपूर्ण जिस्म में सिरहन दौड़ गयी।
उसने जल्दी से माउथपीस पर हाथ रखा, बोली—“ब्लैक स्टार!”
“ब-ब्लैक स्टार?” देशराज हकला गया।
“ज-जी।”
“खुद वही बोल रहा है?”
“हां।”
“ओह!” देशराज का चेहरा बता रहा था कि उसके दिलो-दिमाग को भूकम्प ने घेर लिया है, फोन की तरफ इतनी तेजी से लपका जैसे जानता हो देर होते ही मौत के घाट उतार दिया जायेगा—माउथपीस में ‘हैलो’ कहते वक्त उसकी सांसें धौंकनी की मानिन्द चल रही थीं।
“सुना है तुमने असलम मर्डर केस हल कर लिया?”
“यस सर!” देशराज मानो एस.एस.पी. को रिपोर्ट दे रहा था—“कातिल इस वक्त हवालात में है, सुबह होते ही कोर्ट में पेश कर दूंगा।”
“तुम्हें मालूम है न देशराज, हम ब्लैक स्टार बोल रहे हैं?”
“ज-जी!” देशराज के सभी मसामों ने इस तरह पसीने की बाढ़ उगली जैसे डी.आई.जी. द्वारा रंगे हाथों हेराफेरी करता पकड़ा गया हो।
“हमें सारा किस्सा मालूम हो चुका है।” मानो सांप फुंफकारा—“तुम अभी-अभी गोविन्दा की बीवी को रौंदकर घर पहुंचे हो।”
“ज-जरूर मालूम हो गया होगा सर।” देशराज ऐसे गिड़गिड़ाया जैसे एक पुलिस इंस्पेक्टर को केवल आई.जी. के सामने गिड़गिड़ाना चाहिए—“म-मैं तो ख्वाब में भी नहीं सोच सकता था कि आपसे कुछ छुपा रह सकता है।”
लहजा कुछ और सर्द हो उठा—“तुम्हारी भलाई इसी में है …।”
“क-क्या हुक्म है सर?” सरकारी मुलाजिम किसी और के हुक्म का तलबगार था।
“असलम की हत्या के जुर्म में उसकी बीवी पकड़ी जानी चाहिए।” सीधा और सपाट आदेश।
“ब-बीवी?” देशराज उछल पड़ा—“यानि सलमा?”
“उसका यही नाम है।”
“म-मगर।” देशराज बुरी तरह हकला रहा था—“ऐसा कैसे हो सकता है सर?”
“यह सोचना तुम्हारा काम है देशराज—एक थानेदार अगर इतना भी नहीं कर सकता तो अपने जीवन में तरक्की क्या खाक करेगा? मगर नहीं, हमें पूरा विश्वास है कि तुम तरक्की वाले काम बखूबी कर सकते हो—जो शख्स दयाचन्द की जगह गोविन्दा को हत्यारा साबित कर सकता है, उसे भला दयाचन्द की माशूक को मुजरिम साबित करने वाले सबूत पैदा करने में कितनी देर लगेगी—याद रहे देशराज! सलमा के खिलाफ इतने पक्के गवाह और ठोस सबूत होने चाहिएं कि कोर्ट उसे फांसी से कम कुछ न दे सके, ऐसा हम चाहते हैं … हम!” अन्तिम शब्द ‘हम’ पर जोर देने के बाद संबंध विच्छेद कर दिया गया।
देशराज बुत बना खड़ा रह गया।
ऐंगेज की टोन उसके कान के पर्दे फाड़े डाल रही थी।
आरती ने पूछा—“क्या हुआ?”
“आं!” वह चौंका, संभलकर बोला—“क-कुछ नहीं!”
“पहले भी कई बार कह चुकी हूं, बहुत खतरनाक खेल, खेल रहे हैं आप—ब्लैक स्टार से दूर रहें वर्ना किसी दिन …।”
“तुम नहीं समझोगी।” वर्दी के बटन बन्द करता हुआ वह कील पर टंगी कैप की तरफ बढ़ा।
आरती ने पूछा—“आप जा रहे हैं?”
“हां।” वह दरवाजे की तरफ बढ़ा—“कुछ नहीं पता रात को किस वक्त लौट सकूंगा—कई बार कह चुका हूं, पिताजी के कमरे में लगा फोन का एक्सटेंशन इन्स्ट्रूमेन्ट हटा लो—घन्टी बजने से उनकी नींद खुलती होगी।”
“स-सॉरी!” आरती ने कहा—“कल हटा लूंगी।”
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