RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
‘सड़ाक् … सड़ाक् …!’
तेजस्वी का हाथ दो बार चला।
थाने के प्रांगण में जेबकतरे की चीख गूंज गई।
तेजस्वी के हाथ में मौजूद एक फुट लम्बे, गोल और चिकने रूल के सिरे पर बंधी दो फुट लम्बी मोटर साइकिल की चेन के स्पष्ट निशान जेबकतरे के जिस्म पर बन गए और अभी वह चेन के प्रहारों की तिलमिलाहट से बाहर नहीं निकल पाया था कि तेजस्वी ने झपटकर उसके बाल अपनी बायीं मुट्ठी में भींचे और दांतों पर दांत जमाकर गुर्राया—“अगर मैंने सुना कि प्रतापगढ़ थाने के इलाके में किसी की जेब कटी है तो इस चेन से तेरी चमड़ी उधेड़कर रख दूंगा।”
“म-मैं इलाके में रहूंगा ही नहीं माई बाप।” इन शब्दों के साथ जेबकतरा तेजस्वी के पैरों में गिरकर रो पड़ा—“म-मेरी सूरत तक आपको दोबारा देखने को नहीं मिलेगी।”
तेजस्वी ने आग्नेय नेत्रों से पंक्तिबद्ध खड़े इलाके के गुण्डे-बदमाशों को घूरा—इस वक्त उसका सुन्दर एवं आकर्षक चेहरा भयंकर और बदसूरत नजर आ रहा था—उसके इस रूप को देखकर गुण्डे-बदमाशों की न केवल टांगें कांप रही थीं बल्कि चेहरे इस कदर पीले नजर आ रहे थे जैसे उन पर हल्दी पोत दी गई हो—एक में भी इतनी ताकत न थी कि तेजस्वी की सुलगती आंखों से आंखें मिला पाता।
हाथ में चेनचुक्त रूल लिए तेजस्वी, अपने कदमों को मुस्तैदी के साथ जमीन पर जमाता हुआ पंक्ति के अन्तिम छोर की तरफ बढ़ा, प्रत्येक गुण्डे को खा जाने वाले अंदाज में घूरता हुआ गुर्राया—“जिस थाने पर मुझे नियुक्त कर दिया जाता है उस थाना क्षेत्र का मैं सबसे बड़ा गुण्डा होता हूं। मेरा शौक गुण्डों पर गुण्डागर्दी करना है—इसी शौक की खातिर मैंने यह वर्दी पहनी है—कान खोलकर सुन लो! जिसे इस इलाके में रहना है, शरीफ बनकर रहे और जिसका पेट शरीफ बनकर न भर सके, वह प्रतापगढ़ छोड़कर कहीं और जा बसे—अगर मैंने किसी को गुण्डागर्दी में लिप्त पाया तो उसके बीवी-बच्चे यही कहते फिरेंगे कि इस नाम का शख्स होता तो था लेकिन जाने कहां गायब हो गया …।”
आतंक की पराकाष्ठा के कारण पंक्तिबद्ध खड़े गुण्डे-बदमाशों के कलेजे थर्रा रहे थे—वे सब-के-सब थाने से बाहर तभी निकल सके जब तेजस्वी के पैरों में पड़कर वायदा कर चुके कि प्रतापगढ़ थाने की सीमा में कोई क्राइम नहीं करेंगे। उनमें लुक्का भी था—जुए का अवैध अड्डा चलाने वाला लुक्का—वह जिसके सिर पर लड़कियों जितने लम्बे बाल थे—देखने मात्र से लुक्का बेहद क्रूर शख्स नजर आता था।
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“समझ नहीं पाया इंस्पेक्टर साहब कि आपने ‘मुझे’ तलब क्यों किया?” मनचंदा के चेहरे पर हवाइयां उड़ रही थीं—“बच्चों की कसम खाकर कहता हूं, मैंने कभी कोई क्राइम नहीं किया, धारा एक सौ चवालीस तक नहीं तोड़ी मैंने!”
“सुना है प्रतापगढ़ थाने में सरकारी लाइसेंस प्राप्त शराब के केवल दो ठेके हैं।” तेजस्वी उसे घूरता हुआ बोला—“एक देशी शराब का और दूसरा इंग्लिश का।”
“बिल्कुल ठीक है साहब।” मनचंदा ने कहा—“और यह भी सच है कि दोनों ही के ठेके मेरे पास हैं परंतु …।”
“परंतु?”
“आप चाहे जिस तरह जांच कर सकते हैं, मेरे काम में कोई अनियमितता नहीं पाएंगे आप।”
“कमाई तो अच्छी-खासी होगी?” तेजस्वी ने उसे खास नजरों से घूरा।
“अजी कहां साहब, बच्चों के लिए दाल-रोटी मुश्किल से जुटा पाता हूं।”
“बकते हो!” तेजस्वी गुर्राया—“आजकल निन्यानवे प्रतिशत लोग शराब पीते हैं।”
“पीते तो हैं साब, लेकिन सरकारी शराब कहां पी जाती है प्रतापगढ़ में—सबको सस्ती शराब चाहिए और सरकारी टैक्स के बाद शराब सस्ती कहां रह जाती है—कमाते तो वो हैं जिन्हें सरकारी टैक्स देना नहीं पड़ता—खींची और बेच दी।”
“कौन करता है ऐसा?”
“मुझसे आपकी क्या दुश्मनी है साहब?”
“मतलब?”
“म-मेरे मुंह से उसका नाम निकला नहीं कि …।”
“ओह … तो रंगनाथन का इतना आतंक है यहां! तुम लाखों रुपये महीना का नुकसान सह सकते हो मगर पुलिस को खुलकर नहीं बता सकते कि यह नुकसान किसके कारण है?”
“जान लाखों रुपये से ज्यादा कीमती होती है साहब।”
“यानि वह तुम्हारा कत्ल कर डालेगा?”
“न-नहीं साहब!” मनचंदा मिमियाया—“मैं उसके बारे में आपसे कुछ नहीं कह रहा और उसी के बारे में क्यों, मैं तो किसी के बारे में भी शिकायत नहीं कर रहा आपसे।”
तेजस्वी हौले से मुस्कराया, बोला—“तुम्हारे चेहरे पर उड़ती हवाइयां बता रही हैं मनचंदा कि तुम रंगनाथन से किस कदर खौफजदा हो। मगर मैं तुम्हें यकीन दिला सकता हूं, भविष्य में उससे डरने की कोई जरूरत नहीं है—आज का सूरज डूबने तक न केवल वे सभी अड्डे तबाह हो जाएंगे जहां नाजायज कच्ची शराब खींची जाती है बल्कि रंगनाथन भी इस थाने की हवालात में एड़ियां रगड़ रहा होगा।”
मनचंदा की आंखों में चमक उभर आई, अपने ठेकों के बाहर शराब खरीदने वालों के हुजूम नजर आने लगे थे उसे, बोला—“आपके बारे में सुना तो बहुत है साहब, मगर बुरा न मानें, लगता नहीं वह सब हो पाएगा—रंगनाथन के हाथ बहुत लम्बे हैं साहब, शायद आपको अभी इसका अहसास नहीं है।”
तेजस्वी के होंठ कुटिलतापूर्वक मुस्कराकर रह गए।
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