RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
बल्लियों तो गंगाशरण उसी समय उछलने लगा था जब स्टार फोर्स के सैनिकों ने हवालात का ताला खोला और प्रांगण का दृश्य देखने के बाद तो बांछें ही खिल गईं—थाने पर स्टार फोर्स का कब्जा और चूहे से नजर आने वाले पुलिसियों को देखकर उसके सीने का नाप कम-से-कम दो इंच बढ़ गया था, अपने दरबार में दाखिल होते शहंशाह की-सी चाल से चलता गंगाशरण धूप में पड़ी मेज की तरफ बढ़ा मगर नजदीक पहुंचते-पहुंचते अपने दिमाग को लगे झटके से न बचा सका, यह झटका तेजस्वी के होंठों पर थिरक रही मुस्कान के कारण लगा था—तेजस्वी की हालत अन्य पुलिसियों की-सी न देखकर निराशा हुई उसे।
यही क्षण था जब थारूपल्ला ने तेजस्वी की आंखों में झांकते हुए गर्व के साथ कहा—“अगर हम गंगाशरण को यहां से ले जाएं तो भविष्य में तुम अपने पंखों से नहीं उड़ सकोगे।”
“तुम इस हरामी नेता को नहीं ले जा सकते थारूपल्ला!” तेजस्वी के हर लफ्ज से आत्मविश्वास की फुहारें फूट रही थीं।
“त-तुम रोकोगे हमें?” थारूपल्ला हंसा—“तुम?”
“हां थारूपल्ला, मैं रोकूंगा तुम्हें … मैं!”
“अपने शब्द वापस लेने पड़ेंगे मुझे—तुम बहादुर नहीं, मूर्ख हो।”
तेजस्वी शब्दों से जवाब देने के स्थान पर खिल्ली उड़ाने वाले अंदाज में हंसा।
गुस्से की ज्यादती के कारण थारूपल्ला का चेहरा भभक उठा—आंखें सुलगकर अंगारा हो गईं, सारा जिस्म कांप रहा था उसका और उसे इस अवस्था में देखकर प्रांगण में चारों तरफ खड़े पुलिसियों के चेहरे इस कदर सुत गए मानो लहू की अंतिम बूंद तक निचोड़ ली गई हो—थारूपल्ला के हलक से हिंसक चीते की सी गुर्राहट निकली—“ऊपर वाला जानता होगा कि तुम ये दावा किस बूते पर कर रहे हो?”
“इसके बूते पर!” तेजस्वी ने दाहिने हाथ की तर्जनी से अपनी कनपटी को ठकठकाते हुए कहा—“यहां आदमी की अक्ल होती है थारूपल्ला और उस अक्ल के बूते पर ही मैं ये दावा कर रहा हूं।”
“इस रिवॉल्वर की गोली बड़ी-से-बड़ी अक्ल का भुर्ता बना डालती है इंस्पेक्टर!” गुस्से के कारण कांपते थारूपल्ला ने अपने होलेस्टर से रिवॉल्वर खींच लिया—“इस भुलावे में मत रहना कि मैं तुम्हें किसी भी ‘कंडीशन’ में नहीं मार सकता—जहां मुझे, तुम्हें एक हफ्ता देने का हुक्म मिला है, वहीं यह आदेश भी मिला है कि गंगाशरण को थाने से निकालकर लाऊं और इस आदेश को पूरा करने की खातिर तुम्हारे टुकड़े-टुकड़े कर डालने के अधिकार मेरे पास सुरक्षित हैं।”
“तो करो कोशिश।” तेजस्वी के होंठों पर भेदभरी मुस्कान थी—“ले जाओ इस हरामी नेता को!”
“आओ गंगाशरण!” कहने के साथ थारूपल्ला एक झटके से उठा, जीप की तरफ बढ़ता हुआ बोला—“जीप में बैठो, देखता हूं ये हमें कैसे रोकेगा …।”
गंगाशरण उसके पीछे लपका।
“सोच ले गंगाशरण!” तेजस्वी ने चेतावनी दी—“तुझे भविष्य में नेतागिरी करनी है या नहीं?”
गंगाशरण ठिठका, पलटकर इतना ही पूछ पाया वह—“क्या मतलब?”
“पब्लिक की नजरों में तू गोमती के फ्लैट से उसके साथ रंगरलियां मनाता पकड़ा गया है—आज के अखबारों में तेरे और गोमती के फोटो भी छपे हैं—इन हालात में अगर थारूपल्ला के साथ गया तो सभी प्रचार-माध्यम और अखबार पब्लिक को यह बताएंगे कि स्टार फोर्स के लोग तुझे थाने से उड़ा ले गए—इस प्रचार से पब्लिक की नजरों में यह आरोप और पुष्ट हो जाएगा कि तू वाकई गोमती के साथ रंगरलियां मना रहा था—जिस नेता के बारे में पब्लिक यह सोचने लगे उसकी नेतागिरी खत्म, लोकप्रियता नेस्तनाबूद!”
गंगाशरण के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगीं।
“इसके विपरीत।” तेजस्वी ने गर्म लोहे पर चोट की—“अगर मेरे द्वारा कोर्ट में पेश होता है तो अदालत तुझे अपना पक्ष प्रस्तुत करने का अवसर देगी, उस वक्त तू चीख-चीखकर प्रतापगढ़ की पब्लिक को यह ‘मैसेज’ दे सकता है कि मैंने तुझे झूठे केस में फंसाया है।”
गंगाशरण मिट्टी के माधो की तरह जमीन पर चिपका रह गया।
तेजस्वी ने पुनः कहा—“सोच ले गंगाशरण, अच्छी तरह सोच ले—अगर भविष्य में नेतागिरी नहीं करनी तो बेशक थारूपल्ला के साथ जाकर हमेशा के लिए अपने दामन को दागदार कर ले—और अगर नेतागिरी करनी है तो अपने दामन पर लगा दाग तुझे धोना पड़ेगा क्योंकि इस दाग के साथ नेतागिरी नहीं की जा सकती—खुला मैदान है तेरे सामने, जो चाहे कर।”
बात गंगाशरण की समझ में आ गई थी अतः थारूपल्ला की तरफ पलटकर बोला—“इंस्पेक्टर ठीक कह रहा है मेजर साहब, अगर मैं इस तरह चला गया तो …।”
“तो?” थारूपल्ला गुर्राया।
“मेरी नेतागिरी खत्म—प्रतापगढ़ की पब्लिक कौड़ी के भाव नहीं पूछेगी मुझे और जब नेतागिरी ही खत्म हो जाएगी तो महान ब्लैक स्टार के किस काम का रह जाऊंगा मैं?”
“क्या चाहता है?”
गंगाशरण फौरन जवाब न दे सका, दोराहे पर खड़ा था वह।
और तेजस्वी!
तेजस्वी के होंठों पर जबरदस्त विजयी मुस्कान भरतनाट्यम कर रही थी—बड़े ही निश्चिंत भाव से उसने एक सिगरेट सुलगाई, जोरदार कश लिया और अपने द्वारा फेंके गए शब्दों के जाल में फंसे गंगाशरण तथा थारूपल्ला के बीच चल रहे विवाद का आनंद इस तरह लूटने लगा जैसे दिलचस्प नाटक देख रहा हो।
“बकता क्यों नहीं गंगाशरण?” थारूपल्ला झुंझला उठा—“क्या चाहता है तू?”
“ग-गुस्ताखी माफ करना मेजर साहब।” हिचकिचाते हुए गंगाशरण को कहना पड़ा—“बेहतर है मुझे कोर्ट में पेश होने दिया जाए—वहां मैं अपनी बात कहूंगा, भले ही सब लोग यकीन न कर पाएं मगर मेरे समर्थक तो विश्वास करेंगे ही—अगर मैंने लोगों के सामने अपना पक्ष रखने का यह स्वर्णिम अवसर गंवा दिया और आपके साथ चला गया तो आम पब्लिक की तो कौन कहे, समर्थक तक यही समझेंगे कि गंगाशरण सचमुच गोमती की बांहों से गिरफ्तार किया गया था, तभी तो चोरों की भांति थाने से फरार हो गया!”
“हम केवल इसलिए आए थे ताकि तुम्हारे दिल में यह शिकायत न रहे कि स्टार फोर्स ने कुछ किया नहीं—मगर जब तुम ही इंकार कर रहे हो तो …।”
“स-सोचिए मेजर साहब … आप खुद सोचिए, क्या मेरा इस तरह चले जाना अक्लमंदी होगी?”
बात थारूपल्ला के पल्ले भी पड़ चुकी थी अतः बोला—“जो फैसला तुमने किया है वह ठीक ही होगा।”
“थ-थैंक्यू मेजर साहब।” गंगाशरण के हृदय पर से मानो भारी बोझ हट गया।
|