RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
एक-चौथाई सिगरेट पी चुका तेजस्वी अचानक कुर्सी से उठा और विजयी मुद्रा में चहलकदमी करता हुआ पुनः दाहिने हाथ की तर्जनी से कनपटी को ठकठकाता हुआ बोला—“उम्मीद है थारूपल्ला कि तुमने अक्ल का करिश्मा महसूस कर लिया होगा—देखो … अपने चारों तरफ देखो, मेरा हर सिपाही तुम्हारे कब्जे में है—थाने के चप्पे-चप्पे पर तुम्हारी हुकूमत का मायाजाल बिछा है, मगर गंगाशरण को यहां से निकालकर नहीं ले जा सकते, यानि अपना वह एकमात्र मकसद पूरा नहीं कर सकते जिसकी खातिर यहां आए थे—अगर खुले दिमाग के हो तो सारी शक्तियां अपने पास होने के बावजूद यहां से अपनी शिकस्त कुबूल करके जाओ थारूपल्ला—और रास्ते भर यह रटते चले जाना कि थाने में केवल वह होता है जो थानेदार चाहे।”
गुस्से के कारण थारूपल्ला का बुरा हाल था परंतु परिस्थितियों के चक्रव्यूह में जकड़ा हुआ वह कुछ कर न पाया—अंततः पैर पटकते हुए अपनी जीप की तरफ बढ़ना पड़ा।
तेजस्वी ने सिगरेट का शेष टुकड़ा जमीन पर फेंका, जूते से बुरी तरह कुचल डाला उसे।
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थाने में जो कुछ हुआ, उसकी रिपोर्ट पुलिस के उच्चा- धिकारियों में ही नहीं बल्कि मुकम्मल प्रतापगढ़ में फैल गई—बच्चे-बच्चे की जुबान पर एक ही वाक्य था, यह कि ‘ब्लैक स्टार’ के मेजर थारूपल्ला को नए इंस्पेक्टर के सामने मुंह की खानी पड़ी—‘वह गंगाशरण को थाने से ले जाने आया था परंतु इंस्पेक्टर तेजस्वी ने उसे नाकाम कर दिया।’
लोग तेजस्वी की प्रशंसा के गीत गा रहे थे।
और वे पुलिसिए तो खुद को धन्य समझ रहे थे जो तेजस्वी और थारूपल्ला के टकराव के वक्त थाने में थे—अपने परिचितों को उन क्षणों का हाल बढ़ा-चढ़ाकर बता रहे थे वे—सुन-सुनकर लोग हैरान हो उठते—‘अच्छा, नए इंस्पेक्टर ने थारूपल्ला से ‘यह’ कह दिया?’ प्रत्यक्षदर्शी कहते—‘यह तो कुछ भी नहीं, तेजस्वी ने थारूपल्ला से साफ-साफ कहा कि मैं स्टार फोर्स को नेस्तनाबूद कर डालूंगा।’
लोग हैरान और चमत्कृत रह जाते।
चेहरों का जर्रा-जर्रा तेजस्वी की प्रशंसा का पसीना उगलने लगता।
लगभग हर कान ने स्टार फोर्स की शिकस्त का यह पहला किस्सा सुना था इसलिए सुनते और सुनाते रहना चाहते थे—छीछालेदर हो रही थी तो गंगाशरण की।
सुबह के अखबार पढ़कर और उसमें छपे फोटुओं को देखकर जहां लोगों के मुंह से बरबस निकल गया कि ‘अरे, हम तो स्वप्न में भी नहीं सोच सकते थे कि गंगाशरण इतना नीच होगा’ वहीं लोग प्रतापगढ़ की दीवारों पर चिपके रंगीन पोस्टरों पर हुजूम लगा लेते—उनमें छपी तस्वीरें अखबारों से अलग थीं—जाने रात ही रात में पंडित शाहबुद्दीन चौधरी ने ये पोस्टर कौन से प्रेस में छपवाकर किस मशीनरी से दीवारों पर चिपकवा दिए थे?
ऐसे करिश्में नेता अक्सर कर दिखाते हैं।
और तब, जब तेजस्वी ने गंगाशरण और गोमती को कोर्ट में पेश किया।
भीड़ से खचाखच भरी अदालत को गंगाशरण ने चीख-चीखकर बताया कि इंस्पेक्टर तेजस्वी ने उसे किस तरह झूठे केस में फंसाया है—गोमती ने कोर्ट में वह सब नहीं कहा जो तेजस्वी ने पढ़ाया था, बल्कि गंगाशरण के बयान की पुष्टि की यानि कहा कि तेजस्वी ने जबरदस्ती गंगाशरण के साथ उसके फोटो खिंचवाए हैं—हां, बयान देते वक्त उसका चेहरा पीला जर्द जरूर नजर आ रहा था—उसके बयान ने अदालत कक्ष में सनसनी फैला दी, पुलिस वालों के चेहरों पर हवाइयां उड़ने लगीं मगर तेजस्वी जरा भी विचलित नजर नहीं आ रहा था—जिस वक्त गोमती उसकी करतूत का भंडाफोड़ कर रही थी, उस वक्त प्रत्येक निगाह तेजस्वी के चेहरे पर चिपकी हुई थी—लोग उसकी मुस्कराहट पर हैरान थे और उस मुस्कराहट का अर्थ लोगों की समझ में तब आया जब अपनी बारी आने पर उसने धीर-गंभीर स्वर में कहना शुरू किया—“गंगाशरण तो खैर कहेगा ही कि मैंने उसे झूठा फंसाया है क्योंकि बगैर ऐसा कहे वह अपने शर्मनाक चरित्र पर पर्दा डालने की कोशिश नहीं कर सकता—सवाल ये है कि गोमती उसके बयान की पुष्टि क्यों कर रही है? जवाब साफ है—मैंने भले ही स्टार फोर्स का हुक्म न मानने की हिम्मत दिखा दी हो, मगर प्रतापगढ़ के आम नागरिकों के दिल में अभी इतनी हिम्मत नहीं भर पाया हूं कि वे स्टार फोर्स की हुक्मउदूली कर सकें—गोमती बेचारी तो एक अदनी-सी कॉलगर्ल है—भला ये स्टार फोर्स का आदेश न मानने की जुर्रत किस बूते पर कर सकती है—थारूपल्ला ने थाने में आकर गंगाशरण को छुड़ा ले जाने का असफल प्रयास किया—उस घटना की रोशनी में सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि स्टार फोर्स गोमती को डरा-धमकाकर बयान दिलवा रही है जिससे न केवल गंगाशरण को छोड़ देने का वह काम अदालत कर दे जिसमें वे थाने में नाकाम हो चुके हैं, बल्कि लोगों में मेरी छवि भी खराब कर दें—बयान देते वक्त और अभी तक गोमती के चेहरे पर छाया पीलापन अपने आप में इस बात का गवाह है कि वह डरी हुई है—सोचने वाली बात ये है मी लॉर्ड कि अगर मैंने झूठा मामला बनाया होता तो गोमती वह बयान न देती जो दिया है, बल्कि वह कहती जो मैं चाहता—यह तथ्य खुद स्पष्ट कर देता है कि मैंने झूठा मामला नहीं बनाया बल्कि जो कुछ गोमती कह रही है वह स्टार फोर्स के दबाव में आकर कहने पर विवश है—ऐसी पेचीदगियां उस दिन दूर होंगी जिस दिन मैं लोगों के मन-मस्तिष्क पर छाए स्टार फोर्स के आतंक को नेस्तनाबूद कर सकूंगा—इस काम में सफलता पाने के लिए मुझे सभी का सहयोग चाहिए—इस अदालत का, आपका—और ये अदालत इस वक्त गंगाशरण की जमानत अस्वीकार करके मुझे सहयोग दे सकती है—लोगों में विश्वास जगाने के लिए जरूरी है कि गंगाशरण को यहां से सीधा जेल भेज दिया जाए।”
लोग तालियां बजा उठे, जाहिर है, सभी ने उसका समर्थन किया था।
मगर …।
कोर्ट में शांति बहाल करने के बाद न्यायाधीश ने कहा—“मिस्टर गंगाशरण की बेल एप्लीकेशन के साथ डॉक्टर का ‘सर्टिफिकेट’ लगा हुआ है जिसके मुताबिक मिस्टर गंगाशरण ‘हार्ट पेशेन्ट’ हैं, और जेल भेजने पर उनके जीवन को खतरा हो सकता है। अतः यह अदालत इस शर्त पर उनकी जमानत स्वीकार करती है कि वे प्रत्येक तारीख पर खुद कोर्ट में हाजिर होंगे।”
इस फैसले को सुनकर जहां कक्ष में सन्नाटा छा गया—वहीं तेजस्वी के चेहरे पर शिकन तक न उभरी—सांप द्वारा सूंघ लिए गए लोगों पर दृष्टिगत करता तेजस्वी जानता था कि अदालत से निकलने के बाद ये ही लोग किस चर्चा में मशगूल होंगे और वही हुआ—एक घंटे बाद प्रतापगढ़ में यह आम चर्चा थी कि ‘जज साहब ने स्टार फोर्स की धमकी में आकर फैसला दिया है, स्टार फोर्स से टकराने की कूव्वत भला हरेक में कहां है?’
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