RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
“इनसे मिलो तेजस्वी।” शांडियाल ने काला सफारी पहने एक व्यक्ति की तरफ इशारा किया—“ये केन्द्रीय स्पेशल कमांडो दस्ते के चीफ हैं, मिस्टर एम.पी. ठक्कर।”
तेजस्वी ने ठक्कर की तरफ हाथ बढ़ाया और जब हाथ ठक्कर के हाथ के बीच में फंसा तो लगा कि उसका हाथ, हाड़-मांस से नहीं बल्कि फौलाद के बने शिकंजे के बीच फंस गया है।
“ये तेजस्वी है।” शांडियाल कह रहे थे—“इसके बारे में मैं आपको बता चुका हूं।”
“खुशी हुई।” ठक्कर ने सीधे उसी से कहा—उसका हाथ अभी भी ठक्कर के फौलादी शिकंजे में था और तेजस्वी को दुखन का अहसास हो रहा था।
एम.पी. ठक्कर!
सात फुट लम्बा, कसरती जिस्म वाला शख्स!
क्रूर चेहरा, सुर्ख आंखें, मोटी और घनी भवें, गंजा सिर—प्राकृतिक रूप से गंजा नहीं था वह बल्कि उस्तरा फिरवा रखा था—हाफ बाजू के सफारी में उसकी मसल्स स्पष्ट दृष्टिगोचर हो रही थीं।
“बैठो।” कहने के साथ ठक्कर ने उसका हाथ छोड़ दिया।
ठक्कर सामने बैठा—शांडियाल अपनी कुर्सी पर—इस वक्त उसके ऑफिस में चिदम्बरम, कुम्बारप्पा, भारद्वाज और पांडे के अलावा पांच शख्स और थे।
पांचों ने काला सफारी पहन रखा था।
ठक्कर की तरह गंजे!
क्रूर और बलिष्ठ!
चेहरों को देखकर अनुमान नहीं लगाया जा सकता था कि उनके दिलो-दिमाग में क्या घुमड़ रहा है—वे सभी उसे देख रहे थे और तेजस्वी को लग रहा था, वे उसे घूर रहे हैं—पेट में हवा का एक गोला तेजी से घूमता महसूस हुआ—तभी, शांडियाल बोले—“ये पांचों स्पेशल कमांडो दस्ते के वे लोग हैं तेजस्वी, जो तीन दिन पहले वहां पहुंच जाते हैं जहां किसी वी.आई.पी. को आना हो।”
खुद को नियंत्रित रखकर तेजस्वी ने पूछा—“क्या प्रतापगढ़ में कोई वी.आई.पी. आने वाले हैं?”
“चिरंजीव कुमार!” ठक्कर बोला।
“ओह!”
“तुम जानते होगे—चिरंजीव कुमार इस प्रदेश के भूतपूर्व चीफ मिनिस्टर हैं।” ठाकुर की आवाज ऐसी थी जैसे रात के सन्नाटे में उल्लू गुर्रा रहा हो—“केन्द्र में उन्हीं की पार्टी की सरकार है—उनका निर्वाचन क्षेत्र प्रतापगढ़ है मगर पिछली बार उन्होंने चुनाव नहीं लड़ा, क्योंकि केन्द्र में बुलाकर विदेश मंत्री बना दिए गए थे—परिणाम यह निकला कि अकेले प्रतापगढ़ में ही नहीं, सारे प्रदेश में उनकी पार्टी के प्रत्याशी हार गए और चन्द्रचूड़ सरकार सत्ता में आई।”
“जी।”
“चन्द्रचूड़ के कार्यकाल में यहां स्टार फोर्स का जोर ज्यादा बढ़ गया—एक बार को तो यही लगने लगा कि प्रदेश देश के हाथों से फिसलता जा रहा है—तब, प्रधानमंत्री ने चिरंजीव कुमार को वापस प्रदेश में भेजा—उन्होंने प्रदेश के हालात का अध्ययन किया, सुबूतों के साथ केन्द्र को रिपोर्ट भेजी कि अगर तुरंत चन्द्रचूड़ सरकार को बर्खास्त करके राष्ट्रपति शासन लागू न कर दिया गया तो प्रदेश सचमुच देश के हाथ से निकलकर ब्लैक स्टार के हाथों में चला जाएगा।”
तेजस्वी खामोश रहा।
“क्योंकि चंद्रचूड़ सरकार चिरंजीव कुमार के कारण बर्खास्त हुई है, इसलिए चिरंजीव कुमार को स्टार फोर्स से खतरा है और ये खतरा इस कारण ज्यादा बढ़ जाता है क्योंकि चिरंजीव कुमार प्रदेश की कमान सम्भालने के लिए वापस आ चुके हैं—ब्लैक स्टार जानता है, अगर आगामी चुनाव चिरंजीव कुमार के नेतृत्व में लड़ा गया, तो भारी बहुमत के साथ उनकी सरकार बनेगी और पुनः चीफ मिनिस्टर बनते ही चिरंजीव कुमार का सबसे पहला लक्ष्य प्रदेश से स्टार फोर्स का सफाया करना होगा।”
तेजस्वी अब भी चुप रहा।
“स्टार फोर्स क्योंकि इस वक्त मुल्क का सबसे कुख्यात और ताकतवर आतंकवादी गुट है एवं चिरंजीव कुमार उसकी हिटलिस्ट में नम्बर एक पर हैं, इसलिए हमें यानि केन्द्र सरकार के स्पेशल कमांडो दस्ते को उनकी सुरक्षा व्यवस्था का भार सौंपा गया है।”
“मैं समझता हूं सर।”
“आमतौर पर हम लोग वी.आई.पी. की सुरक्षा के मामले में इंस्पेक्टर रैंक के पुलिसियों पर विश्वास नहीं करते—केवल कमिश्नर, डी.आई.जी., एस.एस.पी. और एस.पी. के साथ मीटिंग करते हैं, यहां भी वही कर रहे थे—इन लोगों ने तुम्हारी तारीफ की—कारनामे बताए—इसी कारण हमने तुम्हें यहां बुलवाया।”
“मेरे अफसरों की मुझ पर विशेष कृपा है सर।”
“प्रतापगढ़ चिरंजीव कुमार का गृह नगर है—यहां आगामी चुनाव लड़ना है उन्हें—रात अपने फार्म हाउस पर गुजारा करेंगे—हम रोकने की चाहे कितनी कोशिश करें मगर ‘कैन्वसिंग’ के दरम्यान वे बार-बार सुरक्षा घेरे को तोड़कर भीड़ में घुसेंगे—उधर, स्टार फोर्स का शक्ति-केन्द्र भी प्रतापगढ़ ही है, क्या इन हालात में यहां सफलतापूर्वक उनकी सुरक्षा की जा सकेगी?”
“उनकी रक्षा मैं अपने प्राणों की आहुति देकर भी करूंगा सर!”
“हम किसी के प्राणों की आहुति नहीं मांग रहे इंस्पेक्टर।” ठक्कर ने सख्त स्वर में कहा—“सीधे सवाल का सीधा जवाब दो, तीन दिन बाद चिरंजीव कुमार का यहां आना ठीक रहेगा अथवा नहीं?”
“अगर वे एक हफ्ते बाद आएं तो बेहतर होगा।”
“वजह?”
“पिछली कार्यवाही से मैं काफी हद तक स्टार फोर्स का मनोबल तोड़ने में कामयाब हूं।” तेजस्वी कहता चला गया—“इस एक हफ्ते में ऐसा कुछ करने की सोच रहा हूं जिससे स्टार फोर्स में भगदड़ मच जाएगी—चिरंजीव कुमार या किसी अन्य की जान लेने की जगह वे अपनी जान बचाने के बारे में सोच रहे होंगे।”
एकाएक ठक्कर शांडियाल की तरफ घूमा—“आपकी क्या राय है कमिश्नर साहब?”
“क्या उनका प्रोग्राम फाइनल नहीं है?” शांडियाल ने पूछा।
“फाइनल ही समझिए।”
“तब तो यह ‘डिस्कशन’ ही व्यर्थ है।” चिदम्बरम कह उठा—“वे आएं, स्थानीय पुलिस को सौंपी गई ड्यूटी का निर्वाह पूरी मुस्तैदी के साथ किया जाएगा।”
“नहीं … प्रोग्राम फाइनल होने के बावजूद यह ‘डिस्कशन’ व्यर्थ नहीं है—तीन दिन पूर्व हम लोग स्थिति को ‘वॉच’ करने पहुंचते ही इसलिए हैं क्योंकि विशेष परिस्थितियों में फाइनल प्रोग्राम को भी रद्द करा सकते हैं।”
कुम्बारप्पा ने पूछा—“वे विशेष परिस्थितियां क्या हैं?”
“मान लो किसी षड्यंत्र की भनक लगे!”
“हमें ऐसे किसी षड्यंत्र की गंध नहीं है।” भारद्वाज ने कहा।
“क्यों इंस्पेक्टर?” ठक्कर ने पुनः अपनी आंखें तेजस्वी पर जमा दीं—“तुम्हें स्टार फोर्स स्पेशलिस्ट कहा जाता है, तुम बोलो … क्या तुम्हें किसी षड्यंत्र की भनक है?”
तेजस्वी भांप न सका कि ठक्कर ने उसे ‘स्टार फोर्स स्पेशलिस्ट’ व्यंग्य में कहा था या सचमुच उसके कारनामें सुनकर प्रभावित था, बोला—“मुझे नहीं लगता स्टार फोर्स इस बारे में सोच रही है।”
“क्या आप लोगों में से किसी ने ‘ट्रिपल जैड’ का नाम सुना है?” ठक्कर के मुंह से निकले इस छोटे से वाक्य ने शांडियाल के ऑफिस में मौजूद तीन हस्तियों के दिमागों के परखच्चे इस तरह उड़ा डाले जैसे फटने के बाद खुद बम के उड़ जाते हैं।
चिदम्बरम, कुम्बारप्पा और तेजस्वी!
चिदम्बरम और कुम्बारप्पा की नजरें एक झटके से मिलीं मगर अगले पल … शायद इस डर से कि स्पेशल कमांडो दस्ते के धुरंधर उनके मनोभाव न पढ़ लें, विपरीत दिशा में देखने लगे और तेजस्वी को ऐसा लग रहा था जैसे संपूर्ण जिस्म में चार सौ चालीस वोल्ट का करंट गर्दिश कर रहा हो।
“ट-ट्रिपल जैड?” पांडे ने पूछा—“ये कौन है?”
“एक विदेशी।” ठक्कर बोला—“काफी कोशिश के बावजूद हम लोग यह पता लगाने में असफल हैं कि उसका संबंध किस देश से है—हमारे मुल्क में पिछले दो साल से सक्रिय है वह और रिकॉर्ड बताते हैं, उसे जब जहां देखा गया वहीं कोई-न-कोई बड़ी वारदात हुई—पिछले दिनों उसे प्रतापगढ़ में देखा गया है—अनुमान लगाया जा रहा है कि शीघ्र ही यहां भी कोई बड़ी वारदात हो सकती है—सम्भव है, वह वारदात वी.आई.पी. पर हमला हो।”
अपने होशो-हवास ठिकाने पर लाकर चिदम्बरम ने पूछा—“क्या स्टार फोर्स से भी उसका कोई संबंध है?”
“अभी तक ऐसा कोई सूत्र हाथ नहीं लगा है।”
“तो उससे आप उस खतरे को किस आधार पर जोड़ रहे हैं जो वी.आई.पी. को स्टार फोर्स से है?” यह सवाल शांडियाल ने किया।
“इस प्रदेश को हमारे मुल्क से अलग कर देने में अनेक दुश्मन राष्ट्रों की दिलचस्पी है और चिरंजीव कुमार उन सभी राष्ट्रों की आंख की किरकिरी बने हुए हैं।”
“यानि स्टार फोर्स के अलावा दुश्मन राष्ट्र भी वी.आई.पी. की हत्या का प्रयास कर सकते हैं?”
“जितना खतरा स्टार फोर्स से है उतना ही दुश्मन मुल्कों से भी है। मुमकिन है, ट्रिपल जैड उन्हीं मुल्कों में से किसी का जासूस हो।”
शांडियाल के ऑफिस में सन्नाटा छा गया, वह सन्नाटा इतना गहरा था कि एक-दूसरे की सांसों तक की आवाज स्पष्ट सुन सकते थे और फिर, सन्नाटे के मुंह पर तमाचा जड़ने का श्रेय ठक्कर को गया, दृढ़तापूर्वक कहता चला गया वह—“ये चुप्पी बताती है ट्रिपल जैड के बारे में आप लोगों में से कभी किसी ने नहीं सुना और इस हकीकत की रोशनी में मुझे यह कहने में कोई हिचक नहीं है कि स्थानीय पुलिस उतनी चाक-चौबंद नहीं है जितनी होनी चाहिए—ट्रिपल जैड यहां सक्रिय है, इसकी जानकारी हमें है मगर आप लोगों को नहीं है—तुम्हें भी नहीं है मिस्टर तेजस्वी, जबकि विशेष रूप से वह तुम्हारे ही इलाके में सक्रिय है—तुम … जिसके इन लोगों ने हमें बड़े-बड़े कारनामे सुनाए हैं।”
“क्षमा करें सर!” तेजस्वी बहुत मुश्किल से खुद को सामान्य दर्शा पा रहा था—“प्रतापगढ़ का चार्ज संभाले मुझे ज्यादा वक्त नहीं गुजरा है और जितना भी टाइम हुआ है उसमें पूरा ध्यान स्टार फोर्स से लोहा लेने में लगा रहा—शायद इसीलिए किसी विदेशी की सक्रियता मेरी जानकारी में नहीं आई—और मेरे थाना क्षेत्र में वैसी कोई घटना भी नहीं घटी जिसके फलस्वरूप किसी विदेशी की सक्रियता की तरफ तवज्जो जाती।”
“वह वक्त से पहले खुद को चर्चित कर लेने वाले मूर्खों में से नहीं है।”
“मैं समझ गया सर, ट्रिपल जैड काफी सुरक्षित गेम खेलता है।” तेजस्वी ने कहा—“हालांकि आप लोगों के सामने ज्यादा दावे करना अक्लमंदी न होगी, मगर इतना जरूर कहूंगा कि एक हफ्ते के अंदर स्टार फोर्स में ऐसी भगदड़ मच जाएगी जैसी चींटियों के झुण्ड में सरसों का तेल छिड़कने पर मच जाती है—संभव हो सका तो ट्रिपल जैड को भी खोज निकालूंगा।”
“बहुत बड़ी-बड़ी बातें कर रहे हो इंस्पेक्टर।”
“अपना आशीर्वाद बनाए रखिए सर—ऊपर वाले ने चाहा तो एक हफ्ते बाद चिरंजीव कुमार को किसी सुरक्षा घेरे की जरूरत नहीं रहेगी।”
“ठीक है!” ठक्कर पहली बार मुस्कुराया—“हम इस फैसले के साथ मीटिंग बर्खास्त करते हैं कि चिरंजीव कुमार का तीन दिन बाद यहां आने का प्रोग्राम कैंसिल—एक हफ्ते बाद, आज ही के दिन हम पुनः यहां मीटिंग करेंगे—उसमें तय किया जाएगा कि चिरंजीव कुमार प्रतापगढ़ कब आएं।”
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तेजस्वी ने अपने फ्लैट की चाबी निकालकर ‘की-होल’ में लगाई ही थी कि चौंक पड़ा।
ठिठका!
कान कुत्ते के कानों की तरह खड़े हो गए।
उसने बंद फ्लैट के अंदर से सरसराहट की आवाज सुनी थी—पुनः उभरने वाली किसी आहट को सुनने की गर्ज से ‘की-होल’ से चाबी वापस खींची और उसके स्थान पर कान सटा दिया।
अभी अंदर से उभरने वाली किसी आवाज को सुनने का प्रयत्न कर ही रहा था कि पीछे पदचाप उभरी—तेजी से पलटना चाहा परंतु तभी, कनपटी पर किसी सख्त और ठंडी धातु के स्पर्श का अहसास किया, साथ ही सर्द स्वर—“हिलो मत इंस्पेक्टर …।”
तेजस्वी ज्यों-का-त्यों खड़ा रह गया—बहुत तेजी से दिमाग में यह विचार कौंधा कि इस वक्त वह घिरा हुआ है और घेरने वालों की इच्छा के विरुद्ध जुम्बिश तक खाना घातक हो सकता है।
एक शख्स ने उसके होलेस्टर से रिवॉल्वर निकाल लिया।
“सीधे खड़े हो जाओ!” यह आदेश बाईं तरफ से मिला था।
तेजस्वी ने हुक्म का पालन किया और उसी दरम्यान देखा—तीन ए.के.-सैंतालीसधारी स्टार फोर्स के सैनिक उसे घेरे खड़े थे—उनमें से एक की रायफल की नाल उसकी दाईं कनपटी का चुम्बन लिए हुए थी—गैलरी में अंधकार और सन्नाटा छाया हुआ था—रात के दो बजे वहां किसी किस्म की चहल-पहल की उम्मीद की भी नहीं जा सकती थी।
जिस्म भले ही जड़वत् नजर आ रहा हो परंतु दिमाग के बूते पर शतरंजी चालें चलने वाले तेजस्वी का जहन बड़ी तेजी से क्रियाशील था।
सर्वप्रथम उसे स्टार फोर्स के सैनिकों द्वारा खुद को घेरे जाने का उद्देश्य मालूम करना था, अतः स्वयं को घबराहट से कोसों दूर प्रदर्शित करके सवाल किया—“थारूपल्ला कहां है?”
“खामोश रहो!” गुर्राहट उभरी।
तभी, उनमें से एक ने बंद दरवाजे पर सांकेतिक दस्तक की—फ्लैट के अंदर की लाइट ऑन हो गई—‘की-होल’ में अंदर की तरफ से एक चाबी डाली गई—पहले लॉक और फिर दरवाजा खुला—थारूपल्ला सामने खड़ा मुस्कुरा रहा था।
इस वक्त उसके जिस्म पर मेजर वाली वर्दी थी।
तेजस्वी ने यह भांपने की भरपूर कोशिश की कि थारूपल्ला को यहां किस आदेश के साथ भेजा गया है मगर भांप न सका, बोला—“मेरे फ्लैट में छुपकर बैठने की क्या जरूरत थी मेजर?”
“ब्लैक स्टार तुमसे मिलना चाहते हैं इंस्पेक्टर।”
“गुड!” कहने के साथ तेजस्वी हिला ही नहीं बल्कि निर्द्वंद होकर जोरदार अंगड़ाई ली—कारण स्पष्ट था, समझ चुका था कि ये लोग उस पर आक्रमण नहीं करेंगे, बोला—“मैं खुद उनसे मिलने का ख्वाहिशमंद हूं—चलो, कहां मिलेंगे वे?”
“जंगल में!”
“मैं तैयार हूं … जरा ठहरो!”
“क्या हुआ?”
“फ्लैट से कुछ लेना चाहता हूं?”
थारूपल्ला ने पूछा—“क्या?”
“तुम नहीं समझोगे।” तेजस्वी ने कहा—“मुमकिन है इस बीच ब्लैक स्टार को मेरे बारे में कुछ गलतफहमियां हुई हों—उन्हें दूर करने के लिए कुछ चीजों की जरूरत पड़ेगी—उन्हें साथ ले लूं तो बेहतर होगा।”
“तुम उनकी गलतफहमियां दूर करने का सामान लेना चाहते हो या सहीफहमियों को पुनः गलतफहमियों में बदलने की कोशिश करने का सामान?”
“एक बार फिर बेवकूफी का प्रदर्शन कर रहे हो थारूपल्ला …।” तेजस्वी मुस्कुराया—“क्या तुम यह कहना चाहते हो कि महान ब्लैक स्टार मुझ जैसे इंस्पेक्टर की चाल में फंस सकते हैं?”
थारूपल्ला हड़बड़ा गया, बोला—“मुझे अपने वाक्जाल में फंसाने की चेष्टा मत करो—जो लेना है लो, और चुपचाप हमारे साथ चलो।”
तेजस्वी मुस्कुराता हुआ फ्लैट में दाखिल हो गया।
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