RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
हैलीकॉप्टर की गड़गड़ाहट ने तेजस्वी सहित सभी की नजरें आकाश की तरफ उठा दीं परंतु हैलीकॉप्टर तो दूर, आकाश तक नजर न आया उन्हें—थे ही ऐसे स्थान पर कि खुले आकाश के नीचे होने के बावजूद आकाश को देख नहीं पाये—बहुत ही घना जंगल था वह—विशालकाय और घने वृक्षों ने कुछ ऐसा ताना-बाना बुन रखा था कि पत्तों और तनों की छत-सी बन गई थी।
थारूपल्ला बड़बड़ाया—“ब्लैक स्टार आ गए।”
“बड़ी लम्बी इंतजार कराई।” तेजस्वी ने गहरी सांस ली।
कोई कुछ न बोला।
हैलीकॉप्टर की गड़गड़ाहट निरंतर गूंज रही थी।
तेजस्वी एक लम्बे सफर के बाद यहां पहुंचा था—अगर यह कहा जाए तो गलत न होगा कि यह सफर उसने थारूपल्ला की कैद में रहकर किया था—फिर भी, रास्ते-भर अपने जिस्म की ही नहीं, दिमाग की आंखें भी खुली रखी थीं और यह समझने में सफल था कि भरपूर साधन-सम्पन्न होने के बावजूद सरकार इन जंगलों से स्टार फोर्स का सफाया करने में क्यों असमर्थ है?
जंगल की भौगोलिक अवस्था स्टार फोर्स का अभेद्य कवच थी—जहां इस वक्त वह था उसके चारों तरफ दूर-दूर तक न केवल गगनचुम्बी पर्वतों की श्रृंखला थी बल्कि दर्रे, घाटियों, झरनों और पहाड़ी दरियाओं का जाल बिछा पड़ा था—सामरिक महत्त्व के हर ठिकाने पर उसने स्टार फोर्स की चौकियां स्थापित हुई पाईं थीं—वे चौकियां पर्वत की चोटियों पर चुन-चुनकर ऐसे स्थानों पर बनाई गई थीं जिन पर तैनात स्टार फोर्स के सैनिकों की नजरों से छुपकर इंसान तो क्या, परिन्दा तक जंगल में प्रविष्ट नहीं हो सकता था—चौकियों पर उसने मोर्टार और विमानभेदी तोपें ही नहीं बल्कि टैंक तक देखे थे—संक्षेप में सारी व्यवस्था को यह कहकर व्यक्त किया जा सकता है कि जंगल मंें स्टार फोर्स का सफाया कर डालना उतना ही कठिन था जितना एक राष्ट्र की सेनाओं द्वारा दूसरे राष्ट्र पर मुकम्मल कब्जा कर लेना—जंगल के प्रवेश मार्गों जहां बारूदी सुरंगें बिछी पड़ी थीं, वहीं जंगल में ऐसी सुरंगों का जाल था जिनके जरिए स्टार फोर्स के सैनिक खरगोशों की मानिन्द जमीन के अंदर-ही-अंदर मीलों दूर निकल सकते थे।
यह सब वह था जिसे तेजस्वी ने अपनी आंखों से देखा था—समझ सकता था कि इससे बहुत ज्यादा वह होगा जो उसने देखा ही नहीं और जिसे ये लोग उसे दिखाना भी नहीं चाहेंगे।
उस वक्त उसका दिल अनायास तेजी से धड़कने लगा जब जंगल में कहीं हैलीकॉप्टर लैंड होने की आवाज आई।
करीब दस मिनट बाद आसपास तैनात सभी ए.के. सैंतालीसधारी जरूरत से ज्यादा मुस्तैद नजर आने लगे—एकाएक जमीन पर पड़े सूखे पत्तों की चरमराहट गूंजी।
साफ अहसास हुआ, कोई शख्स सूखे पत्तों को रौंदता इस तरफ आ रहा था।
एड़ियां बजने लगीं।
सैल्यूट दिए जाने लगे।
और फिर वह क्षण आया जब थारूपल्ला ने भी जोरदार सैल्यूट दिया—तेजस्वी अपने स्थान से खड़ा हो गया और उस हस्ती की तरफ देखा जिसे सैल्यूट दिए जा रहे थे।
उसके जिस्म पर स्टार फोर्स के जनरल की वर्दी थी।
तेजस्वी लाख चेष्टाओं के बावजूद खुद को उसके व्यक्तित्व से प्रभावित होने से न रोक सका—सामान्य जिस्म, गोल चेहरे, सांवले रंग, घने बालों और मोटी मूंछों वाले शख्स की आंखों में जाने वह कैसी दिव्य ज्योति थी कि तेजस्वी उसकी तरफ अपलक देखता रह गया—अगर यह कहा जाए तो गलत न होगा कि वह अपने होश गंवा बैठा था, चौंका तब जब उसके बेहद नजदीक पहुंच चुके जादुई आकर्षण वाले व्यक्ति के मुंह से निकला—“हैलो तेजस्वी!”
“ह-हैलो!” तेजस्वी मानो अंधकूप से निकला, अपनी बौखलाहट छुपाने की खातिर दायां हाथ ब्लैक स्टार की तरफ बढ़ाया, परंतु ब्लैक स्टार ने उससे हाथ मिलाने की चेष्टा नहीं की, आकर्षक मुस्कान के साथ कहा—“तुम वह पहले शख्स हो जिससे हमने खुद मिलना चाहा।”
“य-ये मेरी खुशनसीबी है सर।”
“क्या तुम यहां इतने आराम से यह सोचकर आ गए कि हम अभी तक उसी भ्रमजाल में फंसे होंगे जो तुमने चंद फोटुओं के जरिए ट्रांसमीटर पर फैलाया था?”
“नहीं सर!” तेजस्वी संभलकर बोला—“मैं ख्वाब में भी नहीं सोच सकता कि इस बीच आपने मेरा बायोडेटा मालूम न कर लिया होगा।”
“तो फिर बिना किसी हील-हुज्जत के यहां आ जाने का सबब?”
“आपको मिला मेरा बायोडेटा नकली है।”
“मतलब?”
तेजस्वी का हलक सूख गया, बड़ी मुश्किल से कह पाया वह—“मैं एकांत में बातें करना चाहता हूं।”
ब्लैक स्टार की आंखों में ऐसे भाव उभरे कि तेजस्वी की रूह फना हो गई—वह उसे कई पल तक उसी तरह घूरता रहने के बाद गंभीर स्वर में बोला—“अगर तुम पुनः किसी झूठ का जाल बिछाने की तरफ अग्रसर हो तो हम तुम्हारी हिम्मत की दाद दिए बगैर नहीं रहेंगे।”
“मैं कोई जाल नहीं बिछाना चाहता सर—हां, आपको हकीकत बताने का ख्वाहिशमन्द जरूर हूं।”
“आओ!” कहने के साथ वह तेजी से एक ऐसे वृक्ष की तरफ बढ़ गया जिसके तने का व्यास किसी भी तरह दस फुट से कम नहीं था—स्टार फोर्स के सैनिक और थारूपल्ला उन्हें चकित दृष्टि से देखते रह गए, जबकि तेजस्वी उसके पीछे लपका—अपनी चाल में उत्पन्न हो गयी लड़खड़ाहट को भरपूर कोशिश के बावजूद नहीं रोक पाया—उधर, ब्लैक स्टार ने वृक्ष के तने पर तीन बार दस्तक दी।
तने में एक दरवाजा उत्पन्न हो गया।
जमीन के गर्भ में चली गईं लकड़ी की सीढ़ियों को देखकर तेजस्वी दंग रह गया और यह उसके दंग रह जाने की शुरूआत थी—सीढ़ियां तय करने के बाद ब्लैक स्टार के पीछे-पीछे वह जंगल के नीचे बसी जिस दुनिया में पहुंचा, उसे देखकर हैरत से आंखें फट गईं—अगर यहां लाकर अचानक उसकी आंखों से पट्टी हटाई जाती तो यही समझता कि इस वक्त वह किसी फाइव स्टार होटल के बेसमेंट में है—सारा क्षेत्र रोशनी से जगमगा रहा था, कहीं दूर से जनरेटर के चलने की आवाज आ रही थी।
*,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,*
“मीटिंग के दरम्यान जिस वक्त हमने ट्रिपल जैड का नाम लिया, उस वक्त वहां एक खास घटना घटी थी।” केन्द्रीय कमांडो दस्ते के पांचों गंजों पर नजरें टिकाए उनके चीफ अर्थात एम.पी. ठक्कर ने सवाल किया—“क्या तुम लोगों ने उस खास घटना पर ध्यान दिया?”
“यस सर।” एक गंजे ने तत्परतापूर्वक कहा—“उस क्षण चिदम्बरम और कुम्बारप्पा की आंखें मिली थीं और फिर एक साथ दोनों जानबूझकर विपरीत दिशाओं में देखने लगे थे।”
“और कुछ?”
“इंस्पेक्टर तेजस्वी बुरी तरह चौंका था।” दूसरे गंजे ने कहा।
ठक्कर द्वारा एक और सवाल—“तुम लोगों ने क्या नतीजा निकाला?”
“मेरे ख्याल से वे तीनों ट्रिपल जैड को किसी-न-किसी रूप में जानते हैं।” तीसरा गंजा बोला।
चौथे ने कहा—“जानते न भी हों लेकिन यह तय है कि ट्रिपल जैड का नाम उन्होंने पहले भी कहीं सुना था।”
“सुना था तो कुबूल क्यों नहीं किया?” ठक्कर ने सवाल उठाया—“प्रत्यक्ष में अनभिज्ञ और अनजान क्यों बने रहे?”
“जाहिर है, उनके मन में चोर था।” पांचवां बोला।
“हमें उस चोर को पकड़ना है।”
“ओ.के. सर!”
“एक और सवाल!” ठक्कर बेहद गंभीर था—“इंस्पेक्टर तेजस्वी और स्टार फोर्स के टकराव तथा इंस्पेक्टर की चमत्कारिक फतह की जो स्टोरी कमिश्नर शांडियाल ने हमें सुनाई, उसके बारे में तुम्हारा क्या ख्याल है?”
“कमिश्नर ने ही नहीं सर, प्रतापगढ़ के बच्चे-बच्चे की जुबान पर वह कहानी है।” एक गंजे ने कहा—“मेरी बात विभिन्न तबकों के बहुत से लोगों से हुई है—एक भी ऐसा नहीं मिला जिसने उन्मुक्त कंठ से तेजस्वी की तारीफ न की हो।”
“शायद इसी कारण हमें उस पर शक है …।”
“श-शक … कैसा शक सर?”
“आज मैं तुम्हें एक नया पाठ पढ़ाता हूं।” ठक्कर के क्रूर चेहरे पर वे भाव आसन जमाकर बैठ गए जो स्टूडेंट्स को लैक्चर देते समय प्रोफेसर के चेहरे की शोभा होते हैं—“उस शख्स पर तुरंत अपने संदेह की आंखें गड़ा दो जो साधारण आदमी के बूते से बाहर के काम कर डाले—आंखें मूंदकर कभी उस शख्स के प्रशंसक मत बनो जिसके लाखों प्रशंसक हों—आम लोगों की तरह यह सुनकर संतुष्ट हो जाना तुम्हारा काम नहीं है—मुमकिन है, यह प्रचार उसने खुद किया हो—ऐसे लोग अक्सर बड़ी चालाकी से अपने चारों ओर एक ऐसा आभामंडल तैयार करते हैं जिसे कोई बेंध न सके—जबकि तुम्हारा काम ऐसे ही मंडलों को बेंधना है। अतः किसी प्रचार-तंत्र में न फंसकर, अपने दिमाग से प्रत्येक घटना की बारीक जांच करना ही तुम्हारी ड्यूटी है।”
“हम समझे नहीं सर …।”
“प्रतापगढ़ थाने पर नियुक्त होते ही वह रंगनाथन पर झपट पड़ता है—गंगाशरण के राजनैतिक जीवन को तबाह कर डालता है—थारूपल्ला से उलझ जाता है, चमत्कारिक ढंग से शुब्बाराव तक पहुंच जाता है और यहां तक कि काली बस्ती में जाकर थारूपल्ला को पीटकर वापस आ जाने जैसा करिश्माई करतब कर दिखाता है—क्या तुम लोगों को नहीं लगता ये काम एक शख्स … एक अकेले शख्स के बूते से बहुत बाहर के हैं?”
“लगता तो है सर मगर …।”
“मगर?”
“मुमकिन है श्रीगंगा सरकार और जासूसों की मदद के कारण …”
“यह वह कहानी है जो इंस्पेक्टर ने कमिश्नर को पढ़ाई और इस कहानी के पढ़ाए में कमिश्नर आ सकता है, हम नहीं।”
“लेकिन सर, ये सच है कि वह काली बस्ती गया और थारूपल्ला को पीटकर वापस आ गया।”
“तुम्हें यही पता लगाना है।” ठक्कर अपने एक-एक शब्द पर जोर दे रहा था—“ये चमत्कार आखिर हुआ कैसे?”
“इसके लिए उसे वॉच करना पड़ेगा।”
“करो!” ठक्कर का स्वर सपाट था—“ये इंस्पेक्टर काफी घुटा हुआ मालूम पड़ता है—हम जा रहे हैं मगर, तुम लोग एक हफ्ता यहीं रहोगे।”
“क्या मैं भी सर?” एक गंजे ने पूछा।
“त-तुम!” ठक्कर हौले से हंसा—“क्यों, तुम में क्या सुरखाब के पंख लगे हैं जो अलग से आदेश चाहते हो?”
“आपके आदेश पर पिछले चार महीने से प्रतापगढ़ में सक्रिय हूं—बीवी-बच्चों की याद आ रही है सर, क्या मुझे दो-चार दिन की छुट्टी नहीं मिल सकती?”
“तुम्हें … और छुट्टी!” एक गंजे ने ठहाका लगाया—“तुम्हारे छुट्टी चले जाने का अर्थ है प्रतापगढ़ में चल रहा अवैध जुए का अड्डा बंद हो जाना, सारे जुआरी एक-दूसरे से पूछते फिरेंगे—“क्यों भाई, ये लुक्का कहां गया?”
“मैं?”
“ये ले!” उसने अपनी जेब से लड़कियों जैसे लम्बे बालों की एक विग निकाली और अपने गंजे साथी के सिर पर फिट कर दी—न बीच में कोई कुछ बोला, न ही किसी ने उसे रोका … यहां तक कि उसने दूसरी जेब से एक फेसमास्क निकालकर उसके चेहरे पर चिपका दिया—अब उनका वह साथी सचमुच क्रूर चेहरे वाला लुक्का नजर आने लगा—वह लुक्का जो प्रतापगढ़ में चलने वाले अवैध जुए के अड्डे का मालिक समझा जाता था।
“नहीं नम्बर फाइव—दो-चार दिन की तो क्या, तुम्हें दो-चार मिनट की भी छुट्टी नहीं मिल सकती।” ठक्कर ने गंभीर स्वर में कहा—“लुक्का वाला यह रोल तुम्हें ही अदा करना है—तुम्हारे पिछले चार महीने से लुक्का के रूप में यहां सक्रिय होने के कारण ही हमें प्रतापगढ़ में ट्रिपल जैड के सक्रिय होने की जानकारी मिली—वह एक ही जानकारी ऐसी थी जिसने समूचे पुलिस विभाग को चौंका दिया।”
“मैं तैयार हूं सर, वो बीवी-बच्चों वाली बात तो मजाक में …।”
“हम जानते हैं।” उसका वाक्य पूरा होने की प्रतीक्षा किए बगैर ठक्कर कहता चला गया—“ध्यान रहे नम्बर फाइव, मौजूदा मिशन की सबसे अहम कमान तुम्हारे हाथ में है—अगर यह पता लग जाए कि ट्रिपल जैड पुलिस कमिश्नर के भतीजे से क्या काम लेना चाहता है तो सारे भेद खुद-ब-खुद खुल जाएंगे, उसके बाद हम लोगों की कोशिश ट्रिपल जैड को गिरफ्तार करने की होगी।”
“मैं योगेश पर पूरी नजर रखे हुए हूं सर।”
“योगेश … योगेश कौन?”
“सॉरी सर, मैं बताना भूल गया—कमिश्नर शांडिल्य के भतीजे का नाम योगेश है।”
“ओह … लेकिन वह तुम्हारे संदेह के घेरे में आया कैसे?”
“वह मेरे द्वारा चलाए जा रहे अड्डे पर अक्सर जुआ खेलने आता है, स्मैक भी लेता है—तभी किसी से पता लगा कि वह पुलिस कमिश्नर का भतीजा है—‘पुलिस कमिश्नर के भतीजे के ये लक्षण?’ बस … मुझे यही बात खटक गई—उसे वॉच किया तो एक रात ट्रिपल जैड से मिलते देखा—उस वक्त मुझे मालूम नहीं था कि वह ट्रिपल जैड है और ट्रिपल जैड नामक चीज कितनी पहुंची हुई है—मुझे तो उस वक्त बस वह एक रहस्यमय व्यक्ति लगा—उनकी बातों से अंदाजा लगाया कि वह योगेश से कोई खास काम चाहता है—यह बात तो उसका हुलिया आदि सुनने के बाद आपने बताई कि ट्रिपल जैड क्या चीज है—अगर उसी समय जानता होता तो योगेश का पीछा छोड़कर उसके पीछे लग जाता और उसका पता-ठिकाना मालूम करके ही दम लेता।”
“इसके बाद तुमने योगेश को ट्रिपल जैड से मिलते कभी नहीं देखा?”
“नहीं।”
“योगेश पर कड़ी नजर रखो—तुम्हारा लक्ष्य यह जानने के साथ कि ट्रिपल जैड उससे क्या काम लेना चाहता है, यह भी है कि ट्रिपल जैड प्रतापगढ़ में कहां, किस रूप में रह रहा है?”
“नििश्चंत रहें सर, इस बार उसके सामने आने पर मैं चूकूंगा नहीं।”
“एक बात और!” ठक्कर ने कहा—“तुम प्रतापगढ़ थाने पर तेजस्वी की नियुक्ति से पहले से, लुक्का के रूप में जुए का अड्डा चला रहे हो अर्थात उसकी नजर में इलाके के उन कुख्यात गुण्डों में से एक हो जिन्हें पहले ही दिन उसने थाने में बुलाकर हड़काया था, अतः उसे स्वप्न में भी गुमान नहीं हो सकता कि लुक्का वास्तव में केन्द्रीय कमांडो दस्ते का एजेंट नंबर फाइव है—किसी इलाके के इंस्पेक्टर की ईमानदारी को जितनी खूबसूरती के साथ उस इलाके का गुण्डा परख सकता है, उतनी खूबसूरती के साथ अन्य कोई नहीं परख सकता। समझ रहे हो न?”
“समझ रहा हूं सर।”
“मौका मिलते ही तुम्हें तेजस्वी को परखना है।” अपनी सीट से खड़े होते हुए ठक्कर ने कहा—“हमारा एक्सपीरियेंस कहता है, उसके बारे में चौंकाने वाली सूचनाएं मिलेंगी …।”
*,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,*
|