RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
“अब कहो, क्या कहना है तुम्हें?”
धाड़-धाड़ की जोरदार आवाज के साथ बज रहे दिल को काबू में रखने का असफल प्रयास करता तेजस्वी बोला—“आपको पता लगा होगा मैं चिंकापुर का रहने वाला हूं, पिता का नाम अरविंद कुमार—मां का नाम नलिनी, पत्नी का नाम शुभा और अरुणा नामक मेरी एक दो-वर्षीय बेटी भी है।”
ब्लैक स्टार की चमकदार आंखें उस पर इस तरह जमी हुई थीं जैसे अजूबे को देख रहा हो—जब तेजस्वी खामोश हो गया और ब्लैक स्टार की काफी इंतजार के बाद भी आगे कुछ न बोला तो उसने शांत स्वर में सवाल किया—“और हमें तुम्हारे बारे में क्या-क्या पता लगा होगा?”
“स-सब कुछ!” तेजस्वी बड़ी मुश्किल से कह पाया—“वह सब कुछ जो मेरे द्वारा ट्रांसमीटर पर बताए गए मेरे परिचय के विरुद्ध होगा।”
“तुम्हें कैसे पता लगा कि हमें तुम्हारे बारे में यह सब पता लग गया है?”
“केवल अनुमान लगाया है सर—मैं समझ सकता था कि मुझसे भेंट करने से पूर्व आप निश्चित रूप से मेरा ‘बायोडेटा’ अपनी टेबल पर देखना चाहेंगे और जब आपके आदेश पर ब्लैक स्टार के जासूस मेरा बायोडेटा जानने निकलेंगे तो कुछ भी छुपा न रह सकेगा।”
“खैर!” ब्लैक स्टार ने पूछा—“अब इस बारे में तुम्हें क्या कहना है?”
“मेरा जो बायोडेटा आपको मिला है, वह नकली, झूठा और गलत है।”
“वह कैसे?”
“स्टार फोर्स के जासूस केवल उस परिचय तक पहुंच सके, जिसे मैंने खुद को इस देश में स्थापित करने के लिए प्रचारित किया है।” तेजस्वी कहता चला गया—“अगर आज मेरे पास यह परिचय न होता तो मैं पुलिस इंस्पेक्टर न बना होता, क्योंकि कोई श्रीगंगाई नागरिक इस मुल्क की पुलिस में भर्ती नहीं हो सकता।”
“आगे बढ़ो।” ब्लैक स्टार का स्वर शुष्क हो उठा—“अगर तुम चिंकापुर के निवासी तथा अरविंद कुमार के बेटे नहीं हो तो कौन हो?”
“मैं सचमुच कीर्ति कुमार का लड़का हूं।”
“सुबूत?”
“इजाजत हो तो संक्षेप में अपनी कहानी सुना दूं?”
“जरूर सुनाओ, लगता है तुम कोई दिलचस्प कहानी सुनाने जा रहे हो?”
“पांच साल पूर्व ये तब की बात है जब इस देश की सेना श्रीगंगाई सरकार के निमंत्रण पर वहां यमन उग्रवादियों का दमन करने के उद्देश्य से गई थी—श्रीगंगाई सेना के साथ मिलकर इस देश की सेना ने वहां विध्वंस मचा दिया—ऐसा प्रतीत होता था जैसे वे एक-एक यमन को चुनकर मार डालने पर आमादा हों—यमन बस्तियों पर बमबारी और नरसंहार का तूफान बरपा दिया उन्होंने—एक रात वह बस्ती भी उस तूफान की चपेट में आ गई जहां मेरा घर था—मेरे मां-बाप, पत्नी और दो लड़के थे—मैं एक फैक्टरी में काम करता था, उस वक्त नाइट ड्यूटी पर था जब अचानक आकाश असंख्य विमानों की गड़गड़ाहट से थर्रा उठा—कर्णभेदी धमाके गूंजने लगे—चारों तरफ आग-ही-आग और इंसानी चीखो-पुकार से हमारी बस्ती त्राहि-त्राहि कर उठी—लोग भेड़-बकरियों की तरह जान बचाने की खातिर इधर-उधर भागने लगे—मैं भी उनमें से एक था, फैक्टरी के कई हिस्से ध्वस्त हो चुके थे—चीखता-चिल्लाता मैं सड़क पर आ गया …।” कहते हुए तेजस्वी की आंखें अंतरिक्ष में स्थिर हो गईं, ब्लैक स्टार ने टोकना मुनासिब न समझा और तेजस्वी कहता चला गया—“मुझे अपने मां-बाप, बीवी और बच्चों की चिंता आंधी-तूफान की तरह घर की तरफ भगाए ले जा रही थी—अपने मकान की अवस्था देखते ही मेरे जहन के परखच्चे उड़ गए—मकान मलबे का ढेर बन चुका था और वह ढेर धू-धू करके जल रहा था—वही क्यों, आसपास के सारे मकान जल रहे थे—मैं चीखता-चिल्लाता मलबे के ढेर के अंदर घुस गया और तब … तब मैंने अपने पिता की लाश देखी सर, मां के जिस्म के उड़े हुए परखच्चे देखे, पत्नी के टुकड़े और बच्चों के लोथड़े देखे—आधे घंटे की बमबारी के बाद विमानों की गर्जना और बमों के धमाके जाने कहां गुम हो गए—घंटों तक इंसानी चीखो-पुकार गूंजती रही, उसके बाद छा गया ऐसा सन्नाटा जो केवल मरघट में होता है और ठीक भी था, सारी बस्ती मरघट ही तो बन चुकी थी—उस रात मैंने अपने बच्चों, अपनी पत्नी और अपने मां-बाप के संयुक्त खून से मस्तक पर तिलक किया—कसम खाई कि जो शख्स इस नरसंहार का जिम्मेदार है, उसे छोड़ूंगा नहीं।” इतना कहने के बाद तेजस्वी चुप हो गया, सांसें इतनी तेज चल रही थीं जैसे मीलों दौड़ने के बाद अभी-अभी यहां पहुंचा हो—आंखें अंगारों में तब्दील होकर सुलग रही थीं—ब्लैक स्टार उसके कुछ और बोलने की प्रतीक्षा करता रहा, लेकिन जब काफी देर तक उसे अपनी उखड़ी सांस को नियंत्रित करने का प्रयत्न करते पाया तो गंभीर स्वर में बोला—“अगर तुम यह सोच रहे हो इंस्पेक्टर कि भावुकता का प्रदर्शन करके हमें प्रभावित कर सकते हो और हम बगैर किसी ठोस सुबूत के तुम्हें कीर्ति कुमारम् का बेटा मान लेंगे तो तुम मूर्खों की दुनिया के वाशिंदे हो—एक्टिंग किए बगैर बताओ, उसके बाद क्या हुआ?”
“उस वक्त बस्ती में लाशों की कोई कमी नहीं थी सर।” तेजस्वी उसी तरह अंतरिक्ष में आंखें टिकाये कहता चला गया—“मैंने अपनी कद-काठी की एक ऐसी लाश चुनी जिसके परखच्चे मेरे परिवार की लाशों की तरह उड़ चुके थे—उसे खींचकर मलबा हुए पड़े अपने मकान के अंदर ले गया और उस स्थान पर डाल दी जहां मेरे मां-बाप, पत्नी …।”
“ऐसा तुमने क्या सोच कर किया?”
“खुद को मृतक घोषित करना चाहता था—सोचा था, जो कसम खाई है शायद उसे पूरी करने के लिए मेरा मृतक घोषित हो जाना कहीं काम आए।”
“उसके बाद?”
“शरणार्थियों के झुण्ड में शामिल होकर एक नौका के जरिए समुद्र पार करके इस मुल्क में आ गया—महीनों तक समुद्र के किनारे बसी बस्तियों में भटकता रहा—पेट भरने के लिए मेहनत-मजदूरी करने और खुले आकाश के नीचे सो जाने के अलावा मेरे पास चारा भी क्या था—दिलो-दिमाग में बदले की आग भभक रही थी मगर मैं मच्छर जैसी हैसियत का शख्स भला उस हस्ती के इर्द-गिर्द कैसे फटक सकता था जिसे मिटा डालने की कसम खाई थी—फिर एक दिन, जबरदस्त समुद्री तूफान आया—समुद्र के किनारे बसी अनेक बस्तियां तबाह हो गईं—उन्हीं में से एक चिंकापुर भी था—मैंने स्वयं भी वह तूफान चिंकापुर में ही देखा—समुद्र की लहरें अनेक लोगों को उड़ाकर अपनी गहराइयों में ले गईं—बचे-खुचे लोगों के लिए इस देश की सरकार ने राहत शिविर लगाए—मैं भी शिविर में था और मेरे बगल वाले बिस्तर पर थी एक ऐसी अधेड़ औरत, बेहोशी के आलम में जिसके मुंह से बार-बार एक ही लफ्ज फूट रहा था, वह लफ्ज था—‘तेजस्वी … तेजस्वी!’
मैं यह सोचकर उछल पड़ा कि मुझे कौन पुकार रहा है?
आवाज की दिशा में देखा।
बिस्तर के नजदीक खड़ा एक अधेड़ अपनी पत्नी को सांत्वना दे रहा था—‘तू चिंता मत कर नलिनी, हमारा तेजस्वी जरूर किसी शिविर में होगा—भगवान इतना निर्दयी नहीं हो सकता कि हमारा बेटा छीन ले …।’
मैं समझ गया, उनके बेटे का नाम तेजस्वी था।
उनकी बातचीत से मुझे अधेड़ का नाम भी पता लग गया।
ब्लैक-स्टार ने व्यंग्य किया—“उसका नाम अरविंद कुमार होगा?”
“जी हां।”
“बहुत खूब! अच्छे लिंक जोड़ रहे हो—खैर, उसके बाद क्या हुआ?”
“दस दिन गुजर गए—नलिनी की हालत सुधरने लगी—अरविंद जख्मी नहीं था, वह रोज अपने बेटे को ढूंढने अन्य शिविरों में जाता—निराश लौटता मगर पत्नी से निराशाजनक बातें न करता—किसी-न-किसी बहाने उसे उम्मीद बंधाता, जबकि वह जान चुका था, समुद्र की लहरें उसके बेटे को लील गई हैं—मेरे दिमाग में एक विचार कौंधा—यह कि क्यों न मैं उनका तेजस्वी बन जाऊं—उन्हें उनका बेटा मिल जाएगा और मुझे मां-बाप से ज्यादा महत्वपूर्ण एक ठिकाना—एक परिचय—एक ऐसा परिचय जिसकी मुझे घोर आवश्यकता थी—अरविंद कुमार का बेटा घोषित होकर मैं इस देश का नागरिक बन सकता था और इस देश का नागरिक बनने के बाद अनेक संभावनाएं रास्ता खोले खड़ी थीं—मगर … मगर उनका तेजस्वी भला मैं बन कैसे सकता था? उनके बेटे का नाम ही तो तेजस्वी था। शक्ल तो मुझ जैसी नहीं हो सकती थी, अतः धोखा देकर उनका बेटा बन जाने की कल्पना व्यर्थ थी—उन्हें विश्वास में लेकर ही अपने उद्देश्य में कामयाब हो सकता था, वही किया—मैंने उनसे कहा—‘मेरा नाम तेजस्वी है और अपने माता-पिता के प्यार के लिए मैं तड़प रहा हूं और मैं … मैं आपका तेजस्वी तो क्या बन पाऊंगा लेकिन नाम तो मेरा वह है ही जो आपके बेटे का था—अगर आप मुझे अपने बेटे के रूप में स्वीकार कर लें तो कोशिश करूंगा, कभी आपको अपने असली तेजस्वी की कमी न खले …।’
“साबित कर चुके हो इंस्पेक्टर कि तुम वाक्पटु हो।” ब्लैक स्टार हौले से मुस्कराया—“किसी को भी अपनी बातों के जाल में फंसा सकते हो—इस वक्त तुम हमें केवल यह समझाना चाहते हो कि उन्होंने तुम्हें अपने तेजस्वी के रूप में स्वीकार कर लिया—समझो कि हम समझ गए—कहानी को लम्बी न करके संक्षेप में बताओ, उसके बाद क्या हुआ?”
“धीरे-धीरे उजड़ी हुई बस्तियां आबाद हो गईं—चिंकापुर भी उनमें से एक था—अब मैं सब लोगों की नजर में उनका बेटा तेजस्वी ही था—आगे के बारे में सोच रहा था—यह कि ऐसा क्या किया जाए जिससे अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ूं—तभी अखबार में पुलिस महकमे में निकली ‘वैकेन्सीज’ का विज्ञापन देखा—जहन में बिजली की तरह विचार कौंधा, अगर मेरे जिस्म पर पुलिस की वर्दी हो तो अपने लक्ष्य के बहुत नजदीक पहुंच सकता हूं—अपना विचार मुझे जंचा, मगर वह सब हो कैसे सकता था—उसके लिए जरूरत थी अपनी क्वालिफिकेशन के सर्टिफिकेट की—अरविंद कुमार से बातचीत की—पता लगा उनका तेजस्वी आठवीं के बाद पढ़ा ही नहीं था—बात चूंकि जंच चुकी थी अतः किसी ऐसे आदमी की फिराक में लग गया जो नकली डिग्रियां और सर्टिफिकेट बनाने का धंधा करता हो—आप तो जानते होंगे—नकली डिग्रियां बनाने वालों की इस देश में कोई कमी नहीं है—शीघ्र ही मेरा संपर्क एक आदमी से नहीं बल्कि पूरे गिरोह से हो गया—वे मेरी के.जी. से लेकर एम.एस.सी. तक की पढ़ाई का पूरा रिकॉर्ड बनाने के लिए तैयार थे, मगर अड़चन थी, पैसा—जितना पैसा वे मांग रहे थे उतना न मेरे पास था न अरविंद कुमार के पास, मगर किसी लक्ष्य की धुन लग जाना बड़ी जबरदस्त चीज होती है—मैंने मेहनत की—एक साल जरूर लग गया मगर उतना पैसा जुटाकर दम लिया जितने में मुझे डिग्रियां हासिल हो गईं—इस बीच अरविंद कुमार और नलिनी मुझ पर शादी के लिए दबाव डाल रहे थे—अपने बेटे की शादी करने का बड़ा चाव था उन्हें—कैसे समझाता कि मेरा लक्ष्य शादी नहीं है, मैं तो सीने में कोई दूसरी ही आग लिए भटक रहा था—उनकी खुशी के लिए और उससे भी ज्यादा इस विचार से ग्रस्त होकर कि शादी के बाद मेरा नकली परिचय और मजबूत हो जाएगा, शादी कर ली—शुभा को आज तक नहीं मालूम कि मैं उसके सास-ससुर का वास्तविक बेटा नहीं हूं—जब भी पुलिस विभाग में वैकेन्सीज निकलतीं, मैं एप्लाई कर देता लेकिन कभी रिटेन में रह जाता तो कभी इन्टरव्यू में—शादी हो गई थी तो अरुण नामक एक बेटी भी दुनिया में आ गई और मेरे लिए वह बेहद भाग्यशाली साबित हुई, यानि मैं तेजस्वी से इंस्पेक्टर तेजस्वी बन गया।”
ब्लैक स्टार ने पूरे धैर्य के साथ सवाल किया—“उसके बाद?”
“इंस्पेक्टर बन जाने के बाद मेरा लक्ष्य था, प्रतापगढ़ थाने पर नियुक्ति—मगर अपनी उस आकांक्षा को भूले से भी किसी के सामने व्यक्त नहीं कर सकता था क्योंकि इससे ‘एक्सपोज’ हो जाता—बड़े धैर्य के साथ मैंने अपनी वह इमेज बनाई जिससे प्रभावित होकर अफसर एक दिन मुझे खुद प्रतापगढ़ भेज दें।”
“प्रतापगढ़ थाने पर नियुक्ति क्यों चाहते थे?”
“क्योंकि वह शख्स इसी प्रतापगढ़ का निवासी है जिसके आदेश पर मुल्क की सेनाएं श्रीगंगा गईं—जिसके हुक्म पर यमनों की बस्तियां उजाड़ दी गईं, उन पर कहर बरपाया गया।”
“कौन है वह?”
“चिरंजीव कुमार!” तेजस्वी के मुंह से लावे का भभका- सा निकला—जबड़े भिंच गए, मानो ज्वालामुखी फट पड़ा—“श्रीगंगा में हुए नरसंहार का, बल्कि हर यमन की मौत का जिम्मेदार अगर कोई अकेला शख्स है तो वह चिरंजीव कुमार है—मैं उसे छोड़ूंगा नहीं ब्लैक स्टार, मैं छोड़ूंगा नहीं उसे!”
“अगर तुम्हारा लक्ष्य वह था तो स्टार फोर्स से क्यों उलझे?”
“दो कारण थे।”
“बताओ!”
“पहला, अपनी इमेज को और पुख्ता करना—दूसरा, आपसे भेंट करना।”
“हमसे क्यों मिलना चाहते थे?”
“क्योंकि जान चुका था, आपकी मदद के बगैर चिरंजीव कुमार को धराशाई नहीं कर सकता।”
“ऐसा क्यों?”
“केन्द्रीय सरकार ने चिरंजीव कुमार के चारों तरफ सुरक्षा व्यवस्था का जो जाल बिछा रखा है, उसे तोड़ना दुनिया के किसी भी अकेले शख्स के लिए असम्भव है—अकेला शख्स उसे मारने के प्रयत्नस्वरूप अपनी जान तो गंवा सकता है लेकिन कामयाब नहीं हो सकता—उसे धराशाई करने के लिए मुकम्मल तैयारियों और पूरे ऑर्गेनाइजेशन की जरूरत होगी जो मेरे पास नहीं है—सामने आप थे। आपकी स्टार फोर्स थी—मैं ही क्या, बच्चा-बच्चा जानता है कि चिरंजीव कुमार आपकी हिटलिस्ट में है, मदद के लिए आपसे सम्पर्क न करता तो किससे करता?”
“क्या मदद चाहते हो हमसे?”
“वो बाद की बात है सर, पहले यह जांच तो कर लीजिए कि जो कुछ मैंने कहा, वह सच भी है या नहीं?”
“यह सिद्ध करना तुम्हारी ड्यूटी है।” ब्लैक स्टार के होंठों पर रहस्यमय मुस्कान थिरक रही थी।
तेजस्वी जेब से कुछ कागज निकालता हुआ बोला—“ये मेरी उन डिग्रियों और सर्टिफिकेट्स की फोटोस्टेट कापियां हैं जिनकी बदौलत कीर्ति कुमारम् के तेजस्वी ने अरविंद कुमार का तेजस्वी बनकर इस देश में पुलिस की नौकरी हासिल की—ऑरिजनल पेपर्स विभाग में मौजूद मेरी फाइल में लगे हैं—इन डिग्रियों और सर्टिफिकेट्स के मुताबिक जिन-जिन स्कूल और कॉलिजों में मुझे शिक्षा ग्रहण करते दर्शाया गया है, आप उन स्कूल-कॉलिजों के पर्सनल रिकॉडर््स से इनका मिलान करें—अगर वहां इन डिग्रियों और सर्टिफिकेट्स का रिकॉर्ड मिल जाए तो समझिए कि मैं झूठ बोल रहा हूं और वास्तव में अरविंद कुमार का तेजस्वी हूं—अगर न मिले तो जाहिर है, ये सब नकली हैं।”
“कोई और सुबूत?”
“क्या ये काफी नहीं होगा?”
“यानि कोई और सुबूत पेश नहीं कर सकते?”
“श-शायद नहीं।” तेजस्वी हकला गया।
“लेकिन हम कर सकते हैं।”
“अ-आप?” तेजस्वी की आंखें आश्चर्य से फट पड़ीं।
जवाब में ब्लैक स्टार के होंठों पर मौजूद मुस्कराहट ने कुछ ऐसा आकार ग्रहण कर लिया जिसका अर्थ तेजस्वी सात जन्म लेने के बावजूद नहीं समझ सकता था—ब्लैक स्टार ने उसी मुस्कराहट के साथ अपनी जेब में हाथ डाला और चंद कागज उसके सामने फेंकते हुए कहा—“ये वे ऑरिजनल पेपर्स हैं जिनकी फोटोस्टेट कापियां तुम हमें दिखाना चाहते हो।”
“ज-जी?” तेजस्वी के छक्के छूट गए।
तब, ब्लैक स्टार ने विशेष अंदाज में ताली बजाई।
कमरे में एक दरवाजा उत्पन्न हुआ और उस दरवाजे के पार नजर आ रहे व्यक्तियों पर नजर पड़ते ही तेजस्वी के हलक से चीख निकल गई— “म-मम्मी … पापा … शुभा … अरुणा … आप लोग यहां?”
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“वैरी गुड तेजस्वी, वैरी गुड।” एक लम्बे कमरे में चहलकदमी करता ट्रिपल जैड कह उठा—“मुझे तुम पर नहीं, अपने चुनाव पर फख्र है—अपने मिशन के लिए मैंने बिल्कुल ठीक आदमी को चुना—प्रदेश भर में कोई वैसा जाल नहीं बुन सकता जैसा तुमने बुना है—मैंने तुमसे केवल इतना कहा था ब्लैक स्टार को यह भनक नहीं लगनी चाहिए कि इस मिशन में तुम्हारे पीछे भी कोई है और तुमने हमारी मंशा को बड़े नायाब तरीके से अमली जामा पहनाया—तुमने ब्लैक स्टार के सामने खुद को वह सिद्ध कर दिया जो वास्तव में नहीं हो—मजा आ गया तेजस्वी, मजा आ गया—वह तुम्हें कीर्ति कुमारम् का वह श्रीगंगाई बेटा समझ रहा है जो इंतकाम की आग में सुलगता इस देश के पुलिस विभाग का इंस्पेक्टर बन बैठा—आज वह मूर्ख सोच तक नहीं सकता कि तुम कीर्ति कुमारम् के नहीं—बल्कि वास्तव में अरविंद कुमार और नलिनी के ही बेटे हो।”
“यह चाल इसलिए कामयाब हो सकी क्योंकि तुमने सभी स्कूल-कॉलिजों से मेरे सर्टिफिकेट्स और डिग्रियों से संबंधित रिकॉर्ड्स गायब कर दिए—इससे ब्लैक स्टार को पूरा यकीन हो गया कि डिग्रियां फर्जी हैं।”
“रिकार्ड गायब मैंने जरूर किए, मगर योजना तुम्हारी ही थी।”
“तेजस्वी का रिकार्ड गवाह है वह हमेशा अपनी योजना पर काम करता है।” ट्रिपल जैड से बातें करते वक्त भी उसके चेहरे पर दब्बूपन का कोई भाव न था—“जिस वक्त मैं ब्लैक स्टार के सामने खुद को कीर्ति कुमारम् का बेटा सिद्ध करने के लिए प्रयत्नशील था, उस वक्त अगर तुम भी वहां होते तो इस भ्रम-जाल में फंस जाते कि कहीं मैं वास्तव में ही तो इंतकाम की आग में सुलगता कीर्ति कुमारम् का तेजस्वी नहीं हूं—चिरंजीव कुमार के विरुद्ध मैंने ऐसी घृणा का प्रदर्शन किया जैसे सचमुच वह मेरे परिवार का हत्यारा हो और उसे नेस्तनाबूद करने के अलावा मेरे जीवन का दूसरा कोई लक्ष्य ही न हो।”
“मुझे यकीन है, तुमने शानदार एक्टिंग की होगी।”
“और मुझे यकीन है, दूसरी किस्त स्विस बैंक के मेरे खाते में जमा हो चुकी होगी।”
“तुम्हारा यकीन दुरुस्त है।”
“रसीद?” तेजस्वी ने हाथ फैला दिया।
ट्रिपल जैड चहलकदमी करता उसके नजदीक पहुंचा—दस्ताना युक्त हाथ अपनी जेब में डाला और एक रसीद निकालकर तेजस्वी को पकड़ा दी—तेजस्वी ने रसीद देखी, संतुष्ट होने के बाद अपनी जेब में रखते वक्त आंखों में वैसी चमक थी जैसी खाने की थाली को देखकर भूखे की आंखों में उभरती है, बोला—“अगर ब्लैक स्टार को मालूम हो जाए कि मैं चिरंजीव कुमार का मर्डर करने पर किसी प्रतिशोध की भावना के तहत नहीं—बल्कि पांच लाख अमेरिकी डालर के लिए आमादा हूं तो वह कम-से-कम दो लाख झटक ही लेगा।”
“तभी तो मैं नहीं चाहता था कि उसे तुम्हारे पीछे किसी अन्य के होने का पता लगे।”
तेजस्वी के होंठों पर कुटिल मुस्कान उभर आई, ट्रिपल जैड की आंखों में आंखें डालकर बोला वह—“दाई से पेट छुपाने की कोशिश मत करो ट्रिपल जैड।”
“क्या मतलब?” वह चौंका।
“तुम जो यह चाहते हो कि ब्लैक स्टार को मेरे पीछे किसी और के होने की भनक न लगे, वह मेरे किसी लाभ के लिए नहीं, बल्कि अपने लाभ के लिए चाहते हो—तुम्हारी और तुम्हारे देश की पॉलिसी ही यह है कि कल जब इस खबर का विस्फोट सारी दुनिया में गूंजे कि इस मुल्क के सबसे लोकप्रिय नेता की हत्या कर दी गई और इंटैलीजेन्स एजेंसियां उस हत्या की जांच करें तो वे अंतिम रूप से इस परिणाम पर पहुंचें कि चिरंजीव कुमार की हत्या स्टार फोर्स ने कराई है—विदेशी षड्यंत्र की किसी को बू तक न आए और ये ‘बू’ आएगी भी कहां से—खुद ब्लैक स्टार तक नहीं जानता कि वह किसी विदेशी षड्यंत्र में फंसकर चिरंजीव कुमार का मर्डर करने वाला है।”
“त-तुम कैसे कह सकते हो कि मैं विदेशी हूं?” ट्रिपल जैड के स्वर में हल्की सी हकलाहट उत्पन्न हो गई।
तेजस्वी ने चटखारा लिया—“केवल कह नहीं रहा, बल्कि जानता हूं।”
“क-क्या जानते हो?”
तेजस्वी वह सब कहता चला गया जो ठक्कर के मुंह से सुना था।
ट्रिपल जैड की आंखों में हैरत और चिंता के भाव नजर आने लगे—तेजस्वी को उसने इस तरह देखा जैसे नौवें आश्चर्य को देख रहा हो, जबकि तेजस्वी ने बड़ी चालाकी से विषय चेंज किया—“एक और बात सुनकर तुम उछल पड़ोगे।”
“वह क्या?”
“मैं ब्लैक स्टार का भेद जान गया हूं।”
“ब-ब्लैक स्टार का भेद?” ट्रिपल जैड वाकई उछल पड़ा—“म-मतलब?”
“ब्लैक फोर्स के लोग उसके जिस चेहरे को वास्तविक समझते हैं, असल में वह उसका वास्तविक चेहरा नहीं बल्कि केवल एक मुखौटा है, फेसमास्क है—यहां तक कि उसकी विचित्र नजर आने वाली आंखें तक असली नहीं हैं—सबको धोखा दिए हुए है वह, मगर मुझे धोखा नहीं दे सका—मैं उसके दूसरे रूप से परिचित हूं—बल्कि मिल भी चुका हूं उससे।”
“क्या तुमने उसे यह सब बता दिया?” मारे आश्चर्य के ट्रिपल जैड का बुरा हाल था।
“वहां बताकर मरना था क्या? लेकिन …”
“लेकिन?”
“अगर मुनासिब कीमत मिले तो मैं तुम्हें उसकी लाश दे सकता हूं।”
दंग रह गया ट्रिपल जैड—उसे लगा, तेजस्वी इस दुनिया के सबसे खतरनाक शख्स का नाम है—काफी देर तक वह तेजस्वी के होंठों पर नृत्य कर रही कुटिल मुस्कान को देखता रहा, बोला—“मुझे ब्लैक स्टार की लाश का क्या करना है?”
“ठीक भी है, तुम केवल चिरंजीव कुमार की हत्या के तलबगार हो।” तेजस्वी कहता चला गया—“और तुमसे मुझे केवल उसी के संबंध में बात करनी चाहिए।”
“सौदे के मुताबिक हम तुम्हारे स्विस बैंक वाले एकाउंट में दो किस्तें यानि ढाई लाख अमेरिकी डालर जमा करा चुके हैं—तीसरी किस्त तब जमा कराई जाएगी जब मुझे वह योजना बताओगे जिसके जरिए वह मारा जाना है और चौथी काम होने के बाद।”
“इस हिसाब से मैं तीसरी किश्त का हकदार बन चुका हूं।” तेजस्वी ने कहा—“मैंने कुछ देर पहले तुम्हें बताया कि चिरंजीव कुमार किस तरह मारा जाने वाला है।”
“नहीं, वह स्कीम मुझे नहीं जंची।”
“क्या कमी है उसमें?”
“जरूरी नहीं कि जुंगजू का निशाना सही लग जाए या वह वक्त से पहले ही पकड़ा जाए …।”
“तुम अभी जुंगजू को ठीक से जानते नहीं हो।”
“मुमकिन है तुम्हारे इरादे परवान चढ़ जाएं।” ट्रिपल जैड ने कहा—“उस अवस्था में तीसरी और चौथी किस्त काम होने के बाद एक साथ जमा कर दी जाएंगी।”
“अगर तुम काम होने के बाद मुझे कहीं नजर ही न आए?”
“ऐसा नहीं होगा, इतना विश्वास तो तुम्हें करना ही चाहिए।”
“तेजस्वी ने विश्वास करना नहीं सीखा दोस्त—बल्कि हालात को पूरी तरह अपनी मुट्ठी में रखना सीखा है।” रहस्यमय स्वर में कहने के साथ उसने जेब से एक आइडेन्टिटी कार्ड निकालकर उसे दिखाते हुए चेतावनी दी—“कोई भी चालाकी करने से पहले याद रखना, यह मेरे पास है।”
उसके हाथ में अपना आइडेन्टिटी कार्ड देखकर ट्रिपल जैड के छक्के छूट गए, लगभग चीख पड़ा वह—“य-यह तुम्हारे पास कैसे पहुंच गया?”
“एक दिन मैं तुम्हारी गैरहाजिरी में यहां आया था—तलाशी ली और ये हाथ लग गया …।”
“म-मगर …।” ट्रिपल जैड हकलाता रह गया।
“अब तुम समझ सकते हो कि मेरे सामने तुम्हारा ओवरकोट, दस्ताने, नकली दाढ़ी-मूंछ, बाल और ये चश्मा आदि सब बेकार हैं—इस आइडेंटिटी कार्ड में न केवल तुम्हारा वास्तविक फोटो लगा है, बल्कि असली नाम के साथ तुम्हारे देश तक का नाम लिखा है—इस सबके बावजूद आतंकित होने की जरूरत नहीं है—इधर काम होने के बाद तुम मुझे फाइनल पेमेंट की रसीदें सौंपोगे, उधर मैं तुम्हें तुम्हारा ये परिचय- पत्र—हां, तुम्हारी तरफ से धोखे की सूरत में यह निश्चित रूप से इस देश के जासूसों के हाथ लग जाएगा।”
“ले-किन तुमने ऐसा किया क्यों?”
“ताकि तुम मुझे कुम्बारप्पा और चिदम्बरम की तरह ‘लल्लू’ समझने की भूल न कर सको—और न ही काम पूरा होने के बाद उड़न-छू हो जाने की।”
“तो इस कारण तुम्हें मेरे बारे में इतनी सब जानकारी थी?”
“नहीं।” तेजस्वी मुस्कराया—“उसका स्रोत कोई और था—उसकी बातें सुनने के बाद ही मेरे जहन में यह विचार पनपा कि मुझे तुम्हारी हकीकत मालूम होनी चाहिए, नतीजा सामने है।”
“वह स्रोत क्या था?”
तेजस्वी ने बड़ी सहजता से बता दिया—“एम.पी. ठक्कर।”
“कौन एम.पी. ठक्कर?”
“केन्द्रीय कमांडो दस्ते का चीफ।”
“ओह!” ट्रिपल जैड की आंखें गोल हो गईं ।
तेजस्वी ने एक-एक शब्द पर जोर दिया—“वह तुम्हारे द्वारा पूर्व में किए गए सभी कारनामों से परिचित है—उसका कहना है, अब तक घटना घटने के बाद पता लगता था कि वारदात के पीछे तुम थे, मगर घटना घटने से पहले, पहली बार पता लगा है कि तुम प्रतापगढ़ में सक्रिय हो।”
“ये बड़ी खतरनाक बात है।”
“इससे भी खतरनाक उसे यह मालूम होना है कि तुम्हारा लक्ष्य चिरंजीव कुमार का मर्डर हो सकता है।”
ट्रिपल जैड की आंखों में चिंता की लकीरों का जाल नजर आने लगा। बहुत ही गंभीर स्वर में बोला—“यानि वह मेरे बारे में सब कुछ जानता है?”
“अब तुम समझ गए होगे, वह मुझे चिरंजीव कुमार की सुरक्षा-व्यवस्था का महत्त्वपूर्ण अंग तब तक नहीं बनाएगा जब तक तुम्हारी तरफ से निश्ंिचत न हो जाए।”
“मेरी तरफ से कैसे निश्ंिचत हो सकता है वह?”
“तुम्हारी लाश देखकर।”
“म-मेरी लाश?” ट्रिपल जैड उछल पड़ा।
तेजस्वी के होंठों पर भेदभरी मुस्कराहट थी—“योजना की कामयाबी के लिए यह जरूरी है ट्रिपल जैड।”
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