hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
12-31-2020, 12:23 PM,
#48
RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
वातावरण में हथकड़ी और बेड़ियों की खड़खड़ाहट गूंज रही थी।
सभी की निगाहें ‘जुंगजू’ पर केंद्रित थीं।
उस पर जो मदमस्त शेर की मानिन्द अपनी तन्हा कोठरी से निकलकर नलों की उस कतार की तरफ बढ़ रहा था जहां कैदी नहाया करते थे—उसकी हथकड़ियों से जुड़े दो मोटे-मोटे रस्सों के दूसरे सिरे सिपाहियों के हाथों में थे—वे उसके साथ चल रहे थे।
चारों तरफ खड़े कैदी अपने काम छोड़कर जुंगजू को इस तरह देख रहे थे जैसे अजूबे को देख रहे हों—लगभग इसी समय, इसी मुद्रा में जुंगजू को उसकी कोठरी से निकालकर नहलाने के लिए नल तक ले जाया जाता था।
कैदी रोज उसे इसी तरह देखते थे।
इंस्पेक्टर देशराज भी उन्हीं कैदियों का हिस्सा था—जुंगजू के जले हुए भयानक बल्कि वीभत्स चेहरे को वह रोज बड़े ध्यान से देखता और सोचता, क्या जुंगजू को अपना चेहरा आईने में देखकर उस लड़की की याद आती होगी जिसने उसे जलाया था?
सुना था, जुंगजू बहुत खूबसूरत था—एक लड़की से प्यार करता था, मगर लड़की किसी अन्य की दीवानी थी और एक रात … जुंगजू ने लड़की को जबरदस्ती पकड़कर बलात्कार कर डाला—उसके बाद घृणा और क्रोध की भावनाओं के वशीभूत मौका मिलते ही एक दिन लड़की ने उसके चेहरे पर तेजाब फैंक दिया—सिर के बालों सहित सारा चेहरा बुरी तरह जल गया था—लड़की अपना काम करके चली गई, चीखता-चिल्लाता जुंगजू उसके पीछे लपका और इस प्रयास में जीने से लुढ़क गया—ऊपर वाले जबड़े के आगे के दोनों दांत गंवा बैठा—उसके कारण कुछ ज्यादा ही डरावना लगता—कहते हैं बाद में वह लड़की अभिनेत्री बन गई और जुंगजू उसी की हत्या के जुर्म में यहां था। मगर फिर भी … देशराज को यकीन था, आईने में अपनी शक्ल देखते ही वो लड़की जुंगजू को निश्चित रूप से याद आती होगी।
“फांसी पर चढ़ने वाला है।” एक कैदी ने कहा—“लेकिन मैंने पट्ठे के चेहरे पर कभी शिकन नहीं देखी।”
“शिकन आएगी भी तो चमकेगी नहीं।” देशराज ने कहा—“तेजाब ने चेहरे पर जख्म और झुर्रियां ही इतनी डाल दी हैं कि ‘एक्सप्रेशन’ नाम की चीज उसके चेहरे पर नजर नहीं आ सकती।”
“तुम्हें क्या मालूम इंस्पेक्टर, हम अपराधी लोग साले किसी अंजाम से नहीं डरते …।” कैदी ने उसकी खिल्ली उड़ाई—“तुम क्या हो, धोखे में अपने बाप की लाश नदी में क्या लुढ़का बैठे कि टूट गए—अदालत में पहुंचकर सारा कच्चा चिट्ठा खोल बैठे! भला तुम्हें यह बेवकूफी करने की क्या जरूरत थी?”
“जो समझ न सकेगा उसे क्या बताऊं?” कहने के बाद देशराज एक तरफ को चल दिया।
अधिकांश कैदी तितर-बितर होकर अपने-अपने काम में लग गए—वह एक पत्थर पर जाकर बैठ गया—दृष्टि जुंगजू और उसकी रास पकड़े सिपाहियों पर केन्द्रित थी—नलों के नजदीक एक घना पेड़ था, पेड़ की जड़ में पक्का गोल चबूतरा बना हुआ था।
रूटीन के मुताबिक सिपाहियों ने जुंगजू की हथकड़ी और बेड़ियों के लॉक खोले—जुंगजू ने अपना कैदियों वाला लिबास उतारकर लापरवाही के साथ चबूतरे पर फेंका और उछल- कूद मचाता नलों की कतार की तरफ बढ़ गया, दोनों सिपाही चबूतरे पर बैठ गए।
जुंगजू का लिबास उनके पीछे पड़ा था।
उधर जुंगजू नहा रहा था, इधर सिपाही समय गुजारने की खातिर गप्पें हांकने में मशगूल थे—ऐसी बात नहीं कि पत्थर पर बैठा देशराज एकटक उन्हीं को देख रहा हो—कभी उसकी नजर उन पर होती थी तो कभी विभिन्न कामों में लगे अन्य कैदियों पर—परंतु अचानक नजर एक ऐसे दृश्य पर पड़ी जिसे देखकर न केवल वह चौंक पड़ा बल्कि दृष्टि चिपककर रह गई।
दृश्य रहस्यमय था।
देशराज के दिमाग में बड़ी तेजी से असंख्य सवाल घुमड़ने लगे।
वह एक कैदी को बड़े ही रहस्यमय तरीके से पेड़ से नीचे उतरते देख रहा था—बहुत ही सावधानी से, दबे पांव उतर रहा था वह—नजरें गप्पें लड़ाते सिपाहियों पर केन्द्रित थीं—‘एक्टीविटीज’ से जाहिर था कि जो हरकत वह कर रहा था, उसकी भनक सिपाहियों को नहीं लगने देना चाहता था।
बिल्ली की मानिन्द दबे पांव उतरकर वह चबूतरे पर पहुंच गया—इस वक्त अगर वह नजरें घुमाकर देशराज की दिशा में देख लेता कि देशराज उसकी एक-एक हरकत को देख रहा है मगर उसका सम्पूर्ण ध्यान अपने अस्तित्व को सिपाहियों से छुपाने पर केन्द्रित था—देशराज ने बड़ी तेजी से चारों तरफ नजरें घुमाईं—उसके अलावा किसी की नजर पेड़ से उतरे कैदी की रहस्यमय गतिविधियों पर नहीं थी—सभी को वॉच करती देशराज की नजर जब पुनः चबूतरे की तरफ घूमी तो पाया—कैदी ने अपनी मुट्ठी में दबा एक कागज आहिस्ता से जुंगजू की कमीज की जेब में सरका दिया—देशराज ने खूब ध्यान से देखा—वह कागज ही था—नल के नीचे बैठकर नहाने में मशगूल जुंगजू की तो कौन कहे, रहस्यमय कैदी की वहां उपस्थिति की भनक उन सिपाहियों तक को न लग सकी जिनकी पीठ पर वह अपना काम करके वापस पेड़ पर चढ़कर घने पेड़ में खो गया—इस बीच देशराज अपने स्थान से उठा और तेज कदमों के साथ विपरीत दिशा में बढ़ गया—वह रहस्यमय कैदी को यह पता नहीं लगने देना चाहता था कि उसने उसकी हरकत देख ली है—जहन में बहुत सारे सवाल एक-दूसरे से कुश्ती लड़ रहे थे।
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ट्रिपल जैड की रिपोर्ट सुनने के बाद ट्रांसमीटर पर दूसरी तरफ से गंभीर स्वर में कहा गया—“ये बड़ी खतरनाक बात है ट्रिपल जैड, स्पेशल कमांडो दस्ते को प्रतापगढ़ में तुम्हारी मौजूदगी की भनक लग जाना और इंस्पेक्टर को तुम्हारा असली परिचय पता लग जाना विश्व के सामने हमारे मुल्क के मुंह पर एक कालिख पोत सकता है—भले ही ‘ऑपरेशन चिरंजीव कुमार’ स्थगित कर दिया जाए, मगर किसी को यह पता नहीं लगना चाहिए कि चिरंजीव कुमार की हत्या के पीछे हमारा मुल्क था।”
“मैं समझता हूं सर, लेकिन फिलहाल हालात इतने संगीन नहीं हैं, मामला संभाला जा सकता है। इस संबंध में इंस्पेक्टर की स्कीम से मैं पूरा इत्तफाक रखता हूं।”
“ओ.के.।”
“आदमी मुझे कब मिल जाएगा?”
“दो दिन बाद।”
“मेरी रिपोर्ट से यह भी आप समझ ही गए होंगे कि ऑपरेशन सही दिशा में काफी आगे बढ़ चुका है …।”
“वो सब ठीक है ट्रिपल जैड, मगर प्रत्येक पल ध्यान रहे, इंस्पेक्टर ऐसा अकेला शख्स है जिसे कल ये मालूम होगा कि चिरंजीव कुमार की हत्या की अंतिम जिम्मेदार स्टार फोर्स नहीं बल्कि हम हैं, और हम ये हरगिज नहीं चाहेंगे कि ऐसा शख्स चिरंजीव कुमार की हत्या के बाद एक भी सांस ले सके, अतः उसका मर्डर चिरंजीव कुमार के मर्डर से कई गुना ज्यादा जरूरी है।”
“फिक्र न करें सर, मैंने ऐसा जाल बिछा रखा है कि इंस्पेक्टर भी चिरंजीव कुमार के साथ ही इस दुनिया से कूच कर जाएगा।”
“इसके लिए तुमने क्या इंतजाम किया है?”
“यहां के पुलिस कमिश्‍नर का एक भतीजा है—पक्का स्मैकिया—स्मैक के कारण वह मेरी मुट्ठी में है—मैं जब, जो चाहूं, वह करेगा—एक बार चिरंजीव कुमार के मर्डर की स्कीम बन जाए, फिर मैं उसे इस ढंग से घटनाक्रम में पिरोऊंगा कि सब कुछ चिरंजीव कुमार की मौत के साथ ही खत्म हो जाएगा।”
“वैसे तो हमें तुम्हारी योग्यताओं पर पूरा भरोसा है ट्रिपल जैड मगर …”
“मगर?”
“इंस्पेक्टर की तरफ से बेइन्तहा सतर्क रहने की जरूरत है—जो कुछ उसके बारे में तुमने बताया, उससे निर्विवाद रूप से यह सिद्ध होता है कि वह एक दुर्लभ दिमाग का मालिक है—ऐसे आदमी के बारे में हमारी यह कल्पना मूर्खतापूर्ण होगी कि वह हमारे इरादे न समझ रहा हो—निश्चित रूप से उसे इल्म होगा कि हम उसका खात्मा करने की चेष्टा करेंगे—मुमकिन है, अपने बचाव के लिए उसने कोई पैंतरा सोच रखा हो।”
“ये बात मेरे जहन में है सर, वह खुद को शतरंज के खेल का सबसे बड़ा खिलाड़ी कहता है—मगर जब अंतिम चाल चली जाएगी तब उसे पता लगेगा, दरअसल शतरंज उसे आती ही नहीं …।”
“गुड।”
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“बोलो देशराज!” कमिश्‍नर शांडियाल ने पूछा—“तुमने हमें यहां क्यों बुलाया है?”
देशराज ने एक नजर कमरे में मौजूद जेलर पर डाली और फिर आहिस्ता से बोला—“मैं नहीं चाहता हमारी बातें कोई और सुने।”
“म-मतलब?” शांडियाल उछल पड़े।
चौंका जेलर भी था—बड़ी तेजी से उसके चेहरे पर नागवारी के भाव उभरे, बगैर किसी के कुछ कहे उठा और बोला—“मैं चलता हूं।”
“माफ करना जेलर साहब।” देशराज ने कहा—“बड़ी अजीब बात है कि हम लोग आप ही के ऑफिस में बैठे हैं और आप ही को बाहर जाना पड़ रहा है—मगर क्या करूं, परिस्थितियां कभी-कभी अजीब वाक्ये करा देती हैं। मुझे नहीं मालूम, जो बातें कमिश्‍नर साहब से करने जा रहा हूं, वे आपके सामने की जा सकती हैं या नहीं—अगर की जा सकने वाली होंगी तो कमिश्‍नर साहब खुद आपको वापस बुला लेंगे।”
जेलर उसके अंतिम शब्द सुने बगैर बाहर जा चुका था।
“क्षमा कीजिएगा सर।” कहने के साथ देशराज उठा, तेजी से दरवाजे के नजदीक पहुंचा और उसे अंदर से बंद करके वापस अपनी कुर्सी पर बैठता हुआ बोला—“हालांकि जेलर साहब को बुरा लगा होगा, मगर मैं ये गोपनीयता बरतने के लिए मजबूर हूं।”
मारे हैरत के शांडियाल का बुरा हाल था—“ऐसी क्या बात है जिसकी खातिर तुमने हमें अपनी ‘मिसेज’ द्वारा मैसेज भेजकर बुलवाया और अब जेलर के ऑफिस से उसी को …।”
“मैंने जेल में पनप रहे एक खतरनाक षड्यंत्र की गंध सूंघी है सर।”
“क-कैसा षड्यंत्र?” सस्पैंस की ज्यादती के कारण शांडियाल का बुरा हाल था।
“धीरे बोलिए।” कहने के बाद फुसफुसाते स्वर में देशराज ने वह दृश्य ज्यों-का-त्यों बयान कर दिया जो देखा था—सुनकर शांडियाल के चेहरे पर नाराजगी के भाव उभरे, बोले—“क्या तुमने यह बकवास बताने के लिए जेलर को कमरे से बाहर भेजा है?”
“जी।”
“जो तुमने बताया, वह जेलर की नॉलिज में आना, हमारी नॉलिज में आने से कई गुना ज्यादा जरूरी है बेवकूफ!”
“क्यों?”
“क्योंकि शायद कुछ लोग जुंगजू को जेल से फरार करने का षड्यंत्र रच रहे हैं, ऐसा कोई षड्यंत्र सफल न हो पाए इसकी पूरी जिम्मेदारी जेलर की है।”
“आप ये कैसे समझ गए कि जुंगजू को जेल से फरार करने का षड्यंत्र रचा जा रहा है?”
“जेल में इस किस्म की हरकतों का दूसरा कोई मतलब होता ही नहीं।” शांडियाल अभी तक उससे नाराज थे—“जेलर को वापस बुलाओ और उसे सब कुछ बता दो—वह न केवल उस कैदी की खबर लेगा जिसने जुंगजू की जेब में कागज पहुंचाया है, बल्कि जुंगजू से कागज हासिल करके उनके षड्यंत्र का पता लगाने की कोशिश भी करेगा।”
“मेरा भी यही ख्याल है कि जुंगजू को फरार करने की किसी योजना पर काम चल रहा है, क्योंकि जेल में इस किस्म की हरकत का सचमुच कोई अन्य अर्थ नहीं निकलता, मगर मैं आपकी राय से सहमत नहीं हूं।”
“क्यों?”
“क्योंकि उस कैदी का संबंध स्टार फोर्स से है।”
“तो?”
“जाहिर है, जुंगजू को जेल से फरार करने का षड्यंत्र स्टार फोर्स रच रही है।”
“ओह!” शांडियाल के चेहरे पर बड़ी तेजी से भाव बदले।
उत्साहित देशराज कहता चला गया—“आप जानते हैं, स्टार फोर्स बगैर उद्देश्य के कोई कदम नहीं उठाती, और उनका उद्देश्य जुंगजू को जेल से फरार भर कर लेना नहीं हो सकता।”
“क्या कहना चाहते हो?”
“निश्चित रूप से स्टार फोर्स के पास ऐसा कोई काम है जिसे जुंगजू ही अंजाम दे सकता है।”
“हम तुमसे सहमत हैं।”
“अब याद कीजिए, जुंगजू किस मामले में एक्सपर्ट है?”
“लाखों की भीड़ से घिरे अपने टार्गेट को बेध डालने में।”
“कुछ दिन बाद प्रतापगढ़ में लाखों की भीड़ के बीच कौन होगा?”
“चिरंजीव कुमार … ओह!” ये शब्द शांडियाल के हलक से स्वयं प्रस्फुटित होते चले गए—उनके चेहरे पर हैरानगी और चिंता ने पड़ाव डाल दिया, बोले—“क्या तुम यह कहना चाहते हो कि स्टार फोर्स चिरंजीव कुमार के मर्डर की खातिर जुंगजू को जेल से बाहर निकालने का षड्यंत्र रच रही है?”
“भगवान न करे यह सच हो, मगर कहना यही चाहता हूं।” देशराज बोला—“मैं नियमित रूप से जेल में आने वाले अखबार पढ़ता हूं—उनके मुताबिक चिरंजीव कुमार का दौरा अपरिहार्य कारणों से रद्द कर दिया गया है, मगर शीघ्र ही उनके आगमन की तारीख घोषित की जाएगी—चुनाव होने वाले हैं, आना तो उन्हें पड़ेगा ही—स्टार फोर्स की हिटलिस्ट में वे नम्बर एक पर हैं और इधर स्टार फोर्स उस शख्स को जेल से फरार करने के लिए प्रयत्नशील है जो एक्सपर्ट ही भीड़ के बीच घिरे शख्स को निशाना बनाने का है, अर्थात सब बातों को एक-दूसरे से जोड़ा जाए तो नतीजा—‘टू प्लस टू इज इक्वल टू फोर’ जैसा है।”
“वैरी गुड देशराज, निश्चित रूप से तुमने काफी दूर तक सोचा।” शांडियाल कहते चले गए—“लेकिन अगर ऐसा है, तब भी … यह राज जेलर से छुपाने की क्या तुक हुई—अगर हम स्टार फोर्स द्वारा रचे गए जुंगजू की फरारी के षड्यंत्र को नेस्तनाबूद करना चाहते हैं तब भी, जेलर को उसमें अहम भूमिका निभानी होगी।”
“क्यों?”
“निश्चित रूप से आज हम ऐसा कोई कदम उठाकर जुंगजू को जेल से फरार करा के उनके मंसूबों पर पानी फेर सकते हैं, मगर उसे उस वास्तविक लक्ष्य अर्थात चिरंजीव कुमार की हत्या के लक्ष्य में विफल नहीं कर पाएंगे—बल्कि अगर यह कहा जाए तो गलत न होगा कि ऐसा कोई कदम उठाना हमारी भूल होगी।”
“हम समझे नहीं …।”
“क्या हमारी सफलता उन्हें तुरंत यह नहीं बता देगी कि हमें उनके लक्ष्य की भनक लग गई है?”
“तो क्या हुआ?”
“तब वे चिरंजीव कुमार की हत्या का कोई और षड्यंत्र रचेंगे—किसी ऐसे तरीके से लक्ष्य को बेधना चाहेंगे जो इस तरीके से बिल्कुल अलग होगा—जरूरी नहीं जैसे इत्तफाक के साथ हमें उनके इस तरीके की भनक लग गई है वैसे ही अन्य तरीके की भी लग जाए—उस अवस्था में हम अंधेरे में रहेंगे और मुमकिन है, उस अंधेरे का लाभ उठाकर वे अपने लक्ष्य को बेध डालें, हम हाथ मलते रह जाएंगे सर।”
“किया क्या जाए?”
“जिन परिस्थितियों से हम घिरे हैं, उनमें सबसे बेहतर चाल स्टार फोर्स को इस भ्रमजाल में फंसाए रखना होगी कि उनकी स्कीम न केवल सौ प्रतिशत सफल हो रही है बल्कि किसी को भनक तक नहीं है—जब तक उनकी नजर में उनकी ये स्कीम निर्विघ्न रूप से चल रही होगी, तब तक उनके द्वारा अपनी योजना बदलने का सवाल ही नहीं उठता—हमें सामने तब आना चाहिए अर्थात उस प्वॉइंट पर पहुंचकर उनके मंसूबों पर पानी फेरना चाहिए जब उनके पास अपनी योजना को बदलने का न समय हो, न क्षमता।”
“इसके लिए जुंगजू को फरार होने देना जरूरी है …।”
“मैं यही कहना चाहता हूं, अगर जुंगजू फरार होकर उनके बीच पहुंच जाए और उसके जरिए हमें स्टार फोर्स के षड्यंत्र की पल-पल की खबर मिलती रहे तो हम न केवल चिरंजीव कुमार की हत्या के घिनौने षड्यंत्र के परखच्चे उड़ा सकते हैं बल्कि स्टार फोर्स को ऐसी शिकस्त दे सकते हैं जिसकी उन्होंने स्वप्न तक में कल्पना न की होगी।”
“तुम हवाई किले बना रहे हो देशराज, भला उनके बीच जाकर जुंगजू पल-पल की रिपोर्ट हमें क्यों देगा?”
“मैं उस तरीके के बारे में सोच चुका हूं सर।”
“सोच चुके हो?”
“जी।”
“क्या?”
देशराज के जबड़े भिंच गए, दृढ़तापूर्वक कहा उसने—“मैं जुंगजू बनकर उनके बीच जाने के लिए तैयार हूं।”
“त-तुम?” शांडियाल उछल पड़े।
“क्या कोई बुराई है सर?”
कुछ देर तक शांडियाल बहुत ध्यान से उसे देखते रहे, बोले—“शायद तुम भूल गए देशराज—अब तुम इंस्पेक्टर नहीं, मुल्जिम हो …”
“य-यही!” देशराज लड़खड़ाती जुबान से कह उठा—“यही तो कहना चाहता हूं सर—पुलिस की पवित्र वर्दी इंसान के बच्चे को इसलिए पहनाई जाती है कि वह अपने समाज और मुल्क की हिफाजत करे—कानून खाकी वर्दीधारी को इतनी ताकतें इसलिए देता है कि उन ताकतों को कुचल डाले जो शरीफ नागरिकों को कुचलने के मंसूबे बनाती हैं, मगर मैंने हमेशा, हर पल हर कदम पर कानून द्वारा बख्शी गई ताकत का दुरुपयोग किया—जब तक जिस्म पर वर्दी रही तब तक उन्हीं को सताता रहा जिनकी हिफाजत के लिए वर्दी पहनी थी—ये सच है सर, मैंने इंस्पेक्टर रहते कभी कोई ऐसा काम नहीं किया जिसकी कानून एक पुलिसिए से अपेक्षा करता है और इसीलिए …!” देशराज बेहद भावुक नजर आने लगा—“शायद इसीलिए मेरे दिल में अपने समाज और मुल्क के लिए कुछ कर गुजरने की तमन्ना है—इंस्पेक्टर रहते मैंने जो किया, भगवान ने मेरे ही हाथों पिता की लाश नदी में फिंकवाकर उसकी ऐसी भयानक सजा दी कि आज भी जब वो दृश्य याद आ जाता है तो रूह फना हो जाती है—भगवान की दी हुई सजा को भोगता मैं जेल में हर पल यह सोचता रहा हूं कि काश—उसी भगवान ने मुझे मेरे दुष्कर्मों का प्रायश्चित करने का मौका दिया होता और जब मैंने उस कैदी को जुंगजू की कमीज की जेब में कागज रखते देखा, उसका अर्थ समझा, तब … दिल यह सोचकर बाग-बाग हो उठा कि शायद भगवान ने मेरी सुन ली है—मैं आपके हाथ जोड़ता हूं सर, आपके पैरों में पड़कर भीख मांगता हूं—भगवान द्वारा बख्शा गया ये मौका न छीनें—आपके पास बहुत सी पॉवर्स हैं—उनमें एक ये भी है कि समाज और मुल्क की भलाई के लिए किसी भी शख्स को किसी मिशन पर नियुक्त कर सकते हैं—जरूरी नहीं वह पुलिसिया ही हो—मैं वादा करता हूं, आपकी प्रतिष्ठा पर आंच नहीं आने दूंगा—प्लीज, मेरे अंदर भभक रहे ज्वालामुखी को पहचानिए—मेरे खून की हर बूंद में एक ललक गर्दिश कर रही है, मरने से पहले कोई ऐसा काम करना चाहता हूं सर कि लोग मुझसे नफरत न करें—अगर आपने ये मौका छीना तो मौत के बाद भी मेरी रूह इन्हीं हसरतों और आरजुओं को गले लगाए भटकती रहेगी।”
देशराज की दीवानगी ने शांडियाल को अवाक् कर दिया—बहुत देर तक उनके मुंह से बोल न फूट सका—याचक के रूप में हाथ जोड़े, चेहरे के जर्रे-जर्रे पर वेदना लिए देशराज को देखते रह गए थे, काफी देर बाद गंभीर स्वर में बोले—“हम तुम्हारी भावनाओं की कद्र करते हैं देशराज और दिल की गहराइयों से स्वीकार करते हैं कि अगर ये मिशन शुरू किया जा सकता तो तुमसे बेहतर अंजाम कोई नहीं दे सकता, मगर ये मिशन शुरू नहीं किया जा सकता।”
“क्यों सर?”
“किसी अन्य शख्स को जुंगजू बनाकर उनके बीच भेजने की चाल किसी हालत में परवान नहीं चढ़ सकती—कोई मेकअप उन्हें धोखा नहीं दे सकता।”
“है सर, एक मेकअप ऐसा ही है जिसे ब्लैक स्टार की सात पुश्तें तक मेकअप साबित न कर सकेंगी।”
शांडियाल ने चकित स्वर में पूछा—“ऐसा कौन सा मेकअप है?”
“मैं दिखाऊंगा---। मिशन तब सौंपिएगा जब आपको यकीन दिला चुकूं कि दुनिया का कोई शख्स मुझे जुंगजू का डुप्लीकेट साबित नहीं कर सकता।”
“तो बताओ, कौन-सा मेकअप है वह?”
“बताने से नहीं सर, दिखाने से काम चलेगा—मैं आपको वह मेकअप करके दिखाऊंगा।”
“कब?”
“बहुत जल्द।” देशराज खुश था—“मगर उससे पहले यह जानना जरूरी है कि खिचड़ी वही पक रही है या नहीं जो हम सोच रहे हैं …।”
“यह तो वह कैदी ही बता देगा जिसने …।”
“नो सर, उसे छेड़ना तो दूर—टेढ़ी आंख से देखना तक नहीं चाहिए—फिलहाल वह जुंगजू और स्टार फोर्स के बीच का पुल है—उसे टेढ़ी आंख से देखने का अर्थ है, स्टार फोर्स को समझा देना कि हमें उनके बीच पक रही खिचड़ी की गंध मिल गई है।”
“फिर क्या करें?”
“हमें सीधा जुंगजू पर हाथ डालना होगा—वह तन्हा कोठरी में रहता है, उससे की गई छेड़खानी की किसी को भनक तक नहीं लग सकेगी।”
“लेकिन जेलर की जानकारी के बगैर जेल में इतनी सब कार्यवाही नहीं हो सकती।”
“इस बारे में फैसला आपको करना है—मैं नहीं चाहता, योजना की जानकारी ज्यादा लोगों को हो, यही सोचकर ये वार्ता उनसे छुपाई—अगर आपको लगता है, उनकी जानकारी के बगैर ये सब सम्भव नहीं तो उन्हें वापस बुलाकर विश्वास में ले सकते हैं।”
“योजना में उसे शामिल करना मजबूरी है—और वैसे भी जेलर का अब तक का रिकॉर्ड बेदाग है।”
“जैसी आपकी मर्जी।” देशराज के चेहरे पर संतुष्टि के भाव थे।
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RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा - by desiaks - 12-31-2020, 12:23 PM

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