hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
12-31-2020, 12:23 PM,
#50
RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
“तुम्हारा क्या ख्याल है देशराज?” जेलर के ऑफिस में पहुंचते ही कमिश्‍नर शांडियाल ने पहला सवाल किया—“क्या जुंगजू हमारी बातों में आ गया है?”
“निश्चित रूप से सर!” देशराज ने कहा—“मेरी कोशिश थी वह हमें मूर्ख समझे और वह समझ रहा है।”
“क्या मतलब?” जेलर उछल पड़ा।
देशराज ने रहस्यमय मुस्कान के साथ जवाब दिया—“हम अच्छी तरह जानते हैं जेलर साहब—उसका संबंध शुरू से स्टार फोर्स से है और आप जानते होंगे, स्टार फोर्स से लोग जुड़ते ही तब हैं तब अपने व्यक्तिगत रिश्तों को तिलांजलि दे चुकते हैं यानि वह किसी भी हालत में मां की धमकी में आने वाला नहीं है।”
“मैं समझा नहीं।” जेलर की खोपड़ी अंतरिक्ष में परवाज कर रही थी—“आप लोग कहना क्या चाहते हैं?”
“सारे नाटक का एक ही उद्देश्य था … यह कि वह इस भ्रमजाल में फंस जाए कि हम लोग यह मान बैठे हैं कि मां की धमकी के बाद वह वही करेगा जो हम चाहते हैं।”
“जब हम जानते हैं, वह हमारे लिए काम नहीं करेगा तो उसे जेल से फरार करके ब्लैक फोर्स तक पहुंचने देने की तुक क्या हुई?”
“योजना उसे फरार होने देने की है ही कहां?”
“म-मतलब?”
“असल योजना मेरे फरार होने की है, स्टार फोर्स यही समझ रही होगी कि वे जुंगजू को ले जा रहे हैं।”
“ऐसा कैसे हो जाएगा?”
“होगा जेलर साहब।” देशराज ने आत्मविश्वास पूर्वक कहा—“ये करिश्मा होगा।”
“तो फिर इस नाटक का अर्थ?”
“हम भी यही जानना चाहते हैं देशराज।” काफी देर से खामोश शांडियाल ने कहा—“जब तुम्हारा दावा है कि तुम जुंगजू का ऐसा मेकअप कर सकते हो जिसे ब्लैक स्टार तक मेकअप सिद्ध नहीं कर सकता तो जुंगजू को इस भ्रमजाल में फंसाने की जरूरत ही क्या थी?”
“अगर हम उसे भ्रमजाल में न फंसाते तो कल, परसों या हफ्ते-भर में किसी भी दिन, किसी-न-किसी तरीके से वह स्टार फोर्स तक यह मैसेज भेज देता कि हम लोग उनकी योजना से वाकिफ हो गए हैं, भेजता या नहीं?”
“जरूर भेजता!”
“जब कि अब नहीं भेजेगा क्योंकि अब उसका उद्देश्य हम लोगों पर यह सिक्का जमाना होगा कि वह हमारे लिए पूरी ईमानदारी से काम कर रहा है—सोचेगा, अगर इस वक्त उसने ऐसी कोई कोशिश की और वह हमारी नजरों में आ गई तो सारा खेल चौपट हो जाएगा, खेल को चौपट कर देने का रिस्क वह नहीं ले सकता—फिलहाल उसकी योजना हम पर विश्वास जमाए रखकर फरार होना होगी—सोच रहा होगा, बाद में … जंगल में जाकर ब्लैक स्टार को चटखारे ले-लेकर हमारी मूर्खता के किस्से सुनाएगा—यही हम चाहते थे, यह कि हफ्ते-भर तक वह स्टार फोर्स को मैसेज भेजने की कोशिश न करे।”
“क्या इससे बेहतर यह न होता कि तुम आज ही से जुंगजू के मेकअप में स्थापित हो जाते—उसे किसी गुप्त स्थान पर स्थानांतरित कर दिया जाता, जुंगजू बनकर सब कुछ तुम खुद करते?”
“अगर यह संभव होता तो मैं इतनी लंबी क्रिया क्यों अपनाता?”
“मतलब?”
“ब्लैक स्टार जैसी हस्ती को धोखा देने की क्षमता रखने वाला मेकअप इतनी आसानी से नहीं किया जा सकता कि आज करूं, कल जुंगजू बन जाऊं—वैसा मेकअप करने के लिए मुझे कम-से-कम एक हफ्ता तो चाहिए ही—तब तक जेल में जुंगजू को ही जुंगजू के रूप में रखना मजबूरी थी और इसी मजबूरी के कारण उसे ऐसे जाल में फंसाना जरूरी था जिसमें फंसने के बाद वह एक हफ्ता वह करे जो हम चाहते हैं।”
“ये मेकअप का अच्छा सस्पैंस बना रखा है तुमने!”
“खुल जाएगा!” देशराज के होंठों पर फीकी मुस्कान थी—“मुझे अपने साथ ले चलिए।”
शांडियाल ने जेलर से पूछा—“इजाजत है?”
“जब सब कुछ आप अपने रिस्क पर कर रहे हैं तो मुझे क्या आपत्ति हो सकती है सर—ईश्वर आपको इस खतरनाक मिशन में कामयाबी दे। देशराज के सिर से अभी तक खून बह रहा है, मैं फस्र्ट एड …।”
“नहीं जेलर साहब!” भावुक स्वर में कहते देशराज ने उसका हाथ पकड़ लिया—“जो बह रहा है वह इंस्पेक्टर देशराज वाला खून होगा—गंदा खून है ये, बहने दीजिए!”
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“मेरा नाम लुक्का है।” इन शब्दों के साथ तेजस्वी की मेज पर पांच सौ के नये-नकोर नोटों की एक गड्डी आ गिरी।
तेजस्वी ने ध्यान से उसकी तरफ देखते हुए कहा—“जानता हूं।”
“मैंने पुलिस कमिश्‍नर के भतीजे का मर्डर किया है।”
“ये भी जानता हूं।” तेजस्वी ने उसे घूरा—“प्रतापगढ़ की सारी सीमाएं सील कर दी गई हैं—चप्पे-चप्पे पर तुझे ऐसे तलाश किया जा रहा है जैसे भूसे के ढेर से सुई ढूंढी जा रही हो—अपने भतीजे के हत्यारे को कानून के शिकंजे में देखने के लिए कमिश्‍नर पागल हुआ जा रहा है—अनेक फोन आ चुके हैं उसके—हर बार एक ही सवाल पूछता है, लुक्का पकड़ा गया या नहीं—नकारात्मक जवाब देते ही भड़क उठता है, कहता है मैं आखिर कर क्या रहा हूं—सरेआम उसके भतीजे का खून करके लुक्का आखिर गायब कहां हो गया?”
“और मैं सीधा थाने में चला आया।”
“इसका मतलब तू आत्मसमर्पण करना चाहता है?”
“अगर तुम मेरे द्वारा अपनी मेज पर फेंकी गई गड्डी का अर्थ नहीं समझते तो मेरे यहां आगमन को आत्मसमर्पण समझो—और अगर समझते हो तो समझो कि अपना बचाव करने आया हूं।”
“क्या मतलब?” तेजस्वी की आंखें गोल हो गईं।
“अगर कोई हत्यारा उन हालात में फंस जाए जिनमें इस वक्त मैं हूं तो उसके लिए सबसे सुरक्षित स्थान इलाके का थाना होता है—क्योंकि पुलिस के चंगुल से भाग निकलने की कोशिश मूर्खाना सोच होती है—अंततः गिरफ्तार होकर थाने में आना उसकी नियति बन चुकी होती है—तो क्यों न मर्डर करते ही सीधा थाने में चला आए—सौदा पटे तो पौ बारह, न पटे तो आत्मसमर्पण है ही।”
“तो तू यहां ‘पौ बारह’ करने आया है?”
“हां!” लुक्का ने पांच सौ के नोटों की एक और गड्डी मेज पर डाल दी।
“ये बेवकूफाना विचार तेरे जहन में आया कैसे?” तेजस्वी गुर्रा उठा—“सारा प्रतापगढ़, सारा प्रदेश बल्कि सारा देश जानता है तेजस्वी रिश्वत नहीं लेता और तू … तू तो प्रतापगढ़ के उन रजिस्टर्ड गुण्डों में से है जिन्हें मैंने पहले ही दिन यहां तलब करके चेतावनी दी थी—तूने यह कैसे सोच लिया कि यहां कागज के इन टुकड़ों से कुछ हो जाएगा?”
नंबर फाइव के भीतर निराशा छा गई मगर कोशिश जारी रखी—“मजबूरी सब कुछ सुचवा देती है इंस्पेक्टर साहब—जब मेरे हाथों से ऐसा काम हो ही गया है जिसकी सजा से बचने का उसके अलावा कोई रास्ता नहीं जो कर रहा हूं तो क्या करता—अब आपकी शरण में हूं, जो चाहें करें—उठाकर हवालात में डाल दें या मुझ पर रहम फरमाएं—रहम ही फरमा दें तो सारी जिंदगी आपके बच्चों को दुआएं दूंगा साहब—जो सेवा करूंगा सो तो अलग है ही।”
“जिन हालात में तू यहां आया है उनमें कोई मदद भी करना चाहे तो कैसे कर सकता है?”
“कोई में और इलाके के थानेदार में फर्क क्या है साहब?” तेजस्वी के जवाब से नंबर फाइव को आशा बंधी थी, अतः उत्साहजनक स्वर में बोला—“थानेदार भला क्या नहीं कर सकता?”
“मामला पुलिस कमिश्‍नर के भतीजे का है …।”
“ऐसे मामलों में कमिश्‍नर थानेदार से बड़ा नहीं होता।”
“मुमकिन है तू ठीक कह रहा हो मगर सबसे बड़ी होती है पब्लिक—जिन लोगों ने तुझे थाने में आते देखा होगा वे बवाल खड़ा कर देंगे।”
“इतना उज्जड़ नहीं हूं साहब कि ढिंढोरा पीटता हुआ आपकी शरण में पहुंचा होऊं—बल्कि दावा है, मुझे थाने में घुसते पब्लिक के किसी आदमी ने नहीं देखा—हां, उन पुलिसियों के मामले में कसम नहीं खा सकता जो इस वक्त थाने में मौजूद हैं—सो उनका क्या है, वे सब तो बेचारे आपके मातहत हैं—अफसर तो आप हैं, मुझे मालूम है जो फैसला आप करेंगे, उनका काम केवल उसे अमल में लाना है।”
अब, तेजस्वी की निगाह मेज पर पड़ीं गड्डियों पर स्थिर हो गई, बोला—“मामला कमिश्‍नर के भतीजे का है …।”
“तो?” नंबर फाइव की उम्मीदें परवान चढ़ीं।
“रकम बहुत कम है।”
“और लीजिए हुजूर …।” कहने के साथ उसने एक और गड्डी मेज पर डाल दी।
तेजस्वी ने गंभीर स्वर में पूछा—“ऐसी-ऐसी तुम पर कितनी गड्डियां हैं?”
“एक और है साहब, चार लेकर आया था!”
“कम हैं, टकराव सीधा कमिश्‍नर से होगा।”
“तो आप हुक्म फरमाएं!”
“दस गड्डियों से काम बनेगा।”
“दूंगा सर, जरूर दूंगा—यही क्या कम है कि आप जैसा ईमानदार थानेदार मुझ पर रहमो-करम करने के लिए तैयार है—ऐसे हालात में भला रकम के लिए क्या सोचना। परंतु …।”
“परंतु?”
“थोड़ी मोहलत देनी पड़ेगी।” एक ही सांस में लुक्का कहता चला गया—“जो मेरे पास कैश की शक्ल में था वह सब उठा लाया—वादा रहा साहब, मैं पूरे पांच लाख दूंगा।”
“बैठ!” तेजस्वी ने कहा।
लुक्का हौले से उसके सामने वाली कुर्सी पर बैठ गया।
“आराम से बैठ जा!” तेजस्वी पूरी तरह खुल चुका था—“दुनिया की कोई ताकत अब तेरा बाल बांका नहीं कर सकती—कुछ देर पहले तू मुझे थानेदार की ताकत के बारे में बता रहा था—उससे बहुत ज्यादा तुझे प्रेक्टिकल होता दिखाऊंगा, सिगरेट पिएगा?”
“हां साहब, बहुत तलब लगी है।”
“ले!” जेब से पैकिट निकालकर तेजस्वी ने उसे सिगरेट ऑफर की, फिर एक ही तिल्ली से पहले उसकी और फिर अपनी सिगरेट सुलगाने के बाद बोला—“तेरे जैसों के कारण ही हम पुलिस वालों के बच्चे पलते हैं।”
“मेरी सात पुश्तें आपके गुण गाएंगी इंस्पेक्टर साहब, आप ने मुझ पर बहुत दया की।”
“सो तो ठीक है मगर जैसी मेरी इमेज है, उसके रहते तेरे जहन में यह बात आ कैसे गई कि मौजूदा हालात में थाना तेरे लिए सबसे सुरक्षित साबित हो सकता है?”
लुक्का कुछ कहना ही चाहता था कि फोन की घंटी घनघना उठी।
तेजस्वी ने हाथ बढ़ाकर रिसीवर उठाया, बोला—“थाना प्रतापगढ़।”
“हम बोल रहे हैं तेजस्वी।” शांडियाल का स्वर उभरा।
“ओह … सर, आप!”
“क्या हुआ लुक्का का?”
“सॉरी सर!” होंठों पर कुटिल मुस्कान लिए तेजस्वी ने सम्मानित स्वर में जवाब दिया—“वह अभी तक हाथ नहीं …।”
“यह सुनते-सुनते हमारे कान पक गए तेजस्वी, तुम आखिर कर क्या रहे हो?” गुस्से की ज्यादती के कारण शांडियाल का स्वर आग की लपटों सा लग रहा था—“बड़े शर्म की बात है, तुम जैसा काबिल इंस्पेक्टर अब तक उस अदने से गुण्डे को नहीं पकड़ पाया।”
“मुझे दुःख है सर …।”
“हम कुछ सुनना नहीं चाहते, लुक्का फौरन गिरफ्तार होना चाहिए।” शांडियाल का सख्त आदेश गूंजा—“उसने सरेआम हमारे भतीजे का मर्डर किया है।”
“क्या बताऊं सर, साला हाथ ही नहीं आ रहा—उसके हर ठिकाने पर कई-कई बार दबिश डाल चुका हूं—पता नहीं साले को आसमान खा गया या धरती निगल गई, मगर आप फिक्र न करें, मैं शीघ्र ही उसे गिरफ्तार करके आपके सामने पेश करूंगा।”
“हमें आश्वासन नहीं तेजस्वी, लुक्का चाहिए—लुक्का।”
“जरूर मिलेगा सर, बचकर कहां जाएगा साला! मगर …।”
“मगर?” गुर्राहट उभरी।
“प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है, मरने से पहले योगेश ने स्मैक लेनी चाही थी—घटनास्थल से स्मैक मिली भी है, तो क्या आपका भतीजा स्मैकिया था सर?”
“शटअप!” चीखकर कहा गया—“तुम ये कीमती समय यह सोचने में गंवा रहे हो कि योगेश स्मैकिया था या नहीं, अथवा लुक्का को खोज निकालने की कोशिश कर रहे हो?”
“कोशिश तो वही कर रहा हूं जो आप चाहते हैं मगर आप तो जानते हैं—इन्वेस्टिगेशन के वक्त सभी प्वाइन्ट्स दिमाग में रखने पड़ते हैं—यह बात महत्वपूर्ण है कि उसके स्मैकिया होने की बात आपको मालूम भी है या नहीं, क्योंकि जाहिर है, उसकी सोसाइटी शरीफ लोगों की नहीं होगी।”
“तो क्या तुम यह कहना चाहते हो कि उसका स्मैकिया होना हमारी जानकारी में था? हम उसकी सोसाइटी से पूर्व परिचित थे और उसे सहन कर रहे थे?”
“क्या बात कर रहे हैं सर, ऐसा तो मैं ख्वाब में भी नहीं सोच सकता।”
“तो अपने दिमाग से इस भूसे को निकालो और लुक्का को खोजने की कोशिश करो।”
“ओ.के. सर।” कहने के बाद तेजस्वी ने कुटिल मुस्कान के साथ रिसीवर क्रेडिल पर रख दिया तथा सामने बैठे लुक्का से बोला—“शांडियाल का फोन था—जो भूतनी का तुझे गिरफ्तार करने के लिए मरा जा रहा है, साले को यह नहीं मालूम कि बड़ा कमिश्‍नर नहीं, थानेदार होता है—क्या कर लेगा वह, बार-बार फोन ही करेगा न—कैसे पता लगा लेगा कि इस वक्त तू मेरे सामने बैठा है?”
पांच सौ के नोटों की एक और गड्डी मेज पर फेंकने के साथ लुक्का जोरदार ठहाका लगाकर हंसा, बोला—“मैंने तो पहले ही कहा था साहब, सरकार भले ही इस धोखे में हो कि पुलिस में इंस्पेक्टर के भी अफसर होते हैं, मगर हकीकत ये है कि थानेदार पुलिस का सबसे ऊंचा ओहदा है।”
“बातों-ही-बातों में मैंने भी कमिश्‍नर को आईना दिखा दिया बल्कि अगर यह कहा जाए तो मुनासिब होगा कि धमकी दे दी है उसे—पट्ठा यह सुनते ही बौखला उठा कि योगेश स्मैक लेता था—अब वह यह सोचने पर विवश हो जाएगा कि कल लोगों पर उसके भतीजे के स्मैकिया होने का भेद खुलेगा तो उसकी क्या पोजीशन होगी?”
एकाएक लुक्का ने कहा—“सोच रहा हूं, अब तुम्हें भी आईना दिखा ही दिया जाए!”
“क्या मतलब?” तेजस्वी हौले से चौंका।
लुक्का ने एक ही झटके में अपने सिर से लम्बे बालों वाली विग और चेहरे से फेसमास्क नोंच डाला—उनके पीछे से जो चेहरा और सिर प्रकट हुआ, उसे देखकर तेजस्वी को इतना जबरदस्त हृदयाघात पहुंचा कि अगर वह हार्ट पेशैन्ट होता तो उसी क्षण धराशाई हो जाता—बौखलाहट की ज्यादती के कारण न सिर्फ कुर्सी से उछल पड़ा बल्कि दायां हाथ तेजी से होलेस्टर की तरफ बढ़ा, मगर सामने स्पेशल कमांडो दस्ते का एजेंट नंबर फाइव था—फुर्ती के मामले में तेजस्वी उसके सामने ऐसा था जैसे चीते के सामने अजगर—नंबर फाइव बहुत पहले अपनी जेब से रिवॉल्वर निकालकर न केवल उसकी तरफ तान चुका था बल्कि गुर्रा भी चुका था—“डोन्ट मूव मिस्टर! डोन्ट मूव!”
तेजस्वी का हाथ ही नहीं, सारा जिस्म जहां-का-तहां रुक गया—पीला जर्द पड़ा चेहरा पसीने से तर-बतर हो चुका था—कांपती टांगें जैसे कह रही थीं कि अब उसके जिस्म का बोझ सम्भालना उनके बस का नहीं है—जबकि रिवॉल्वर ताने नंबर फाइव एक-एक शब्द को चबाता चला गया—“अगर जिस्म में जरा भी हरकत हुई मिस्टर तेजस्वी तो तुम्हारे भेजे के पुर्जे इस ऑफिस में बिखरे पड़े होंगे … हैन्ड्स अप … आई से हैन्ड्स अप!”
बौखलाकर तेजस्वी ने तुरंत अपने हाथ ऊपर उठा दिए।
“मेरी गंजी चांद इस वक्त तुम्हें आईने से कम नहीं लग रही होगी!” होंठों पर सफलतामयी मुस्कान लिए नंबर फाइव कहता चला गया—“इसमें तुम अपना अक्स देख सकते हो—आभामंडल के पीछे छुपा अक्स—वाकई, हमारे चीफ के अनुभवी जहन का जवाब नहीं—उसकी आंखों ने पहले ही दिन तुम्हारे आभामंडल को बेधकर उसके पीछे छुपे वास्तविक चेहरे को देख लिया था—जब वह तुम पर शक कर रहा था, तुम्हें वॉच करने और परखने के हुक्म दे रहा था, तब मैं अकेला ही नहीं बल्कि हम सब, मुझ सहित मेरे सारे साथी यह सोच रहे थे कि शक के कीटाणुओं ने उसके दिमाग को चट कर डाला है—मगर उसके आदेशों से सहमत न होने के बावजूद हमें उनका पालन करने की ट्रेनिंग मिली है और मेरी आज की सफलता उसी ट्रेनिंग का फल है—कमिश्‍नर के भतीजे को मैं मारना नहीं चाहता था—उस वक्त मेरी ड्यूटी उसे जीवित रखकर वह उगलवाना थी जो उसे मालूम था, मगर उसने मुझे गोली चलाने पर विवश कर दिया—फिर भी, गोली टांगों पर चलाई थी और अचानक उसके बैठ जाने के कारण जान ले बैठी—मुझे मालूम था, इस चूक के कारण चीफ मेरी फाइल पर एक ऐसा लाल निशान लगा देगा जिसके कारण भविष्य में मुझे मिलने वाली तमाम तरक्कियों पर पूर्णविराम लग जाएगा—इस कारण, जो हुआ उसका मुझे बेहद अफसोस था—फिर सोचा, क्यों न लगे हाथों चीफ के दूसरे हुक्म का भी पालन कर डालूं—शायद कोई सफलता मिले और वह सफलता इतनी बड़ी हो कि पहली असफलता गौण हो जाए—उसका दूसरा आदेश था, अपने लुक्का वाले रूप का लाभ उठाकर तुम्हें परखना—मौका अच्छा था अतः उस आदेश का पालन करने यहां आ पहुंचा—नतीजा सामने है, मुझे पूरा यकीन है, चीफ मेरी इस महान कामयाबी के कारण पहली नाकामयाबी को माफ कर देगा।”
तेजस्वी को काटो तो खून नहीं।
जूड़ी के मरीज की-सी हालत हो गई उसकी—हमेशा जीवंत नजर आने वाली उसकी आंखें इस वक्त निस्तेज नजर आ रही थीं।
मुर्दे की आंखों-सी निस्तेज।
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“समझ में नहीं आ रहा नंबर फाइव ने ये किया क्या?” केन्द्रीय कमांडो दस्ते के एजेंट नंबर वन के चेहरे पर उलझन के भाव थे—“उस शख्स को क्यों मार डाला जिसके जरिए हमें प्रतापगढ़ में ट्रिपल जैड के सक्रिय होने जैसी महत्वपूर्ण सूचना मिली?”
“और आगे भी ट्रिपल जैड तक उसी के माध्यम से पहुंचा जा सकता था।” एजेंट नंबर टू ने कहा।
थ्री बोला—“ट्रेनिंग के दरम्यान हम लोगों के जहन में ठूंस-ठूंसकर यह बात भरी गई है कि उस सूत्र को किसी कीमत पर खत्म नहीं किया जाना चाहिए जिसके जरिए अंधेरे में डूबे रहस्यों तक पहुंचने की संभावना नजर आती हो—योगेश वैसा ही सूत्र था, नंबर फाइव उसके जरिए ट्रिपल जैड तक पहुंच सकता था।”
“मुमकिन है वह ट्रिपल जैड का भेद जान गया हो?” नंबर टू ने संभावना व्यक्त की।
“हां, ये हो सकता है।” नंबर वन की आंखें चमक उठीं—“उसे लगा होगा जो जानकारी योगेश से हासिल की जा सकती थी, की जा चुकी है और अब उसका जीवित रहना उसके लिए व्यर्थ ही नहीं नुकसानदेह भी है—ऐसी अवस्था में हमें सूत्र को नष्ट कर देने की ट्रेनिंग दी गई है—सम्भव है, नंबर फाइव ने इसी स्थिति में पहुंचकर उसे खत्म किया हो।”
“लेकिन मर्डर करने के बाद वह गुम कहां हो गया?”
“हां, ये सवाल उठता है—योगेश की वह गाड़ी पुलिस को एक स्थल पर खड़ी मिल गई है, जिसके जरिए नंबर फाइव घटनास्थल से फरार हुआ था—मगर खुद गायब है जबकि अगर वह ट्रिपल जैड का पता-ठिकाना या उसके बारे में कोई जानकारी प्राप्त कर चुका था तो अब तक यहां पहुंच जाना चाहिए था।”
“पुलिस ने क्या कम जाल बिछा रखा है?”
“पुलिस का जाल उसके लिए क्या मायने रखता है—पुलिस तो लुक्का को ही ढूंढ रही है न, और वह जिस क्षण चाहे लुक्का के व्यक्तित्व को अपनी जेब के हवाले कर सकता है।”
“बिल्कुल सही बात है और इस सही बात के गर्भ से यह सवाल पूरे जोर-शोर के साथ उभरता है कि नंबर फाइव यहां क्यों नहीं आया—कहां, किस चक्कर में उलझा हुआ है वह?”
“कहीं अकेला ही तो ट्रिपल जैड की छाती पर नहीं जा चढ़ा?”
“ऐसी मूर्खता की उम्मीद उससे नहीं की जानी चाहिए।”
“मेरे ख्याल से हमें उसका इंतजार करते रहने या डिस्कशन की जगह मैदान में उतरना चाहिए।” नंबर थ्री ने राय दी—“ढूंढना चाहिए उसे।”
“कहां ढूंढें?”
“सबसे पहले हम अपना ट्रांसमीटर ऑन करके पुलिस वायरलैस की ‘फ्रिक्वेंसीज’ कैच करने का प्रयास करते हैं—उससे पता लग जाएगा नंबर फाइव से संबंधित पुलिस के पास लेटेस्ट जानकारी क्या है?”
“अभी कैच करता हूं।” एजेन्ट नंबर वन ने जेब से माचिस जितना किंतु बेहद शक्तिशाली ट्रांसमीटर निकाल लिया, वह अपने प्रयास में जुट गया, जबकि नंबर फोर ने कहा—“इतनी सी इन्फॉरमेशन हासिल करने के लिए इतने बखेड़े की क्या जरूरत है—फोन उठाओ, कमिश्‍नर का नंबर डायल करो—अपना इन्ट्रोडक्शन दो और लेटेस्ट इन्फॉरमेशन मालूम कर लो।”
“कमिश्‍नर ये नहीं सोचेगा कि लुक्का जैसे टुच्चे बदमाश में हमारी क्या दिलचस्पी हो सकती है?”
“उस पर लुक्का का भेद खोल देने में क्या बुराई है?”
“दिमाग का दीवाला निकल गया है क्या?” नंबर फोर कह उठा—“कमिश्‍नर पर उसका रहस्य खोल देने की क्या तुक हुई—लुक्का वाले मेकअप का लाभ उठाकर इंस्पेक्टर तेजस्वी को परखने का काम भी तो चीफ ने नंबर फाइव को सौंप रखा है?”
“ओह!” नंबर वन उछल पड़ा—“कहीं वह अपने इसी काम को तो अंजाम नहीं दे रहा है?”
“क्या मतलब?” थ्री ने पूछा।
“ये प्वाइंट जमा दोस्तों, बात में वजन है।” नंबर वन का पूरा चेहरा दमक उठा था—“जिन हालात में इस वक्त लुक्का का व्यक्तित्व घिरा है, इंस्पेक्टर तेजस्वी को परखने के लिए उससे आदर्श सिच्युएशन नहीं हो सकती—अगर मैं लुक्का होता तो सीधा जाकर तेजस्वी से मिलता—मुंहमांगी रिश्वत का लालच देता और योगेश की हत्या के जुर्म से खुद को बचाने की रिक्वेस्ट करता—मेरा ख्याल है नंबर फाइव इस वक्त यही सब कर रहा होगा—हमें पुलिस की नहीं, इंस्पेक्टर तेजस्वी की लोकेशन मालूम करनी चाहिए—वह इस वक्त कहां है, क्या कर रहा है—निश्चित रूप से नंबर फाइव उसके आसपास कहीं होगा।”
तभी, ट्रांसमीटर से निकलकर पुलिस वायरलैस पर सरसरा रही आवाज पूरे कमरे में गूंजने लगी—“हैलो … हैलो … लुक्का को रेलवे स्टेशन पर देखा गया है—शायद वह प्रतापगढ़ से भागने की कोशिश कर रहा है—फोर्स स्टेशन पहुंचे—मैं वहीं पहुंच रहा हूं … अगर कमिश्‍नर साहब मेरी आवाज सुन रहे हों तो वे भी स्टेशन पहुंचें … ओवर … स्टेशन पहुंचें … ओवर एण्ड ऑल।”
चारों के चेहरे पत्थर की तरह सख्त हो गए थे।
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RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा - by desiaks - 12-31-2020, 12:23 PM

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