RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
“हैलो … हैलो … व्हाइट स्टार स्पीकिंग सर।” तेजस्वी अपनी रिस्टवॉच से छोटी सी कमानी बाहर निकाले जोर जोर से चीख रहा था—“व्हाइट स्टार … व्हाइट स्टार … ओवर।”
“यस … ब्लैक स्टार हीयर।” रिस्टवॉच से बहुत धीमा स्वर उभरा।
तेजस्वी ने कहा—“ठक्कर आ चुका है।”
“मीटिंग ली?”
“यस सर।”
“क्या रहा?”
“वह अब भी मुझ पर पूरा विश्वास नहीं कर पा रहा है—कह रहा था, यह सब ‘ब्लैक स्टार’ के द्वारा खाई गई कसम के कारण हो सका।”
“ओह!” चिंतित स्वर—“फिर?”
“चिंता न करें सर, इतना खतरा तो उठाना ही पड़ेगा।”
“चिरंजीव कब आ रहा है?”
“कल!”
“वैरी गुड।” ब्लैक स्टार की आवाज उभरी—“इधर तैयारियां कम्पलीट हैं।”
“जुंगजू के बारे में अभी तक कुछ नहीं सुना।”
“फिक्र मत करो, आज रात जुंगजू जेल से बाहर आ जाएगा—सुबह चार बजे वह मेरे पास होगा—उसके बाद तुम्हें केवल यह बताना है कि वह कब और कहां ‘एक्शन’ करे?”
“वह मैं सुरक्षा-व्यवस्था का भली-भांति अवलोकन करने के बाद बताऊंगा।”
“ठीक है।”
“ओ.के. सर।” कहने के साथ तेजस्वी ने कमानी रिस्टवॉच में सरका दी—उसकी इतनी सी हरकत से शक्तिशाली ट्रांसमीटर ऑफ हो चुका था—चेहरे पर नििश्चंतता के भाव लिए उसने एक सिगरेट सुलगाई और पहला ही कश लिया था कि सोफे पर आराम से पसरे ट्रिपल जैड ने कहा—“काफी छोटा लेकिन शक्तिशाली ट्रांसमीटर है।”
“ये रिस्टवॉच उसने मुझे जंगल ही में दे दी थी और उसके बाद से इसी के जरिए हमारा संपर्क बना रहा—इसी संपर्क के कारण मैं लगातार ब्लैक फोर्स से हुई जंग जीतता रहा, जिसके लिए आज चारों तरफ जय-जयकार हो रही है।”
“लेकिन अगर वह रिपोर्ट सही है जो तुमने अभी-अभी ब्लैक स्टार को दी, तो जाहिर है, ठक्कर तुम पर अभी तक विश्वास नहीं कर पा रहा है—इस अवस्था में आगे का काम काफी मुश्किल हो जाएगा।”
“हर काम मुश्किल होता है ट्रिपल जैड—मेरे द्वारा किए गए अब तक के काम क्या कम मुश्किल थे—अकेले ठक्कर के शंकित रहने से क्या फर्क पड़ता है—आज उसके चारों प्यादे, खुद कमिश्नर और प्रतापगढ़ का बच्चा-बच्चा ये मानता है कि मैंने ट्रिपल जैड को मार डाला, ब्लैक फोर्स को नेस्तनाबूद कर दिया, जबकि न ब्लैक फोर्स का कुछ खास बिगड़ा है और तुम तो सामने विराजमान हो ही—ठक्कर शंकाएं भले ही करता रहे मगर मेरा दावा है, न वह ब्लैक फोर्स से हुई मेरी जंग को ब्लैक स्टार से मिलकर लड़ी गई साबित कर सकता है, न ही यह कि हमने ट्रिपल जैड की लाश के रूप में उसे एक ऐसे शख्स की लाश परोस दी जिसे तुम्हारे देश से यहां केवल भेजा ही इन निर्देशों के साथ गया था कि उसे एक विशेष लिबास पहनकर दुश्मन की गोलियों द्वारा मर जाना है—अगर चिदम्बरम आत्महत्या न कर लेता तो वह चिदम्बरम को मार डालता—योजना के मुताबिक उसे न चिदम्बरम को जीवित अवस्था में दुश्मन के हाथ लगने देना था न खुद को।”
“और नंबर फाइव का रिवॉल्वर उसकी जेब से बरामद दिखाकर तुमने उसकी हत्या का इल्जाम भी हमेशा के लिए ‘ट्रिपल जैड’ के सिर मढ़ दिया।”
“क्या ये सारे काम आसान थे?” तेजस्वी ने पूछा।
“आसान तो खैर नहीं थे—मगर इन सबको तुमने इस ढंग से अंजाम दिया जैसे कुछ थे ही नहीं।”
“जब असली काम हो जाएगा तब वह भी ऐसा ही लगेगा जैसे कुछ था ही नहीं।” तेजस्वी के होंठों पर गर्वीली मुस्कान नृत्य कर रही थी—“मेरे काम करने की शैली ही ऐसी है—बड़े से बड़ा काम खुद को कम से कम खतरे में डालकर कर डालना मेरी खूबी है—अब देखो न, मैंने खुद को जरा भी खतरे में डाले बगैर लोगों की नजरों में उस ब्लैक फोर्स को ध्वस्त कर डाला जिसे छूने तक का स्वप्न कोई नहीं देख सकता—ठीक उसी तरह तुम देखोगे, ठक्कर मेरा बाल तक बांका नहीं कर पाएगा और चिरंजीव कुमार की लाश उसकी आंखों के सामने पड़ी होगी।”
“ऊपर वाला तुम्हें कामयाबी दे।”
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काले रंग की एम्बेसडर ने जेल का पूरा एक राउण्ड मारा, अंत में उस कोठरी के बाहर जाकर रुक गई जिसमें जेलर के मुताबिक देशराज और जेलर के साथ आए एक ए.के. सैंतालीसधारी के मुताबिक जुंगजू था—ए.के. सैंतालीसधारी पिछली और अगली सीटों के बीच छुपा हुआ था ताकि जेल स्टाफ का कोई अन्य सदस्य यह न ताड़ सके कि गाड़ी में जेलर के अतिरिक्त कोई है।
जेलर आहिस्ता से दरवाजा खोलकर बाहर निकला।
हालांकि वह बार-बार अपने दिल को यह समझाने का प्रयत्न कर रहा था कि वह कोई क्राइम नहीं कर रहा है बल्कि उसी स्कीम को अंजाम दे रहा है जो खुद कमिश्नर और देशराज ने बनाई थी मगर फिर भी, जाने क्यों दिल जोर-जोर से धड़क रहा था—सारा जिस्म पसीने से यूं सराबोर था जैसे क्राइम करने जा रहा हो।
ए.के. सैंतालीसधारी गाड़ी में रह गया था।
जेलर कोठरी का लॉक खोलकर अंदर पहुंचा।
अंधेरे में हथकड़ी और बेड़ियों की खड़खड़ाहट गूंजी, साथ ही जुंगजू की आवाज—“कौन है?”
देशराज ने आवाज की इतनी परफैक्ट नकल की थी कि एक बार को जेलर को लगा, कहीं कोठरी में किसी तरह वापस आकर जुंगजू ही तो बंद नहीं हो गया है—फिर, मन- ही-मन उसे अपने बेवकूफाना ख्याल पर अफसोस हुआ, जेब से टॉर्च निकालकर ऑन करता हुआ बोला—“हम हैं देशराज!”
“द-देशराज … कौन देशराज?” मानो जुंगजू ही गुर्राया हो।
“घबराओ नहीं देशराज।” जेलर ने प्रकाश दायरा उसके चेहरे पर टिकाए कहा—“यहां हम अकेले हैं।”
अब देशराज को खुलने में बुराई नजर नहीं आई, आंखों के आगे हाथ अड़ाकर चौंध से बचने का प्रयास करता बोला—“क्या सचमुच आप ही मुझे जेल से निकालने आए हैं?”
“हमारा सारा परिवार बंधक बना हुआ है, उनमें से एक बाहर मेरी गाड़ी में मौजूद है और तीन घर पर हैं।”
“ओह!” देशराज सब कुछ समझ गया, बोला—“उनकी इस हरकत से कम से कम एक बात तो दृढ़ता के साथ सिद्ध हो गई—यह कि हमारी स्कीम की उन्हें दूर-दूर तक भनक नहीं है—अब देर मत कीजिए जेलर साहब, उनकी नजर में अपने परिवार को बचाने की खातिर जल्द-से-जल्द मेरी हथकड़ी और बेड़ियां खोलिए।”
जेलर ने ऐसा ही किया।
देशराज के साथ बाहर आकर उसने कोठरी पुनः लॉक की—उधर अगला दरवाजा खोलकर जेलर ड्राइविंग सीट पर बैठा, इधर पिछला दरवाजा खोलकर गाड़ी में समाते देशराज ने जुंगजू की आवाज में कहा—“क्या शानदार योजना बनाई है ब्लैक स्टार ने, खुद जेलर साहब मुझे अपने साथ ले जा रहे हैं …।”
जेलर ने चुपचाप गाड़ी आगे बढ़ा दी।
ए.के. सैंतालीसधारी ने कहा—“मेरी तरह दोनों सीटों के बीच छुप जाओ जुंगजू।”
“तू कौन है बे?”
“तुम्हारा दोस्त, ब्लैक फोर्स का अदना-सा मैम्बर।”
“ओह, थैंक्यू दोस्त!” कहने के साथ वह भी दोनों सीटों के बीच घुसड़ गया।
न किसी प्रकार की कोई दिक्कत आनी थी, न आई—यहां तक कि गाड़ी आराम से जेल का फाटक पार करके सड़क पर आ गई—अब जेलर ने रफ्तार बढ़ा दी थी—जल्द-से-जल्द कोठी पर पहुंच जाना चाहता था वह।
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“जल्दी करो!” ठक्कर ने हैडलाइट पर नजरें टिकाए कहा—“जेलर की गाड़ी आ रही है।”
नंबर वन, टू और थ्री के जिस्मों में मानो बिजली भरी हुई थी—वे सड़क पर टाट की एक ऐसी पट्टी बिछाने में मशगूल थे जिसमें जगह-जगह बड़ी-बड़ी कीलें लगी हुई थीं—पट्टी को इस ढंग से सड़क पर बिछा रहे थे कि कीलों के नोकीले सिरे आसमान की तरफ घूरते रहें।
ठक्कर निरंतर नजदीक आ रही हैडलाइट्स पर नजरें टिकाए उत्तेजित अवस्था में चीखा—“हमारे पास अब केवल आधा मिनट है—उससे ज्यादा देर सड़क पर रहे तो हैडलाइट्स की हद में आ जाएंगे।”
“काम हो गया सर।” नंबर वन ने बेशुमार कीलयुक्त टाट की पट्टी सड़क पर बिछाने के बाद कहा और साथ ही सड़क के दाईं तरफ जम्प लगा दी—नंबर थ्री उसके पीछे लपका, जबकि ठक्कर और टू सड़क के बाईं तरफ को दौड़े।
वन और थ्री दो पेड़ों की आड़ में जा छुपे, हाथों में रिवॉल्वर नजर आने लगे थे।
ठक्कर और टू ने झाड़ियों के बीच छुपी मारुति जिप्सी की बैक में शरण ली—लिखने की आवश्यकता नहीं है कि उन दोनों के हाथों में भी रिवॉल्वर नजर आने लगे थे—आंखें नजदीक आती जा रहीं हैडलाइट्स पर स्थिर थीं।
पट्टी के नजदीक आते-आते सड़क पर तेजी से दौड़ रही एम्बेसडर के ब्रेक जोर से चरमराए, टायरों की चीख-चिल्लाहट रात के सन्नाटे को दूर तक बेधती चली गई—नजदीक पहुंचते-पहुंचते शायद जेलर की नजर पट्टी पर पड़ गई थी मगर पूरी ताकत से ब्रेक लगाए जाने के बावजूद गाड़ी को पट्टी से पहले न रोका जा सका।
चारों टायरों में कीलें धंस गईं।
हिचकोले खाती एम्बेसडर को रुकना पड़ा।
“क्या हुआ?” गाड़ी से निकलकर यह आवाज ठक्कर, नंबर वन, टू और थ्री के कानों तक पहुंची।
ड्राइविंग सीट से कहा गया—“पंक्चर।”
“इस खटारा गाड़ी के टायर कितने पुराने हैं जेलर?” कोई गुर्राया।
“टायरों का दोष नहीं है।”
“फिर?”
“सड़क पर ढेर सारी कीलें पड़ी थीं, वे शायद टायरों में धंस गई हैं।”
अचानक कार के अंदर मौजूद किसी ने गुर्राकर कहा—“नीचे उतरकर देख जेलर के बच्चे, आखिर हुआ क्या है—याद रख, अगर तू कोई चाल चलने की कोशिश कर रहा है तो वहां हमारे साथी तेरे सारे परिवार को खलास कर देंगे।”
“म-मैं सच कह रहा हूं।” जेलर गिड़गिड़ा उठा—“मैंने कोई चालाकी नहीं की।”
“तो सड़क पर कीलें कहां से आ गईं?”
एक अन्य स्वर—“किसी को क्या मालूम कि इस वक्त तू जेल से किसी कैदी को लेकर निकलेगा?”
“म-मैं कुछ नहीं जानता …?”
“गाड़ी से बाहर निकलकर देख, आखिर माजरा क्या है?”
ड्राइविंग डोर खुला—एक साया सड़क पर नजर आया।
ठक्कर ने कोहनियों के बल सड़क की तरफ रेंगना शुरू कर दिया—नंबर टू ने भी उसका अनुसरण किया—उधर हाथ में ऑन टॉर्च लिए जेलर कभी टायरों में धंसी कीलों को देख रहा था, कभी कीलयुक्त पट्टी को।
“क्या मामला है?” कार के अंदर से पूछा गया।
“कुछ समझ में नहीं आ रहा …।”
“ये जेलर का बच्चा दिमाग से पैदल मालूम पड़ता है!” इन दोनों के साथ पहले एम्बेसडर का पिछला वाला दायां गेट खुला, फिर बायां—एक साथ दो साए सड़क पर नजर आए।
रेंगने की रफ्तार तेज करता ठक्कर फुसफुसाया—“याद रखना, हमें इनमें से किसी को मारना नहीं है—जीवित गिरफ्तार करना है सबको।”
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