hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
12-31-2020, 12:27 PM,
#75
RE: hot Sex Kahani वर्दी वाला गुण्डा
अजीब से मॉडल की एक कार हिचकोले खाती हुई झावेरी नदी के किनारे-किनारे कच्चे रास्ते पर दौड़ी चली जा रही थी—अजीब से मॉडल की इसलिए कहा गया क्योंकि भरपूर दिमाग खपाने के बावजूद तेजस्वी पता नहीं लगा सका कि ऐसी कार देश या विदेश की किस कम्पनी ने तैयार की है?
कार के सामने की तरफ हैडलाइट्स के प्रकाश के अलावा तीनों तरफ अंधकार छाया हुआ था।
दूर-दूर तक सन्नाटा!
कार के अंदर भी केवल उसके इंजन की आवाज गूंज रही थी—तेजस्वी कार ड्राइव करते ब्लैक स्टार की बगल वाली सीट पर बैठा था—पिछली सीट पर पड़ी ट्रिपल जैड की लाश हिचकोले खा रही थी।
एकाएक तेजस्वी ने पूछा—“क्या हम सचमुच जंगल जा रहे हैं?”
“हम झूठ नहीं बोला करते।” ब्लैक स्टार ने संक्षिप्त जवाब दिया।
“ल-लेकिन!” तेजस्वी ने साहस करके कहा—“मेरे ख्याल से यह रास्ता जंगल की तरफ नहीं जाता!”
“जाता है!” ब्लैक स्टार ने केवल इतना कहा।
और फिर उसने एक सुनसान स्थान पर कार रोकी।
बैक गियर में डाली, ऐसी पोजीशन में ले आया कि हैड लाइट्स के झाग नदी के पानी पर थिरकने लगे—एकाएक तेजस्वी का दिल बहुत जोर-जोर से धड़कने लगा।
“अपनी तरफ का शीशा चढ़ा लो।” ब्लैक स्टार ने हुक्म दिया।
ये शब्द तेजस्वी के मुंह से बरबस निकल पड़ा—“क्यों?”
“जो कहा गया है वो करो!” लहजा सख्त हो उठा—“जवाब खुद मिल जाएगा।”
तेजस्वी को लगा, उसके हाथ ने दिमाग के आदेश के बिना वह काम कर दिया जो ब्लैक स्टार चाहता था—उसकी तरफ की खिड़की के अलावा गाड़ी के अन्य शीशे पहले ही से चढ़े हुए थे—उधर उसके हाथ ने अपना काम किया, इधर एक तेज झटका खाकर कार तेजी से सीधी नदी के पानी की तरफ झपटी।
“अ-रे …रे …ये आप क्या …?” हैरत में डूबे तेजस्वी के हलक से अस्पष्ट से शब्द बाहर निकलकर रह गए, जबकि क्षणभर के लिए हवा में लहराने के बाद कार छपाक से नदी के पानी पर टकराई और डूबती चली गई।
उस वक्त मारे आश्चर्य के तेजस्वी का बुरा हाल था जब उसने कार को ठीक किसी छोटी पनडुब्बी की तरह नदी के पानी के बीच सफर करते पाया—पानी में गाड़ी की हैडलाइट्स पर्याप्त न थीं—सो, तभी उसने ब्लैक स्टार को एक अन्य बटन दबाते देखा—परिणामस्वरूप पानी के अंदर रास्ता एकदम साफ नजर आने लगा।
“क-कमाल की गाड़ी है ये!” बुदबुदाने के साथ उसने ब्लैक स्टार की तरफ देखा—अपेक्षा थी वह जवाब में कुछ कहेगा परंतु कोई प्रतिक्रिया न पाने के कारण खुद उसे भी चुप रह जाना पड़ा।
ब्लैक स्टार का पूरा ध्यान ड्राइविंग में था।
तेजस्वी को लगा, ब्लैक स्टार के व्यक्तित्व में ऐसा कुछ है जिसके कारण वह उसके दिलो-दिमाग पर हावी होता जा रहा है।
उसने देखा, पनडुब्बी बनी कार कुछ देर नदी में सफर करने के बाद दूसरे किनारे पर मौजूद पानी से भरी एक गुफा में घुस गई—दोनों तरफ गुफा की दीवारें थीं और करीब चार मोड़ बाद कार ऐसे स्थान पर रुकी जिसके बारे में अगर यह कहा जाए तो गलत न होगा कि वहां गुफा खत्म थी।
ब्लैक स्टार ने डैशबोर्ड पर लगा एक लाल रंग का बटन दबाया—तेजस्वी न जान सका कि उसके दबाने पर कहां क्या प्रतिक्रिया हुई मगर इतना तो समझ ही सकता था कि कहीं न कहीं कुछ न कुछ जरूर हुआ होगा।
क्या हुआ है?
यह जानने के लिए उसका दिल असामान्य गति से धड़कने लगा।
खुद ब्लैक स्टार कुछ बता नहीं रहा था और उसकी हिम्मत सवाल करने की पड़ी नहीं।
बौखलाया सा तेजस्वी अभी गाड़ी के चारों तरफ नजर आ रहे पानी को देख रहा था कि बहुत ही हल्की-सी सरसराहट ने कानों को कुरेदा—ऐसा लगा जैसे कोई दीवार सरकी हो मगर ये शायद उसका वहम था—गाड़ी के तीन तरफ नजर आ रहीं दीवारें यथास्थान मौजूद थीं—अभी जहन उस आवाज का कारण खोज ही रहा था कि नजरें स्वतः कार की छत की तरफ उठ गईं—हालांकि कुछ नजर नहीं आया किंतु इस बार वह इतना समझ गया कि लोहे का कोई भारी कुन्दा कार की छत में उभरे किसी दूसरे कुन्दे में फंस गया है।
कार ऊपर उठने लगी।
जैसे क्रेन द्वारा उठाई जा रही हो।
कुछ देर बाद उसने कार को पानी से पूरी तरह बाहर एक गोल पथरीले कमरे के बीचों-बीच हवा में लटके पाया—नीचे की तरफ अर्थात कमरे के फर्श पर दीवारों के सहारे उसने ब्लैक फोर्स के वर्दी से लैस ए.के. सैंतालीसधारी देखे—उन्हीं में से एक को दीवार में लगा लाल बटन दबाते देखा।
पुनः दीवार सरकने जैसी आवाज।
इस बार तेजस्वी समझ गया—कमरे का फर्श और पानी से भरी गुफा की छत यथास्थान फिक्स होने जा रही थी, उसकी यह सोच उस वक्त सही सिद्ध हो गई जब हवा में टंगी कार धीरे-धीरे नीचे आने लगी और फर्श पर टिक गई।
“आओ!” कहने के साथ ब्लैक स्टार ने ड्राइविंग डोर खोलकर कमरे में कदम रखा।
ब्लैक फोर्स के सभी लोगों ने जोरदार सैल्यूट दिए।
तेजस्वी भी तेजी से अपनी तरफ का दरवाजा खोलकर बाहर निकला—देखा, इस गोल पथरीले कमरे की छत करीब पंद्रह फुट ऊपर थी और छत के बीचों-बीच लगी एक चर्खी पर वह मोटी जंजीर लिपटी जा रही थी जिसके सिरे पर क्रेन के कुन्दे जैसा भारी कुन्दा लगा हुआ था।
सारा सिस्टम स्वतः उसकी समझ में आ गया।
“आओ!” पुनः कहने के साथ ब्लैक स्टार गोल कमरे के एक दरवाजे की तरफ बढ़ा—तेजस्वी लपका—दरवाजा पार करके उन्होंने करीब बारह सीढ़ियां उतरीं—अब वे एक ऐसी गुफा में पहुंच गए जिसकी जमीन डाबर की तरह चिकनी थी।
दूर तक सीधी चली गई थी वह।
रोशनी ही नहीं सुरक्षा का भी भरपूर इंतजाम था—फर्श से करीब बीस फुट ऊपर मेहराबदार छत में जगह-जगह बल्ब लगे हुए थे—उसी तरह, दोनों तरफ की दीवारों से चिपके प्रत्येक तीस फुट पर वर्दीधारी सशस्त्र गार्ड खड़े थे।
सीढ़ियों के नजदीक एक सफेद रंग की मारुति वन थाउजैण्ड खड़ी थी।
तेजस्वी को समझते देर न लगी कि जिस दीवार में सीढ़ियां थीं उसके ठीक दूसरी तरफ पानी से भरी वह गुफा है जहां से विचित्र कार को कुन्देयुक्त जंजीर से उठाकर ऊपर खींचा गया था।
ब्लैक फोर्स के एक सैनिक ने आगे बढ़कर मारुति वन थाउजैण्ड का ड्राइविंग डोर खोल दिया।
ब्लैक स्टार ड्राइविंग सीट पर जा बैठा।
तेजस्वी बायां दरवाजा खोलकर उसकी बगल में।
उसके बाद जो मारुति ने गुफा में रेस लगाई है तो खुद तेजस्वी न गिन सका कि कितने मोड़ पार किए—बस इतना देख पाया कि गुफा में कदम-कदम पर सशस्त्र गार्ड और रोशनी की पूरी व्यवस्था थी।
उस वक्त चमत्कृत रह गया जब खुद को ठीक वहां पाया जहां जंगल में एक पेड़ की जड़ से शुरू होने वाली सीढ़ियां उतरने के बाद पाया था—सारा नक्शा उसकी समझ में आ गया।
इस वक्त वे जंगल के नीचे थे।
गाड़ी को एक स्थान पर छोड़कर ब्लैक स्टार उसे उसी कमरे में ले गया जहां पुलिस ऑफिसर्स को बेवकूफ बनाने के लिए उन दोनों ने बैठकर प्रतापगढ़ से ब्लैक फोर्स के सफाए, शुब्बाराव व थारूपल्ला की मौत और झावेरी का पुल उड़ाने की योजना बनाई थी। ब्लैक स्टार ने शानदार सोफा सेट की तरफ इशारा किया—“बैठो!”
“मेरी समझ में नहीं आ रहा आप मुझे यहां क्यों लाए हैं?”
उसके ठीक सामने बैठते हुए ब्लैक स्टार ने कहा—“क्योंकि अब तुम्हारा खुली दुनिया में जाना संभव नहीं है।”
“क-क्यों?” तेजस्वी ने पूछा—“ऐसा क्या हो गया है?”
“ठक्कर, बचे हुए स्पेशल गाड्र्स और कमिश्‍नर तक को मालूम हो चुका है कि चिरंजीव कुमार की हत्या के षड्यंत्र की अगवानी तुम कर रहे थे।”
“क-कैसे मालूम हो गया?”
“तुम शायद पांडुराम को भूल गए?”
“वो क्या कर सकता है?”
“वो अकेला कुछ नहीं कर सकता था मगर बहुत-सी बातों ने मिलकर सब कुछ कर दिया।”
“मैं समझा नहीं—पूरा किस्सा विस्तारपूर्वक बताइए।”
“विस्फोट के पंद्रह मिनट तक किसी की समझ में कुछ नहीं आया—चारों तरफ चीखो-पुकार और भगदड़ मची रही—हर शख्स को केवल अपने प्राण बचाने की परवाह थी—चिरंजीव कुमार की पार्टी के नेता और कार्यकर्ताओं तक को यह होश नहीं रहा कि जिसके जिन्दाबाद के नारे लगाते-लगाते उनके गले बैठ चुके थे वह कहां है—चारों तरफ खून, लाश बल्कि लाशों के टुकड़े बिखरे पड़े थे—भागने के लिए लोगों ने चारदीवारी का गेट तक खोल दिया था।”
“क्षमा करें, वह सब मुझे मालूम है—उसी अफरा-तफरी का लाभ उठाकर मैं वहां से गायब होकर ट्रिपल जैड के पास पहुंचा था।”
“अब तुम्हारे वहां से गुम हो जाने के बाद का किस्सा शुरू होता है।” ब्लैक स्टार कहता चला गया—“चिरंजीव कुमार की लाश की शिनाख्त सबसे पहले उसकी पार्टी के शहर अध्यक्ष ने की—वह भी चिरंजीव कुमार के जूते से—खून सने मानव अंगों के बीच पड़ी एक ऐसी टांग को देखते ही वह चिल्ला उठा जिसमें मौजूद जूते को वह पहचानता था—जैसे ही चीखा—‘हमारे नेता नहीं रहे’ वैसे ही अफरा-तफरी और भगदड़ पर कुछ अंकुश लगा—लोग पागलों की तरह पूछने लगे—‘हमारा नेता कहां है … हमारा नेता कहां है?’ मगर नेता तो बोटी-बोटी हुआ लहू के तालाब में पड़ा था—जब लोगों को वास्तविकता का भान हुआ तो छातियां पीट-पीटकर रोने-चिल्लाने लगे—वातावरण चीत्कारों से भर गया—पागल-से हो चुके वे लोग चिरंजीव कुमार का सिर और धड़ ढूंढने लगे।”
तेजस्वी गंभीरतापूर्वक अपना कारनामा सुन रहा था।
“फिर ठक्कर, कमिश्‍नर, बचे हुए स्पेशल गाड्र्स और अन्य पुलिस ऑफिसर्स चेते—व्यवस्था बनाने के लिए उनकी समझ में जो आया किया—लोगों को लाशों के ढेर से दूर हटाया, एम्बुलैंस के लिए फोन किया—चिरंजीव कुमार और तुम्हारी पत्नी सहित कुल मिलाकर बीस आदमियों के मरने और बारह के घायल होने की सूचना है। लाशें और मानव अंगों के टुकड़े खून के तालाब में एक-दूसरे से गड्ड-मड्ड हुए पड़े थे, पुलिस ने बड़ी मुश्किल से घायलों और चिरंजीव कुमार की लाश के टुकड़ों को अलग-अलग जगह से उठाकर एक जगह जोड़ा और अस्पताल भेजा।”
“उन टुकड़ों को अस्पताल ले जाने की क्या जरूरत थी?”
“जो उनकी समझ में आया, किया—इसमें हम क्या कर सकते हैं?”
“खैर, उसके बाद?”
“ठक्कर, कमिश्‍नर, डी.आई.जी., एस.एस.पी. और एस.पी. आदि उसी समय एक-दूसरे से पूछने लगे थे कि तेजस्वी कहां है—किसी को पता होता तो बताता—ढूंढने की कोशिश की गई—जाहिर है, तुम नहीं मिले—एम्बुलैंस के साथ वे अस्पताल पहुंचे—एक बार फिर तुम्हारी चर्चा चली तो ठक्कर ने शंका व्यक्त कर दी—‘मेरे ख्याल से उसे मालूम था कि क्या होने वाला है?’
‘हो सकता है।’ कमिश्‍नर कह उठा—पांडुराम कह भी रहा था।
‘कौन पांडुराम?’ ठक्कर उछल पड़ा।
‘एक हवलदार है।’
‘क्या कह रहा था वो?’
“कमिश्‍नर ने सब कुछ बता दिया—सुनकर ठक्कर पागल हो उठा चीखा—‘उफ् … यह सब कुछ मुझसे छुपाकर आपने क्या बेवकूफी की—पांडुराम ठीक कह रहा था—सब कुछ तेजस्वी का ही किया धरा है, गुलाब के पौधे की जड़ में रिवॉल्वर को उठाने की कोशिश किसी ने नहीं की—जीप पर किसी ने कोई फायर नहीं किया—वह शख्स ब्लैक स्टार नहीं बल्कि स्टार फोर्स का छोटा-सा प्यादा है जिसे हमने कॉलर उल्टा मोड़ने के जुर्म में ब्लैक स्टार समझकर गिरफ्तार कर लिया। हर घटना स्पष्ट कर रही है वह सारा ड्रामा नकली था—तेजस्वी द्वारा हमें नकली योजना में भटकाया गया—असल में हत्या उसकी बीवी को करनी थी इसलिए जीप से उतरते ही अपनी बीवी को नहीं पकड़ा।’ ऐसे बहुत-से प्वाइंट ठक्कर ने पलक झपकते ही उठा दिए जिन्हें मिलाने पर एकमात्र नतीजा यह निकला, कि चिरंजीव कुमार के हत्यारे तुम हो।”
“मुझे मालूम था, यह हरामी का पिल्ला ऐसा कर सकता है।”
“सुना है ठक्कर ने खुद पांडुराम से बात की और उसके बाद तो उसे इसमें कोई शक ही नहीं रह गया कि हत्यारे तुम ही हो—फार्म हाउस की चारदीवारी के अंदर हुए विस्फोट की आवाज सारे राष्ट्र को झकझोर चुकी है, लोग जाग चुके हैं, त्राहि-त्राहि मची हुई है—ट्रांसमीटर, वायरलेस, टेलीप्रिन्टर्स, फोन और संचार के प्रत्येक माध्यम पर केवल एक ही सूचना इधर-से-उधर दौड़ रही है—यह कि एक बम विस्फोट में चिरंजीव कुमार मारे गए और उनकी हत्या के जुर्म में तेजस्वी नामक एक इंस्पेक्टर की जोर-शोर से तलाश जारी है—बोलो, क्या इस अवस्था में तुम बाहर की दुनिया में कदम रखकर जीवित रह सकते हो?”
“मेरे माता-पिता कहां हैं?”
“पुलिस द्वारा उनसे पूछताछ की जा रही है।”
“और मेरी बेटी तो यहां होगी ही?”
“सो तो तुम्हें मालूम ही है।”
ब्लैक स्टार ने जो कुछ बताया, उसे सुनकर तेजस्वी के चेहरे पर हवाइयां नहीं उड़ीं—केवल चिंता के लक्षण नजर आ रहे थे—जबकि ब्लैक स्टार के मतानुसार जो कुछ उसने बताया उसे सुनकर तेजस्वी के होश उड़ जाने चाहिए थे।
जब काफी देर तक ब्लैक स्टार ने उसे सोचों में ही डूबा पाया तो बोला—“क्या सोच रहे हो?”
“बाहर की दुनिया में जाए बगैर मेरा काम नहीं चलेगा।”
“मतलब?”
“अगर मैं नहीं मिला तो वे टॉर्चर करते-करते मेरे माता पिता को मार डालेंगे।”
“अगर वे ऐसा प्रयास करते हैं तो हम किसलिए हैं—ब्लैक फोर्स नामक ये ऑर्गेनाइजेशन किसलिए है?”
“मतलब?”
“हमारे चंद मरजीवड़े तुम्हारे मां-बाप को उनके चंगुल से निकालकर यहां ले आएंगे।”
“उसके बाद?”
“उन सहित तुम्हें इस देश से निकालने और जिस देश में चाहोगे, स्थापित करने की जिम्मेदारी हमारी।”
“निःसंदेह आप मुझ पर बहुत बड़ी मेहरबानी करने के लिए तैयार हैं और मैं इसके लिए आपका एहसानमंद हूं।”
“ये कोई मेहरबानी नहीं तेजस्वी बल्कि एक सैटिंग है।” ब्लैक स्टार ने साफ लफ्जों में कहा—“हमें तुम्हारे जैसे टेलैन्टिड आदमी की जरूरत है—जिस देश में चाहो हम उसी देश में अपने हक में तुम्हें कोई काम सौंप देंगे … उस काम की मुंहमांगी कीमत भी मिलेगी।”
“फिर भी, वह जिंदगी कोई जिंदगी नहीं होगी जिसमें मरते दम तक मेरी गर्दन पर ये तलवार लटकती रहे कि जाने कब चिरंजीव कुमार के हत्यारे के रूप में मेरी पहचान हो जाए और उस देश की पुलिस मुझे गिरफ्तार करके इस मुल्क को सौंप दे।”
“हम गारंटी दे सकते हैं, ऐसा कभी नहीं होगा।”
“हालांकि आपका ऑफर आकर्षक है लेकिन …।”
“लेकिन?”
“मुझे ऐसी जिंदगी गुजारना कुबूल नहीं।”
“तो क्या फांसी के फंदे पर झूल जाना पसंद है?”
“जिसे ये बात पसंद होगी उसका नाम गिनीज बुक वालों को सबसे टॉप पर लिखना पड़ेगा।”
“लगता है तुम अपना नाम गिनीज बुक में टॉप ही पर लिखवाना चाहते हो—तुम्हारे एक बार यहां की पुलिस के चंगुल में फंस जाने का सीधा अर्थ है, भविष्य में फांसी के फंदे पर झूल जाना।”
“क्षमा करें सर, मैं ऐसा नहीं समझता।”
“वजह?”
“कृपया ‘सिच्युएशन’ से प्रभावित या आतंकित हुए बगैर गौर करें!” तेजस्वी अपने एक-एक शब्द पर जोर डालता हुआ बोला—“चिरंजीव कुमार की हत्या के जुर्म में वे मुझे फांसी तो क्या एक मिनट की सजा नहीं दिला पाएंगे।”
“वे खुलेआम तुम्हें रेडियो, टी.वी. पर चिरंजीव कुमार के हत्यारे के रूप में प्रचारित कर रहे हैं।”
“क्या उनके इस प्रचार से मैं हत्यारा सिद्ध हो जाऊंगा?”
“यानि?”
“ये ठीक है वे जान चुके हैं मैं चिरंजीव कुमार का हत्यारा हूं, मगर जरा इस देश के कानून पर गौर फरमाइए, किसी के कुछ जानने से मेरे जैसे आदमी का कुछ नहीं बिगड़ सकता। आम लोगों की बात तो छोड़ ही दीजिए, अगर वह जज भी आपके कारनामों को अच्छी तरह जानता हो जिसकी अदालत में आपका मुकदमा है तो वह तब तक आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकता जब तक आप पर लगाया गया आरोप सिद्ध न हो जाए—मेरा जोर सिद्ध होने पर है—महत्त्वपूर्ण किसी का जानना नहीं बल्कि मुझे अदालत में चिरंजीव कुमार का हत्यारा सिद्ध कर देना है और मुझे दूर-दूर तक दिमाग घुमाने के बावजूद ऐसा कोई प्वाइंट नजर नहीं आ रहा जिसके बूते पर कोई माई का लाल इस देश की किसी भी अदालत में मुझे हत्यारा सिद्ध कर सके।”
निःसंदेह ब्लैक स्टार सोचों में डूब गया—पांच मिनट डूबा रहा वह और सोचते-ही-सोचते उसकी विचित्र आंखें जुगनुओं की मानिन्द जगमगा उठीं, बोला—“गुड … वैरी गुड तेजस्वी—अनुकूल परिस्थितियों में सही निर्णय लेने वाले को बुद्धिमान कहते हैं, परंतु जो विपरीत परिस्थितियों में खरे निर्णय ले वह जीनियस होता है—और इस वक्त तुमने सिद्ध कर दिया कि तुम जीनियस हो।”
तेजस्वी को ब्लैक स्टार पर ‘हावी’ होना अच्छा लग रहा था। जितना आनंद उसे ब्लैक स्टार को अपने दिमाग का लोहा मनवाने में आ रहा था उतना पहले कभी नहीं आया था—दिमागी स्तर पर ब्लैक स्टार को अपने से ‘बौना’ साबित करने पर आमादा तेजस्वी ने आगे कहा—“आपका अंतिम लक्ष्य यमनिस्तान की स्थापना है न?”
“ये सवाल बार-बार क्यों पूछ रहे हो?”
“क्योंकि आप वर्षों के संघर्ष के बावजूद आज तक इस लक्ष्य को प्राप्त न कर सके।”
“इतने बड़े लक्ष्य को हासिल करने में टाइम लगता है।”
तेजस्वी ने तपाक से कहा—“जबकि मैं चंद महीनों में आपका यमनिस्तान आपको दे सकता हूं।”
“क-क्या?” वह शख्स बुरी तरह चौंक पड़ा जिसे कभी किसी ने हल्के से भी चौंकते नहीं देखा था—“क्या कह रहे हो तुम?”
“छोटा मुंह बड़ी बात है सर, लेकिन मैं यकीनन ये चमत्कार करके दिखा सकता हूं।”
“कैसे?”
“बस, आपकी थोड़ी-सी मदद की जरूरत पड़ेगी।”
“मदद की क्या बात कर रहे हो तेजस्वी—थोड़ी-सी क्या, जितनी चाहो मदद मिलेगी—मगर योजना क्या है?”
“इस देश के कानून, संविधान और व्यवस्था में उससे कहीं ज्यादा छेद हैं जितने आटा छानने की छलनी में होते हैं—अगर मेरे जैसा फितरती शख्स उनसे लाभ उठाकर कुछ करना चाहे तो जो चाहे कर सकता है—इस सच्चाई का इल्म आपको मेरी योजना सुनने के बाद हो जाएगा।”
“अब अगर तुमने योजना सुनाने में देर की तो हम पागल हो सकते हैं।”
“तो सुनिए।” कहने के बाद जब तेजस्वी शुरू हुआ तो सांस लेने को भी तभी रुका जब बात पूरी कर चुका और उसकी बात पूरी होने के बहुत पहले बल्कि तभी से ब्लैक स्टार की अनोखी आंखों की ज्योति बढ़नी शुरू हो गई थी जब तेजस्वी ने अपनी बात शुरू की—योजना का अंत होते-होते तो उसकी वे आंखें बाकायदा यमनिस्तान के झण्डे को शान से हवा में फहराता देखने लगीं—उधर तेजस्वी चुप हुआ, इधर ब्लैक स्टार मारे खुशी के झूमता हुआ कह उठा—“तुम्हारी ये बात सुनने के बाद केवल एक ही बात कही जा सकती है तेजस्वी—यह कि ऊपर वाले ने तुमसे ज्यादा तेज दिमाग वाला दूसरा शख्स इस धरती पर नहीं भेजा।”
“अब आप शायद मेरी खिंचाई पर उतर आए?”
“नहीं तेजस्वी!” ब्लैक स्टार पूरी तरह गंभीर था—“ये हमारे दिल की आवाज है।”
“तो फिर मुझे प्रतापगढ़ भेजने की व्यवस्था कीजिए, योजना पर अमल शुरू किया जाए।”
“यमनिस्तान स्थापित करने की कीमत?”
“लक्ष्यप्राप्ति से केवल एक घंटा पहले बताऊंगा।”
“हमें मंजूर है, सब कुछ मंजूर है तेजस्वी—जो कीमत मांगोगे मिलेगी।”
“तो देर न कीजिए।” तेजस्वी ने एक सिगरेट सुलगा ली—“आखिर मुझे एक बड़ा काम करना है।”
“उससे पहले हम अपने एक सवाल का जवाब चाहेंगे।”
“पूछिये।”
“योजना ‘मानव बम’ द्वारा चिरंजीव कुमार को उड़ा देने की थी—इस काम के लिए हमारे पास मरजीवड़ों की कोई कमी न थी—हमने कहा भी था, ये काम कोई भी कर सकता है—मगर तुम नहीं माने, खुद कहा कि अरुणा को मार डालने की धमकी देकर यह काम तुम्हारी पत्नी से कराएं—तुमने पूरे विश्वास के साथ यह भी कहा था कि इस धमकी के समक्ष वह घुटने टेक देगी—भले ही मजबूर होकर करे मगर ये काम उसे करना पड़ेगा।”
“क्या मैंने गलत कहा था?”
“गलत तो नहीं कहा था लेकिन …।”
“आप शायद यह जानना चाहते हैं कि मैंने शुभा को ही क्यों चुना, अपनी पत्नी की बलि क्यों की?”
“यह सवाल हमने तुमसे उस वक्त भी पूछा था मगर तुम यह कहकर टाल गए कि वक्त पर जवाब दोगे, क्या अभी वक्त नहीं आया है?”
“आ चुका है।”
“तो जवाब दो, चिरंजीव कुमार के साथ तुमने उसे क्यों मार डाला?”
“चिंकापुर में मेरी गैरमौजूदगी का लाभ उठाकर एक पड़ोसी से इश्क लड़ा रही थी साली!” कहते वक्त तेजस्वी के चेहरे पर साक्षात् आग धधकती नजर आई—“और समझती थी मुझे कुछ नहीं मालूम।”
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तेजस्वी को मालूम था, जो वातावरण उसके खिलाफ सारे देश में बन चुका है उसके रहते अगर इस वक्त उसे कोई पहचान ले तो पब्लिक हाथ-पैरों से ही पीट-पीटकर मार डालेगी। अतः किसी की भी नजर में आए बगैर सीधा शांडियाल की कोठी पर पहुंचा—वहां तैनात सब-इंस्पेक्टर उसे देखकर इस तरह उछल पड़ा जैसे भूत देख लिया हो—बुरी तरह हड़बड़ाकर उसने अपनी गन तेजस्वी की तरफ तान दी, दहाड़ा—“हैन्ड्स अप … आई से हैन्ड्स अप!”
“मैं यहां खुद को गिरफ्तार कराने ही आया हूं बच्चे!” कहने के साथ तेजस्वी ने अपने हाथ हवा में उठा लिए।
सब-इंस्पेक्टर दंग रह गया और उस वक्त तो आश्चर्य के कारण उसका बुरा हाल था जब तेजस्वी को जरा भी विरोध करता न पाया—कुछ देर बाद पुलिस वायरलेस पर उसकी गिरफ्तारी का समाचार इधर-से-उधर दौड़ रहा था।
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