RE: Mastaram Stories पिशाच की वापसी
पिशाच की वापसी – 12
"तुम इंसान कुछ नहीं बिगाड़ सकते मेरा, कुछ नहीं"
भारी आवाज़ में बोलते हुए उस पिशाच ने अपना हाथ उपर किया और उसने ऐसे ही इशारा किया मानो अपने नाखून से कुछ कुरेद रहा हो, हुआ भी यही जैसे ही उसने हाथ से इशारा किया वैसे ही जावेद के हाथ उसके गले पे चले गये, उसकी आँखें बाहर निकलने को हो गयी, उसके हाथ के पीछे से खून की धारा बहने लगी, जावेद को सांस लेने में तकलीफ होने लगी,
वह पिशाच आगे बढ़ता जा रहा था, उसने अपने हाथ से एक बार फिर इशारा किया और जावेद के ठीक पीछे ज़मीन से मिट्टी हटने लगी और कुछ ही सेकेंड में एक गहरा गढ़ा बन गया, फिर उसे रूह ने हाथ से एक ऐसा इशारा किया मानो धक्का दिया हो, जावेद सीधे उसे गढ्ढे में जा गिरा.
“आआआआहह"
उसके मुंह से एक जोरदार चीख निकली, जावेद पीठ के बाल उसे मिट्टी के गढ्ढे में गिरा हुआ था और उसके गले से खून बह रहा था, बारिश का पानी उस गढ्ढे में भरने लगा, जावेद की आँखें आधी खुली हुई थी, उसे सांस लेने में भी तकलीफ हो रही थी, उसकी आँखें बंद होती उससे पहले उसने उस काले साये को देखा जो हवा में उड़ता हुआ आया और सीधे जावेद के घुटनों पे जा गिरा …
तड्द्ड़…तद्द्द्द्द्द्दद्ड.. कर के जावेद की हड्डियाँ चूर चूर हो गयी और उसके मुंह से एक ज़ोर दार चीख निकल पडी, उसका चेहरा ज़मीन से काफी उपर उठ गया, आँखों से आँसू निकल के साइड में गिरने लगे.
"ये वक्त मेरा है, तुम इंसान मेरे गुलाम हो गुलाम"
वह पिशाच एक बार फिर अपनी उस खौफनाक आवाज़ में चिल्लाया और आसमान में एक बार फिर बिजली ने कड़कड़ाना शुरू कर दिया, उसने हाथ से इशारा किया और एक साथ ढेर सारेी मिट्टी उसे गढ्ढे में भरने लगी, जावेद का शरीर मिट्टी में धसने लगा वह अपनी गर्दन उपर कर रहा था जिससे सांस ले पाए, उसकी आँखें आधी खुली थी जिसमें वह उस पिशाच को थोड़ा थोड़ा देख पा रहा था, मौत उसके करीब थी, दहशत उसकी आँखों के सामने था लेकिन फिर भी जबान पे वह अनमोल शब्द थे,
"अल्लाह बक्श देना इसे"
जावेद इतना ही कह पाया की उस रूह ने अपना हाथ उठाया और जावेद की छाती के बीचों बीच घुसा दिया जावेद की साँसें वहीं रुक गयी, लेकिन भड़के हुए पिशाच को अभी कुछ और चाहिए था, उसने अपने हाथ को पीछे खिच के उस छाती के मास को फाड़ डाला और अपना हाथ डाल के उसमें से जावेद के लंग्ज़ को उखाड़ के बाहर निकल लिया.
"याआआआआआअ…. अहहहहहहा, अल्लाह से बड़ा है शैतान, शैतान अहाहाहहाह... में आ गया हूँ वापिस, हा, आ गया हूँ में, आहाहहा..."
वह आसमान की तरफ देख के गुर्राता रहा, उसकी आवाज़ में एक खौफ था, एक गुस्सा था और एक संदेश था की इंसान अब शैतान का गुलाम बनेगा, उस गढ्ढे में पानी और मिट्टी भरती गयी, और कुछ ही पलों में वहां कुछ नहीं बचा ना ही जावेद और ना ही वह पिशाच..
"खीखीखीखीखीखीखीखीखी"
बारिश की हँसी के साथ उस पिशाच की आवाज़ पूरे जंगल में गूँज उठी, शायद ये हँसी आने वाले वक्त में तड़पते हुए इंसानो की मौत की हँसी थी.
पिंक सूट में भागती हुई वह सीडिया चढ़ रही थी, हाथों में पहनी चूड़ियां भागने की वजह से छन छन कर रही थी, उसके सूट की चुन्नी नीचे ज़मीन पे घिसती हुई जा रही थी, चेहरे पे मासूमियत बिखर रही थी लेकिन साथ ही साथ उसपर चिंता और परेशानी की लकीरें भी थी, भागती हुई वह एक कमरे के सामने रुकी जिसका दरवाजा बंद था, उसने अपने काँपते हुए हाथ आगे बड़ा के डोर को खोला, डोर खुलते ही अंदर से एक नर्स उसकी तरफ देखती हुई बाहर निकल गयी, उसने सामने देखा तो पलंग पे वह सो रही थी बड़ी शांति से, मानो दुनिया की कोई खबर ही ना हो, उसकी आँखें बंद थी, चेहरे पे ऑक्सिजन मास्क लगा हुआ था, डोर से सामने का नज़ारा देख के उसकी आँखों से आँसू की बूंदे बाहर छलक आई, धीरे धीरे कदमों से वह रूम में एंटर हुई और बेड के पास आकर बैठ गयी…..
उसने अपने हाथ आगे बढाये और उसके माथे पे रख के उसने अपनी प्यारी सी बेहद धीमी आवाज़ में उसका नाम पुकारा.
"नीलू “………. अंशिका ने नीलू के माथे पे हाथ फेरते हुए कहा, कुछ सेकेंड बाद नीलू ने धीरे धीरे आँखें खोली और अंशिका की तरफ देख के मुस्कुराईं, अंशिका भी उसे देख के मुस्कुराईं पर उसके चेहरे पे अभी भी एक परेशानी, दुख दिखाई दे रहा था.
"नीलू सब ठीक हो जाएगा, प्लीज़ तुम हिम्मत रखो"
बोलते हुए अंशिका का गला भारी हो गया.
अंशिका की बात सुन के नीलू की आँखों से आँसू निकल के साइड से होता कहीं खो गया, नीलू ने अपने काँपते हाथों से फेस पे लगा मास्क हटा दिया.
"हा……."
नीलू ने एक गहरी सांस ली और फिर अंशिका को देखती हुई उसके चेहरे पे हल्की सी मुस्कान आ गयी.
"अंशिका"
नीलू ने इतना ही कहा की उसे सांस लेने में तकलीफ होने लगी,"
"नीलू, डॉक्टर..!!
अंशिका चिल्लाई.
"नहीं, नहीं प्लीज़ अंशिका अब नहीं, मुझे तुझसे ही बात करनी है, ज्यादा टाइम नहीं है मेरे पास"
बोल के नीलू अंशिका को घूरने लगी, अंशिका के कानों में नीलू की कही हुई बातें घूमने लगी
"नहीं नीलू ये क्या बोल रही हो, तुम्हें कुछ नहीं होगा प्लीज़ ऐसा मत बोलो"
बोलते हुए उसने नीलू का हाथ पकड़ लिया, उसकी आँखों से आँसू एक बार फिर बाहर आने लगे.
"नहीं अंशिका, शायद ये सही वक्त है, वह मुझे याद कर रहा है बहुत और उसे ज्यादा में..."
बोलते हुए उसे प्यारे चेहरे पे दुख की परछाई छा गयी और आँखों से वह प्यार के कुछ अनमोल याद बाहर आ गयी, शायद दुख था, बिछड़ने का.
"नहीं नीलू वह कभी नहीं चाहेगा, की तू उसके पास आये, हि ऑल्वेज़ वांटेड यू टू बी हॅपी, प्लीज़ तू ऐसा मत कर, प्लीज़ हम सब का क्या होगा नीलू प्लीज़"
रोते हुए अंशिका ने नीलू को समझाया.
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