RE: XXX Kahani अनौखा समागम अनोखा प्यार
अपडेट -- 73
.
कहानी अब तक --
.
मैं सब को बता कर, कार लेकर वहाँ से निकला, ऑर वहाँ से टेलेपॉर्ट होकर गुरुजी के प्लॅनेट पर पहुँच गया, मैने गुरुदेव के चरण स्पर्श किए, ऑर अपने आने का मकसद बताया,
गुरुजी भी बिना किसी विलंब के मेरे साथ चल दिए, ओर कुच्छ हो पलों मे हम हवेली के बाहर कार मे बैठे थे, मैने कार अंदर कर ली, ऑर
गुरुजी को लेकर अंदर पहुँचा.
उनको सभी से मिला कर खुद तय्यार होने अपने रूम मे चला गया, जहाँ पर राजू टल्ली पड़ा था.
.
अब आगे --
मैने जाकर उसकी गान्ड पे एक लात मारी, जिससे वो एकदम से उठ कर बैठ गया.
.
मैं - साले, आज सगाई है मेरी, ऑर तू टल्ली होकर पड़ा है.
.
राजू - अबे मैं तो वैसे ही आराम कर रहा था, 2 - 4 बीयर मे मुझे क्या होने वाला है.
.
मैं - तू दूसरे रूम मे जाकर तय्यार हो, यहाँ पर मैं तय्यार हो रहा हूँ.
.
राजू भी चला गया, ओर मैने मानसी को फोन करके रूम मे बुलाया.
.
मानसी (रूम मे एंटर करते हुए)- जी भाई, जल्दी बोलिए, मुझे तय्यार भी होना है.
.
मैं - जब मैं ही तय्यार नहीं होऊँगा, तो तुम क्या जल्दी तय्यार होकर आचार डालोगी.
.
मानसी - हां तो बोलिए क्या चाहिए?
.
मैं (शरारत से)- जो माँगूंगा दोगि.
.
मानसी (अपनी आखें टीम-टिमाते हुए)- हाए, साजन जी माँग के तो देखो.
.
मैं - लाओ तो जो मेरे लिए शॉपिंग की थी वो ले आओ.
.
मानसी (नखरे से)- हुह! लाती हूँ...
.
वो जाने लगी तो मैने उसका हाथ खीचकर अपनी बाहों मे भर लिया..
ऑर उसके होठों पर एक किस कर दिया.
.
जिससे उसके चेहरे पर मुस्कान फैल गयी,
फिर वो मेरे कपड़े वगेरह लेने रूम से बाहर निकल गयी, मैं भी फटाफट वॉशरूम मे घुसकर फ्रेश हो गया.
.
जब मैं बाथरूम से बाहर निकला तो बेड पर मेरे कपड़े रखे हुए थे,
जो मैने पहेन लिए, अब ऑलमोस्ट 15 - 20 मिनिट बचे थे सगाई की रस्म शुरू होने मे.
मैं फाइनल टच देकर नीचे चल दिया.
.
नीचे पहुँचते ही सभी ने मेरे ड्रेस ऑर ड्रेसिंग सेन्स की खुलकर तारीफ की, जिससे मैं ब्लश करने लगा.
ऑर फिर प्रिया को भी लाया गया.
मैं तो उसको देखकर देखता ही रह गया.
.
ऐसा लग रहा था जैसे स्वर्ग से साक्षात देव-कांता धरती पर आ गयी हो.
मैं उसी मे खोया हुआ था तो बुआ जी ने मेरे हाथ पर पिंच किया, जिससे मैं वापस प्रेज़ेंट मे आ गया.
.
बुआ जी - अरे कब से मेरी बेटी को ताडे जा रहा है, बेटा अभी सगाई भी नहीं हुई ऑर ये हाल है, शादी के बाद तो तू पागल ही हो जाएगा.
.
मैं (अपने दिल पर हाथ रखकर आक्टिंग करते हुए)- हाए! बुआ जी, आप की बेटी ने जादू सा कर दिया है, अब ये दिल मेरे काबू मे कहाँ है.
.
मेरी बात से प्रिया ने अपना चेहरा शरम से ढक लिया,
ऑर बाकी सब हँसने लगे.
.
बुआ जी (मुझे हल्के से चपत लगाते हुए)- बेशर्म, बदमाश... तू नहीं सुधरेगा.
.
मैं - हाए! सुधरना कों चाहता है सासू जी, अब तो आपकी बेटी ही सुधारेगी.
.
ऐसे ही मसखरी करते हुए सगाई की रस्म शुरू हुईं.
.
मेरे कहने पर दादा जी ने बाहर के कोई गेस्ट नहीं बुलाए थे,
गुरुजी ने पूजा शुरू की ओर
पूजा के बाद मैने ऑर प्रिया ने रिंग्स एक्सचेंज की,
फिर हमने गुरुजी संहित सभी बड़ों का आशीर्वाद लिया .
फिर सभी ने मिलकर खूब धमाल किया..
लीज़ा ऑर मेनका तो सबसे ज़्यादा खुश थीं, क्योंकि उनके लिए ये सब नया था.
बुआ जी ऑर फ़ूपा जी की खुशी का तो ठिकाना ही नहीं था.
पूरा परिवार फुल हॅपी था.
.,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
उधर उसी गाँव की एक हवेली मे -
.
एक आदमी गुस्से से इधर - उधर टेहल रहा था, ऑर उसके पास मे ही कुच्छ आदमी सर झुकाए खड़े थे.
.
ये आदमी ओर कोई नहीं बल्कि रंजीत का बेटा ऑर बुला का बाप राजेश था,
जिस वखत रॉकी ने उन दोनो को जैल भिजवाया था उस वखत वो आउट ऑफ इंडिया था.
.
राजेश (ज़ोर से दहाड़ते हुए अपने आदमियों से)- जिस की वजह से मेरे बाबू जी ऑर मेरा एकलौता बेटा जैल मे हैं, उनके घर मे खुशी की
शहनाई कैसे बज सकती है, जाओ ऑर जाकर इस खुशी को मातम मे बदल दो.
.
एक आदमी (सर झुकाए हुए)- सरकार, जान की सलामती हो तो कुच्छ अर्ज़ करूँ?
.
राजेश - निडर होकर बोल
.
वो आदमी - माफी चाहता हूँ सरकार, छोटा मूह ऑर बड़ी बात,
पर वो नया आया छोकरा बहुत ही बलवान है, शरीर से भी ओर बॅकग्राउंड से भी, हमने उसके बारे मे पता किया है, उसके बहुत से बड़े
आदमियों ऑर मंत्रियों के साथ भी उठना - बैठना है.
मेरी बात मानिए तो प्लान करके उसको मारना ठीक रहेगा.
वरना......
.
राजेश (हाथ हिलाते हुए)- बस!
हम समझ गये कि तू क्या कहना चाहता है, ठीक है,
उस छोकरे को बाद मे देखेंगे पहले बाबू जी ऑर बुला को जैल से निकालना है,
मैने मिनिस्टर से बात कर ली है 2 दिन के भीतर उनको ज़मानत पे रिहा कर दिया जाएगा,
फिर एक प्लान बनाकर उस हवेली को कब्रिस्तान मे बदल देंगे.
(अपनी मुट्ठी को कसते हुए)
तय्यार हो जा ठाकुर, तुझे ऐसा मातम दिखाउन्गा की दोबारा जन्म लेने से पहले 10 बार सोचेगा.
.
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
इधर हवेली मे
.
हम सब बहुत खुश थे, ऑर लड़कियाँ तो प्रिया को छेड़ने मे लगी हुई थीं,
उस बेचारी की हालत शरम के मारे खराब थी, मैं भी इन सबका मज़ा ले रहा था.
.
रात मे भी हमने खूब एंजाय किया,
ऑर साला राजू तो बस विस्की के मज़े लेता रहा, बेवड़ा जो ठहरा.
.
खैर ऐसे ही एंजाय करते हुए ये रात कैसे बीत गयी पता ही नहीं चला,
ओर सुबह के 5 बजे जाकर थकान के कारण जिसको जहाँ जगह मिली वहीं सो गया.
.
अगले दिन दोपहर के ढाई बजे मेरी आँख खुली, देखा तो मेरे पास कोई नहीं था.
मुझे बड़ा अचरज हुआ कि मुझे कोई उठाने क्यों नहीं आया,
फिर मैं जल्दी - जल्दी फ्रेश होकर बाहर आया, तो देखा कि नौकरों के अलावा घर मे कोई नहीं था,
बस दादा जी बैठे हुए किसी से फोन पर बात कर रहे थे,
मैने जाकर उनके पैर छुए तो उन्होने फोन कट करते हुए मेरे सर पर हाथ रखकर अपने पास बैठा लिया. ओर मुझे देखते हुए प्यार से बोले-
.
दादा जी - बेटा सागर, मेरे दिल पे एक भार सा है, ऑर वो उस दिन ख़तम होगा जिस दिन तुम अपने मामा के परिवार को भी मिला दोगे,
मैने तुम्हारी माँ की आखों मे अपने भाई से मिलने की वो आस वो जिग्यासा देखी है,
अब ये तुम्हारी ज़िन्मेदारी है कि तुम कैसे उन्हें मिलाते हो.
.
मैं - दादा जी उन्हें मिलने के लिए पहले उन्हें ढूँढना तो पड़ेगा ना.
.
दादा जी (मुस्कुराते हुए)- वो तुम्हारे लिए कॉन सी बड़ी बात है,
जब तुम हमारे बारे मे जानते थे तो उनके बारे मे भी अवश्य ही जानते होंगे
(मेरे सर पर हाथ फिराते हुए)
क्यों मैने सही कहा ना?
.
मैं (हँसते हुए)- दादा जी एक बात बोलूं, आप सच मे बहुत चालाक हो.
.
दादा जी - तो इसका मतलब तुम जानते हो कि तुम्हारे मामा का परिवार कहाँ है.
.
मैं (हां से सर हिलाते हुए )- हां दादा जी, बस एक अच्छे से मुहूरत का इंतज़ार कर रहा हूँ.
पर आपने चालाकी से मुझसे सच उगलवा ही लिया.
.
दादा जी (हँसते हुए)- दादा किसका हूँ?
.
हम दोनो ही हँसने लगे, फिर मैने बाकी सब का पुछा तो पता चला कि वो सब गाँव घूमने गये हैं.
फिर मैने दादा जी के साथ लंच किया ऑर हम इधर - उधर की बात करते रहे
कुच्छ दिन खुशी से हवेली मे बिताने के बाद हम सब अपने घर लौट आए, इस बात से अंजान कि कुच्छ आदमी हम पर नज़र रखे हुए हैं,
ऑर हमारा पिच्छा करते हुए हमारे घर तक आ गये हैं.
वैसे मुझे तो पता चल गया था,
मैं भी इंतज़ार करने लगा उनकी तरफ से पहली हलचल का.
क्योंकि अब मुझे बहुत से मिशन करने थे, जिसके लिए मैं अब तय्यार था.
.
मेरी लाइफ पहले की तरहा ही चल पड़ी थी, मतलब वही कॉलेज ऑर वहाँ से घर ऑर सब के साथ रोमॅन्स ओर घूमना घामना ब्ला: ब्ला: ब्ला:
.
एक दिन मैं अपने रूम मे लेटा हुआ था तभी मेनका बिना नॉक किए मेरे रूम मे एंटर हुई,
जो थोड़ी दुखी भी लग रही थी,
.
मैने उसे पास बुला कर बैठने का इशारा किया, वो मेरे करीब बैठ गयी.
.
मैं - अरे मैना जी आपके इस क्यूट से फेस पर आज इतना दुख क्यों है?
.
मेनका (टोन्ट कसते हुए) - वाह जीजा जी, ये आप मुझसे पुच्छ रहे हैं, ये तो आप खुद भी जानते होंगे.
.
मैं (एक ठंडी साँस भरके)- तो इसमे इतना दुखी होने वाली कोन्सि बात है बस 2 दिन बाद ही चलते हैं वापस जिन्न्लोक, क्योंकि इन 2 दिनो मे
मुझे कुच्छ काम निपटाने हैं.
ओर जिन्न्लोक जाते ही मैं महाराज से तुम्हारी दीदी का हाथ माँग लूँगा.
अब खुश?
.
मेनका - सच?
.
मैं - मूच.
.
हम दोनो हँसने लगे. तभी मुझे कुच्छ याद आया तो मैं बोला-
.
मैं - अच्च्छा मैना एक बात तो बताओ, उस हथकड़ी का राज़ क्या है, जिसके बाँधते ही मैं अपनी शक्ति उपयोग नहीं कर पा रहा था.
.
मेनका - इसके पिछे एक लंबी कहानी है..
.
मैं - तो फिर सूनाओ शॉर्टकट मे..
.
मेनका - एक दिन हमारे जिन्न्लोक मे नर-भक्षक घुस आया था,
ऑर उसका आतंक बढ़ता ही चला गया
चारों ओर हाहाकार मचा हुआ था,
खुद पिता जी भी परेशान थे,
उस नर-भक्षक को जो भी मिलता वो उसका खून पीकर उसको मार डालता.
तभी राज गुरु के कहने पर पिताजी ने महाकाल को खुश करने के लिए एक यग्य किया.
जिसके पूरा होते ही एक आकाश-वाणी हुई, जो एक वरदान था.
.
मैं - ऑर वो आकाश-वाणी क्या थी?
.
मेनका (मुझे घूरकर)- लेट मी फिनिश.
.
मैं - ओ.के. प्ल्ज़्ज़ कंटिन्यू...
.
मेनका - आकाश-वाणी ये थी कि जिन्न्लोक के कारागार मे कोई शक्ति काम नहीं करेगी, चाहे वो कोई देव-शक्ति ही क्यों ना हो, ऑर साथ ही
उसका असर हथ-कड़ियों पर भी होगा.
.
कहानी पूरी करके मेनका चुप हो गयी, तो मैं बोला -
.
मैं - फिर उस नर - भक्षक का क्या हुआ?
.
मेनका - हमने उसे एक योजना बना कर किसी तरहा जिन्न्लोक के कारागार तक पहुँचा दिया, बिल्कुल वैसे ही जैसे चारा डालकर शेर का शिकार किया जाता है,
ऑर कारागार यानी कि जैल मे पहुँचने के बाद वो नर-भक्षक कमज़ोर पड़ गया, जिसके तेहेत उसको वहीं क़ैद कर लिया गया.
.
मैं - वाह! क्या मस्त हॅपी एंडिंग थी.
.
पीछे से एक आवाज़ - क्या बातें हो रही हैं जीजा-साली मे?
.
मैने पलटकर देखा तो लीज़ा हाथ बाँधकर खड़ी थी, ऑर उसके इर्द - गिर्द सखियों की तरहा बाकी लड़कियाँ भी थीं.
.
मेनका (बच्चों जैसा मूह बना कर)- दीदी देखो ना मैने जीजा जी से आपको एक चुम्मा देने को बोला तो जीजा जी मना कर रहे हैं.
.
उसकी बात से सब खिल - खिला के हंस दिए, ओर लीज़ा ने शरमाते हुए पास आकर मेनका को एक चपत लगाई.
ऑर फिर से शुरू हो गयीं हमारी वही खट्टी - मीठी बातें.
.
उस रात सोने से पहले मैने डिसाइड किया, कि अब मुझे किसी की पहेल का इंतज़ार नहीं करना चाहिए,
इससे पहले कि साप अपना फॅन उठाए उसका सर कुचल देना चाहिए.
.
तो मैने अपनी आखें बंद की, ऑर अपने दुश्मनो की गिनती करने लगा,
जो मुझे ऑर मेरे परिवार को मारने की प्लॅनिंग कर रहे थे,
ऑर एक चेहरा सामने आते ही मुझे बड़े ज़ोर का झटका लगा.
.
वो कहते हैं ना कि जब कोई दगा दे तो दर्द होता है, पर अगर दगा देने वाला कोई अपना हो तो ज़्यादा दर्द होता है, वैसा ही एक टीस सी मेरे दिल मे भी उठी थी,
अपने उस दुश्मन को देखकर.
जैसे अगर एग्ज़ॅम का क्वेस्चन पेपर लीक हो जाए तो एग्ज़ॅम बहुत आसान हो जाता है.
उसी तरहा मुझे भी अपने दुश्मनो के बारे मे जानकर सब आसान लगने लगा,
मेरे पास केवल 2 दिनो का समय था, अपने दुश्मनो को ठिकाने लगाने के लिए.
मैं भी अपने दिमाग़ मे प्लान बनाने लगा कि,
कहाँ से शुरू करके कहाँ ख़तम करना है.
क्योंकि परिवार की सेफ्टी ज़्यादा ज़रूरी थी.
फिर मुझे अंजलिका के पिताजी को भी तो मुक्त कराना था.
.
इसी लिए मैं अब तय्यार था कल सुबह के लिए.
अब देखना ये है कि कल सुबह की किरण क्या रंग लाती है.
|