RE: Kamukta Story प्यास बुझाई नौकर से
हरजीत ने जैसे ही लण्ड शब्द सुना, उसने प्रीति के होंठों पे किस किया और फिर से मुम्मों को चूसने लगा।
प्रीति- अब कर दो हरजीत, अब नहीं रहा जाता।
हरजीत- क्या कर दूं?
प्रीति- “आपको पता है। क्यों तड़पते हो प्लीज़्ज़... उई माँ.."
हरजीत- प्लीज जान, तुम्हें पता है मैं क्या सुनना चाहता हूँ। तुम खुद ही तड़पती हो। तुम्हें पता है जब तक तुम नहीं बोलती मैं कभी शुरू नहीं करता। मैं अपनी जान को पूरा मजा देना चाहता हूँ।
प्रीति अपने मम्मे चुसवाकर आनंद की लहरों पे सफर कर रही थी। उसे बस अब अपनी मंजिल जाने के चरम पे पहुँचना था। हरजीत ने प्रीति के मुम्मों को चूसना छोड़ा और उसके गुलाबी होंठों को अपने होंठों में ले लिया और अपने हाथ से प्रीति के मम्मे की निपल को कुरेदने लगा। प्रीति भी अपने होंठों से हरजीत के होंठों का रसपान करने लगी। नीचे से उसकी चूत में लण्ड घुसा पड़ा था। कुछ देर होंठ चूसने के बाद प्रीति को हारना पड़ा, और उसने हरजीत को बोल दिया जो वो चाहता था।
प्रीति- “जानू प्लीज... अब नहीं रहा जाता, मुझे चोद डालो। अपने लण्ड से मेरी चूत का रस निकाल दो.." और ये कहते ही प्रीति ने दुबारा हरजीत के होंठों को अपने होंठों में ले लिया।
हरजीत धीरे-धीरे अपना लण्ड प्रीति की चूत के अंदर-बाहर करने लगा। प्रीति की चूत के रस में सना लण्ड आराम से अंदर-बाहर होने लगा। इधर हरजीत ने प्रीति के मुम्मे दुबारा चूसने शुरू किए। प्रीति के लिए ये सब सहना मुश्किल हो रहा था। वो अपने सिर की दायें बायें करने लगी और मुँह से सिसकियां निकालने लगी।
प्रीति- “चोदो मुझे प्यार से जान्न उम्म्म... उम्म्म... उफफ्फ.."
हरजीत- कैसा लग रहा है बेबी?
प्रीति- “बहुत अच्छा उम्म्म...”
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