RE: Kamukta Story प्यास बुझाई नौकर से
रूबी- क्या बात कर रही हो प्रीति? ऐसा हो सकता है क्या? हमारे समाज में यह सब अलोड नहीं है।
प्रीति- हाँ... वो तो है। पर दिल तो करता ही है ना। एक औरत के लिए मर्द का साथ सबसे आनंददाई होता है। आप इतनी अच्छी हो, खूबसूरत हो तो आपके ऊपर गाँव के काफी लड़के मरते भी होंगे।
रूबी- “पता नहीं? मैंने कभी सोचा नहीं." और यह कहने के बाद रूबी चुप हो गई।
कछ देर ऐसे ही रूबी और प्रीति बिना आपस में बात किए पड़े रहे। प्रीति सोच रही थी की भाभी जिश्म की भूख में तड़प रही है पर इस समाज की बंदिशों के कारण वो अपने औरत होने का सुख अच्छे से नहीं ले पा रही है। काफी देर वो रूबी के चेहरे को देखती रही।
रूबी अपनी आँखें बंद किए सोने की कोशिश कर रही थी। मासूम सा चेहरा रूबी का प्रीति को बहुत अच्छा लग रहा था। अचानक प्रीति ने अपने होंठ रूबी के होंठों पे रख दिए और अपने हाथ से रूबी के चूतरों को सहलाने लगी। प्रीति के इस हमले से रूबी चकित हो गई पर उसने पीछे हटने की कोशिश नहीं की। प्रीति ने हल्का-हल्का रूबी के होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसना शुरू कर दिया। उधर रूबी जो की अंदर से सेक्स के लिए तड़प रही थी, बिल्कुल भी पीछे नहीं हटी और प्रीति को होंठ चूसने दिए।
कम्बल में गर्मी बढ़ने लगी थी। प्रीति ने सोच लिया था की वो आज अपनी भाभी की अंदर की आग को कम से कम आज की रात तो शांत करेगी। ताकी उसकी प्यारी भाभी आज सुख की नींद सो सके। प्रीति ने अपना हाथ रूबी के चूतरों से हटा लिया और उसे रूबी की नाइटी में लेजाकर उसके बायें मम्मे को पकड़ लिया और धीरे-धीरे दबाने लगी।
प्रीति के इस हमले से अंदर की आग से लड़ रही रूबी ने एकदम सरेंडर कर दिया, और अपने आपको प्रीति को समर्पित कर दिया और आनंद की लहरों में खोने लगी। प्रीति अपने होंठों से रूबी के होंठों का रसपान कर रही थी और हाथ से रूबी के बायें मम्मे को दबा भी रही थी। अब यह बात तो दोनों के सामने खुल गई थी की आज रात ननद और भाभी के जिस्मानी संबन्ध बनेंगे, तो प्रीति ने कम्बल को एक साइड में फेंक दिया और दुबारा से रूबी के होंठों पे टूट पड़ी। रूबी ने भी आगे बढ़कर उसका साथ दिया।
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