RE: Kamukta Story प्यास बुझाई नौकर से
रूबी कुछ नहीं बोलती और चुप रहती है।
प्रीति उसकी चुप्पी देखकर उससे अगला सवाल करती है- “भाभी एक बात पुडूं?"
रूबी- हाँ।
प्रीति- क्या कोई पसंद है?
रूबी- “क्या?” रूबी को लगता है प्रीति उससे राम की बात निकलवा ही लेगी लेकिन फिर भी अंजान बनती है।
प्रीति- भाभी प्लीज बताओ। मैं आपकी दोस्त हूँ, आपकी हालत समझती हूँ। बताओ आपको कोई भा गया है?
रूबी चुप रहती है। उसकी चुप्पी प्रीति को कन्फर्म कर देती है की उसकी भाभी किसी पे लटू हो गई है। उसे इस बात की खुशी हई की शायद भाभी अपने जिश्म की प्यास बुझा सकती है, और उसे इस बात से फरक नहीं पड़ता अगर उसकी भाभी किसी गैर मर्द के साथ मिलन करती है।
प्रीति- भाभी आपकी चुप्पी हाँ का इशारा दे रही है।
रूबी अभी भी चुप रहती है और डर रही है कहीं प्रीतिटी गुस्सा ना करे।
प्रीति- भाभी मैं खुश हूँ अगर आपको कोई भा गया है। मुझे अच्छा लग रहा है।
इस बात से रूबी की जान में जान आती है की शूकर है प्रीति ने गुस्सा नहीं किया।
प्रीति- भाभी बताओ ना कौन है वो?
रूबी- आ आ अरे कोई नहीं। तुम ग-ल-त सोच रही हो।
प्रीति- भाभी अपनी दोस्त से तो झूठ मत बोलो। मैं आपकी शुभचिंतक हूँ। मैं आपसे गुस्सा भी नहीं हूँ। मुझे तो अच्छा लग रहा है यह जानते हुए। बताओ ना भाभी कौन है वो खुशनसीब? आपको मेरी कसम बताओ ना?
रूबी रूबी को लगा अब छिपाना ठीक नहीं। वैसे भी प्रीति को शक तो पूरा है और आज नहीं तो कल बात निकलवा के रहेगी। उसने बड़ी हिम्मत इकट्ठी की, और कहा- “प्रीति तुम बुरा तो नहीं मनोगी ना?"
प्रीति- भाभी बुरा किस बात का? आप बताओ तो सही उसका नाम?
रूबी- प्रीति वो हमारे लेवेल का नहीं है तो डर लग रहा है।
प्रीति- अरे भाभी मेरी जान। आप उसे पसंद करती हो?
रूबी- हाँ।
प्रीति- तो बस बात खतम। अब नाम बताओ। आपकी जो भी पसंद हो, मेरी तरफ से सहमति है।
रूबी- हाँ।
प्रीति- तो बताओ ना उसका नाम?
रूबी अपनी पूरी हिम्मत इकट्ठी करके कहती है- “रा-मू..."
प्रीति- क्या? अपना रामू?
रूबी- तुम नाराज तो नहीं हो ना प्रीति? प्लीज... नाराज मत होना। तुम्हारे इलावा मैं किससे बात करती?
प्रीति- “ओहह... मेरी प्यारी भाभी, मैं नाराज नहीं हूँ। तो हमारी अप्सरा का दिल रामू पे आया है। अरे भाभी पिछले हफ्ते जब मैं घर आई थी तब तो अपने कुछ नहीं बताया। अब क्या हो गया? बताओ बताओ?"
रूबी एक-एक करके उससे सारी घटनाएं, राम को नहाते देखने से लेकर उसकी चोट तक, सब बता देती है। प्रीति भी ध्यान से बातें सुनती है।
प्रीति- हाँ तो भाभी। अब आप क्या चाहती हो?
रूबी- पता नहीं।
प्रीति- अरे बाबा क्या पता नहीं? कुछ तो सोचा होगा की अब क्या करना है? आगे बढ़ना है या यही पे सब खतम करना है?
रूबी- मुझे नहीं पता क्या करूं?
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