RE: Kamukta Story प्यास बुझाई नौकर से
रूबी नजरें नीचे झुकाए हुए हिम्मत करके धीरे से बस इतना ही बोलती है- "दा-अ-र-वा-जा...
रामू- क्या रूबी जी?
रूबी- रामू दरवाजा।
राम समझ जाता है की रूबी पहले दरवाजा थोड़ा सा बंद करने को बोल रही है। ताकी अगर कमलजीत घर के अंदर आ जाए तो उसकी नजर उन दोनों पे सीधे ना पड़े। राम झट से दरवाजा थोड़ा सा बंद कर देता है। और वापिस आकर रूबी के चेहरे को अपने हाथों में ले लेता है और ऊपर की ओर उठाता है।
इधर रूबी शर्माकर अपनी आँखें बंद कर लेती है और राम के होंठों का इंतेजार करती है। तभी उसे रामू के गरम होंठों का स्पर्श अपने गुलाबी होंठों पे महसूस होता है। रामू अपने होंठ अच्छे से रूबी के होंठों से चिपका देता है। कुछ सेकेंड दोनों ऐसे ही रहते हैं, और फिर रूबी अपने को रामू से अलग करती है और आँखें खोलती है और रामू की आँखों में देखती है।
रामू रूबी की आँखों में देखते हुए- “कैसा लग रहा है मेरी जान को?"
रूबी जान शब्द सुनकर शर्माकर आँखें नीचे कर लेती है। लेकिन रामू फिर से उसके चेहरे को ऊपर करके अपने होंठ दुबारा उसके होंठों में डाल देता है और धीरे-धीरे रूबी के मीठे होंठों का रस पीने लगता है। रूबी भी धीरे-धीरे उसका साथ देने लगती है। रामू का स्पर्श रूबी पे जादू करने लगा था। वो चाहती थी की रामू उसके होंठों को अच्छी तरह चूस ले। रामू रूबी की गुलाब की पंखुड़ियों जैसे होंठों को प्यार से भोग रहा था। दोनों के जिस्मों में गर्मी बढ़ने लगी थी।
रामू ने धीरे-धीरे अपनी जुबान को रूबी के होंठों के भीतर डाल दिया और रूबी की जुबान से सटा दिया। रूबी रामू के इस कदम से रामू के साथ और खुल गई। दोनों एक दूसरे की लार को भी चाटने लगे थे। अब तो रूबी की झिझक भी धीरे-धीरे खतम होने लगी थी। रामू ने तो उस पे जादू कर दिया था। इधर रामू बड़ी मुश्किल से अपनी भावनाएं कंट्रोल में कर रहा था। उसका दिल तो कर रहा था की वो अभी इस हसीना को बेड पे लेटा के चोद दे। पर नहीं वो पहले वाली गलती नहीं करेगा। जब तक कमलजीत जा हरदयाल में से कोई एक घर पे है, रूबी को चोदने का जोखिम नहीं ले सकता है।
रूबी की टाइट चूत उसका 9 इंच का लण्ड जल्दी नहीं झेल पाएगी। उसको टाइम लगेगा इसके साइज को अपने अंदर लेने में। और मालेकिन के होते हुए उनके पास टाइम कम था। इधर रूबी को रामू का टाइट लण्ड अपने पेट पे महसूस होता है और वो घबरा जाती है, और रामू से अलग हो जाती है। उसकी नजर रामू के तने हुए पायजामे पे थी। रामू रूबी की इस हरकत पे हैरान रह जाता है। रामू रूबी की हालत समझ जाता है।
राम- रूबी जी क्या हुआ?
रूबी- रामू तुमने कहा था की तुम मेरी मर्जी के वगैर कुछ भी नहीं करोगे।
रामू रूबी की कमर में हाथ डालता है और अपनी तरफ खींचकर कहता है- “अरे मेरी जान मैंने आपकी कसम खाई है। मेरे ऊपर विश्वाश रखो, मैं कुछ नहीं करूंगा। आपकी इज्जत का ख्याल है मुझे..” और फिर से होंठों को रूबी के होंठों में रख देता है और रसपान करने लगता है।
रूबी को राम के दुबारा विश्वाश दिलाने से तसल्ली होती है, और वो भी खुद को राम को समर्पित कर देती है। रामू रूबी के गुलाबी होंठों का भरपूर मजा ले रहा था। रूबी अब और ज्यादा खुलने लगी थी। उसने अपनी बाहें रामू की गर्दन से लपेट ली। रामू रूबी के इस कदम से खुश हो गया। उसे लगा कि यह अच्छा मौका है आगे बढ़ने का और वो अपने एक हाथ को रूबी के चूतड़ों पे ले जाता है और एक चूतर को हथेली में लेकर मसलने लगता है। रूबी रामू के इस वार को सह नहीं पाती और अपने होंठों को राम के होंठों में और धकेलने लगती है। रामू का हाथ रूबी के चूतरों का अच्छे से जायजा ले रहा था।
रूबी की चूत अब पानी छोड़ने लगी थी। रामू के कठोर हाथ रूबी की गाण्ड को अब जोर-जोर से मसलने लगे थे। दोनों बेपरवाही से एक दूसरे का रस पीने में व्यस्त थे। अब रूबी और राम के बीच में से हवा जाने के लिए भी जगह नहीं बची थी। दोनों में से किसी को टाइम का अंदाजा नहीं था। रूबी की चूत में तो मानो आग लगी थी। रूबी अपना कंट्रोल खो देती है और बेतहाशा रामू के होंठों को चूसने लगती है।
रामू अब अपने होंठों को चुसवाने का भरपूर मजा ले रहा था। उसने तो जादू कर दिया था रूबी पे। ऊपर से रूबी होंठों का रस पी रही थी, तो नीचे रामू के हाथ उसके चूतरों पे घूम रहे थे। तभी घर के दरवाजे के खुलने की आवाज आती है। राम रूबी को एक झटके से अपने से अलग करता है।
रूबी रामू की इस हरकत को समझ नहीं पाती। वो तो अपनी चरम सीमा पे पहँचने वाली थी। पर अचानक राम ने खेल को बीच में ही क्यों रोक दिया?
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