RE: Kamukta Story प्यास बुझाई नौकर से
ऐसा अनुभव तो रूबी को लखविंदर के साथ भी नहीं हुआ था। उसका दिल करता है की रामू उसकी चूत का पानी निकाल दे और वो शांत पड़ जाए जल्दी से, वर्ना कहीं वो बहक ना जाए और राम से मिलना कर बैठे।
इधर रामू रूबी के चेहरे को पढ़ लेता है की वो थोड़ी देर ही टिक पाएगी। वो अपनी उंगली को चूत के अंदर-बाहर करना रोक देता है। रूबी जो की चरमसुख की ओर बढ़ रही थी उसकी इस हरकत से चकित रह जाती है, और रामू की तरफ देखने लगती है। रामू भी उसकी नजरों में देखता है और मुश्करा पड़ता है। रूबी की आँखों में देखते रामू धीरे-धीरे अपनी उंगली रूबी की चूत के अंदर-बाहर करता है। रूबी के चूतर भी ऊपर उठकर उसका साथ देते हैं। रामू फिर से रुक जाता है। रूबी दुबारा से उसकी तरफ सवालिया नजरों से देखती है। रामू चार पाँच बार ऐसे करता है और रूबी के चूतर उसकी उंगली की मूटमेंट के साथ ताल मिलाते हैं।
रूबी से और बर्दाश्त नहीं होता- "राम करो ना... मेरा पानी निकल दो प्लीज..."
राम- पहले मेरी बात का जवाब दो मेरी जान।
रूबी- क्या रामू जल्दी पूछो और मुझे शांत करो।
रामू- हमारा मिलन कब होगा?
रूबी- रामू क्या है यह प्लीज... करो।
रामू आगे को झुकता है अपने होंठों से उसके होंठों का चुंबन लेता है और फिर रूबी की आँखों में देखकर बोलता है- "बताओ ना मेरी जान। कब तुम मेरी बनोगी?"
रूबी- प्लीज रामू, जो काम कर रहे हो वो कर दो बाद में देखेंगे। ऐसे ना तड़पाओ।
रामू अपनी उंगली को फिर से उसकी चूत में अंदर-बाहर करता है, और रूबी की कमर उसका पूरा साथ देती है।
रामू- कौन किसे तड़पा रहा है? आप खुद भी तड़प रही हैं और मुझे भी तड़पा रही हैं। बताओ कब मैं आपको भोग सकूँगा?
रूबी- पता नहीं। प्लीज्ज... रामू मुझे शांत कर दो।
.
रामू- रूबी जी क्यों अपने आपको बंधन में जकड़े रहना चाहती हो। मुझे अपने प्रेम को इसकी आखिरी मंजिल तक पहुँचाना है।
रूबी से रहा नहीं जाता- “ठीक है पहुँचा लेना। पर अब तो मुझे अधूरा ना छोड़ो.."
रामू- “कब?" कहकर वो उंगली को पूरा बाहर निकालकर जोर से रूबी की चूत में डाल देता है।
जिससे रूबी की हल्की सी चीख निकल जाती है और वो हार मान लेती है। उसे लगता है की राम आज उससे मिलन का पक्का वादा लेकर रहेगा।
रूबी- जल्दी ही, टाइम आने पे।
राम- टाइम कब आएगा मेरी जान?
रूबी- पता नहीं रामू प्लीज... मेरी चूत की आग को शांत करो।
रामू- कर देता हूँ रूबी जी। पर बताओ कब टाइम आएगा?
रूबी- जब कोई घर पे नहीं होगा। बस अब चूत का रस निकाल दो मेरे राजा।
राम उसकी बात से खुश हो जाता है। उसे लगता है की आज भले ही वो रूबी को अपनी ना बना पाए। पर उनका मिलन ज्यादा दूर नहीं है। वो रूबी के होंठों को चूसता है और अपनी उंगली से उसे चोदने लगता है। रूबी की सिसकियां पूरे कमरे में भर जाती है।
रूबी- “उफफ्फ... राज्जा आss और तेज..."
|