Kamukta kahani कीमत वसूल
01-23-2021, 01:49 PM,
RE: Kamukta kahani कीमत वसूल
अनु झोपते हुए बोली- "मुझे नहीं पता.."

मैंने कहा- मेरा तो अभी से मन कर रहा है।

अनु बोली- अभी नहीं, वहां जाकर ।

मैंने उसको कहा- "मुझे वहां जाने तक तड़पाओगी?"

अनु ने मुझे बड़े प्यार से देखते हए कहा- "मेरे बाबू, यहां कुछ नहीं हो सकता वहां जाकर करना."

मैंने कहा- "अच्छा जी, मान लिया..."

अनु फिर से मुझे बोली- "मेरा बाबू कितना स्वीट है."

मैंने उसकी तरफ देखा तो उसने मुझे प्यार से देखते हुए आँख मारी। मैंने कहा- "बाबू क्यों बोला मझे?"

अनु बोली- "आइडिया लगाइए?"

मैं सोचने लगा। हम दोनों एक दूसरे से रसभरी बातें करते रहे। बातों-बातों में हम होटेल तक पहुँच गये। मैंने होटल में रूम पहले ही बुक करवाया हुआ था। पार्किग से उसका बेटर आकर सामान ले गया। हम रिसेप्शन पर पहुँच गये। मैंने रिसेप्शनिस्ट को अपना नाम बताया, उसने मुझे बेलकम करते हुए चाभी दे दी।

अनु ने मुझे कहा- "ये तो 5-स्टार लग रहा है."

मैंने कहा- "हाँ, मुझे भी.."

अनु मकरा उठी मैंने मन में सोचा- "में जो भी लागत लगा रहा है, वो सब तेरे से परी कर लैंगा। मैं हर चीज की कीमत वसूल कर लेता हूँ.....

हम लोग सीधा अपने रूम में पहुँचे।

मैंने रूम में जाते ही कहा- "पहले थोड़ी देर आराम करते हैं। कार में बैठे-बैठे बैंड बज गई..."
.
अनु ने भी कहा- "हौं। पहले थोड़ा आराम करते हैं."

फिर हम तीनों बेड पर लेट गये। मेरी आँखों से नींद गायब थी। मैं तो अनु को चोदने के लिए यहां लाया था मैं कैसे सो जाता? अन् का भी यही हाल था। मैंने उठकर देखा तो अन् की आँखें खुली थी। उसने मुझे देखा तो मैंने उसको चुप रहने का इशारा किया और उसको इशारे से कहा- "बाथरूम में चलो.."

मैं बाथरूम में गया। अनु भी आ गई। मैंने आते ही उसको अपनी बाहों में ले लिया, अन् के होंठों पर अपने होंठों चिपका दिए। सच कहूँ तो अनु ऋतु से भी ज्यादा गरम थी। उसने मुझे ऐसे दबोच लिया जैसे वो कब से भूखी हो। हम दोनों एक दूसरे से चिपटे रहे। मैं उसकी जांघों को सहलाता रहा।

मैंने उसकी गोल मटोल गाण्ड पर हाथ फेरकर कहा- "अनु मैंने जबसे तुम्हें देखा है, तुम्हारे लिए तड़फ रहा हूँ.."

अनु ने मुझे खुद से और कसकर चिपकाते हुए कहा- "समीर, मैं भी तड़फ रही हूँ तुमसे मिलने को..."

हम जिस हालत में थे, अगर कोई देखता तो उसे ऐसा लगता जैसे की हम दोनों काई बिछड़े हुए प्रेमी हैं। मैंने अनु की छातियों को अपने हाथों में पकड़ लिया। उसकी चूचियां बड़ी-बड़ी जरर थी पर थी, लेकिन टाइट थी। मैंने उसको बड़े प्यार से सहलाया। क्योंकी अन् अभी तक दूध पिलाती थी। ज्यादा जोर से दबाने से उसका दूध बाहर आ सकता था और मैं ऐसा नहीं चाहता था।

फिर मैंने अनु को घुमा दिया। मैं अनु को पीछे से उसकी चूचियों को सहलाते हुए उसकी गर्दन को चाटने लगा।

मेरे इस किस से अनु के पूरे जिम में सनसनी उठने लगी। मैंने उसकी गढ़ेदार गाण्ड पर अपना लण्ड पर हुए उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया। उसकी सलवार हलके से उसके पैरों में गिर गई। अनु में ब्लैक कलर की पैंटी पहनी हुई थी। उसका पेट थोड़ा सा निकला हुआ था। अक्सर बच्चा पैदा होने के बाद लड़कियों का पेट थोड़ा सा निकाल आता है। मैंने उसकी पैंटी में हाथ डाल दिया, उसकी चूत को बाहर से सहलाया सफाचट चूत थी। मैंने अपनी उंगली उसकी चूत की फांकों में फंसा दी।

अनु मस्ती से बोली- "सस्स्सी ... क्या करते हो?"

मैंने कहा- "उसको देख रहा हूँ, जो मुझे कब से तड़पा रही है?" और कहते हए अनु की गर्दन पर अपनी जीभ फर दी।

अनु का शायद ये अच्छा लगा। उसने मुझसे कहा- "आपके ऐसा करने से मुझे कुछ-कुछ होता है."

मैंने दिल में सोचा- "में भी तो यही चाहता हैं..."

मैंने उसकी चूत में अपनी उंगली डाल दी। अनु की चूत पहले से गीली थी। मैंने उसकी चूत में जब उंगली डाली तो वो गनगना उठी। उसने अपनी गाण्ड को और पीछे कर दिया। मेरे लौड़े को उसकी गाण्ड की रगड़ से और मजा आने लगा मैंने 10-15 बार उंगली अंदर- बाहर की और उंगली को निकाल लिया। अन् तो जैसे सोच रही थी की मैं उंगली निकालू ही नहीं, उसको इतना मजा आ रहा था।

मैंने अपनी उंगली को पहले सँधा। बाह क्या स्मेल थी उसकी चूत की। फिर मैंने उंगली को मुँह में रखा और चूसने लगा। अन् की चूत का रस टेस्ट में से कम नहीं था। मेरे लण्ड में तो अन् को चादर्जे का इरादा बना लिए था। पर मैंने अपने लण्ड को समझते हए अन् को कहा- "तुम अपने कपड़े पहन लो..."

अनु भी पूरे मूड में आ चुकी थी। मुझे देखा और बेमन से अपनी सलवार पहन ली।

मुझे अभी अन् के जिश्म को पूरी तरह से भागना था। मैंने उसको कहा- "तुम अब बाहर जाओ, मैं भी आता हैं काफी देर हो गई हमें यहां.."

अन् ने कहा- "हाँ। कहीं ऋतु को पता ना चल गया हो..."

मैंने अनु से कहा- "ऋतु की फिकर मत करो, उसको मैंने पहले से ही बता दिया है.."

अनु ने मुझे देखा तो मैंने कहा- "हम यहां ऋतु की मज़ी से ही आए हैं

अनु ने मुश्कुराकर कहा- "बड़े वा हो आप.."

बाहर आकर हम दोनों थोड़ी देर सो गये। थोड़ी देर बाद ऋतु में उठाया- "उठिए कहीं चलना है या नहीं?"

हम सब तैयार होकर कम से निकले और माल-रोड पर घमने आ गये।

ऋतु ने कहा- "झील में बॉटिंग करते हैं."
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RE: Kamukta kahani कीमत वसूल - by desiaks - 01-23-2021, 01:49 PM

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