RE: Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग
नेहा अपने मम्मे मसल रही थी। और इधर समर की हालत खराब हो रही। ऐसा सीन तो उसने सपने में भी नहीं देखा था। उसकी दीदी के पहाड़ जैसे मम्मे बाहर आने को हो रहे थे। ठीक वैसे जैसे समर की आँखें बाहर आने को हो रही थी। मगर ये मेरी दीदी है, मैं इनको ऐसे नहीं देखा सकता। ये गलत है। समर ने ये सब सोचा और मुड़कर दूसरी ओर देखने लगा। उसका मन विचलित हो गया था।
उसके मुड़ते ही नेहा ने एक शैतानी स्माइल दी। मेरा भाई मेरे चूचे पसंद कर रहा था, उसने सोचा। उसने अपनी छाती साफ कर दी। वो जो समर को दिखाना चाहती थी वो दिखा चुकी थी, और जैसा रिएक्सन वो चाहती थी वैसा उसे मिल गया था। 10 मिनट बीत गये।
नेहा किचेन में आ गई, और कहा- “समर, आकर मुझे बर्तन धोने में और सफाई करने में मदद कर। थोड़ा काम भी कर लिया कर.." नेहा ने पुकारा।
समर सोफे से उठा और किचेन में आ गया। वो बिना कुछ बोले काम करने लगा। उसके दिमाग में कुछ और ही था। उसकी दीदी के मम्मे, इतने गोरे, इतने गोल, इतने बड़े, इतने सेक्सी, ऐसे मम्मे तो उसने कभी पोर्न में भी नहीं देखे थे। अगर थोड़ा और साफ करती दीदी, तो शायद उनके निपल भी दिख जाते। किस रंग के होंगे उनके निपल? ये मैं क्या सोच रहा हूँ। वो मेरी दीदी है, मेरी सगी बहन, और मैं उनके चूचियों के बारे में सोच रहा हूँ। कितना घटिया इंसान हूँ मैं। मगर वो चूचियों दिमाग से हट नहीं रही थीं। समर के अंदर यही कशमकश चल रही
थी। उसके दिमाग से खिलवाड़ हो रहा था।
और ये खिलवाड़ करने वाली लड़की, मजे ले रही थी। समर किचेन में सफाई कर रहा था। नेहा ने बर्तन धोए और वो भी सफाई करने लगी। वो समर के एकदम सामने थी। सफाई करते-करते नेहा बहुत झुक गई। जब समर ने देखा तो उसे फिर अपनी बहन की आधी चूचियों का नजारा दिखा। वो बड़े सफेद आमों की तरह लटक रहे थे।
नेहा ने चुपके से समर की तरफ देखा। उसने पाया की उसका भाई सीधा उसके चूचों को घूर रहा था। इस अंग प्रदर्शन से नेहा की भी चूत गीली हो रही थी। उसने भी कभी किसी को इस तरह अपना बदन नहीं दिखाया था। उसका भाई ही पहले लड़का था जो उसके फलों को देख रहा था।
यहाँ समर का लण्ड भी अपनी अधिकतम लंबाई तक पहुँच गया था। नेहा हिल-हिल के सफाई कर रही थी, जिससे उसके मम्मे भी बुरी तरह झूल रहे थे। हाए, कितने बड़े और सुडोल चूचे हैं ये, समर ने सोचा। नेहा एकदम से ऊपर उठ गई। समर भी अपने काम में लग गया।
नेहा मन ही मन मुश्कुरा रही थी। वो समर के पीछे गई और उसके सामने ऊपर कैबिनेट से कुछ निकालने लगी। उसके चूचे एकदम समर की आँखों के सामने आ गये। समर हवस की आँधी में डूबने वाला था।
नेहा ने कहा- “समर मेरा हाथ नहीं पहुंच रहा। जरा मुझे उठा दे थोड़ा.."
समर को कुछ समझ में नहीं आया- “कैसे उठाऊँ दीदी?” उसने पूछा।
नेहा- “अरे इतनी ताकत तो है। मेरी कमर पकड़ और मुझे उठा...” नेहा ने उसे बताया।
समर ने बिना कुछ और कहे अपनी दीदी की बात मान ली। उसने नेहा की कमर को पकड़ा और उसे ऊपर उठाया। नेहा की पतली, सेक्सी कमर उसके भाई के हाथ में थी। वो जानबूझ कर और ऊपर हुई। इसकी वजह से उसका टाप ऊपर हो गया और उसकी नंगी कमर प्रकट हो गई।
समर की आँखें वहीं गड़ गई। वो अपनी बहन की कमर को छू रहा था, कितनी कोमल थी वो, कितनी साफ... समर अंदर से काँप रहा था।
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