RE: Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग
समर बेचारा फँस गया था। उसका लण्ड डिस्चार्ज चाहता था। अब तो उसे दर्द होने लग गया था। मगर वो अपनी बहन के सामने ये स्वीकार नहीं कर सकता था।
नेहा ने उसकी परेशानी को देखा लिया। मगर वो उसे थोड़ा और तड़पाना चाहती थी। समर के बेड के आपोसिट एक खिड़की थी। नेहा वहां गई और खिड़की की तरफ मुँह करके खड़ी हो गई। उसे पता था की समर की नजर सीधा उसकी गाण्ड पर जायेगी, और वो बिल्कुल सही थी।
समर बस उसकी सुडौल गाण्ड को देख रहा था। उसे समझ में नहीं आ रहा था की वो क्या करे? तभी नेहा खिड़की के सहारे थोड़ा झुक गई, और अपनी गाण्ड और बाहर निकल दी। समर का दिल और तेजी से भागने लगा। दीदी ऐसा क्यों कर रही है? क्यों अपनी प्यारी सी गाण्ड मेरी आँखों के सामने रख रही है? क्यों मेरे लण्ड की परीक्षा ले रही है? मैं मर जाऊँगा। समर ये सब सोच रहा था। और उसका हाथ अपने आप उसके लण्ड पे चला गया।
नेहा जानती थी की समर उसकी गाण्ड को निहार रहा होगा, और पागल हो रहा होगा। वो जानबूझकर अपनी गाण्ड हल्के-हल्के से हिलाने लग गई और अपनी टांगों को आपस में मसलने लगी।
समर और नशे में हो गया। उसको अब लण्ड को शांत करना ही था। बिना कुछ सोचे उसने अपना हाथ अब अपने पाजामे में डाल दिया और लण्ड को सहलाने लगा। वो भूल गया की उसकी दीदी अभी वहीं है। उसने अपनी आँखें बंद कर ली और लण्ड को हिलने लगा। वो अब सेक्स के सागर में डूब चुका था। अब रुकना न था। वो कहीं खो सा गया था।
नेहा ने पीछे देखा, तो उसे ऐसा नजारा दिखा जिससे उसकी चूत फड़कने लग गई। उसमें से पानी निकलने लगा। उसका भाई आँखें बंद करके पाजामे के अंदर अपने लण्ड से खेल रहा था। वो अपनी दुनियां में गुम था। नेहा का मन किया की ऐसे ही अपने भाई को देखती रहे। मगर नहीं, उसके दिमाग में कुछ और ही था।
नेहा- “पता था मुझे। तुझे मूठ मारना था.." नेहा जोर से बोली।
अपनी दीदी की आवाज सुनकर समर अपने सपनों की दुनियां से नीचे आ गिरा। उसे एहसास हुआ की वो कहाँ है और क्या कर रहा है? उसका हाथ पाजामे के अंदर था। उसने अपना लण्ड पकड़ रखा था। ऊपर देखा तो उसकी बहन की नजर सीधा उसके पाजामे हाथ पे थी। समर समझ गया की उसने कितनी बड़ी गलती कर दी है।
नेहा का प्लान कामयाब हो गया था। उसने अपने भाई को सेक्स के सागर में डुबो दिया था। देखना ये था की अब नेहा क्या कदम उठायेगी?
समर शर्म के मारे मरा जा रहा था। उसने धीरे से अपना हाथ बाहर निकालने की कोशिश की, मगर।
नेहा- “अरें.. क्या हुआ... जो काम कर रहा था वो पूरा तो कर.." नेहा बोली।
समर सन्न रह गया- “आई आम सो सारी दीदी। मुझसे गलती हो गई। पता नहीं मुझे क्या हो गया था दीदी?" समर डर गया था। उसकी हालत खराब हो रही थी।
नेहा- “अरे समर... तू पागल है क्या? तुझे मेरी शकल पे कहीं भी गुस्सा या निराशा दिख रही है क्या?" उसने समर के गाल पे हाथ फेरा- “मैं तो खुश हूँ की तू इतना होशियार हो गया है की तुझे अपनी बाडी की जरूरतें पूरा करना आता है..."
ये दीदी क्या कह रही है? मेरे मूठ मारने से वो खुश है? समर ने सोचा भी ना था ये। फिर से उसके पास कहने के लिए कुछ नहीं था। उसका हाथ अभी भी पाजामे के अंदर था।
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