RE: Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग
समर को लगा जैसे सब खतम हो गया हो। अब ना तो दीदी की गाण्ड देखने को मिलेगी और दीदी को ये बोलकर मैंने अपने आपको और मुश्किल में डाल दिया। समर का लण्ड बैठने लग गया था।
नेहा अभी भी अपना मुँह मोड़कर खड़ी हुई थी, कहा- “एक काम हो सकता है... क्योंकी मैं तुझे अपनी गाण्ड दिखा रही हूँ, तो तुझे भी इसके बदले में अपना कुछ दिखाना होगा.."
समर का लण्ड फिर से साँस लेने लगा- “क्या दीदी?"
नेहा- “क्या होता है लड़कों के पास समर?" नेहा ने कहा- “लण्ड.."
समर के कान खड़े हो गये।
नेहा- "तू मुझे अपना लण्ड दिखा। मैं तुझे अपनी गाण्ड दिखाऊँगी। फिर दोनों में से किसी को शर्म नहीं आयेगी.." नेहा ने शर्त रखी- “बोल मंजूर है?"
अब ये समर के लिए मुश्किल सवाल था। मगर उसके दिमाग और लण्ड में जो हवस झूम रही थी उसने समर को अपने काबू में कर लिया था। वो तो अपनी दीदी की गाण्ड देखने चाहता था। उसके लिए वो कुछ भी कर सकता था।
नेहा- “मंजूर है समर?"
समर ने एक लंबी साँस भरी- “हाँ... दीदी, मंजूर है...”
नेहा का मन तो जैसे नाच उठा, और चूत भी खिल गई। नेहा बोली- “बहत अच्छे समर... मगर मैं पहले तेरा लण्ड देदूंगी, फिर तुझे गाण्ड दिखाऊँगी। ठीक है?"
समर को थोड़ा अजब लगा। मगर वो मान गया। उसे तो बस अपनी दीदी की गाण्ड नजर आ रही थी।
नेहा- “ओके.. तो तेरा लण्ड बाहर है ना?" नेहा ने पूछा।
समर- “हाँ... दीदी..” समर ने अपने लण्ड की तरफ देखा जो फिर से खड़ा हो गया था।
नेहा की चूत बेचैन हो रही थी- “गुड.. तो मैं पीछे मुइँ?"
समर ने हिमत इकट्ठा की, और कहा- “हाँ... हाँ दीदी..”
नेहा की बुर उत्तेजना के मारे फूल गई थी। उसको अपनी जिंदगी का पहला लण्ड दिखने वाला था। नेहा और समर, भाई और बहन, दोनों की सांसें भाग रही थी- “ओके... मैं मुड़ रही हूँ... 1-दो-तीन..” और एकदम से नेहा मुड़ गई।
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