RE: Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग
सबकी अपनी प्यास उस रात को बीते हए तीन-चार दिन हो चुके थे। उनके माँ बाप घर आ गये थे। समर अपनी दीदी से नजर मिलाने से अभी भी शर्मा रहा था। उन दोनों को ही थोड़ा अटपटा लगता था एक दूसरे के सामने आना। जब कोई भाई बहन अपने इतने पुराने रिश्ते की हद तोड़ देते हैं तो ये तो होगा ही। वो एक दूसरे से बहुत कम बात कर रहे थे। करते भी कैसे? अब एक दूसरे को वो भाई बहन कम, सेक्स की वस्तु ज्यादा मानते थे। हर पल दोनों के दिमाग में बस वही रात घूमती रहती थी।
समर अपने कमरे में बैठा हर दिन की तरह आज भी उस हवस से भरी रात के बारे में सोच रहा था। उस रात घटी एक-एक घटना उसके दिमाग में बसी हुई थी। नेहा के मुंह से निकला हर एक शब्द, उसके बदन का हर अंग जैसे समर के माइंड में छप गया था। उसने याद किया की कैसे उसकी बहन पर उसने मूठ मार दिया था। कैसे उसकी बहन ने वो चाटा था, कैसे उसकी चूत बह रही थी। उसने याद किया कैसे उसने अपनी दीदी के जाने के बाद बेडशीट पे गिरे उसकी चूत के पानी को सूंघा था, उससे चखा था, कितना स्वादिष्ट था वो।
“अपने शरीर का कोना-कोना खोलकर दिखाऊँगी...” ये शब्द समर के दिमाग में 24 घंटे घूमते रहते थे- “कोना कोना खोलके दिखाऊँगी." हर दिन उस रात को सोचते-सोचते वो दिन में 5-6 बार मूठ मारता था। अपनी दीदी के नाम की मूठ, और चाहे वो जितनी बार भी झड़ जाए, उस दिन को याद करके वो फिर खड़ा हो जाता था।
समर के कमरे के सामने के कमरे में भी कुछ यही हाल था। चूत में दो उंगलियां घुसाए नेहा भी उसी रात को याद कर रही थी। अपनी गीली टाइट फुद्दी में वो अपने उंगलियों को अंदर-बाहर कर रही थी, और मन में उसके बस एक ही चीज थी, अपने भाई का लण्ड। उसने अपनी उंगलियां बाहर निकाली और उनको मुंह में डाल दिया। मगर उसे अपनी चूत का टेस्ट नहीं आ रहा था। वो अभी भी अपने छोटे भाई के वीर्य को अपने मुँह में इमेजिन कर रही थी।
कुछ ही देर में दोनों भाई बहन ने अपने-अपने कमरों में अपना क्लाइमेक्स पूरा किया। समर ने अपना लण्ड झाड़ा, और नेहा ने अपना आर्गेज्म पूरा किया। अब दोनों अपने बिस्तर पे बैठे सोच रहे थे।
दीदी ने मुझे खुला इनविटेशन दिया था। उस रात की तरह हम फिर से सब कुछ कर सकते हैं। पर पता नहीं मैं इतना फटतू क्यों हूँ? समर ये सोच रहा था।
नेहा का भी दिमाग चल रहा था। उस दिन मैंने इतना सब कर दिया, अपने छोटे भाई के साथ। उसको खुला इनविटेशन भी दे दिया। फिर भी उसने एक बार भी उस रात का जिकर नहीं किया। क्या मैंने बहुत बड़ी गलती तो नहीं कर दी? पता नहीं क्या सोच रहा होगा वो मेरे बारे में? पता नहीं कहीं किसी को बता ना दे।
समर दिमाग में सोच रहा था। अगर थोड़ी हिम्मत होती मुझमें तो अभी तक दीदी के साथ मजे कर रहा होता। वो तो मुझे अपना बदन दिखाने वाली थी, और ना जाने क्या-क्या करती बस अगर मुझमें थोड़ी हिम्मत होती। मन करता है की अभी चला जाऊँ दीदी के पास और बता दूं उन्हें की मुझे वो सब करना है। मगर कैसे? समर सोच रहा था।
उधर नेहा सोच रही थी- कितना फटतू है यार समर। मगर क्या करे वो भी, मेरा ये रूप देखकर बेचारा हैरान हो गया होगा। जब मैं खुद पर इतनी हैरान हूँ तो वो तो पता नहीं पागल ही हो गया होगा। मगर मैं इस चीज को ऐसे नहीं छोड़ सकती। अब मेरा बदन और मेरी चूत बहुत आगे बढ़ गई है। जो शुरू किया है उसे खतम नहीं होने दूंगी इतनी जल्दी। नेहा का शैतान दिमाग फिर जाग गया था।
विचारों के इन्हीं कशमकश में दोनों भाई बहन अपने-अपने कमरों में नींद के आगोश में चले गये।
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