RE: Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग
समर ने आँखें खोली और देखा उसके हाथ में क्या था? उसका माथा ठनका, क्योंकी वो दीदी की गाण्ड थी... समर ने अपने हाथ को नेहा की गाण्ड के ऊपर पाया। उसको सिर से पाँव तक एकदम झटका लग गया। नेहा की मोटी कोमल गाण्ड समर के हाथों में थी। उसे यकीन नहीं हो रहा था की ये क्या हो रहा है? नेहा ने पाजमा पहना हुआ था, मगर उसके ऊपर से भी उसकी गाण्ड एकदम नरम और पहाड़ जैसी लग रही थी।
नेहा- “हाँ.. समर, वो मेरी गाण्ड ही है.." नेहा बोली।
समर के हाथ कांप रहे थे। पशीना छूट रहा था। धड़कनें भाग रही थी।
नेहा- “फिर मेरी गाण्ड पे हाथ.." नेहा बोल रही थी। पहली बार उसकी गाण्ड को किसी ने ऐसे छुआ। बड़ा मजा आ रहा था उसे।
लेकिन मजा तो समर से दूर था। वो तो चिंता और कनफयूजन में था। उसका हाथ जम गया था नेहा की गाण्ड पर।
नेहा ने ये देखा- “उफफो... फटतू समर..” वो बोली और फिर से समर का हाथ पकड़ लिया। अब वो पकड़कर समर के हाथ को अपने चूतड़ों पे घुमा रही थी।
समर को बहुत आनंद आने लगा।
नेहा- “ऐसे घुमा अपने हाथों को, इतनी प्यारी गाण्ड है मेरी, उसके मजे ले.." नेहा ने बोला। फिर उसने समर का हाथ छोड़ दिया और आगे की ओर झुक गई।
झक के नेहा ने अपनी गाण्ड को और बाहर निकाला, और समर को उससे खेलने का फिर निमंत्रण दिया। मगर समर फिर वहीं जमा रह गया। उसकी अभी भी हिम्मत नहीं हुई कुछ करने की।
नेहा- "तुझे अगर नहीं करना तो बोल दे, मेरे पास पूरी रात नहीं है यहां अपनी गाण्ड निकालकर खड़ी होने के लिए, मैं जा रही हूँ.."
नेहा बोल ही रही थी की तभी उसकी गाण्ड को बहुत जोर से दबाया गया। नेहा की चूत पे करेंट लगा। समर को एहसास हो चुका था की ऐसा मौका फिर नहीं मिलेगा। उसके काँपते हुए हाथों में जान आ गई, और वो पूरी जान से नेहा की गाण्ड को दबाने लगे।
नेहा- “उफफ्फ़... आsss समर..." नेहा चिल्लाई।
मगर ये चीख में दर्द कम, हवस ज्यादा थी। नेहा को बहुत अच्छा लग रहा था। अपने छोटे भाई को अपनी गाण्ड से खेलते हुए उसे मस्त लग रहा था, और उसकी फुद्दी को भी।
समर ने दूसरा हाथ भी गाण्ड पे रख दिया। उसकी गाण्ड इतनी बड़ी और सेक्सी थी की, उसके दोनों चूतड़ों के लिए दो हाथ कम पड़ रहे थे। समर ने फिर भी कोशिश की। वो अब नेहा की गाण्ड मसल रहा था, अपनी दीदी की गाण्ड... दिल और दिमाग दोनों ही असमंजस में थे, मगर हाथ रुक नहीं रहे थे।
नेहा की गाण्ड पर दो हाथ ऐसे झपट रहे थे, जैसे शेर अपने शिकार पर। उसकी गाण्ड से खिलवाड़ हो रहा था,
और ये खिलवाड़ उसकी चूत में से पानी निकाल रहा था।
समर अपनी बहन की गाण्ड पर ऊपर-नीचे, आगे-पीछे, दायें बायें हाथ फेर रहा था।
नेहा- “हाँ... समर, ऐसे ही खेल मेरी गाण्ड से। फेर हाथ, दबा उसे, दबोच उसे..." नेहा बोल रही थी। उसके मुँह से “ऊवू, अया, एम्म्म...” जैसे शब्द निकल रहे थे।
समर ये सुनकर और उत्तेजित हो गया। उसने अपने दायां हाथ में अपनी बहन के दायें चूतड़ को दबोच लिया।
"ऊऊओहह.." नेहा ने हल्के से चीखा। उसके रोम-रोम में नशा फैल गया।
समर ने फिर अपनी पकड़ हल्की करी और फिर से उसे दबोचा। समर को तो जन्नत मिल गई थी। इतनी कोमल गाण्ड, कामुक गाण्ड उसके हाथों में थी। दिमाग घूम रहा था उसका उत्तेजना में। उसने ऐसे ही नेहा की लेफ्ट चूतड़ पे भी किया। दोनों हाथों से वो भारी सुडौल गाण्ड को रगड़ रहा था। गाण्ड के हर कोने को छू रहा था। उसके लण्ड से प्री-कम पानी की तरह बह रहा था।
नेहा की चूत का भी यही हाल था। समर का हाथ घूमते-घूमते गाण्ड की लकीर पे जाकर रुक गया। नेहा की सांसें भी रुक गई। समर लकीर पे ऊपर-नीचे अपनी उंगली चला रहा था। नेहा को पता था की वो उंगली क्या ढूँढ़ रही थी। कुछ ही पलों में वो मिल भी गया। नेहा की गाण्ड का छेद।
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