RE: Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग
समर ने फिर अपनी पकड़ हल्की करी और फिर से उसे दबोचा। समर को तो जन्नत मिल गई थी। इतनी कोमल गाण्ड, कामुक गाण्ड उसके हाथों में थी। दिमाग घूम रहा था उसका उत्तेजना में। उसने ऐसे ही नेहा की लेफ्ट चूतड़ पे भी किया। दोनों हाथों से वो भारी सुडौल गाण्ड को रगड़ रहा था। गाण्ड के हर कोने को छू रहा था। उसके लण्ड से प्री-कम पानी की तरह बह रहा था।
नेहा की चूत का भी यही हाल था। समर का हाथ घूमते-घूमते गाण्ड की लकीर पे जाकर रुक गया। नेहा की सांसें भी रुक गई। समर लकीर पे ऊपर-नीचे अपनी उंगली चला रहा था। नेहा को पता था की वो उंगली क्या ढूँढ़ रही थी। कुछ ही पलों में वो मिल भी गया। नेहा की गाण्ड का छेद।
समर की उंगली ने अपनी दीदी की गाण्ड का छेद को छेड़ा । दोनों ही तिलमिला उठे। नेहा को थोड़ा अजब तो लगा, उसने समर को रोकना भी चाहा, मगर उसकी बाडी में जो सेन्सेशन आई थी वो उसे रोक रही थी। समर की उंगलियां दीदी की गाण्ड के छेद पर थीं। पाजामे की वजह से उसे छेड़ना थोड़ा मुश्किल हो रहा था। मगर समर पूरी कोशिश कर रहा था।
मैं अपनी दीदी की गाण्ड को छेड़ रहा है, उनके छेद को छेड़ रहा हँ। कांप रहा था उसका शरीर नशे में। मगर वो गाण्ड को छोड़ नहीं रहा था। उसका मन किया की अपनी बहन का पाजामा उतारे और उसके छेद को चूम ले। ये सोचकर ही उसका लण्ड झड़ने को होने वाला था। मगर वो ये कर नहीं सकता था। वो बस एक हाथ से गाण्ड दबा रहा था और दूसरे हाथ से गाण्ड के छेद को उंगली करने की कोशिश कर रहा था।
नेहा- “हाए... समर, तू तो बहुत शातिर निकला। छेद को भी ढूँढ़ लिया। आआआ... मजा आ रहा है। करते रहो ऊमह हाँ..." नेहा बोली।
इतना मजा आ रहा था नेहा को की उसने अपनी गाण्ड और ऊपर उठाने की कोशिश की, और थोड़ा पीछे हो गई। जैसे ही उसकी गाण्ड थोड़ा पीछे हटी, उसपे एक बहुत हार्ड और सख्त चीज ने पोक किया। ये टच नेहा को करेंट लगा गया। उसने पीछे मुड़कर देखा तो उसकी आँखें फट गई।
समर का लण्ड धंसा हुआ था नेहा की गाण्ड में। समर की आँखें बंद थी। वो तो अपनी बहन की गाण्ड पर झड़ने का इंतेजार कर रहा था। नेहा को अद्भुत नशा सा आ गया। मन किया की इस लण्ड को गाण्ड में ले ले। मगर अभी वो वक़्त नहीं आया था। वो हल्का-हल्का अपनी गाण्ड को आगे-पीछे करने लगी। पाजामे के ऊपर से लण्ड को गाण्ड से मिलाने लगी। समर का लण्ड बेताब हो रहा था फटने के लिए। उसे इतनी खुशी कभी नहीं मिली थी, की तभी नेहा रुक गई और उठ गई। समर की आँख खुली, उसका दिल टूट गया। दीदी को भी अभी रुकना था। मगर उसे क्या पता था की उसकी बहन कुछ और सोच रही थी।
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