RE: Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग
समर का लण्ड जाग गया। उसे याद आया की दीदी की हर बात माननी ही है। क्योंकी वो अब दीदी के बदन को नहीं छोड़ सकता था। मन में सवालों के बावजूद वो मान गया। लण्ड की भावनायें दिल की भावनाओं पर भारी पड़ गई थी।
समर- “ओके... ओके दीदी..” समर बोला- “मगर मुझे करना क्या है? मुझे समझ में नहीं आया..."
नेहा- “कुछ ज्यादा नहीं। मम्मी के पास जा और उनके बदन को ढंग से देखकर आ। मगर एक बेटे की नजर से नहीं, एक मर्द की नजर से। फिर आकर मुझे बताओ की तुझे कैसा लगा अपनी मम्मी का शरीर?"
समर को ये सुनकर बहुत बुरा लगा। बहुत गुस्सा भी आया। मगर वो हाँ बोलकर वहां से चला गया। मम्मी को देखना ही तो है। दीदी को क्या पता मैं किस नजर से देखूगा। अपनी मम्मी को गलत नजर से थोड़े ही देखूगा मैं। जल्दी से जाकर देख लेता हूँ और दीदी को कुछ भी बता दूंगा। उसने यही सोचा। मगर होने कुछ और ही वाला था।
समर ने अपनी माँ, प्रीति को हाल में सफाई करते हुए पाया। वो सोफा चेयर पे खड़ी होकर ऊपर दीवार की सफाई कर रही थी। उसने अभी भी वही नाइटसूट पहना था। समर उसके पास जाकर खड़ा हो गया। बस मम्मी को देखना है। कुछ नहीं करना, बस देखना है। अपने मन में बस वो यही दोहरा रहा था। मन में कुछ गलत नहीं था उसके, मगर जब गलत होना हो तो हो ही जाता है। ना जाने क्यों, सबसे पहले उसकी नजर अपनी मम्मी की गाण्ड पे ही पड़ी। शायद इसलिए क्योंकी वो बहुत बड़ी लग रही थी।
प्रीति पूरी स्ट्रेच होकर सफाई कर रही थी, और इसकी वजह से उसकी गाण्ड बाहर निकल रही थी। ना चाहते हुए भी समर उसे घूरता गया। इतनी बड़ी... इतनी सुडोल... छी.... क्या कर रहा हूँ मैं? क्या हो गया है मुझे? समर ने सोचा और अपनी आँखें झुका ली। उसे गुस्सा और लालच आने लगी। अपने आपको रोक रहा था वो, पर ये काम ना आया। क्योंकी कुछ ही पलों में उसकी निगाहें फिर उठ गई।
फिर से वो अपनी मम्मी की गाण्ड को ताड़ने लगा। उसने देखा की उसकी मम्मी की गाण्ड नेहा से भी बड़ी थी।
थोड़ी चौड़ी थी, मगर फिर भी बहुत कामुक थी। सफाई की वजह से प्रीति की गाण्ड हिल रही थी। ये समर को और पागल कर रहा था। ये मैं गलत कर रहा हूँ, क्यों कर रहा हूँ? समर सोच रहा था मगर उसकी आँखें अपनी माँ से हट नहीं रही थी।
प्रीति अभी तक अपने काम में मगन थी। मगर अब उसने समर को अपने पास बुत बने खड़ा देखा, तो कहा “अरे समर, यहां क्या कर रहा है?"
समर अपने होश में आ गया- “माँ... वो मैं... वो मैं ऐसे ही खड़ा था..” उसने बोलते हुए कहा।
प्रीति ने कुछ सोचा नहीं- “अच्छा...” और वो फिर अपने काम में लग गई- “बेटे मैं और तेरे पापा आज तुम्हारे चाचा के यहां जा रहे हैं। एक घंटे में निकलेंगे और 3 घंटे में आ जायेंगे...” प्रीति बोले जा रही थी।
मगर उसका बेटा कुछ सुन नहीं रहा था। वो तो अपनी माँ के अंग-अंग को निहार रहा था। रंग एकदम गुलाबी गोरा, कमर ऐसी जो जवान लड़कियों को शर्मिंदा कर दे। कमर तक पहँचते घने काले बाल। नेहा और उसकी माँ में शायद ये ही अंतर था। नेहा के बाल जहां ब्राउन थे, वहीं प्रीति के काले। प्रीति का मुँह नेहा जैसा ही सुंदर और प्यारा। थोड़ा उमर का पता चलता था। मगर ज्यादा नहीं। 42 साल की प्रीति, 32 साल से ज्यादा की नहीं लगती थी। समर को शायद पहली बार एहसास हुआ की उसकी मम्मी कितनी ज्यादा सुंदर है।
उसने अपनी माँ की ब्यूटी को आज पहचाना था। वो भी अपनी बहन की वजह से। जो वो सोच रहा था, वो गलत था। मगर वो रुक नहीं रहा था। फिर उसकी नजर अपनी माँ की उस चीज पर पड़ी जो हर मर्द की चाहत होती हैं। चूचे.. अपनी माँ के बड़े-बड़े गोल-गोल चूचे।
चूचे... उसकी माँ के चूचे। वहीं पर नजर थी उसकी। नाइट सूट में कैद थे वो भारी भरकम मम्मे। समर को खुद पे बहुत गुस्सा आ रहा था। वो एक बेटा था और एक मर्द भी। उसके अंदर की दोनों साइड आपस में लड़ रही थी। एक उसे याद दिला रही थी की ये उसकी माँ है, तो दूसरी कह रही थी की ये एक सेक्सी औरत है। जिसके 38डी के बड़े-बड़े मम्मे हैं।
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