XXX Kahani Fantasy तारक मेहता का नंगा चश्मा
02-04-2021, 01:23 PM,
#24
RE: XXX Kahani Fantasy तारक मेहता का नंगा चश्मा
पोपटलाल माधवी के हाथों को चूमता है...फिर उसके गालों को...उसके पेट को...और आख़िर में उसके चुचियो को ब्रा के आजू बाजू में चूमता है....और नीचे अब्दुल माधवी की जाँघो को चूमता है..धीरे धीरे पूरी जाँघ को चूमता है...फिर चूत के साइड में भी चूमता है....इधर माधवी की पेंटी पूरी तरह गीली हो जाती है...उसके मुँह से अहह ओह्ह निकल रही थी...दोनो ये सुन के हंस पड़ते हैं..और फिर अपने काम में लग जाते हैं....इस बार पोपटलाल नीचे और अब्दुल उपर आ जाता है..10 मिनट ऐसा खेल चलने के बाद दोनो ने माधवी को पूरी नंगी करने का फ़ैसला कर लिया होता है....

अब माधवी की ब्रा और पेंटी उतार दी जाती है..अब वो विल्कुल नंगी हो जाती है...दोनो माधवी को नंगा देख के हिल जाते हैं..क्यूँ कि उस वक़्त माधवी लग भी रही थी कमाल की...उसका गोरा बदन...बदन पे मस्त सी बड़ी बड़ी चुचियाँ..जिसपे काले कलर के निप्पल्स जो चुचियों की सुंदरता बढ़ा रहे थे....और नीचे उसकी चूत...वाअहह वो तो बिल्कुल कमाल की लग रही थी...एक भी बाल नही था उसकी चूत पर...एक दम चिकनी थी..जैसे कल ही उसके बाल हटाए हो..छोटी सी चूत है माधवी की...

अब दोनो के लंड ऐसे अकड़ चुके थे जैसे कोई रास्ते पर खंबा खड़ा होता है.....

अब दोनो ने माधवी को आज बुरी तरह चोद्ने का इरादा बना लिया था..इसलिए सबसे पहले पोपटलाल ने शुरू किया...और अब्दुल साइड में बैठ कर अपने लंड को मसल्ने लगा...

पोपटलाल अपना छाता लिए माधवी के उपर चढ़ गया....और चढ़ते ही उसने अपने पतले से होंठ माधवी के रसीले होंठो पे रख कर उन्हे चूसना शुरू कर दिया...ऐसा करते ही माधवी के हाथ हिलने लगे..लेकिन वो हाथों से रोक नही पा रही थी...उसे पता था कि उसके साथ कुछ ग़लत हो रहा है...उधर पोपटलाल इससे बिना कोई फरक पड़ते हुए अपने चुंबन में लगा हुआ होता है....अब वो बड़ी बहरामी से होठों को चूस रहा होता है......फिर रुक कर..उसने माधवी का मूह खोला और अपनी जीभ अंदर डाल कर माधवी की जीभ को चूस रहा था...माधवी के मूह से बस अहह..अयीई..पुच पुच की आवाज़ें ही बस बाहर आ रही थी..5 मिनट तक वो माधवी के मूह को अपने मूह से ऐसे ही चूस्ता रहा...और फिर हटते ही अपनी जीभ अपने होंठो के चारो तरफ घुमा के ...वहाँ पे लगे माधवी के थूक को चाट लिया....और अपने दाँत फाड़ने लगा..इधर माधवी अपनी आँख खोलने की कोशिस करती है...लेकिन उसको कुछ सॉफ दिखाई नही देता ....वो बस हल्की हल्की आवाज़ में नाहियिइ कर रही थी...ये सुन के पोपटलाल और अब्दुल दोनो हँसने लगते हैं...फिर पोपटलाल...नीचे आके माधवी के चुचों को हाथ में लेकर मसल्ने लगता है....बेवकूफ़ कहीं का इतनी ज़ोर से मसलता है कि माधवी बेहोशी में भी छींक देती है....और अब्दुल उसे डाँटते हुए चिल्लाता है..

अब्दुल :- पोपट भाई सठिया गये हो क्या...आराम से करो...इतनी ज़ोर से कोई दबाता है क्या..

पोपटलाल :- ग़लती समझते हुए...सॉरी भाई अब्दुल सॉरी...वो क्या है ना...ऐसे जोश में आ गया था इसलिए इतनी ज़ोर से दबा दिया...

और इस बार पोपटलाल धीरे धीरे चुचियाँ दबाने लगता है..बहुत धीरे धीरे आराम आराम से उन्हे दबा रहा था..और बीच बीच में निपल्स को भी खीच रहा था....

फिर हाथों को हटा कर..पोपटलाल अपने होठ रख देता है और चुचियो को मूह में लेकर चूसना शुरू कर देता है...वो बहुत धीरे धीरे चुचियों को चूस रहा था...पूरा तो उसके मूह में नही आ रही थी...क्यूँ कि पोपटलाल का मूह छोटा सा और माधवी के चुचे एक बड़े गुबारे जैसे...वो कॉसिश कर रहा थे कि पूरा मूह में ले ले लेकिन ले नही पा रहा था...

इसलिए वो बस चुचियो के निपल्स को मूह में लेकर चूसने लगा...माधवी के मूह से हल्की से अहहह निकल रही थी....फिर पोपट चूसने की बजाए चुचियों को चाटने लगा और प्युरे चुचि को जीभ से चाटने लगा और पूरा अपने थूक से सान दिया...और फिर उसने ऐसा ही दूसरी चुचि के साथ किया...माधवी के दोनो चुचि गीले पड़े थे...

फिर वो नीचे की ओर बढ़ता हुआ पेट को चाटने लगा..और अपनी जीभ नाभि में डाल के उसे चाटने लगा...ऐसा करते ही माधवी बेचैन हो गई वो इधर उधर हाथ पावं मार रही थी..जैसे कोई मछली बिना पानी के...अब अब्दुल सबसे नीचे उसके पैरों पर आ गया था...पहले उसने पंजों को अच्छे तरह चूमा...और धीरे धीरे उपर आते हुए उसकी जांघों को अच्छी तरह चूमा....ये देख के अब्दुल का बुरा हाल था क्यूँ कि उस वक़्त उस कमरे का बहुत ज़्यादा गरम महॉल हो गया था....

अब पोपटलाल उस जगह पहुच गया था जहाँ पहुचने के लिए सभी मरे जा रहे थे...वो आज अपने आप को इस दुनिया का सबसे लकी आदमी मान रहा था...और वो स्पेशल चीज़ थी माधवी की सुंदर बिल्कुल सॉफ चूत ..

वो उसकी चूत की तरफ आकर उसको सूँघता है...वाहह ऐसे उसके मूह से निकल जाता है...क्यूँ कि माधवी की चूत से एक मस्त खुसबु आ रही थी जो उसे पागल बना रही थी........

वो धीरे से अपने हाथों से चूत की फांको को अलग करता है..और अंदर का नज़ारा देखता है...और उसका सबर का बाँध टूट जाता है और अपनी जीब सीधे चूत के अंदर डाल देता है और अंदर उसे ज़ोर ज़ोर से घुमाने लगता है...और इधर माधवी इस वार को सहन नही कर पाती और मूह से सीस्याकियाँ लेती हुई...आआआआआआहह ओह...उफफफफफफफफफफफफफ्फ़.....उई.
माआअ....ओह.....मत कीजिए सोनू के पापा.....

इतने सुनते ही अब्दुल उसके चेहरे की तरफ देखता है और फिर अब्दुल की तरफ और फिर दोनो हँसने लगता है..और फिर अपने काम में लग जाता है...

अब वो पहले बाहर से ही उसकी चूत को चाटता रहता है और उसकी चूत को पूरी तरह गीली कर देता है...फिर चूत को खोल कर के अपनी एक उंगली अंदर डाल देता है...माधवी की चूत पूरी तरह से गीली हुई होती है...बहुत ही ज़्यादा पानी निकल रहा होता है उसकी चूत में से....और फिर पोपटलाल अपनी उंगली अंदर बाहर करना चालू कर देता है...लेकिन माधवी कोई रेस्पॉन्स नही दे रही थी...पता है क्यूँ..अब आप ही बताइए..पोपटलाल की एक उंगली कितनी पतली है..उससे क्या होगा...जब पोपटलाल को लगा एक उंगली से कोई काम नही हो रहा...तब उसने सीधे 2 उंगलियों की जगह 3 एक साथ अंदर घुस्सा दी...और तेज़ी से इस बार अंदर बाहर करने लगा.....

इस बार माधवी अपने आप को रोक नही पाई और उसके मूह से वो सिसकियाँ निकल ही गई....अहह मॅर गाइिईई...ओह्ह्ह्ह....धीरे धीरे....

पोपटलाल जोरों से उंगली अंदर बाहर करता रहा इधर माधवी बेचैन हो गई थी...वो झरने के बिल्कुल करीब थी..पोपट लाल को ये एहसास हुआ कि वो झड़ने वाली है तो उसने उंगली बाहर निकाल ली...और अपना मूह लगा लिया..क्यूँ कि वो माधवी का सारा रस पीना चाहता था...

उसने जीब चूत के अंदर डाल दी और चूसने लगा...और फिर पोपटलाल ने माधवी के दाने को दबा दिया...इससे माधवी के सबर का बाँध टूट गया और वो सिसकियाँ लेते हुए झड गई....आअहह....मैं ग्गाअगईइइई...और पोपट के मूह के अंदर ढेर सारा अपना रस छोड़ दिया...और पोपट लाल उसके पानी को पीता रहा..एक एक बूँद को वो निगल गया हो..और जैसे ही उसने उसकी चूत को छोड़ा एक पुच की आवाज़ आई...जैसे एक छोटा बच्चा पूरी पानी की बूँद निचोड़ देता है बॉटल से....अब पोपटलाल माधवी को चोदने जा रहा था..जैसे ही उसने माधवी की चूत पे अपना लंड सेट किया...और अब्दुल ज़ोर से चिल्लाया...रुक जाइए पोपट भाई...

पोपटलाल :- चौंकाते हुए...क्या है अब्दुल क्यूँ रोक रहा है...

अब्दुल :- पोपट भाई आपने तो इतना कुछ कर लिया...मुझसे अब रहा नही जा रहा...मुझे भी तो करने दो..आप थोड़ा आराम कर लो जब तक...

पोपटलाल अब्दुल की हालत को समझता हुआ ....उसकी तरफ हंसता है और बोलता है..चल ठीक है अब्दुल तेरी बेचैनी को समझता हूँ..तू आ जा भाई..

और अब्दुल माधवी की तरफ बढ़ने लगता है..........

अब्दुल माधवी की ओर बढ़ता है...और अपना एक हाथ उसके चुचों पे रख देता है....उसके शरीर में एक सन स्नाहट होती है..वैसे तो वो कयि रंडियो को चोद चुका था..लेकिन इस चीज़ में कुछ अलग ही मज़ा है...

अब वो अपने दोनो हाथों को उसकी चुचियो पे रख कर उपर चढ़ जाता है..और अपने होंठ माधवी के होंठो के पास ले जाता है...कुछ देर सोचता है...और फिर अपने होंठ माधवी के रसीले होंठों पे रख देता है..और उन्हे चूसने चाटने लगता है...

वो बड़े प्यार प्यार से होठों को चूस्ता है...कभी उपर वाला होंठ लेके तो कभी नीचे का होंठ लेके...

कुछ मिनट ऐसा करने के बाद उसने माधवी के मूह को खोला और अपनी जीभ अंदर डाल के माधवी की जीभ से मिला दी...इस बार माधवी ने भी साथ दिया..क्यूँ कि वो नशे में थी..उसे कुछ नही पता था कि कौन कर रहा है उसके साथ....अब दोनो बुरी तरह एक दूसरे के मूह को अपने मूह से चूस रहे थे....दोनो की साँस आब उखड़ने लगती है..इसलिए अब्दुल हट जाता है और हाँफने लगता है....

और धीरे धीरे अब चुचियों की तरफ बढ़ता हुआ...सीधे चुचियों के निपल्स को मूह में लेके चूसने लगता है...निपल्स अकड़ के बिल्कुल खड़े होते हैं...बार बार कभी एक चुचि के निपल को तो कभी दूसरे चुचि के निपल को दोनो को एक के बाद एक चूस रहा था...कुछ देर ऐसा करने के बाद वो सीधा बिना देर करे माधवी की चूत की ओर बढ़ जाता है....

इधर माधवी एक बार झड़ने के बाद दुबारा गरम हो गई थी....चूत अभी पानी छोड़ रही थी...अब्दुल ने अपने होठों के चारो तरफ जीभ घुमाई और टूट पड़ा चूत पर...

वो पागलों की तरह चूत को उपर से चाट रहा था...ऐसे चाट रहा था जैसे किसी कुत्ते को हड्डी मिल जाती है...माधवी इस प्रहार को सहन नही करती और उसकी सिसकियाँ चालू हो जाती है....अहह....ओह...मार दिया रे.......बसस्स करूऊओ....

अब्दुल माधवी की ओर ध्यान ना देते हुए..अपने काम में लगा हुआ था....अब उसने चूत की फांकों को अलग किया और अपनी जीभ चूत के अंदर डाल दी..और चूत की गहराइयों में चाटने लगा...माधवी का हाल बहुत बुरा था..और छटपटा रही थी...उसको इतना मज़ा आ रहा था कि वो बता नही पा रही थी...क्यूँ कि उसकी ऐसी हालत नही थी..
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