खाला की चुदाई के बाद आपा का हलाला
02-02-2022, 08:24 PM,
#23
RE: खाला की चुदाई के बाद आपा का हलाला
मजे - लूट लो जितने मिले

चौथा अध्याय

मेरी पहली चुदाई की कहानी

भाग 17



कल मैंने जेन को भी लगभग ऐसे ही अर्धनग्न और फिर नग्न होते हुए देखा था लेकिन लूसी का ये नज़ारा कुछ अलग ही था और इसका प्रभाव अत्यधिक उत्तेजक था। मेरी नज़र उसके पारदर्शी ब्लाउज के पार जाकर उसके चुचकों के देखा तो हाथो से महसूस किया वह उत्तेजना से कठोर हो गए थे उसका झीना ब्लाउज उसके रसदार खरबूजों को ठीक से पकड़ नहीं सका था। लूसी के दोनों कबूतर खुलने के लिए जैसे छटपटा रहे थे।

मैंने उसके ओंठो को किश किया और फिर थोड़ी गर्दन पर किस करते हुए और उसके कंधे को चूमा उसके वक्ष स्थल पर आ गया मैंने उसके क्लीवेज को भी चाटा। वह मेरे कोमल स्पर्श का आनंद ले रही थी और उसके रस भरे यौवन कलशो पर हाथ लेजा कर उन्हें सहला कर महसूस किया। उसके उरोज नरम पर सुदृढ़, गोल, उन्नत और आकर्षक थे।

मैं उसके बूब्स उस आखिरी परत के ऊपर से पूरी मस्ती से धीरे-धीरे सहलाया और फिर दबाया। उसके स्तन पिंजरे में बंद कबूतरों की तरह आज़ाद होने हो तड़प रहे थे। मैंने उनकी तड़प को समझा और हाथ उसकी कमर पर ले जाकर मैंने उसके टॉप की आखिरी डोरियों को खींच कर खोला और खींच कर उसके शरीर से हटा दी। वह मुझे रोकने की कोशिश नहीं कर रही थी बल्कि सहयोग कर रही थी अब मेरी संगनी ऊपर से निर्वस्त्र हो गयी थी। मैंने टॉप के पिंजरे से लूसी की गर्वित पहाड़ियों को बाहर निकाल लिया था। वे सीधे हवा में खड़े थे।

लूसी के स्तन मेरी कल्पना से भी अधिक उठे तथा सुन्दर है। उसके स्तन कोमल हैं। शीर्ष पर गुलाबी निपल्स ने उन्हें और अधिक सुंदर बना दिया।

मैं उसके स्तनों को घूरने लगा तो उसने अपने हाथों से अपने सीने को ढँक लिया। मैंने उसको सिर से पैर तक एक बार फिर अच्छी तरह से देख रहा था। वह एक वास्तव में बहुत सुंदर थी। फिर से मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर दबा दिए। वह मेरे होंठों को अपने अंदर लेने के लिए तैयार थी। हम फिर से एक दूसरे को चुंबन और एक दूसरे के होंठ चूस रहे थे। हम दुनिया के बाक़ी हिस्सों के बारे में भूल गए।

अब मेरे हाथ उसके स्तनों पर पहुँच गए और उन्हें पहले तो सहलाया फिर हाथ फिरा कर अनारो की गोलाईयों को सराहा फिर स्तनो के नीचे हाथ लेजाकर स्तनों को ऊपर उठाकर कर उनकी दृढ़ता को जांचा। फिर दबा कर उनको नरम और दृढ पाकर एक बार फिर प्यार से सहलाया। । फिर निप्पल पर हाथ फेरा तो उन्हें कठोर पा कर उन्हें मसला तो वह कराह दी। तो उन्हें सहला दिया। मैं अपने दोनों हाथों से उसके दोनों स्तन मसल रहा था और फिर चुम्बन तोड़ कर लूसी की आँखों में झाँका तो लूसी भी मुस्कुरा दी।

अब उसके दो शानदार बूब्स मेरी आँखों के सामने दो मस्त निप्पल थे। उसके निप्पल कम से कम 1 इंच लंबे और सख्त खड़े थे। उसके रसीले खरबूजे बहुत सुंदर और आकर्षक थे। मैं झुक और चूमा और उसके दोनों दूध के कटोरो को चूसा।

मैंने उसकी क्लीवेज के बीच के पसीने को चखा। मैंने अपनी लार को वासना की घाटियों के बीच गिरा दिया। मैं ध्यान से उसके पूरे स्तन को चाट और चूस रहा था लेकिन उसके निप्पलों को नहीं छुआ। वह अपने निप्पल मेरे मुँह में देने की कोशिश कर रही थी। मैं उसे और सताना चाहता था।

मैंने उसे अपनी बाहो में भींच लिया और उनसे भी कस के मुझे अपनी दोनों बाहों मे। लूसी को दोनों अनछुए गोल उरोज कस के मेरे सीने से दबे थे और मैं उन्हे और कस के भीच रहा था । बस लग रहा था हम दोनों की धड़कने मिल गयी है।

और उसकी खड़ी चोन्चे सीधे मेरे चौड़े मज़बूत सीने पर चुभ रही थी तो मुझे पहली बार आभास हुआ लूसी भी इस समय उत्तेजित थी और जब मैंने उसके नितंबों को पकड़ के कस के भींचा तो उसके फैली जाँघो के ठीक बीच... मेरा खूंटा उसकी टांगो के ठीक बीच में चला गया और वह बजाय छितकने के मेरे साथ चिपक गयी। मेरी हालत खराब थी।

वह बहुत खूबसूरत थी और यह बहुत कम आश्चर्य की बात थी कि वह जुनूनी थी, मेरे खड़े लंड की चुभन को उसने महसूस किया, लेकिन अभी मैंने ऐसा करने का इरादा नहीं किया था।

मैंने उसे एक हल्का-सा चुम्बन किया और अपनी पकड़ ढीली कर दी। और उसकी ड्रेस की आखिरी परत भी उसके किस करते हुए धीरे-धीरे उतार दी । पर आखिरी परत उतारते ही लूसी की भी आभास हो गया वह अब वस्त्रहीन हो गयी है तो वह मेरे से चिपक गयी।

मैंने उसे धीरे से अलग किसे तो वाह क्या नज़ारा था । शानदार और उत्तेजक

पेड़-सी लंबी, , 5-7 की। पतली पर इतनी पतली भी नही, गोरी। बड़ी-बड़ी आँखे, लंबे सुनहरे बालों, पतली लंबी गर्दन और 36D गोल उठे हुए और तने हुए गुलाबी चूचक जेन और डायना से ज़्यादा विकसित उरोज और पतली कमर और स्लिम बॉडी पर बूब काफ़ी उभरे लगते थे और वही हालत हिप्स की भी थी, भरे भरे। आज के लिए भारी मेकप हल्का-सा काजल, लाल लिपस्टिक और थोड़ा-सा रूज गालो पे, अद्भुत सौंदर्य और कामुक काया की मालकिन अब मेरी हो गयी थी।

उसके गोरे सुन्दर और गर्म बदन ने ही मुझे बहुत उत्तेजित कर दिया था और ऊपर से जब मैं उसको प्यार कर रहा था तब तो मई इ उसको घुमाया उसके सफ़ेद बदन उसके ऊपर उसके सुनहरे बाल और उसके बड़े गोल चूतड़ों उसे ग़ज़ब का सेक्सी बना रहे थे।

फिर जब उसकी पीठ को चूमते हुए तो उसके हिलते हुए चूतड़ों के बीच उसका सुरमई गुदा-द्वार और उसकी झांकती गुलाबी, चिकनी चूत जिसके दोनों होंट आपस में चिपके थे, मेरा लंड पूरा तन गया था और लगा अभी लावा उगल देगा।

इस बीच लूसी का ध्यान भी मेरी शारीरिक सुंदरता की और गया, मेरी बड़े-बड़े मज़बूत कंधों वाला कसरती जिस्म है मेरा रंग गोरा न ज़्यादा दुबला-पतला न ज़्यादा मोटा, हाइट 6 फुट, लंबे पैर वाली काया और काली और बड़ी-बड़ी गहरी-गहरी आँखें और सबसे महत्त्वपूर्ण मनमोहक चहरा जिस पर हर समय मुस्कान रहती है जो चुम्बकीय रूप से लड़कियों का ध्यान मुझ पर खींचती है ।

फिर मैंने उसे देखा, सोने के गहने में उसके पूरे शरीर को घेरे हुए थे। हालाँकि मैंने जानभूझ कर अभी तक कोई भी गहना नहीं उतारा था क्योंकि मैं उसे सिर्फ़ गहने पहना देखना चाहता था । उसने मेरी और ऊपर देखा और शर्म के मारे अपनी आँखे बंद कर ली, उसके गोल भरे और बड़े स्तनों को नुकीले नुस्खों को परिभाषित करने के लिए बेहतरीन सोने के गहनों के खिलाफ धक्का दे रहा थे और यही वह क्षण था जब मैं आखिरकार जो थोड़ा बहुत संयम मुझ में था वह भी हार गया। इस तरह की शक्ति के साथ मुझे कामवासना ने घेरा कि यह वास्तव में उसने मेरी सचेत सोच को मिटा दिया। वह वहाँ थी, जहाँ मैं उसे होना चाहता था और उस पल में, अब ख़ुद को रोक पाना असंभव था ।

मांग में टीका । बालो में चूरामणि, कानो में लटकी सुन्दर बालिया और नाक में बड़ी-सी सुन्दर नथ, पैरों की ऊँगलियों में बिछिया, पैरों में पायल, कमर में करधनी, हाथों की ऊँगलियों में अनेक अंगूठियाँ, हाथो के फूल, कलाई में चूड़ियाँ व कंगन, गले में हार और मटरमाला या चेन। मैं बस उसे देखता ही रह गया।

मैंने उसके हर जगह गाल, आंख, ठोड़ी और नाक चुंबन किया। उसका चेहरा मेरी लार से दमक रहा था। मैं फिर थोड़ा निचे को गया मैंने उसकी गर्दन और सीने के ऊपरी हिस्से जो क्षेत्र पर चुंबन किया।

मैंने कहा लूसी देखो इस मिले जुले उसको नग्न सिर्फ़ गहने पहन देख कर का मुझ पर क्या असर हुआ है देखना चाहोगी! इससे पहले वह कोई उत्तर देती मैंने धीरे से अंडरवियर नीचे उतार दियाl मेरा लंड पूरा 90 डिग्री पर तना हुआ था और फुदक कर सलामी दे रहा था। उसने शर्मा कर फिर अपनी आँखे बंद कर ली।

मैं विश्वास नहीं कर सकता था कि लूसी शर्माती हुई बहुत सुंदर लग रही थी। मैंने कहा प्रिय लूसी अपने प्रेमी को देखो तो उसने धीरे से आँखे खोली। यह पहली बार था जब उसने पुरुष के लिंग को इतने उत्कृष्ट कठोर और प्रकट और विक्रांत रूप में देखा था और उसकी पहली प्रतिक्रिया ईमानदार प्रशंसा थी। जिस तरह से उसकी आँखों अभी भी स्पार्कलिंग थे। मैंने लंड को सहलाया और ऊपरी त्वचा को पीछे किया तो गुलाबी लिंगमुण्ड उजागर हो गयाl मैंने और भी अधिक प्यार में लूसी के हाथ को पकड़ा और अपने लंड पर रख दियाl उसने धीरे से एक बार लंड को हाथ से सहलाया और लंड को छोड़ कर, फिर शर्म के मारे अपने हाथो से अपने चेहरे हो छुपा लिया।

मैंने उससे पुछा कैसा लगा तो वह शर्मा कर बोली आपका तो काफ़ी लम्बा और बड़ा है। मेरी तो दुर्गति कर देगा। मुझे बहुत डर लग रहा है तो जेन ने कहा लूसी घबराओ मत, ये ही तो इस प्यार के खेल का असली औजार हैi यही तुम्हे और आमिर को जन्नत की सैर करवाएगा, इसलिए, बिलकुल मत घबराओ एक बार इस के साथ मजे ले लोगों तो इसके बिना रह नहीं पाओगी, ये सुन कर लूसी धीरे से मुस्कुरा कर मेरे गले लग गयी।

मैंने उसके माथे को चूमा। उसे धीरे से उठाया और मैं उस को बिस्तर पर ले गया और उसे एक पागल आदमी की तरह चूमना शुरू कर दिया।

अब मैंने किश करते हुए और सहलाते हुए धीरे-धीरे उसके सारे गहने उतार दिए बस नथ रहनी दी तो उसने नथ पर हाथ लगा कर इशारा किया नथ तो रह गयी मैंने धीरे से कहा इसे बाद में उतारूंगा तो वह ईवा के शब्द याद करके की नथ उसके कुंवारेपन का प्रतिक है और उसे आज मैं उतारूंगा शर्मा गयी और मुझे उसकी ये डा बहुत प्यारी लगी और मैं उसे चूमने लगा

अब वह मेरे सामने बिलकुल नग्न थी सिर्फ़ नाथ पहने हुए. ऐसा रूप देख कर मेरा अब होने आप पर काबू नहीं रहा। फिर उसने मेरा सर पकड़ा और मेरे ओंठो से अपने ओंठ मिला दिया और हम 10-15.मिनट चुम्बन करते रहे मैंने चुम्बन को तोडा और गर्दन पर चूमते हुए धीरे-धीरे नीचे का रास्ता पकड़ने लगा। जब मैंने उसकी गर्दन पर चूमा तो उसके बदन ने थोड़ा झटका दिया और उसने मुझे कस कर अपने गले लगाया।

जब मैं उसे लिप किस कर रहा था तो वह मेरे बाल कस कर पकड़े हुए थी। मैंने फिर उसके शरीर की पूरी महिमा को सराहा। मैं समझा नहीं सकता कि वह कितनी सुंदर है, नाभि एक ऐसी कुंवारी गुफा की तरह थी जिसका पता लगाया जाना अभी बाक़ी था। उसके शरीर के सभी अंग सुडौल थे उसकी बलखाती कमर स्पॉट पेट और गोल चिकनी नितम्ब और मुझे उसकी गुलाबी चूत दिख रही थी।

मैं धीरे से उस के ऊपर चढ़ गया और उसके होंठो को चूमा तो उसने अपनी बाहो को मेरे चारो और लपेट लिया। हमारे चुंबन अब नरम नहीं थे बल्कि जो उत्तेजना और जोश आ गया था उसके अनुसार ही गर्म से गर्मतर होते जा रहे थे। फिर होंठ थोड़ा खुल गए और हमारी झीभे एक दूसरे के चारों ओर नाच रही थी और दुसरे की होंठ और मुंह में सब जगह घूम रही थी जैसे कुछ खोज रही हो।

मैंने उसके नंगे कंधे को चूम लिया। मैं धीमी गति से चुंबन करते हुए उसकी गर्दन पर चुंबन रोपण किये जिससे लूसी कराहने लगी।

इस तरह मैंने लूसी के नंगे कंधे को चूम लिया। मैं धीमी गति से चुंबन करते हुए उसकी गर्दन पर चुंबन रोपण किये जिससे लूसी कराहने लगी।

मेरे फिसल हाथ लूसी की कमर तक पहुँच गए. क्या चिकनी नर्म और नाज़ुक कमर थी। मेरे हाथ फिसल कर उसकी गांड पर पहुँच गए थे और उसकी गांड की दरार को मैंने महसूस किया।

"आअह्ह्ह ..." उसकी सिसकी निकल गयी।

मैंने फिर पूछा-क्या तुम तैयार हो?

उसने हाँ में सर हिलाऔर जबसे मैंने आपको देखा है, मेरे तन बदन में आग लगी हुई है।

मेरा भी हाल कुछ ऐसा ही था-मेरे सपनों की रानी ... मैं तो दीवाना हो गया हूँ।

मैंने हल्की-सी आवाज़ में 'आई लव यू लूसी' कहा और बोला-आपको मालूम नहीं है कि मेरी क्या हालत है। मेरा मन आपको देखते ही बेकाबू हो गया है तुम तो मेरे दिल की मल्लिका हो।

मैं आगे बोला-आपके गुलाबी नर्म गुलाब की पंखुरियों जैसे होठों का रस चूसना शुरू करे तो रूकने का नाम ही न ले। मैंने आज तक तुम जैसी सेक्सी लड़की नहीं देखी! आय लव यू जान! तुम बहुत अच्छी लग रही हो! आज मैं अपनी दुल्हन को प्यार करूंगा और तुम्हारी सील तोड़ दूँगा!

मेरी ऐसी बातों से लूसी पागल हो गयी, उसकी गर्म बांहों में मेरा शरीर जल रहा था। मैंने लूसी को अपनी तरफ़ किया और अपने होंठ लूसी के होंठों पर रख दिए और उन्हें चूसने लगा। मैं बहुत जोश में था और लूसी के होंठों पर ही टूट पड़ा।

लूसी के सफ़ेद बड़े-बड़े खरबूजे देख कर मेरी तो ज़ुबान रुक गई। मैं लूसी की आधी नंगी चूची को देख कर मस्त होने लगा, मेरा लंड टाइट हो गया।

मैं लूसी की जांघों और नंगी चूची को टच करने की कोशिश करने लगा। लूसी को भी एक्साइटमेंट होने लगा, लूसी भी मेरे सामने ढीली पड़ने लगी, मैं उसे हग करके लूसी की गांड को सहलाने लगा। और मैंने बारी-बारी दोनों चूची को दबा दिया।

फिर मैंने बिना कुछ कहे उठा कर लूसी को अपनी गोद में घसीटा और लूसी के लिपस्टिक से रंगे होंठ बिना लिपस्टिक के कर दिए। लूसी भी मेरे इस चुंबन से पागल-सी हो गई और अपने हाथ मेरी गर्दन पर फिराने लगी। वह मुझे पागलों की तरह किस करने लगी और मैं भी उसका पूरा-पूरा साथ देने लगा था। मैं उसके बड़े-बड़े सफ़ेद मम्में देख कर पागल हो रहा था जो उत्तेजना से लाल हो रहे थे। उसके चूचुक गुलाबी रंग के थे।

ने एक हाथ से उसके दूध पकड़ कर ज़ोर से दबा दिए और वह सिसकिया लेने लगी अहहह अम्म्म ऊऊऊ मम्मम और वह कहने लगी की और ज़ोर से दबावों। हम दोने की ही पता भी नहीं चला था कि मैंने कब लूसी को नंगी कर दिया। सिर्फ़ नथ रहने दी... नथ मुझे चोदने के लिए उकसाने लगती है ... सिर्फ़ बड़ी नथ में लूसी बहुत सेक्सी लग रही थी

मैंने लूसी पर ध्यान दिया तो पता चला कि वह मेरे ऊपर नंगी बैठी है ... उसने अपने हाथ मेरे सीने पर टिका रखे हैं।

लूसी पूरी नंगी ... गोद में किसी बच्चे की तरह बैठी हुई थी। लूसी का बदन बेहद मुलायम चिकना नर्म और कमसिन था।

मैंने धीरे-धीरे लूसी को पीछे खिसकाया और बिस्तर पर गिरा दिया और ख़ुद लूसी के ऊपर आ गया। मेरे शरीर का पूरा भार लूसी पर था। लूसी ने मेरी लोहे जैसी बाजुओं को पकड़ा और मुझे अपने पर से हटाना चाहा पर नाकामयाब रही। बल्कि जितना वह मुझे हटाती थी, मैं उतना ही लूसी पर लदे जा रहा था।

अंत में उसने हार मान ली और अपने आपको मुझे सौंप दिया।

मैं लूसी के होंठों को चबा रहा था और लूसी के निप्पल को अपने मज़बूत हाथों से नौच रहा था, लूसी ज़ोर-ज़ोर से सिसकारियाँ भर रही थी जिससे मुझे और जोश आ रहा था।

कुछ देर हम यूँ ही करते रहे!

थोड़ी देर बाद मैं लूसी पर से हट गया तो लूसी ने राहत की सांस ली। फिर मैंने चाकलेट्स उठाई!

लूसी बहुत खुश हो गयी क्योंकि उसे चाकलेट्स बहुत पसंद थी।

मैंने एक चाकलेट का पैकेट फाड़ा, चाकलेट को अपने मुँह में रखा और अपने मुंह को लूसी के मुंह के पास लाया! चाकलेट देख लूसी के मुंह में पानी आ गया और लूसी आगे बढ़ कर मेरे मुंह से चाकलेट खाने लगी। अब मैंने मुंह से सारी चाकलेट अपने और लूसी के मुंह पर लगा दी, मैं लूसी के मुंह पर लगी चाकलेट खाने लगा, लूसी भी मेरे मुंह पर लगी चाकलेट चाटने लगी।

हमने चाट-चाट कर एक दूसरे का मुंह साफ़ किया।

पहले तो मैंने लूसी के गले पर बेतहाशा किस किया और काट कर निशान-सा बना दिया। फिर उसके कंधों पर किस किया और चूस-चूस कर दांत लगा दिए.

वह कराह उठी-आआह्ह ... धीरे करो ... प्लीज काटो मत! निशान पड़ जाएंगे!

पर मैं कहाँ रुकने वाला था ... मैंने दोनों कन्धों पर काट लिया और वहाँ लव बाईट के निशान पड़ गए.

फिर मैं उसके गालों पर टूट पड़ा। उसके गाल बहुत नर्म मुलायम और स्वाद में मीठे थे। वहाँ भी मैंने दांतों से काटा तो वह कराहने लगी-आअह्ह उई ऊह्ह्ह मह्ह मर गयी ... मार डाला ... अअअ प्लीज प्यार से करो ... काटो मत ... दर्द होता है!

और उसकी कराहट से मेरे जोश और बढ़ जाता।

मैं पूरा सेक्स में डूब चुका था, मैं अपने हाथ उसके पीछे ले गया और उसकी मुलायम नर्म पीठ को कस कर पकड़ लिया। कुछ देर बाद मैंने उसे थोड़ा ऊपर किया और लूसी की चुची पर जानवरों की तरह टूट पड़ा। उसके निप्पल जिनको आज तक किसी ने नहीं काटा था, अब मैं उसके दायें निप्पल को चूस रहा था और काट रहा था। फिर मैंने बायें निप्पल को चूसा और काटा और पहली को हाथ से दबोच रहा था। वह बहुत फूल चुकी थी।

मैं बोला-तू बहुत मीठी है, मैं तुझे खा जाऊँगा।

लूसी बोली-अगर खा जाओगे तो कल किसे प्यार करोगे?

लूसी ने मेरा सर पकड़ कर मुझे हटाना चाहा लेकिन मैं टस से मस नहीं हुआ और दोनों चूची को एक साथ चूसने और काटने लगा।

लूसी बहुत चीख रही थी-आआह ... ओमम्म्म ममम ... चाटो ना ज़ोर से, सस्स्सस्स हहा!

और मचलने लगी और अपनी गांड को इधर उधर घुमाने लगी।

अब वह ख़ूब सिसकारियाँ भरने लग गई थी, वह 'अहाह ... आहहह ... आहहह ...' कर रही थी। उसके ऐसा करने से मेरे लंड में भी और ज़्यादा सनसनी होने लगी थी। लूसी की आवाज़ गूँज रही थी लेकिन लूसी की मदद को आने वाला वहाँ कोई नहीं था।

मैंने उसे बिस्तर पर चित्त लिटा दिया। मैंने धीरे से उसकी गर्दन को चूसा जिससे लूसी फिर से कराहने लगी। अपने होठों को अलग करते हुए, मैंने उसे उस प्यार से एक छोटे से निशान से लेकर उसके कान के निचले हिस्से तक चूमते हुए उसकी कामुक गर्दन को अपनी जीभ की नोक से गीला कर दिया। उसने धीरे से उसके कानों को चूसा, उस पर अपने होठों से किस किया। फिर अपनी जीभ उसके पूरे कान के बाहरी हिस्से पर घुमाई, फिर जीभ की नोक उसके कान के अंदर गुसाई तो वह फिर इसससस करती हुई कराह उठी और फिर धीरे से उसके कान के नीचे की लटकन को चूसने लग गया।

मैं जो कुछ कर रहा था, उसकी कामुकता पर लूसी हैरान थी। उसका मन नियंत्रण से बाहर हो रहा था और उसका शरीर पहले से ही ख़ुशी की लहर पर सवार था, जिसकी तीव्रता धीमी होने का कोई संकेत नहीं दिखा रहा था। मेरे होठ उसके कान से उसके माथे पर चले गए और फिर मैंने उसकी आँखों में से प्रत्येक पर एक कामुक नरम चुम्बन किया। उसके गाल उसके नाक और फिर उसकी ठोड़ी। लूसी की आँखे बंद थी। जैसे मैं उसे किस कर रहा था उससे उसने अनुमान लगाया के अब मैं उसे ओंठो को किस करूंगा।

बेसब्री से मेरे होठों का अपने होठों का अनुमान लगाते हुए, लूसी ने अपना सिर ऊपर कर लिया ताकि हमारे ओंठ मिल जाए लेकिन मैंने उसके ओंठो पर अपनी कुछ गर्म साँसे छोड़ी जिससे उसे मालूम हो गया मेरे ओंठ उसके ओंठो के ऊपर ही मंडरा रहे हैं, इतना पास के उसे मेरे ओंठो का अनुमान लगता रहे पर किस न हो। हमारी साँसे तेज चल रही थी मेरी गर्म सांसे वह मह्सूस कर रही थी और मैं उसकी गर्म साँसे महसूस कर रहा था।

उसने अपने होंठ अलग किए और मुँह खोला और फिर से अपना सर उठा कर मुझे चुंबन करने की कोशिश की, लेकिन मैंने अपना सर उतना ही पीछा कर लिया जितना उसने उठाया था ताकि ओंठो का चुम्बन उसकी पहुँच से बाहर रहे। वह व्यग्र हो उठी और आँखे बंद रखते हुए बोली"मेरे ओंठो पर चुम्बन कीजिये प्लीज, मेरे ओंठो को क्यों तरसा रहे हो आप, प्लीज, मुझे अपने ओंठ दीजियेl" लूसी ने गुहार लगायी और उसने अपने ओंठ खोलते हुए जीभ को लहराते हुए अपना सर और ज़्यादा ऊपर उठा दिया। वह तड़प उठी थी।

मैं उसकी तड़प को और नहीं देख सका और अपने खुले मुंह को उस के मुँह पर लगाया। अब इस के बाद व्यग्रता के कारण लूसी ने ऐसा तीव्र चुंबन किया जिसकी तीव्रता बहुत अधिक थी। यह किस काफ़ी लम्बा चला ये क्षण सिर्फ़ मेरा और लूसी का था, इस क्षण और कुछ महत्त्व नहीं रखता था, कुछ नहीं और कुछ भी अस्तित्व में नहीं रहा। वह मेरी थी और मैं उसका था। शरीर, मन और आत्मा दोनों एक हो गए।

प्रेम और वासना के साथ दोनों पता नहीं कितनी देर तक एक दुसरे को अपने हाथ और पैर, शरीर के चारों ओर लपेटकर चूमा। कभी मैं ऊपर कभी वह ऊपर बस पागलो की तरह चूमते रहे। लूसी ने अपनी उंगलियों को मेरी नंगी पीठ के ऊपर और नीचे दौड़ाया, धीरे से उसने अपने नाखूनों को नेरी पीठ की त्वचा पर रगड़ दिया। मेरी उंगलियों ने उसकी रेशमी त्वचा को महसूस किया मेरा स्पर्श उसकी निर्दोष चिकनी रेशमी त्वचा जो काफ़ी गर्म थी उसे महसूस कर रहा था।

मैंने हाथ नीचे खिसकाया और धीरे से उसकी गांड को सहलाया। जैसे-जैसे हमारे होंठ और जीभ अपने हमले जारी रखते थे, मेरे हाथ उसकी चिकनी पीठ और उनके कामुक नितम्बो के गालो को ऊपर-नीचे हो रहे थे। मैंने धीरे से अपने हाथों से उसकी गांड को दबाया तो लूसी ने मुझे और भी अधिक आक्रामक तरीके से चुंबन करते हुए जवाब दिया। मैंने उसकी गांड की दरार में अपनी उंगलियाँ फँसा दी और उसकी चूत तक पहुँच धीरे से अपनी उंगली उसके ऊपर चलाई। अपनी उंगली पर गीलेपन का आनंद लेते हुए, उसने उसकी चूत को रगड़ा और अपनी उंगली से उसकी चूत के दाने को दबाया। मैं उसकी चूत पर हाथ फेरने लगा उसे जैसे करंट-सा लगा और उसने मुझे कस कर पकड़ लिया और मुझसे लिपट गयी, उसका गोरा बदन सुर्ख लाल हो गया थाl

"ऊह यस।" लूसी कराही और उसने चुंबन तोड़ दिया। उसने वासना भरी आँखों से मुझे देखा और उसे फिर मुझे उतनी ही उत्तेजना से दुबारा चूमा, मैंने अपने जीभ उसके मुँह में सरका दी तो वह मेरी जीभ चूसने लगी। मेरा हथियार अपने पूरे जोश पर था वह भी उसके बदन पर अपने चुम्मे दे रहा था म्यान प्रवेश के लिए मचल रहा था। वह अभी भी अपने हाथों को मेरी पीठ और नितंब पर चला रही थीl

वो हैरान-परेशान ये सब देख रही थी कि मैं अपना हाथ नीचे ले गया और चूत और गांड पर पूरा हाथ फेरा। बिल्कुल मक्खन जैसी चूत और गांड देख कर मैंने कहा-ओह, वाह ... मज़ा आ गया जेन मेरी जान मुझे तुझसे यही उम्मीद थीl ऐसा लगता है जैसे लूसी के बाल आते ही ना हों। तुमने इसके बाल इतने बढ़िया साफ़ करे हैंl यह कहकर मैंने अपने होंठ, लूसी के लबों पर रख दिये और चूसने लगा।

इस बार यह किस कुछ और ही था ... ज़बरदस्त। मैं मुँह में मुंह डाल कर वह किस नहीं कर रहा था बल्कि लूसी को घूंटें भर के पी रहा था।

मैंने अपना हाथ बूर पर रख दिया, लूसी ओह्ह्ह्हह आमीररर कहकर चिहुँक उठी, उसका पूरा बदन थरथरा और गनगना उठा, मेरे को हाथ लगाते ही ये महसूस हुआ कि उसकी बूर तो पहले से ही भट्ठी की तरह जल रही है, मैं मदहोश हो गया इतनी नरम और गरम बूर को छूकर, बूर तो फूलकर अपने सामान्य आकार से काफ़ी ज़्यादा बड़ी हो चुकी थी पर उसका प्यारा-सा नरम-नरम संकरी छेद वैसे ही कसा हुआ था, बूर की फांकें संभोग की आग में गरम होकर जल रही थी। मैं लूसी की

बूर को हथेली में भरकर मीजने लगा, फांकों पर तर्जनी उंगली से दबाने लगा, पूरी बूर का मानो मुआयना कर रहा हो, कभी अपनी बीच वाली उंगली को बूर की दरार में डुबोता तो कभी फांकों को सहलाता।

लूसी का बदन अब थरथराने लगा, उत्तेजना चरम सीमा तक इतनी जल्दी चढ़ जाएगी ये लूसी को विश्वास नहीं था, उसकी बूर नदी की तरह बहकर कामरस छोड़ने लगी।

लूसी हाय-हाय करने लगी, उसको असीम आनद की अनुभूति होने लगी, काफ़ी देर मैं लूसी की बूर को छेड़ता, सहलाता और भींचता रहा, कभी वह दाने को दो उंगलियों से पकड़कर सहलाता, कभी अपनी तर्जनी उंगली दाने पर गोल-गोल घुमाता और फिर कभी उँगलियों से बूर के मदमस्त नरम-नरम छोटे से छेद को छेड़ता। जैसे ही मैं लूसी की बूर के भागनाशे को छेड़ता लूसी बुरी तरह थरथरा जाती, उसका पूरा बदन ऐंठ जाता और उसके मुंह से आहह, ह्ह्ह्हआआईइइइ, उफ़, धीरे-धीरे सिसकारियों के साथ निकलने लगता। लूसी को इतना मज़ा अभी तक कभी नहीं आया था वह तो जैसे जन्नत में पहुँच गयी थी।

नीचे से मैंने अपनी एक उंगली जब लूसी की भीगी चूत में डाली तो वह बेचारी हिल गयी। वह अगले ही पल मैं कबूतर की तरह फड़फड़ाने लगी और मुझ से चिपट गयी। यह देखकर मैंने अपनी उंगली का अगला हिस्सा चूत में घुसा दिया। होंठ अभी होंठों में थे और मैं उसी तरह उसे पी रहा था।

इन 5-7 मिनटों में ही काम के समुन्दर की जिन गहराइयों में वह मुझे ले गयी, मैं वहाँ तक पहले कभी नहीं गया था और लूसी तो अनछुयी हुई थी ही। इसलिए उसके मुंह से एक तेज़ 'ऊंह...' निकली क्योंकि मैंने अपने होठों के शिकंजे से उसके लबों को भींचा हुआ था।

अब इसी तरह वह मेरी मज़बूत बांहों में लेटी रही क्योंकिउसे अब अहसास हो गया था कि प्रतिरोध एकदम व्यर्थ है। उसने अपना जिस्म ढीला छोड़ दिया और उसमें गुम होने लगी। ऐसा लग रहा था जैसे कोई सपना हो।

मैं अपनी आधी उंगली चूत में आगे पीछे कर रहा था। एक बार फिर दर्द एक असीम आनंद में बदल गया था। कुछ पलों बाद वह बड़ी तेज़ी से झड़ने की कगार पर पहुँची ही थी कि मैंने अचानक उंगली एकदम बाहर निकाल ली। ऊँगली बाहर निकालते ही उसने होंठों को भी आज़ाद कर दिया।

लूसी के काम रस से मेरी पूरी उंगली काफ़ी पहले ही भीग चुकी थी, अब वह लंड खाकर उसकी जबरदस्त चुदाई से झड़ना चाहती थी। मैंने उंगलियों को अपनी नाक के पास लाके सूंघा और कामरस को चाटने लगा

लूसी ने अपना हाथ वहाँ से हटा लिया और पीठ के बल लेट गयी, उसने महसूस किया कि मैं बड़े चाव से कामांध होकर उसकी बूर का रस चाट रहा हूँ, मैंने तर्जनी उंगली डालकर मक्ख़न निकाला, जैसे ही मैंने तर्जनी उंगली को बूर की दरार में डुबोया, लूसी के मुंह से फिर से एक बड़ी आआह्ह्ह्ह निकल गयी।

महक में सना बूर का मक्ख़न मैं मदहोश होकर चाट गया, फिर लूसी की ही बूर का मक्ख़न अपनी उंगली में लगा के उसके होंठो तक ले गया, लूसी उसकी महक से फिर मदहोश हो गयी और लब खोल दिये, मैंने उंगली उसके मुँह में डाल दी और वह चाटने लगी जैसे बरसों की प्यासी हो, मैं कभी उसके होंठों पर अपनी उंगली से वह रस लिपिस्टिक की तरह लगाता और लूसी जीभ होंठों पर फिरा-फिरा के चाटती तो कभी अपनी पूरी उंगली उसके मुँह में घुसेड़ देता और लूसी लॉलीपॉप की तरह चूसती, ऐसे ही मैंने तीन बार बूर का रस छाता और लूसी को चटाया।

हैरान-परेशान लूसी ने उस समय इतनी हिम्मत भी नहीं थी कि एक लफ्ज़ भी मुँह से निकाल सके।

कहानी जारी रहेगी

आगे क्या हुआ पढ़िए अगले भाग में।

आपका आमिर खान l
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RE: खाला की चुदाई के बाद आपा का हलाला - by aamirhydkhan - 02-02-2022, 08:24 PM

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