RE: Bhai Bahan Sex Kahani भाई-बहन वाली कहानियाँ
अब हमारे बीच किसी तरह की कोई दूरी नहीं रह गई थी। इसलिये मैंने पहले जाकर टीवी ओफ़ कर दिया जिससे पूरा ध्यान सविता की चुदाई पर लगा सकूं। दीवान पर आकर मैंने उसे लेटा दिया और उसके बगल में लेट कर उसके होठों को चूसने लगा। वो भी मेरे पूरा साथ देते हुए अपने जीभ मेरे मुंह में अन्दर बाहर कर रही थी। इस सब में इतना मज़ा आ रहा था कि मैं बता नहीं सकता। मैंने अपना कुरता उतार दिया और बनियान भी। अब मैं केवल पायजामे और उसके अन्दर अन्डरवियर में था। मैंने सविता के नाईट सूट के बटन खोलने शुरू कर दिया। वो शरमा कर सिमटी जा रही थी। पहली बार कोई उसके जवान बदन को छू रहा था।
उसका नाईट सूट हटते ही उसकी चूची ब्रा में कैद होकर भी आधी से ज्यादा दिख रही थी। मैंने ब्रा के ऊपर से ही उन्हें चूमना शुरू कर दिया, मेरा हाथ उसके पैन्टी को खोलने में लगा था और उसकी पैन्टी निकालने कि लिये मैंने उसे इशारा किया तो उसने अपने चूतड़ों को थोड़ा सा ऊपर कर दिया और मैंने उसे टांगों से बाहर निकाल दिया।
उफ़्फ़फ़्फ़फ़ ! उसकी गोरी और मांसल जांघे देख कर मेरा लौड़ा पजामा फ़ाड़ने को तैयार हो गया। मुझसे अब रहा नहीं गया। मैंने अपना पजामा और अन्डरवियर निकालकर फेंक दिया। वो मेरे खड़ा लण्ड देखकर बोली- पुनीत ये लण्ड मेरी चूत में कैसे जायेगा, मैंने तो आज तक इसमें एक उंगली भी नहीं डाली।
मैं बोला- मेरी जान देखती जाओ ! तुम्हारा दीवाना क्या क्या करता है।
मैं उसकी ब्रा का हुक खोलने लगा तो वो मुझसे चिपट गई। मैंने उसकी ब्रा का हुक खोल दिया और उसकी पीठ को सहलाने लगा। मेरा लण्ड बार बार जोर मार रहा था और उसकी जांघो पर छू हो रहा था। आआह्हह्ह ! यह एक अलग मज़ा था। मेरी छाती और उसकी चूंची के बीच बस उसकी ब्रा थी जो मैंने एक तरफ़ खींच कर निकाल दी।
उफ़्फ़फ़फ़्फ़फ़ ! उसकी दूध जैसे गोरी चूची देखकर मन कर रहा था कि उसको काट लूं। उसके गुलाबी चुचूक को मैं मुंह में लेकर चूसने लगा। वो एकदम टाईट हो गये। उसके हाथ मेरे बालों में घूम रहे थे और मैं बहुत बेचैनी के साथ उसकी चूची को सुसक कर रहा था। थोड़ी देर के बाद मैं उसके पैर की तरफ़ आ गया और उसकी पैन्टी अपने दांतों से खींचने लगा। उसको बाहर निकालकर मैं अपना हाथ उसके पैरों को छूते हुए जांघो पर घुमाने लगा। मेरे मुंह उसकी चूत पर था। उस पर बहुत घने बाल थे।
मैं सविता से बोला- तुम कभी अपनी चूत शेव नहीं करती?
वो बोली- कभी इस तरफ़ ध्यान ही नहीं दिया।
मैं बोला- कोई बात नहीं, फ़िर कभी मैं साफ़ कर दूंगा।
मैंने अपनी जीभ उसकी चूत पर घुमानी शुरू कर दी। उसको बड़ा अज़ीब लग रहा था, वो बोली- पुनीत, यह क्या कर रहे हो?
मैंने पूछा- क्यूं? मज़ा नहीं आ रहा क्या?
वो बोली- मज़ा तो बहुत आ रहा है।
उसकी सिसकारी सारे कमरे में सुनाई दे रही थी आआआह ह्ह्हह। पुन्नन्नीईत बस करो आआअह्हह मैं मर जाऊंगी आआ आआअह्हह!
मैं और भी जोश में आने लगा और उसकी चूत में अपनी जीभ घुसाने लगा। मेरे मन था कि वो भी मेरे लण्ड चूसे पर अभी मैं उसे झिझक के मारे कह नहीं पा रहा था। उसने एक हाथ से मेरा लण्ड ज़ोर से पकड़ा हुआ था और अपनी आंखें बंद करके आआअह्हह्ह ऊऊओहह्ह कर रही थी। उसकी चूत एकदम गीली हो रही थी। मैं समझ गया कि एक बार उसकी चूत पानी छोड़ चुकी है। अब मैं उसे चोदने की तैयारी करने लगा।
मैंने उसकी गाण्ड के नीचे एक तकिया लगा दिया। उसकी चूत अब बहुत उभर गई थी। मैंने उसकी दोनों टांगों को खोल कर बीच में आ गया। अपने लण्ड मैंने जैसे ही उसकी चूत पर रखा तो मुझे लगा कि जैसे मेरे लण्ड में आग लग गई हो। उसकी चूत एकदम गरम हो रही थी। मैंने अपना लण्ड उसकी चूत में घुसाना शुरू किया तो वो दर्द से तड़प कर एकदम हटकर बैठ गई।
सविता बोली- पुनीत। इतना दर्द मुझसे सहन नहीं होगा। तुम्हारा लण्ड मेरी चूत में नहीं जायेगा। मैं मर जांऊगी। तुम चाहे जो कर लो पर मैं चूत में लौड़ा नहीं लूँगी।
मैं बोला- जान, पहले तो सभी को दर्द होता है पर बाद में खूब मज़ा आता है। जरा सोचो अगर तुम्हारी मम्मी चुदने के लिये मना कर देती तो तुम कहां से पैदा होती।
बात उसकी समझ में आने लगी, वो बोली- ठीक है पुनीत, तुम्हारे लिये मैं यह दर्द सह लूगीं, पर तुम थोड़ा सा तेल अपने लोड़े पर लगा लो।
मैंने कहा- ठीक है।
हमने तेल ढूंढना शुरू किया तो उस कमरे में तैल तो नहीं मिला पर दूध में से मलाई अपने लौड़े और उसकी चूत में लगा दी। अब मैंने अपना लौड़ा उसकी चूत में डालना शुरू किया। लौड़े का सुपारा उसकी चूत में जाते ही उसकी चीख निकल गई, मैंने अपने हाथों से उसके मुंह को सील कर दिया और धीरे धीरे धक्के मारने लगा।
थोड़ी देर बाद उसको भी मज़ा आने लगा और उसने अपने चूतड़ उछालने शुरू कर दिये। पूरा कमरे में एक संगीत सा बजने लगा। उसके हाथ लगातर मेरे चूतड़ पर घूम रहे थे और वो कभी कभी अपनी उंगलियाँ मेरी गाण्ड में डालने की कोशिश कर रही थी जिससे मेरा जोश और भी बढ़ जाता था और मैं और ज़ोर से धक्के मारने लगता। मेरे पूरा लण्ड जब तक उसकी चूत में था और मेरे आण्ड उसकी गाण्ड से टकरा रहे थे। लगातार धक्के मारने के वजह से मैं झड़ने वाला था। इसलिये मैंने लण्ड उसकी चूत से निकाल कर पानी उसके पेट पर झड़ा दिया। मैंने देखा उसकी चूत से खून निकला हुआ था। मेरा लण्ड भी लाल हो रहा था।
यह देखते ही सविता बोली- तुमने आज मेरी सील तोड़कर लड़की से औरत बना दिया है। आई लव यू ।
वो मेरे लण्ड को सहलाते हुए बोली- मुझे कभी भूल तो नहीं जाओगे पुनीत।
मैंने कहा- नहीं जान, मैं तो तुम्हारी शादी होने के बाद भी तुम्हें चोदना चहता हूं।
बहुत देर तक ऐसे ही एक दूसरे हो चूमते और सहलाते और बातें करते हुए ही लेटे रहे। फ़िर सविता बोली- चलो, अब ऊपर कमरे में चलते हैं, नहीं तो मम्मी पापा शक करेंगे।
उसे क्या पता था कि उसको चोदने का प्रोग्राम उसकी मम्मी ने ही बनाया है। मैं मन ही मन मौसी को धन्यवाद कर रहा था।
तो दोस्तो, यह थी मेरी कहानी।
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