RE: XXX Sex Stories डॉक्टर का फूल पारीवारिक धमाका
अपडेट 21
में दीदी के चिल्लाने से रुक गया और भी टेंशन में आ गया की कहीं दीदी को कुछ और तो नहीं हो रहा, पर मैंने देखा तो वो हंस रही थी और उनकी हँसी रूक नहीं रही थी, में एक दम से शॉक हो गया, मेरा रंग ही उड़ गया, और में दीदी के पास गया तो दीदी ने हँसते हँसते हुए कहा की अपना चेहरा तो देख, कितना रंग उड़ गया है, कैसे पीला पड़ गया हे कुछ नहीं हुआ हे मुझे. अब मेरी जान में जान आई और में दीदी के सताने पर हलके से मारने लगा और फिर अपने पर ही हंस पड़ा और दीदी के पास में ही बैठ गया, अभी भी दीदी की हँसी रूक नहीं रही थी और फिर हँसते हुए कहा की .क्यूँ बेटे, तुम अपना अंडरवेअर उतार के नहले पर दहला मार सकते हो तो हम भी आपके नहले पर देहला मार करके आपका रंग उड़ा सकते हे.. और वो फिर से हंसने लगि, तो मैंने फिर से उन्हें मस्ती में मारना शुरू किया, लेकिन इतने में पार्क का वॉचमन कहीं से आया और बोला.है..क्या कर रहे हो आप लोग? शर्म नहीं आति, चलो हटो यहाँ से, . और तब जा के दीदी सीरियस हुई और हम बाहर निकल गये.बाहर निकलते ही सामने झु था तो दीदी ने कहा चलो न रेशु, हम झु में चलते हे, मैंने मना किया तो उसने कहा की चलो ना.. मुझे साँप देखना हे. तो मैंने उसी टाइम डबल मीनिंग लाइन कह दी की .दीदी साँप देखना हे तो वो तो मेरे पास भी हे.. और बोलने के बाद मुझे पता चला की में क्या कह गया. दीदी ने सही सुना, मेरी और पलट के देखा और वो भी समझ गयी की मैंने क्या कहा पर कुछ बोली नहीं और हम दोनों झु में गये, वहा कुछ देखने को था नहीं में तो बार हो गया, पर दीदी डिस्कवरी की फैन होने से मज़ा ले रही थी, में तो बस दीदी को ही देख रहा था मुझे अफ्रीकन लायंस और ऑस्ट्रलियन कबूतरों में कोई इंटरेस्ट नहीं था लेकिन दीदी सबके बारे में मानो सब जानती हो ऐसे सबके बारे में कुछ न कुछ क्वालिटी बताने लगी, में पक रहा था पर में सुन रहा था और ऐसे जाता रहा था की मुझे भी मज़ा आ रहा हे, तब जा के मुझे लगा की इन औरतों के साथ रहना कितना मुश्क़िल हो जाता हे, फिर मैंने अचानक एक साइड में एक कोने पर देखा की एक कच्छ का फेमस जंगली गधा (घोड़े और गधे के बीच की जाती) वो अपनी साथी गधी के साथ सेक्स कर रहा हे, अब झु के बंद होने का टाइम हो रहा था और मानसून का सीजन था इस्लिये अँधेरा भी हो रहा था तो झु में काफी काम लोग थे और दीदी एक और रींछ को देख रही थी तो में आटोमेटिक उस गधे के पींजरे की और जा कर खड़ा हो गया और उनकी चुदाई देखने लगा, वो गधे का पास कितना बड़ा लंड था और अमूमन फीमेल अनिमलस, चुदवाने पर आवाज़ नहीं करते, पर उस गढ़ी के मुँह में से दर्द की हलकी हलकी सी आवाज़ें आ रही थी. गधा तो मानो जंगलीपन पे उतार आया था और उसकी चुदाई एक दम तेज़ होते जा रही थी, में दीदी को भूल गया था और इतने में मेरे पास एक कौवा आ कर बैठा और वो भी गधे गाढ़ी की चुदाई देखने लगा, उसके आ के बैठने से मैंने अपने राईट साइड पर आँखें फेर कर के कौवे को देखा तो मुझे आँखों के किनारे से दीदी भी दिखाई दी और वो एक दम अदब से मेरी और देख रही थी की में उन्हें भूल गया हू. दीदी को देख कर में अंनदेखा नहीं कर सकता था चाहे वो कुछ भी हो तो मैंने दीदी की और देखा और उनकी और मुडा, और उनकी और चल पडा, दीदी भी बाहर की और चल पडी,, सब झु से बाहर ही जा रहे थे. हम दोनों में से कोई बात नहीं कर रहा था झु बहुत बड़ा था इसिलिये, हमें अभी १५ मिनट तक ऐसे चुप चाप चलना था और यकीन मानिये दोस्तोँ ऐसे चलना सच में मुश्क़िल हो जाता हे, जब आपके साथ कोई अपना हो और कोई उससे बात न हो रही हो, तो मैंने चलते चलते दीदी से कहा की .दीदी सॉरी... दीदी ने तुरंत कहा, की ऐसे काम ही क्यों करते हो की तुम्हे सॉरी हर बार कहना पडता हे.
दीदी का गुस्सा थोड़ी ही देर का था यह पता था पर उन्हें मनाने में मज़ा आ रहा था थोड़ी देर सॉरी बोलने के बाद वो मान गयी और फिर से नार्मल हो गयी. अब तक ७ बज चुके थे और अब हम वहा से निकल करके कार में बैठे और मैंने दीदी से कहा की अब हम कहाँ जा रहे हे तो उन्होंने कहा की बस तुम सिट बेल्ट बांध लो, गाड़ी अब उड़ने वाली हे और उन्होंने सट से झटके दे कर एक्सेलरेटर दिया और एक दम रफ़ कार चलाने लगी, में पहले झटके में जान ही नहीं पया की हो क्या रहा हे, पर दीदी मानो कार उड़ा रही हो वैसे तेज़ चला रही थी. दूसरी कार्स मानो उसके सामने कुछ नहीं थी. दाएं बाएं कर के वो तो बस कार चलाये जा रही थी, फिर दीदी ने नम्बर ८ पकड़ा और उधर तो मेरी मा चुद गयी, वो हैवी लोडेड ट्रक्स के बीचमे से क्या कार निकाल रही थी, में डर भी रहा था और बहुत हैरान भी, लेकिन दीदी को मेरी और देखने का टाइम नहीं था और केवल उन्होंने मुझे १५ मिनट में वहाँ से सिटी का एक छोर से दूसरे छोर पर पहुच गए जहाँ पर हमारा घर था फिर दीदी ने एक दम से रोड के साइड में ब्रीक्स लगायी और कार को स्लीप कराइ और एक पेड़ के पास रोक दि, जैसे ही कार रुकि दीदी के हाथ में स्टेयरिंग था और उन्होंने मेरी और देखा और कार रुकते ही मैंने दीदी की और देखा. दीदी मेरी और देख कर मुस्कुरायी और में भी. मैं- बस अब कुछ मत बोलना, में मान गया की तुम भी तेज़ कार चलाती हो. फिर उन्होंने मेरे कंधे पर हाथ रक्खा और कहा, जो तुम कर सकते हो, उसे तुम्हारी दीदी तुमसे बेटर कर सकती हे.
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