XXX Sex Stories डॉक्टर का फूल पारीवारिक धमाका
02-27-2021, 12:45 PM,
#29
RE: XXX Sex Stories डॉक्टर का फूल पारीवारिक धमाका
अपडेट 32

”मैंने अपने दोनों हाथ बढा कर दोनों बॉब्स को आराम से दोनों हाथो में थाम लिया.
नंगी बॉब्स के स्पर्श ने ही मेरे होश उड़ाये.
उफ्फ्फ दीदी की बूब्स कितनी गठीली और गुदाज थी,
इसका अंदाजा मुझे इन मस्तानी बॉब्स को हाथ में पकड़ कर ही हुआ.
मेरा लण्ड फडफडाने लगा.
दोनों बॉब्स को दोनों हथेलीयो में कसकर हलके दबाब के साथ मसलते हुए चुटकी में निप्पल को पकड़के हलके से दबाया जैसे किशमिश के दाने को दबाते है.
दीदी के मुंह से एक हलकी सी आह निकल गई.
मैंने घबरा कर बॉब्स छोड़ी तो दीदी ने मेरा हाथ पकड़ फिर से अपनी बॉब्स पर रखते हुए दबाया
तो मैं समझ गया की दीदी को मेरा दबाना अच्छा लग रहा है और मैं जैसे चाहू इनकी बॉब्स के साथ खेल सकता हूँ.
गर्दन उचका कर बॉब्स के पास मुंह लगा कर एक हाथ से बॉब्स को पकड़ दबाते हुए दूसरी बॉब्स को जैसे ही अपने होंठो से छुआ मुझे लगा जैसे दीदी गनगना गई उनका बदन सिहर गया.
मेरे सर के पीछे हाथ लगा बालों में हाथ फेरते हुए मेरे सर को अपनी बॉब्स पर जोर से दबाया.
मैंने भी अपने होंठो को खोलते हुए उसकी बॉब्स के निप्पल सहित जितना हो सकता था उतना उसकी बॉब्स को अपने मुंह में भर लिया और चूसते हुए अपनी जीभ को निप्पल के चारो तरफ घुमाते हुए चुम लीया तो दीदी सिसयाते हुए बोली
“आह….आ…हा….सी…सी….ये क्या कर रहा है…उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़…..मार डाला….”
अब तो मैं जैसे भूखा शेर बन गया और दीदी की बॉब्स को मुंह में भर ऐसे चूसने लगा जैसे सही में उसमे से रस निकल कर खा जाऊंगा.
कभी बाई बॉब्स को कभी दाहिनी बॉब्स को मुंह में भर भर कर लेते हुए निप्पलों को अपने होंठो के बीच दबा दबा कर चूसते हुए रबर की तरह खींच रहा था.
बॉब्स के निप्पल के चारो तरफ के घेरे में जीभ चलाते हुए जब दुसरे हाथ से दीदी के बॉब्स को पकड़ कर
दबाते हुए निप्पल को चुटकी में पकड़ कर खींचा तो मस्ती में लहराते हुए दीदी लड़खड़ाती आवाज़ में बोली
“हाय रेशु….सीईई…ई…उफ्फ्फ्फ्फ्फ….चूसले…..पूरा रस चूस…..मजा आरहा है….तेरी दीदी को बहुत मजा आरहा है रेशु…..हाय तू तो बॉब्स को क्रिकेट की गेंद समझकर दबा रहा है….मेरे निप्पल क्या मुंह में ले चूस….तू बहुत अच्छा चूसता है….
हाय मजा आ गया रेशु….पर क्या तू बॉब्स ही चूसता रहेगा…..चुत नहीं देखेगा अपनी दीदी की चुत नही देखनी है तुझे…..हाय उस समय से मरा जा रहा था और अभी….जब बॉब्स मिल गई तो उसी में खो गया है….हाय चल बहुत दूध पीलिया…..अब बाद में पीना”
मेरा मन अभी भरा नहीं था इसलिए मैं अभी भी बॉब्स पर मुंह मारे जा रहा था.
दीदी पूरी तरह डुब गई थी और कुछ भी बोल रही थी जो अमूमन नॉर्मली नही बोलती पर कहते है ना सेक्स में हम अपना कैरेक्टर पूरी तरह भूल जाते है
कुछ याद नही रहता सिर्फ अपनी संतुष्टि किस तरह हो यही याद रहता है
मेरी दीदी जो वैसे तो पूरी शालीन है पर इस वक्त कोई उसे देखे जो अपने स्वभाव के एकदम विपरीत हरकते कर रही है
पूरी तरह सेक्स में डूबी हुई लग रही है मैंने सारी सोच को दिमाग से हटा कर दीदी के बूब्स पर ध्यान दिया
इस पर दीदी ने मेरे सर के बालों को पकड़ कर पीछे की तरफ खींचते हुए अपनी बॉब्स से मेरा मुंह अलग किया और बोली
“हाई रेशु….बॉब्स…छोड़….कितना दूध पिएगा….हाय.
दीदी लगता था अब गरम हो चूँकि थी और चुदवाना चाहती थी.
मैं पीछे हट गया और दीदी के पेट पर किस ले कर बोला
दीदी अब बचे हुए कपड़े तो निकालो दीदी बोली तू खुद ही निकाल ले तब मैंने पेटीकोट का नाडा खींच दिया
पेटिको़ट सरसराते हुए निचे गिरता चला गया
पैंटी तो पहनी नहीं थी इसलिए पेटिको़ट के निचे गिरते ही दीदी पूरी नंगी हो गई.
मेरी नजर उनके दोनों जन्घो के बीच चुत पर गई.
दोनों चिकनी एकदम सफेद गुलाबी टांगो के बीच में दीदी की चुत नज़र आ रहा थी.
दीदी की गोरी गुलाबी चुत बहुत प्यारी लग रही थी. दोनों जांघ थोडी अलग थी चुत के लिप्स अंदर की और थे दीदी की कमर को पकड़कर सर को झुकाते हुए चुत के पास ले जाकर देखने की कोशिश की
तो दीदी अपने आप को छुड़ाते हुए बोली
“हाय…रेशु ऐसे नहीं….ऐसे ठीक से नहीं देख पाओगे….दोनों पैर फैला कर अभी दिखाती हूँ…फिर आराम से बैठकर मेरी चुत को देखना …घबरा मत रेशु…मैं तुझे अपनी चुत पूरी खोल कर दिखाउंगी
…चल छोड़ कहते हुए पीछे मुड़ी.
पीछे मुड़ते ही दीदी की एप्पल शेप गांड मेरी आँखों के सामने नज़र आ गई.
दीदी चल रही थी और उसकी गांड थिरकते हुए हिल रही थी
और आपस में चिपके हुये दोनों पार्ट हिलते हुए ऐसे लग रहे थे जैसे आपस मे बात कर रहे हो
और मेरे लंड को पुकार रहे हो.
लंड दुबारा अपनी पूरी औकात पर आ चूका था और फनफना रहा था.
दीदी ड्रेसिंग टेबल के पास रखि गद्देदार सोफे वाली कुर्सी पर बैठ गई और हाथो के इशारे से मुझे अपने पास बुलाया और बोली
“हाय…रेशु…आजा तुझे मजे करवाती हूँ….देख रेशु मैं इस कुर्सी के दोनों हत्थों पर अपनी दोनों टांगो को रखकर जांघ टिकाकर फैलाऊंगी
ना तो मेरी चुत पूरी उभरकर सामने आ जायेगी
और फिर तुम उसके दोनों लिप्स को अपने हाथ से फैलाकर अन्दर चाटना….इस तरह से तुम्हारी जीभ पूरी चुतके अन्दर घुस जायेगी….
ठीक है रेशु…आजा….जल्दीकर…..” “यह मेरी फैंटसी थी पर तुम्हारे जीजाजी को चुत चाटना पसंद नही
” मैं जल्दी से बिस्तर छोर दीदी की कुर्सी के पास गया और जमींन पर बैठ गया.
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