RE: XXX Sex Stories डॉक्टर का फूल पारीवारिक धमाका
अपडेट 48
बहोत सारे ख्याल आने लगे की कहीं चाची का किसी के साथ चक्कर तो नही..पर फिर सोचा नहीं ऐसा तो चाची नहीं कर सकती.
फिर मैंने खिड़की से अंदर झाँका तो देखा की अंदर कोई नहीं हे,
चाची अपनी डॉक्टर वाली ख़ुरची पर बैठी हे और सामने लैपटॉप पड़ा था जिसमे, ब्लू फिल्म चल रही थी, चाची की पीठ मेरी और थी,
में चाची के चेहरे को तो नहीं देख पाया पर मैंने देखा की चाची की साडी अपनी नीज से ऊपर थी और चाची ने अपने पाँव फोल्ड कर के टेबल पर रक्खे थे.
अब मुझे समझने में देर नहीं लगी की चाची फिंगरिंग कर रही थी.
शायद पहले बरसात के मौसम का नशा उन पर भी चड़ा था
अब मेरे ख़यालात अपने आप अपनी चाची के लिए बदल रहे थे,
मैंने अब सोचा की क्यों न चाची के रंग में भंग किया जाए, मेरा लंड भी अभी गर्म हो चुका था और मैंने उसे अपने हाथ से हिलाया और वो खड़ा हो गया, फिर मैंने सटाक के चाची के केबिन पर आवाज़ दी और चाची के दरवाजा खोलने का इंतज़ार करने लगा.
फिर चाची ने दरवाजा खोला और सच में चाची को देर लगी दरवाजा खोलने में, उनके फेस से थकन झलक रही थी,
मतलब की वो अब फिंगरिंग कर के भी सैटिस्फाइ नहीं हो पा रही थी, और वो मुझे देख कर चौंक गयी और कहा,
रेशु..तुम यहाँ क्या कर रहे हो...? चाची ने मुझे भीगे हाल में देखते हुए कहा.
वो चाची.मैं.
.वो सब छोडो..अभी यहाँ खड़े क्या हो.. अंदर आओ.. चाची ने मेरी बात सुने बिना ही मुझे अंदर आने को कहा.
.अरे.पूरे भीग गए हो..ऊफ यह बारिश भी ना.. फिर वो मेरे बाल पर हाथ फ़िरने लगी पर कुछ मतलब नहीं था फिर वो एक साइड में कप बोर्ड से एक तौलिया ले आई और कहा
.लो रेशु..इसे पेहन लो और कपडे सूखा दो.. इतने में चाची का ध्यान मेरे तने हुए लंड पर गया, जो की में कब से चाहता था की चाची देखे पर वो तो कहीं और ही मस्त थी, अब जा के चाची ने देखा,,ओर जैसे मुझे लगा की चाची ने देखा, तो मेरे दिल को चैन आया की आखिर..जो में चाहता था वो हो गया. लेकिन चाची ने अपने आप को बहुत जल्दी सम्हाला और कहा
कम ऑन रेशु.हर्री उप..
.लेकिन चाची, में चेंज कहा करू...? मैंने चाची से पूछा तो पता चला की चेंज करने की कोई जगह थी ही नही. फिर चाची ने कहा की “सामने वो बेड हे, वहा जाओ और वो पर्दा लगा लो, और चेंज कर लो. जाओ जल्दी”. फिर मैं भी ज्यादा न शरमाते हुए में वहा गया और पहले पर्दा लगा दिया, पर्दा वाइट था और शाम का टाइम था लाइट्स ऑन थी, मेरे लिए तो जैसे भगवन ही सब सिचुयशन जमाता था मैंने पहले अपनी टी-शर्ट उतरि और फिर अपनी वेस्ट, में बिलकुल चाची के सामने था चाची भी १००% चेयर में बैठ कर देख रही होगी. मेरे और चाची के बीच में बस एक पर्दा ही था मैंने फिर धीरे से अपने पैंट का बटन खोला और फिर चेन को भी धीरे से खोला और सर उठकर चाची की और देख, चाची को समझने के लिए की में उन्ही की और देख रहा हू, फिर मैंने पैंट निकाल दिया.
“वैसे रेशु तुम यहाँ कर क्या रहे हो..? तुम्हे पता नहीं चलता की इस टाइम पे ऐसे नहीं निकलते”.. चाची ने अचानक पूछ लिया
“वो क्या है न चाची की में तो बस गाँव में घुमने निकला था पर बारिश में भीग गया और तालाब से क्लिनिक नजदीक था इसीलिए यहाँ चला आया”.. मैंने एक्सप्लनेशन दिया और बातें घुमने में तो मुझे मानो वरदान मिला हे.
“अच्छा..बाबा पर तुम अभी घर जाओगे कैसे, कपडे तुम्हारे भीग चुके हे और मेरा तो अब क्लिनिक बंद करने का टाइम..आए..... चाची बोलते बोलते रुक गयी, क्यूँकि मैंने बाकि बचा अंडरवेअर भी निकाल दिया और अब चाची को मेरा लंड दिख रहा था अब में शुअर था की चाची मुझे ही देख रही थी. मतलब की चाची भी सेक्स के लिए प्यासी हे यह फिर से साबित हो गया था चाची के रुकते ही मैंने चाची से कहा
“क्या.चाचि अभी आप जा रही हे..?
“नहीं नहीं अभी टाइम हे, देखते हे तुम्हारे कपडे सूखते हे की नही” ईतने में फिर से किसी ने दरवाजा खटखटाया और चाची ने
“धीरे से कहा “रेशु लगता हे अभी कोई पेशेंट हे, तुम आवाज़ मत करना की तूम यहाँ हो अगर किसी ने देख लिया तो गलत समझेगा, तुम परदे के पीछे ही रहना और बाहर मत निकलना.. चाची ने सारे इंस्ट्रक्शन दे दिये.
“ओके चाची... फर चाची ने अपनी चेयर पर बैठते कहा
“कम इन... फिर दरवाजा ख़ुलते ही मैंने देखा की चाची की उमर की एक औरत आई थी और उसके अंदर आते ही चाची ने कहा
“आओ, राधा..क्या बात हे, क्या हुआ, बड़े दिनों बाद”.? मै तो चाची को मान गया, एक तो वो सडक्शन में थी, फिर मेरा लंड देखकर और भी सेक्सुअल हो गयी होंगीं और फिर अचानक एक दम नोर्मल.
मैं बस उनकी बातें सुन रहा था मैं बेड पर लेट गया था चाची ऑफ़ कोर्स मुझे देख सकती थी पर वो औरत नही. फिर उस औरत ने कहा.
“दीदि, यहाँ कम आना पड़े तो ही अच्छा हे..
और दोनों मुस्कुरा पडी
“कहो, क्या हुआ, बड़े दिनों बाद आने का हुआ हे”.. चाची ने कैजुअल पूछा.
“वो दीदी..और फिर वो आसपास देखने लगी तो चाची ने सामने से कहा, बताओ भी क्या बात हे यहाँ कोई नहीं हे”
“दीदि, क्या हे न की की...वो हे न.. अब बताओ भी राधा मुझसे क्या शर्मा रही हो.
“वो दीदी क्या हे ना, की जब वो हमारे पर चढ़ते हे ना, तो”
“हा..तो क्या दर्द होता हे...?
“नही, दीदी अब है ना कोई असर ही नहीं होता.. फाइनली राधा ने प्रॉब्लम बता दिया की वो अब सेटिस्फाई नहीं होती और उसे अब मज़ा नहीं आता. मैं तो इस सिचुएशन में चाची के बारे में सोचकर बड़ा खुश हो रहा था
ओह तो यह प्रॉब्लम हे, फिर उन्होंने कहा की
“देखो मर्द जो होता हे वो सेक्स में बहुत जल्दी हार मान लेता हे, जब की औरत को उसकी इच्छा सालों तक रहती हे, मरद कभी काम के बोझ या परिवार की चिंता में भी सेक्स में से रूठ ने लगता हे, इसीलिए तुम एक काम करो, वह किस चीज़ के लिए परेशान हे वो पता करो और उसे दूर करने के बाद वो अच्छे से करेंगा”.
"लेकिन दीदी आप तो जानती हे की उन्हें ऐसी कोई तकलीफ हे ही नही... फिर क्या हे राधा, की तुम्हारे पति के अंदर का जो माल था वो अब शायद ख़त्म हो गया होगा, इसे इम्पोटेंट कहते हे, मतलब की एक ऐसा आदमी जो औरत को अब संतोष नहीं दे सकता”
“दीदि, इसका इलाज...?
“ओफ कोर्स इसका इलाज”
चाची बताना नहीं चाहती थी की क्यूँकि में सब सुन रहा था, और चाची को शर्म भी आ रही थी पर क्या करें पेशेंट आया हे तो इलाज तो बताना डॉ के फ़र्ज़ में आता हे.
“देखो राधा, इसके इलाज में तो क्या हे की तुम अपने आप ही अपने आप के साथ सेक्स करो”.
“मतलब...?
मतलब की तुम्हे लगे तो तुम नीचे, अपनी ऊँगली दाल के अपने आप को संतोष पहुंचाओ”.
“नही, दीदी ऐसा करना गुणाह हे, यह तो हम नहीं कर सकते”...
“तो राधा, इस मर्ज़ का कोई और इलाज नहीं हे, तुम्हे खुद ही यह सब करना पडेगा, और तुम इसे गुणाह की नज़र से मत देखो, यह तुम्हारे जिस्म की जरूरत हे, तो यह कोई गुणाह तो हरगीज़ नहीं हे.. और फिर वो बहुत मनाने के बाद मानी और चाची को उसने अपनी बातों से गर्म भी कर दिया और मुझे भी .
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