RE: XXX Sex Stories डॉक्टर का फूल पारीवारिक धमाका
अपडेट 50
दूसरे दिन में सुबह थोड़ा सा लेट उठा और लगा की चाचा जा चुके थे और घर में चाची ही थी.
थोड़ी ही देर में लगा की चाची मेरे रूम की और आ रही हे तो मैंने अपना मोबाइल उठाया और उसे स्विच ऑफ कर दिया और कान से लगा के बात करने लगा,
की चाची सुन सके.
मैंने फ़ोन पर बात करना शुरू किया कि,
"अरे....नही चाची, यहाँ कुछ ठीक नहीं लग रहा हे, बहुत बोरिंग सा फील हो रहा हे".
कोई काम ही नहीं करने को.
फिर थोड़ी देर सुन्ने के बाद, "हाँ हाँ चाची, छोटी चाची तो बड़ी अच्छी हे पर उनसे हर किसम की बात तो नहीं कर सकता ना, हा..हा में अभी यही पर हू.
ओके ठीक हे”,
कह कर मैंने फ़ोन रख दिया और मैंने बाद में देखा की अब दरवाजे की और कोई नहीं था मुझे अब यकीन हो गया की रेशु, अब तेरा काम बन रहा हे.
मुझे १०० % यकीन था की चाची मेरी बातें सुन रही थी, इसीलिए मैंने इस बात को पक्का करने के लिए में पहले उनके रूम में गया पर वो वहा नहीं थी,
बाद में मैंने किचन में झाँका तो चाची वहीँ पर थी, और मेरी बात सुन कर उनकी हालत तो पतली हो गयी थी, वो फ़्रीज का डोर ओपन कर के कुछ सोच रही थी.
मैं फिर अपना काम बनते देख फिर से अपने रूम में आ गया और चाची के आने का इंतज़ार करने लगा,
में अपने रूम में बैठ कर कोई बुक तो नहीं पढ़ रहा था लेकिन चाची से आगे की प्लानिंग कर रहा था फिर तक़रीबन आधे घंटे के बाद चाची मेरे रूम में आयी,
वो भी हाथ में झाड़ू ले कर और झाड़ू निकालने लगी,वह ना ही मुझसे बात कर रही थी, ना ही में उनसे, चाची मेरे रूम में आई और फिर अपनी साडी के पल्लू का खुला सिरा अपनी नैवेल के पास लगाया और इसी बहाने से मैंने चाची की नैवेल भी देखि, फिर वो मेरे रूम में झाड़ू लगाने लगी,
रूम मतलब कोई वो रूम नहीं था बस एक कोना था जिसे आप रूम की तरह कह सकते हो, चाची बैठ के एक कोने में से कचरा निकाल रही थी और उनकी गांड बड़ी मस्त लग रही थी, चाची ने डार्क रेड कलर की साडी पहनी थी और फिर वो डॉगी स्टाइल में में जिस बेड पे बुक पढ़ रहा था उसके निचे से कचरा निकाल ने लगी तो बॉस चाची का क्लीवेज देखने को मिला, मस्त क्रीमी बॉब्स थे चाची के, चाची ने भी यह देख लिया की में उनके बॉब्स की और देख रहा हू, लेकिन फिर वो उठ के दूसरी और झाड़ू लगाने लगी और फिर चलि गयी.
लेकिन मेरा मतलब सही से बैठ रहा था में जानता था की चाची जरूर आएगी और देखेंगी की कल शाम के बाद से मेरे बीहेवियर में कोई चेंज आया हे की नहीं और मैंने भी चाची के बॉब्स को गौर से देख के चाची को इस बात की हिंट दे दी.
फिर आधे घंटे तक कुछ नहीं हुआ,
और फिर चाची ने मुझे आवाज़ दी तो में गया,
तो वहा पर चाची ने कहा की "चलो रेशु, तुम्हे आज अपने साथ मंदिर ले के चलति हू"
मैंने कहा “नहीं चाची, मुझे मंदिर जाना अच्छा नहीं लगता”,
तो चाची ने ताना मरा कि,
“अरे रेशु तुम चलो तो सहि, अगर चलोगे नहीं तो फिर कम्प्लेन करोगे की तुम्हे यहाँ अच्छा नहीं लगता”,
में ये समझ गया और कन्फर्म भी हो गया की मेरे बात करते वक़्त चाची सुन रही थी और वो झाड़ू लगाते वक़्त क्लीवेज भी बस मुझे थोड़ा सा एंटरटेन करने के लिए कर रही थी.
मैं भी तो बस ऐसे ही एंटरटेन होना चाहता था मैं न चाहते हुए रेडी हुआ पर मैंने चाची से कहा की
“आज तो पूर्णिमा हे तो मंदिर में भीड़ होगी”,
तो चाची ने ओपन हो के कहा की
“तभी तो कह रही हूँ की तुम्हे वहा मज़ा आएगा”.
बॉस ये डबल मीनिंग सुन के तो में एक दम फ्लैट हो गया, लगता हे की चाची को मुझे अब सेक्सी एंटरटेन करने में मज़ा आने लगा हे.
फिर हम मंदिर पहुंचे तो मैंने देखा की बड़ी तादात में वहा लड़कियां और औरतें आई थी, मर्द भी थे पर कम थे.
लड़कियां भी बड़ी अच्छी अच्छी थी,
एक दो बार तो चाची ने मुझे पकड़ा भी घुरते हुए, लेकिन फिर चाची ने मुझे फ़ोर्सली दर्शन करने के लिए लाइन में खड़ा कर दिया और में चाची के पहले और चाची मेरे बाद में खड़ी हो गयी,
लाइन सच में बड़ी लम्बी थी, मेरे आगे एक तक़रीबन ३० साल की एक मैरिड औरत थी, उसका फिगर बढ़िया था और उसके ब्लाउज में से ब्रा का स्ट्राप बाहर आ गया था में उसे ही देख रहा था की इतने में भीड़ में एक जर्क आया और में उस औरत से जा के तकराया,
तो उस औरत ने पलट के मेरी और बड़े ग़ुस्से में देखा और कुछ बड़बड़ायी, मुझे पता नहीं चला, लेकिन चाची समझ गयी और उसने मुझे पीछे करते हुए वो मेरे आगे आ के कड़ी हो गयी.
फिर मेरी और देखा और स्माइल के साथ सब ठीक होने का इशारा किया. वो आगे वाली औरत अब भी पीछे मूड कर देख रही थी की कहीं में तो उसके पीछे कहीं में तो नहीं खडा,
पर फिर उसने चाची को देखा और बाद में मेरी और भी ग़ुस्से में देखा, मैंने अब की बार उसे अनदेखा कर दिया.
फिर में अपनी चाची को देखने लगा,
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