RE: XXX Sex Stories डॉक्टर का फूल पारीवारिक धमाका
अपडेट 57
बॉस वो पीछे से भी बहुत सेक्सी लग रही थी. चाची का पल्लू उनके दोनों हाथ टेबल पे रहने की वजह से बार बार सरक रहा था चाची ने एक दो बार उसे सम्हल के फिर से अपने कंधे पे रख्ख, लेकिन फिर से वो पल्लू सरक गया, और उसे चाची उठाने लगी की मैंने चाची का पल्लू चाची से पहले पकड़ा और उसे फिर से चाची के कंधे पे रख दिया, और चाची के कंधे पे अपना हाथ थप थपाके थोड़ा सा कॉन्फिडेंस देणे का ट्राय किया, पर जैसे ही मैंने अपना हाथ चाची के कंधे पे रक्खा चाची ने ग़ुस्से से अपना कन्धा झटक दिया और अपने हाथ टेबल से हटा के सीधी खड़ी हो गयी.
“आई ऍम सॉरी चाची...
“सॉरी व्हाट सॉरी रेशु, आरे कोई अपनी चाची के साथ ऐसा करता हे क्या.? तुम्हे बिलकुल शर्म नहीं आयी..कसम से इतना गुस्सा आ रहा हे...ओह गोड़, रेशु तुम यहाँ से चले जाओ, वर्ना मेरा हाथ उठ जायेगा”.
“लेकिन चाची..वो”
“प्लीज जाओ,रेशु, मुझे तुमसे कोई बात नहीं करनि”
चाची सुनने को तैयार नहीं थी.
फिर मैंने चाची को अकेले छोड़ दिया और बाहर निकल आया और बाहर ही खड़ा रहा. चाची को सच में लगा की में निकल गया हू, तो वो कुछ सोचने लगी. चाची सच में कुछ सोच रही थी.
वो फिर अपनी चेयर पर बैठी और फिर से सोचने लगी, शायद मेरे मुँह में उनका बूब्स, यह सिन उनके माइंड से नहीं जा रहा था लेकिन अब वो शांत लग रही थी.
फिर वो अपनी साड़ी ठीक करने लगी, और साडी ठीक करते करते उनके हाथ रुक गए और चाची ने अपना राईट हैंड अपने लेफ्ट बूब्स पे अपनी निप्पल पे रखें जहाँ मेरे मुँह से गीला हुआ था इधर बाहर से मैंने अपनों मोबाइल से चाची को एक एसएमएस भेजा.
चाची का मोबाइल बजा और चाची ने मोबाइल उठाया और पूरा मेसेज पढा, और फिर से टेंशन में आ गयी और फिर ये सोच के की में बहुत दूर नहीं गया हूंगा, मुझे कॉल किया और मैंने कॉल काट दिया.
फिर से कॉल आया तो फिर से काटा और थोड़ी देर में चाची के दरवाजे पे नॉक किया और चाची ने पूछ
“कौंन...?
“मैं हूँ चाची...
ओर में अंदर दाखिल हुआ, बॉस अब सारी गेम मेरे हाथ में थी, चाची भी अब सुनने को तैयार थी और मुझे बस अब अग्रेशन के साथ बस बोलना था
“सॉरी चाची..ऐसा एसएमएस भेजने के लिये, पर क्या करता भेजना जरूरी था मैं थोड़ा सा डर गया था की कहीं आप मम्मी को ये सब बता न दे इसीलिए ये एसएमएस भेज दिया..आई एम सॉरी”
मैं बोलते बोलते वापस उसी बेड पे अपनी जगह पे जा के बैठ गया.
चाची मेरी बात सुनती रही और फिर उठ के मेरे पास आई और वो भी मेरे पास बैठ गयी और कहा.
”रेशु.. चिंता मत करो, में किसी से नहीं कहूँगी, पर जो तुमने किया हे वो बड़ा गलत किया हे”.
“चाची सच सच बताना, क्या आपको भी मज़ा आ रहा था है ना.?
मैने चाची से सीधे सवाल पूछ लिया और चाची तो शॉक के मारे मेरे सामने देखने लगी और जैसे ही चाची ने मेरी और देखा मैंने चाची को मस्त स्माइल दी.चाचि कुछ बोली नहीं थोड़ी देर खामोश रही.
“रेशु..अब तुमसे कुछ बातें क्लियर हो गयी हे तो एक और बात बताना चाहती हूँ की, ये सब मैंने लैपटॉप में इसीलिए रक्खा क्यूँकि तुम्हारे चाचा” ... चाची अब आगे बोल नहीं पा रही थी तो मैंने कह दिया की
“चाचा अब आप को स्याटिसफाय नहीं कर पाते, सही कहा ना चाची”? मैंने चाची के अलफ़ाज़ को पूरा कर दिया और चाची फिर से शॉक के मारे मेरी और देखने लगी और मेंने फिर से चाची की और देख के स्माइल दि, लेकिन चाची अभी भी शॉक में थी और मेरे मुँह से सुन्ने के बाद उनका मुँह खुला रह गया और दोनों हाथ भी फिर से मुँह पे चले गये, लेकिन बात को समझते हुए चाची ने एक गहरी सांस ली और कहा की “हाँ रेशु तुम ठीक कह रहे हो”. फिर से उन्होंने एक गहरी सांस ली और मैंने फिर से चाची के कंधे पे अपना हाथ रक्खा और थपथपाके चाची को थोड़ा कॉन्फिडेंस दिया. एक मिनट तक क्लिनिक में साइलेंस रहा फिर चाची ने कहा.
”रेशु..ऐसा लग रहा हे की कुछ लिमिट से बाहर हो रहा हे, चलो यहाँ से चलते हे”.
और ऐसा कह के वो उतर गयी और में बैठा रहा.
चाची ने टेबल पे से अपना बैग उठाया, में अभी तक वही पर बैठा था और चाची को देख रहा था चाची ने मेरी और देखा और फिर मेरी पास आई और मेरे गाल को छुआ और मेरे गाल पे एक किस दिया और कहा
“सोर्री..रेशु, तुम्हे डाँटने के लिए और थैंक्स की तुम किसी से कुछ नहीं कहोगे, जो तुमने किया वो भी और जो मैंने किया वो भी”.. मैं भी हाँ में सर हिला के बेड से उतरा और हम घर की और चलपडे कलिनीक से निकले पर रस्ते में बूँदाबाँदी चल रही थी, और हम भीग रहे थे, २ किमी का रस्ता बहुत लम्बा तो नहीं पर इतना छोटा भी नहीं और गाँव में तो अँधेरा होने से कोई बाहर निकलता भी नही, सच में गाँव का कोई दिख नहीं रहा था और में चाहता था की कोई आये भी ना, हम ने अभी चलना ही शूरु किया था की बारिश थोड़ी तेज़ होने लगी, में और चाची रास्ते से हट के साइड के पेड़ के निचे खड़े रह गये, लेकिन फिर भी भीग तो रहे थे.
“रेशु, चलो चलते हे, यहाँ रुक्ने का कोई फ़ायदा नहीं हे वैसे भी हम भीग रहे हे और भी भीग जाएंगे”.. हम चल्ने लगे में अभी भी कुछ बोल नहीं रहा था
“और हान, तुम चाहो तो बात कर सकते हो, कोई नहीं डाँटेगा और वैसे भी चुप अच्छे नहीं लगते तुम”.. चाची ने कहा और मैंने उनके सामने देखा, इस बार वो स्माइल दे रही थी में भी हंस पड़ा और चाची के साथ चल्ने लगा.
बारिष में चाची का भीगा बदन मस्त लग रहा था वाइट साड़ी तो चाची की बेल्ली को ढाक्ने में पूरी नाकाम हो चुकी थी और पीछे से भी चाची की पेन्टी से साड़ी चिपक रही थी और मेरा हाल ख़राब हो रहा था चाची थोड़ा आगे चल रही थी, में सोच रहा था की काश चाची ने ब्लाउज भी वाइट पहना होता तो, और चाची ने मूड के पीछे देखा और मुझे उनके भीगे बदन को देखते पकड़ लिया. लेकिन कुछ कहा नही, बस स्माइल दी और में चाची के साथ साथ चल्ने लगा. मेरे दिमाग में एक प्लान आया.
|