RE: XXX Sex Stories डॉक्टर का फूल पारीवारिक धमाका
अपडेट 58
मेरे दिमाग में एक प्लान आया.
“चाची एक बात कहूं..?
“बोलो..में कबसे तुम्हारे बोलने का इंतज़ार कर रही हूँ और तुम हो की बड़ा शरमाते हो”..
“एक्चुअली चाची, बात नहीं कुछ कन्फेशन करना चाहता हू”.
“गो ऑन”.
“वो क्या हे..ना.चाची, कल मंदिर में.मैं.
“ठीक ठीक कहो..कितना झिझक रहे हो” मैंने तुमसे सारी बात कह दी तो तुम क्यों रुक रहे हो? कहा ना की नहीं डाटूंगी”.. चाची ने मुझे रिलैक्स करना चाहा.
“चाची, कल मंदिर में, मैंने वो जानबूझ के किया था”.
मैंने फ़टाफ़ट कह दिया.
चाची भी समझ गयी की में किस बारे में बात कर रहा था लेकिन चाची ने अन्जान बनते हुए सर ऊपर हिला के पुछा क्या..तो मैंने भी इशारे से चाची के बट की और देखा और कहा
“सोर्री..चाचि पर कल मंदिर में मैंने आपकी गांड पे जान बूझ के हाथ फिराया था”.
अब जा के में खुल के बोल पाया.
लेकिन में इस बार चाची की और नहीं देख पाया. लेकिन इतने में चाची ने कहा
“पता हे, जो कुछ भी तुमने कल किया वो सब पता हे, और हाँ सिर्फ हाथ फिराया नहीं था जोर से दबाया भी था” .
चाची ने थोड़ा और भी एक्सप्लेन किया.
“हा, लेकिन वो तो आपने कहा था की दबाओ इसीलिए”.
“तो मैंने अभी तो नहीं कहा था किसी चीज़ को मुँह में लेने के लिये, फिर क्यों किया...?
अभी इस बात का मेरे पास कोई जवाब नहीं था लेकिन तभी दिमाग में एक स्पार्क हुआ और मैंने रिप्लाई किया
“एक मिनट..एक मिनट, मतलब की मतलब की आपको पता था की में क्या कर रहा हू”..
“हा..पता था और अभी अभी तुम मेरे बट को देख रहे थे वो भी पता हे”..
चाची सच में कुछ ज्यादा ही खुल रही थी.
“ओह गोड़, चाची यु आर आमेंजिंग,सच में आपसे बच के रेहना पडेगा.
बहोत शतिर हे आप. लेकिन एक बात कहूँ.?
“अब ये भी कोई पूछनेवाली बात हे.? कहो जो कहना हे”.
“चाची सच में बहुत बढ़िया बट हे आपके. कसम से जब जब देखता हूँ न तब टब सेहलाने को मन करता हे..
मैंने थोड़े स्मार्ट तरीके से अपनी मन की बात रख दी.
“रेशु, मन तो किसी का कुछ भी करने को करता हे, पर इसका ये मतलब तो नहीं की वो उसे करे ही करे..समझ रहे हो की नही”..
“समझ रहा हूँ चाची, मन तो आपका भी करता होगा पर पता नहीं आप अपने आप को कण्ट्रोल क्यों कर लेती हे”..
इतने में गाँव के कुछ लोग दिखे और हम आगे पीछे हो के चलने लगे, चाची शायद मेरी बात का जवाब देना चाहती थी इसीलिए वो मूड मूड के देख रही थी पर अब गाँव आ गया था और घर भी. घर में पहुंचते ही चाची घर में चेंज करने चलि गयी.
मैंने भी चेंज कर लिया, पर सिर्फ शॉर्ट्स पहना था मैने, अंडरवेअर भी निकाल दिया और सिर्फ शॉर्ट्स पहन के बाहर आया तो चाची चेंज कर चुकी थी.
मैं सामने सोफ़े पे आकर बैठा और चाची भी मेरे पास. हम दोनों में से कोई बोल नहीं रहा था पर चाची को देख के लग रहा था की चाची कुछ कहना चाहती हे, तो मैंने चाची की और देखा और चाची ने भी मेरी और.
“रेशु..हम दोनों के बीच कुछ बातें ऐसे हो गयी हे की जो शायद ठीक नही, तो अब तक जो हुआ वो हुआ पर आगे से तुम मुझे ले के कुछ गलत ईरादे मन में मत पालना.
और तुम भी जो अभी किया वो आगे से मत करना, यही ठीक हे”..
येह जो गैप हो गया हमारे बीच बात चित का उसका नतीजा था उस टाइम में चाची को सोचने का मौका मिल गया.
लेकिन मैंने भी ब्लंट बनते हुए चाची से कह दिया
“नहीं होगा, चाची मेरे से नहीं हो पायेगा.
आप इतनी पसंद हे मुझे की आप को देखते ही बस आपको बाँहों में भरने का दिल करता हे, कसम से चाची सब आपके ऊपर हे.
लेकिन में अपने से बनता हर ट्राय करूंगा, और एक बात का यकीन दिलाता हूँ की आपको मेरा हर ट्राय पसंद आयेगा”..
और इतना बोलके में उठ के अपने रूम में चला गया और चाची बस मुझे देखति रही, मुझे पता था की अगर में यह लाइन्स बोल के वहीँ पर बैठा रहा तो फिर चाची डिफेन्स के मूड में आ जायेगी और फिर समाज, घर, रिश्तों की बातें करने लगेगी, और ऐसा चाची को बोलने देना ठीक नहीं था मैं अपने रूम में आ के सारे इंसिडेंट के बारे में सोचने लगा, जो भी चाची ने कहा था अब यह पता था की चाची थोड़ा सा रोकने की कोशिश करेंगी पर शायद काम बन भी सकता हे.
फिर एक घंटे तक चाची ने मुझे और मैंने चाची को डिस्टर्ब नहीं किया, वो किचन में काम कर रही थी.
थोडे ही टाइम में चाचा आये और में भी अपने रूम से बाहर आया और चाचा से बात करने लगा.
इतने में चाचा ने इन्नोसेंट्ली पूछ लिया
“रेशु..मज़ा तो आ रहा हैं ना, की गाँव में आ के बोर हो रहे हो”..?
“एक्चुअली चाचा, परसो पहले पहले बोरिंग लग रहा था पर बाद में चाची के साथ अच्छा लगता हे, लेकिन अब आगे देखते हे”.. मैंने सारी बात चाची के सामने देखते हुए कहा और चाची को शरम आ रही थी पर अंदर से शायद वो प्राउड भी फील कर रही होंगी.
इतने में चाचा ने फिर से इन्नोसेंट्ली कहा
“भाई तुम्हारी चाची का ऐसा ही हे,
वो सबका ख्याल रखती हे, और तुम तो भाई अपनी चाची के फेवरेट हो तुम्हारा तो ख्याल बड़े अच्छे से रख रही होगी”.. चाचा ने बोलते बोलते चाची के सामने देखा और चाची को न चाहते हुये बोलना पड़ा लेकिन उन्होंने बात को घुमा दिया और कहा
“अच्छा जी चलिये अब खाना निपटा लेते हे, आप थक गए होंगे.. और चाची ने थोडे घुस्से भरी नजऱों से मुझे देखा और मैंने स्माइल के साथ चाची के ग़ुस्से का वेलकाम किया.
“चाची मुझे खाने का मूड नहीं हे.मुझे नींद आ रही हे, में अपने कमरे में जा रहा हू”..
“लेकिन क्यों रेशु”...
चाची ने तुरंत झट से पूछा.
चाची की आवाज़ में मेरे लिए केयर साफ़ हो रही थी.
हालाँकि चाचा भी पूछ सकते थे, लेकिन चाचा से पहले चाची ने पूछ लिया.
“नही..कुछ नहीं चाची बस खाने का मूड नहीं हे.
और में बस बिना पीछे देखे अपने रूम में चला गया.
लेकिन मेरे जाते ही चाचा ने कहा
“उसका शायद मूड आउट लग रहा हे, शायद अकेले बार हो गया हे. तुम प्लीज रेशु का जरा ख्याल रक्खो और उसे जो पसंद हो वो करो”. .
मै अपने रूम में आ के बैठा और मन में एकदम शुअर था की चाची खाना खाते खाते भी मेरे बारे में सोच रही होंगी.
मेरे न खाना खाने से अब वो पूरी रात मेरे बारे में सोचती रहेगी और उससे चाची के मन में मेरे लिए सिम्पथी हो जायेगी और बाद में मेरा काम आसान हो जायेगा.
फिर मैंने अपना लैपटॉप निकाला और नेट पे कुछ काम करने लगा, मेल्स चेक करना, फेसबुक अपडेट करना और इतने में चाची मेरे रूम में आयी,
और मुझे लैपटॉप में मस्त देखा और जैसे की मैंने पहले बताया था की मेरा रूम मतलब रूम नहीं था कोई भी कभी भी आ सकता था और पता नहीं कब चाची मेरे रूम में आ गयी और मुझे लैपटॉप में मस्त देख के सोचा की में शायद पोर्न मूवी देख रहा हूँ तो वो दरवाजे से चोर की तरह आई और शाम की तरह फिर से फट से मेरे हाथ से लैपटॉप छीन लिया और लैपटॉप देखने लगी.
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