RE: XXX Sex Stories डॉक्टर का फूल पारीवारिक धमाका
अपडेट 90
चाची के बैठ जाने से में ऊँगली अंदर बाहर तो नहीं कर पा रहा था
“रेशु, यह नहीं करना..इसमे बड़ा दर्द होगा”..
“चाची सच में बड़ा मज़ा आयगा. आप को दर्द हो तो ना बोल देना”..
“नहीं रेशु, बाद में तुम नहीं मानोगे”, .
“मैं पक्का मानूँगा.. और ऐसे कह्के मैंने चाची के बैक पे प्रेशर किया और चाची को फिर से आगे की और झुका दीया और खुद बाहर आ गया, अब चाची का फेस बेड में धस गया था और मैंने चाची की गांड में ऊँगली दाल रक्खी थी, फिर मैंने साइड में से एक क्रीम लिया और उसे गांड पे डालते हुए, चाची की गांड में ऊँगली अंदर बाहर करने लगा, चाची धीरे आह ओह कर रही थी, मुझे पता था की अभी तक दर्द तो हुआ नहीं हे, तो मै चाचीसे पूछ लिया, “चाची दर्द तो नहीं हो रहा ना”, और चाची ने भी कहा नही, तो मैंने थोड़ी तेज़ी से चाची की गांड को चोदने लगा, और चाची की मोनिओंग भी तेज़ तो हो रही थी, पर बड़ा मज़ा आ रहा था फिर मैंने टाइम वेस्ट न करते हुये, अपने घुटनो पे बैठते हुए, चाची की गांड पे अपना लंड रक्खा और चाची की गांड में डालने लगा. सच में दो बार तो जरा सा भी नहीं गया, और चाची समझ गयी की ऊँगली तो एक इंच की थी और लंड की चैडाई तीन इंच हे, तो बड़ा दर्द होगा, और वो उठने गयी, और मैंने इतने में दोनों हाथों से गांड को चौड़ा करते हुए लंड के आगे वाले पिंक पार्ट को अंदर दाल दिया, और चाची उठने गयी, इससे लंड के टिप के अलावा और भी दो इंच लंड अंदर चला गया, और बॉस चाची तो कुदने लगी, जलन के मारे बोल भी नहीं पा रही थी, मुझे लगा की वो अगर ऐसे ही कुदने लगी, तो मुश्क़िल से डाला लंड भी बाहर निकल जायेगा, तो मैंने चाची को अपने सीने से लगा लिया और चाची को चोदने के लिये, एक्ससाइटमेंट बढाने के लिये, जी स्पोट को मसलने लगा, एक दो मिनट में ही चाची शांत हो गयी, और मैंने फिर से चाची को बैठा दिया और चाची के गांड में लंड डालने लगा, लेकिन अंदर जा नहीं रहा था तो मैंने शुरू शुरू में आधे लंड से ही चोदना शुरू किया और अपने हाथ से चाची के जी-स्पॉट को मसलने लगा, चाची को सच में एक्सट्रीम पैन तो हो रहा था पर फील नहीं हो रहा था वो अब चुदाई के बाद होगा.
मै काफी धीरे धीरे चोद रहा था तो चाची को दर्द भी नहीं हुआ, और थोड़ी देर में मेरा पूरा लंड भी अंदर चला गया, अब चाची मेरे हाथ में थी, अब मैंने चाची के जी-स्पॉट को छोडा और अपने दोनों हाथ से चाची की गांड को पकड़ के मस्ती से चुदाई करने लगा, अब चाची असली पैन फील कर रही थी, वो अपने हाथ पछाड के मुझे छोड़ने के लिए कह रही थी, पर मैंने नहीं छोड़ा और वो अब कुदने लगी, तो मैंने कहा, चाची अब कुछ नहीं होगा, थोड़ा सा सह लो, बड़ा मज़ा आयेगा.
लेकिन चाची नहीं नहीं कहते कहते, रोने लगी और उनकी आँख से आंसू बहने लगे, लेकिन मुझे चोदने में बड़ा मज़ा आ रहा था फिर १० मिनट रोने के बाद वो भी समझ गयी की अब में उन्हें नहीं छोड़ने वाला, तो उन्होंने भी हाथ पाँव मारना बंद कर दिया और बेड पे बस अपना मुँह कर के रोने लगी और चिल्ला रही थी, पर में तो मस्त चोदे जा रहा था बॉस क्या मस्त गांड चुदाई थी, फिर धीरे से मैंने चाची के हाथ को पकड़ा और चाची के जी-स्पॉट पे रख्ख, तो चाची भी समझ गयी की अगर दर्द से बचना हे, तो इसे मसलना होगा, और वो भी अपने जी-स्पॉट को मसलने लगी, और २-३ मीनट में ही उनका रोना बंद हो गया और वो अब डॉगी स्टाइल में बैठ के मज़ा करने लगी, फ़ीर एक बार तो मैंने चोदना छोड़ के बस लंड अंदर दाल के बैठा रहा तो चाची खुद ही अपने आप अंदर बाहर होने लगी, और एन्जॉयमेंट फील करने लगी. “आह,ओहहहह” फिर मैंने चाची की कमर को पकड़ा और अब तेज़ी से चोदने लगा, और चाची का पैन ग़ायब हो के प्लेअजर बन गया था वो भी अब उछल उछल के साथ दे रही थी, हालाँकि चाची की गांड एक दम लाल हो गयी थी, लेकिन अब उन्हें मज़ा आ रहा था
अब में थोड़ा सा थकने लगा था तो मैंने और तेज़ी से चोदना कंटिन्यू किया और फटा फट चोदने लगा. चाची भी आह..ओह कर रही थी, फिर ऐसे चाची को दस मिनट तक चोदने के बाद मेरे झड़ने का टाइम हो गया तो मैंने चाची को धक्का दे के बेड पे उलटा पूरा लीटा दिया और खुद भी चाची पे लेट के चोदने लगा, ऐसे चोदने में काफी दर्द होता हे, क्यूँकि फीमेल के पास लंड का धक्का खाने की जगह नहीं होति, तो चाची परेशान होने लगि, पर मैंने चाची को पकड़ के रक्खा और धक्के मारने लगा, बस ऐसे दस बारह धक्के मारे और मेरा लंड झड़ने लगा, मैंने चाची की गांड में ही अपना सारा वीर्य उडेल दिया और लंड नरम पड़ते ही चाची पे से हट के फिर से सीधा लेट गया, लेकिन चाची ऊल्टी लेट के थोड़ी देर रोती रही. मैंने एक दो बार चाची की बैक को छू के उन्हें मनाना चाहा पर वो एक शब्द भी नहीं बोली तो में भी उठ के बाथरूम में चला गया और फ्रेश हो गया. मैं फ्रेश हो के बाहर आया तो चाची अभी भी ऐसे ही लेटी थी, पर मैंने ठीक से देखा तो वो आराम से सो रही थी, तो मैंने उन्हें डिस्टर्ब न करते हुए सोने दि, और अपना सामान पैक करने लगा. फिर चाचा को भी जाने के बारे में कॉल कर दिया और प्लानिंग से तीन घंटे के बाद आने को कहा ताकी चाची भी उठ जाये.
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