RE: XXX Sex Stories डॉक्टर का फूल पारीवारिक धमाका
अपडेट 92
सुबह को पापा जाने वाले थे तब उठा और वो थोड़ी ही देर में निकल गयी, और में भी फ्रेश हो गया, फिर बाथरूम से बाहर आ के मैंने देखा की माँ मेरा फेवरेट फ़ूड बना रही हे, तो मैंने माँ से कहा
“माँ मुझे एक दो मेल करने हे, तो क्या आपका लपटॉप, यूज कर लू.? जवाब ऑफ़ कोर्स हाँ ही होना था और मैंने माँ का लैपटॉप ओपन किया, माँ का आईडी डाला. माँ को बहुत पता हे कम्प्यूटर्स के बारे में, पर सब पता नहीं तो उन्होंने अपना पासवर्ड सेव रक्खा था तो मैंने मेल ओपन कर के देखा तो मैंने रात को १० बाजे जो १० स्टोरीज भेजीं थी, वो भी माँ ने पढ़ रक्खी थी...में तो हैरान हो गया, की माँ ने वो पढ़ी क़ब? लेकिन पहले मैंने माँ का अकाउंट साइन आउट किया, और अपने रूम में जा के अपना आईडी ओपन किया तो माँ ने कोई रिप्लाई नहीं किया था स्टोरीज के बारे मे. बॉस आई वास् रियली शॉकेड. में साला ये समझ नहीं पा रहा था की ये हो क्या रहा हे.
मैने अपना लैपटॉप बंद किया, साइड में रक्खा और माँ के बारे में सोचने लगा. बॉस अब तक मैंने १७ स्टोरीज मेल की, माँ ने सारी पढि, अननोन मेल से आई स्टोरीज पढ़ने के बाद भी माँ ने एक भी रिप्लाई नहीं किया, साला मतलब समझ में नहीं आया. सच में मेरी माँ को समझना थोड़ा मेरे लिए मुश्क़िल था जैसे की मैंने आपको पहले बताया की मेरी माँ मिक्स्ड टाइप की हे, वो डॉक्टर्स की वेस्टर्न टाइप की पार्टीज में जाती हे, बाहर जाते वक़्त फैशनेबुल कपडे पहनती हे, और सब से ऐसे मिलति हे जैसे वो ओपन माइंडेड हो, पर घर में टोटली चेंज बिहेवियर करती हे, मुझे थोड़ा सा कण्ट्रोल में रखती हे, घर में सिर्फ सारीस पहनती हे, मैंने पहले बताया, अब तक मुझे माँ को छूने का मौका भी ज्यादा नहीं मिला, क्यूँकि कभी माँ से ज्यादा ऐसे छूना नहीं हुआ. लेकिन इस बार जब घर आ के माँ से डायरेक्ट गले मिला तो अच्छा लगा, बॉस क्या गर्मी थी, माँ के बदन की. माँ को भी थोड़ा सा शॉक तो हुआ, पर शायद उन्हें भी अच्छा लगा होगा. मैं माँ के बारे में सोच रहा था की इतने में माँ ने चाय के लिए आवाज़ डी. मेरे मन में एक बात क्लियर थी, की माँ को पटाना साला थोड़ा सा मुश्क़िल तो होगा.
लेकिन में अपने रूम से बाहर आया और माँ मेरे लिए चाय ले के आयी, में माँ के बॉब्स की और देख रहा था माँ भी मेरे साथ ही चाय ले कर बैठी और मैंने चाय पिते पिते ठीक दो बार माँ के बॉब्स की और ग्लान्स कर के तीरछी नज़र से देख लिया.
बोस क्या मस्त बॉब्स थे, यार साइज भी सच में परफेक्ट की मेरे हाथ के लिए ही जैसे बने हो. फिर माँ उठ के किचन में चलि गयी और में न्यूज़ पेपर पढता रहा, मुझे लगा की माँ को पहले मेरे इरदों का पता चल जाना चहिये, इसीलिए में माँ को बस गोर से देखने लगा, माँ किचन से बाहर आती, तो में माँ की साइड से कमर, बॉब्स को देखता रहता, एक दो बार में किचन में पाणी पिने के बहाने से गया, तब भी मैंने माँ के बॉब्स को ग्लान्स कर के देखा. लेकिन साला ये समझ के बाहर था की कहीं माँ मेरे बिहेवियर को समझ रही हे की नही, माँ की और से ऐसा तो नहीं लग रहा था की उन्होंने मुझे पकड़ा हो. साला पहली बार फैल होने का डर लग रहा था दोपहर लंच के बाद भी में अपने रूम में सोचता रहा, की आगे क्या करू.. कुछ पता नहीं चल रहा था सच में माँ को पटाना सब से टफ था अच्छा फिर एक बार जरा माँ के बारे में बता दुं, तो आप सब लोग भी माँ को अच्छे से फ़न्तासी कर पाएँगे, माँ दोनों चाची की तरह क्रीमी बदन वाली गोरी गोरी तो नही, पर गोरी हे और बॉस माँ ऐसी ही ज्यादा खूबसूरत लगती हे. बॉस वो साक्षी तंवर की तरह लगती हे, मस्त और हलके से बड़े होठ,छोटे से स्माल, हमेशा सोच समझ के बोलने वालि, बॉब्स भी साक्षी तंवर की तरह हमेशा थोड़े से बाहर की और ऊभर देते हुये, और कभी कभी जब माँ बैकलेस ब्लाउज पहनती हे, तो में तो माँ के आगे पीछे होने के लिए बेताब बन जाता हू. लेकिन माँ इतना अपने आप को सम्हालती हे, की मैंने बड़ी मुश्क़िल से एक दो बार माँ की ब्रा ब्लाउज से स्लीप होते हुए देखा होगा. सच में मेरे माँ के क्लिनिक में कुछ लोग तो ऐसे ही आते होंग, मुझे ऐसा लगता था हमेशा से. पता नहीं माँ को देखने से उनके दर्द की दवा मिल जाती थी की एक नया दर्द मिल जाता था
अच्छा अब एक बात तो साफ़ थी की माँ ने मेरी भेजीं हुई सारी स्टोरीज पढि, पर रिप्लाई नहीं किया, ये साला टिपिकल बिहेवियर माँ के पास सेक्सुअली आगे बढ्ने से मुझे रोकता था पर आप लोग भी जानते हे की इतनी आसानी से हम हार मानने वाले हे नहीं और एक बात तो साफ़ हे और सच भी हे की दुनिया में किसी भी औरत को पटाया जा सकता हे, बस थोड़ा सा टाइम, थोड़ा सा दिमाग और थोड़ी से एक्टिंग...हर लड़की का गेम ओवर हो सकता हे. माँ का भी होगा. लंच के बाद में अपने रूम में बैठ के माँ के ही बारे में सोच रहा था की माँ ने मेरे रूम पे नॉक किया, पता नहीं मुझेकैसे आहट लग गयी थी माँ के आने की.शायद मेरा दिमाग माँ माँ ही कर रहा था
“माँ प्लीज आप को आने से पहले नॉक करने की जरूरत नही... माँ को भी शॉक लगा और उन्होंने रूम में आ के पूछ
“रेशु, तुम्हे कैसे पता की में हूँ.
“ओफ़्फ़ओ, माँ आप को में दूर दूर से पहचान सकता हूँ”. बस ऐसी बातों से ही तो काम बनता हे.
“अच्छा, वो सब छोडो, में जरा क्लिनिक हो के आती हू, जल्दी आ जाऊंगी”.. माँ ने स्माइल के साथ कहा और ऐसा लग रहा था की माँ ने साला अब तक मुझे ऑब्सेर्वे ही नहीं किया की में सुबह से उन्हें स्टेर किये जा रहा हू.
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