RE: XXX Sex Stories डॉक्टर का फूल पारीवारिक धमाका
अपडेट 96
इधर माँ के जाते ही में माँ के कमरे में गया और बाथरूम में जा के माँ की पेन्टी और ब्रा ढूँढ़ने लगा, माँ ने एक ही पेअर बाथरूम में रक्खी थी, कल पेहनने के लिए बाकि का पता नहीं शायद अल्मारी में रक्खी होगी. तो जो मिली उसको मैंने लिया और माँ की तरह सूँघने लगा, फिर अपने शॉर्ट्स को निचे किया और माँ की पेन्टी को अपने अंडरवेअर में दाल के रगड़ने लगा, स्टोरीज में ऐसे करते पढ़ा था पर एक्चुअल करने में अच्छा लग रहा था एक जोश सा आ गया था मेरे हाथ रुक ही नहीं रहे द, में माँ की पेन्टी में मूठ नहीं मारना चाहता था क्यूँकि माँ के रिएक्शन के बारे में जानता नहीं था इसिलिये, लेकिन उस टाइम माँ के बारे में सोच सोच के और माँ के सन को याद कर कर के और भी जोश आ गया और में बस माँ की पेन्टी और ब्रा को अपने लंड से रगड़ने लगा..आहे आहे इसमें भी अच्छा लग रहा था और फिर में दो मिनट में झड गया और क्या मस्त लिक्विड निकला था माँ की ब्रा और पेन्टी वाइट डॉट्स से रंग गयी थी. और पेन्टी तो खास.
मैन फिर उसे साफ़ कर ही रहा था की एक फ्रेंड का कॉल आ गया और उसे एक मेल फॉरवर्ड करने बैठ गया. और फ्रेंड को मेल भेजने के लिए खोला तो माँ का रिप्लाई भी आया था
“हु आर यू? एंड व्हाई आरे यु सेंडिंग मि सच स्टोरीज.?
डैम गुड अच्छा लगा, की माँ का रिप्लाई आ गया. माँ ने इस बार भी सिर्फ स्टोरीज ही लिखा वर्ना वो गन्दी स्टोरीज, वल्गर स्टोरीज भी लिख सकती थी. मतलब माँ को भी इन स्टोरीज पढ़ने का मज़ा आया होगा. मुझे तो अब माँ के माइन्ड को पढ़ने का मज़ा आ रहा था लेकिन मैंने इस बार कोई रिप्लाई नहीं किया, बस थैंक्स लिखा और सेंड कर दिया. कोई स्टोरीज भी नहीं भेजि..कुछ नही, और जैसे ही मैंने मेल भेजा की माँ का रिप्लाई फिर से आ गया था
“व्हाटटटटट....? पता था की यही रिप्लाई आयेगा, अब मेरे दिमाग में माँ बैठ चुकी थी. लेकिन मैंने अब कोई रिप्लाई नहीं किया और लैपटॉप बंद कर दिया. मैं अब जाने के बारे में सोच रहा था दो घंटे हो भी गये और माँ के आने का टाइम हो गया. मैं घड़ी को देख रहा था की माँ का कॉल आया
“हल्लो, रेशु जल्दी से सोसाइटी के बाहर आ जाओ..मंदिर के पास,मेरा एक्टिवा ख़राब हो गया हे.. हमारी सोसाइटी के बाहर ही एक मंदिर हे, बस १० मिनिट का रास्ता हे, और में झट से बाहर निकला तो पता चला की बाहर तो बारिश हो रही हे, बारिश के सीजन में बारिश तो कभी भी हो सकती हे , मैंने झट से माँ के परेशानी के बारे में सोचा और भागा. मैंने देखा की माँ का एक्टिवा मंदिर के पास भीग रहा हे और माँ मंदिर के अंदर हे, लेकिन पूरी भीगी हुयी. यह भगवान भी आज पता नहीं कितना मेहरबाँ हो रहा था मुझ पे, में माँ के पास गया.
“रेशु..ये ऑन नहीं हो रहा.. मैंने माँ की चाबी ली और बहुत ट्राय किया पर नहीं हुआ, में भी पूरा भीग चुक्का था फिर माँ बाहर मेरे पास आ के बोली
“चलो रेशु, घर पास में ही ऐसे ही ले के चलते हे.. मैं भी ठीक हे कह के धक्का मार के चलने लगा. बारिश भी चल रही थी और माँ भी मेरे साथ साथ चल रही थी. मेरा ध्यान ऑफ़ कोर्स भीगी हुई माँ को देखने में था हालाँकि रिहाइशी इलाक़ा था इसीलिए कुछ आने जाने वाले नहीं थे,रस्ते पर हम ही दिख रहे थे.
माँ का ब्लाउज पूरा चिपक गया था और सारी भी गांड से चिपक गयी थी, और पेट् के पास भी साडी चिपक गयी थी और ऊपर से हलकी आस्मानी कलर की साड़ी थी और कुछ ट्रांसपेरंट थी तो चिपकी साड़ी से माँ के बेल्ली का पार्ट भी मस्त लग रहा था माँ मेरे साथ चलते चलते मुझे उन्हें देखते हुए पकड़ तो रही थी पर कुछ कह नहीं रही थी. माँ को किसी के देख लेने की चिंता बड़ी हो रही थी तो वो थोड़ी जल्दी घर पहूंचना चाहती थी, तो मुझे माँ को ऐसे और भी देखना था तो में आराम से एक्टिवा को धक्के लगा रहा था माँ फिर घर पास आते ही जल्दी चलने लगी और पीछे से पूरा चिपका हुआ ब्लाउज मुझे देखने को मिला, सच में पूरी बैक दिखाई दे रही थी, और माँ ने ब्लैक ब्रा पहन रक्खी थी वो भी साफ़ दिखाई दे रही थी. एक दो बार तो में भी बिना धक्के लगाए बस माँ को देखने के लिए रुक गया.
जैसे तैसे न चाहते हुए भी घर पहूंचना पडा, और मैंने ठीक से एक्टिवा को लगाया और घर में आ के मैंने अपने रूम में जा के फ़टाफ़ट चेंज किया और इतने में ही एक बिजली सी मेरे दिमाग में चमकी और सोचा की कहीं माँ अपने बाथरूम में तो नही..और सारे गीले कपडे चेंज करने को, तो माँ इनरवेर भी चेंज करेंगी.मैं झट से माँ के रूम में चला गया, माँ ने लॉक रूम नहीं किया था में माँ के रूम में पहुंच, लाइट्स ऑन थी पर माँ नहीं थी, और इतने में माँ बाथरूम में से, बाहर निकली..माँ को अंदाज़ा नहीं था की में उनके रूम में होऊँगा तो वो ब्रा और पट्टिकोट पहन के बाहर आ गयी और मुझे देख के झट से अपने दोनों हाथ अपने सीने पर रख लिए.उन्हें मुझे देख के शॉक तो लगा था पर इससे पहले की माँ कुछ कहें में उनके रूम से बाहर चला आया. माँ ने मेरे वीर्य वाली ब्रा पहनी है ये देख के ही में खुश हो गया और बाहर आ के नाचने लगा. बॉस माँ ने वो पेन्टी पहनी की नहीं वो तो पता नहीं पर, माँ ने ब्रा तो पहनी वो तो साफ़ पता चल गया, और ब्रा ब्लैक कलर की थी, मतलब माँ को दिखा तो सब होगा.
फिर माँ १५ मिनट में, साडी चेंज कर के बाहर आयी, अब की माँ ने मस्त येलो कलर की साडी पहनी थी, मैंने सोचा काश्..मॉम आपने बारिश में ये साडी पहनी होती तो..और भी कुछ देखने को मिल जाता माँ फ़ोन पे थी और बात करते करते वो किचन में चलि गयी और बड़ी लम्बी बात चलि किसी से.
फिर माँ बाहर आई और किसी से कॉल करने लगी, मुझे लगा की ये हो क्या रहा हे, माँ इतनी हडबडी के क्यों हे.
“हेलो..सुनिये जी.. वो अपनी कमला चाची की तबियत ख़राब हे और शायद वक़्त भी कम हे,तॉ जाना पडेगा”.. पापा से बात चल रही थी. फिर पापा से सारी बात कर के माँ ने कहा
“रेशु.,.अभी मुझे भी तुम्हारे साथ आने पड़ेगा, तुम्हारी बड़ी चाची का कॉल था कमला चाची सीरियस हे..तो हम अभी साथ चल रहे हे”.. मैं तो ये सुन के खुश हो गया की माँ के साथ चलने का मज़ा ही आ जायेगा. और भी वक़्त मिल जायेगा मुझे. ये बड़ी चाची का कॉल ऐंन मौके पे आ गया वर्ना माँ आ के यही पूछती की तुम मेरे रूम में क्या कर रहे थे, और में बातें बना बना के माँ को सिड्यूस कर लेता, खैर माँ साथ आ रही हे,ए कहते ही माँ अपने रूम में चलि गयी पैकिंग करने, और में भी माँ के पीछे पीछे उनके कामरे में चला गया.
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