RE: XXX Sex Stories डॉक्टर का फूल पारीवारिक धमाका
अपडेट 98
लेकिन माँ में क्या कर रहा हूँ वो देखने के लिए खड़ी रही, वो भीग तो चुकी थी, आह येल्लो ब्लाउज चिपक गया था फिर मैंने माँ से कहा, माँ अब स्टार्ट करो, और माँ ने अंदर बैठ के स्टार्ट किया और कार स्टार्ट हुई. मैंने इंजन बंद किया और कार की विंडो के पास आ के माँ से कहा
“मोम, जरा एक मिनट,. और थोड़ा झाड़ी के पास जा के पैंट खोल के पेशाब करने लगा.
कार तो पहले से ही साइड में थी, और जिस पेड़ के निचे में था वो थोड़ा सा जमीन की और झुका था और ऊपर से अँधेरा भी था तो में आराम से पी करने लगा और मेरे दिमाग में आईडिया आया. क्यूँ न माँ से थोड़ा सा खुल के कहा जाए, में कार की तरफ आया और माँ से कहा
“माँ आप्को..अगर जाना हो तो”.. माँ को ऐसे ओपन बोलने की आदत तो नहीं थी, पर वो हैरान तो हुई, मेरी बात सुन के, और सोचने भी लगी की जाऊं की नही, पर उन्होंने कह्
“नही..नही आई एम फाइन, और तुम अंदर बैठो, बहुत भीग रहे हो.. मैं फिर कार में बैठा और माँ ने कार स्टार्ट कर दी.
“सॉरी बेटा, पता नहीं कार को क्या हो गया था”.
“इट्स.ओके माँ.होता हे”. माँ ने फिर डैशबोर्ड में से एक नैपकिन दिया और मुझे अपने आप को पोंछने को कहा. मैंने उसे माँ को ही दे दिया और कहा माँ आप भी तो भीग गयी हे.और सच में भीगने के बाद जब कपडे सूखने लगते हे, और ठंडी पवन लगती हे, तो इतनी कातिल ठण्डी लगती हे.हालाँकि कार का शीशा बंद था पर बाहर के माहौल का असर हो रहा था मुझे ठण्डी लग रही थे और माँ को भी शायद, और मैंने देखा की माँ का एक हाथ बार बार वो अपनी चुत पे रख रही थी.
एक कार में अपने बेटे के सथा लांग जर्नी पे औरत कभी ऐसा नहीं कर सकती, पर मुझे समझ में आ गया की माँ को बड़ी जोर से पेशाब लगी हे और वो अपनी चुत पे प्रेशर फील कर रही हे, माँ जब भी अपनी चुत पे हाथ रखती तो वो मेरी और देखति की कहीं में देख तो नहीं रहा, पर में माँ के देखने से पहले ही मुँह फेर लेता, पर जब माँ ने ४-५ बार ऐसा किया तो मैंने माँ की और देखा और कहा
“मोम..आप कम्फर्टेबले तो हे ना”?.
“हा..रेशु.
“लग नहीं रहा माँ”. अब माँ से रहा नहीं गया, जब तक में उस टॉपिक पे बात नहीं कर रहा था तब तक तो ठीक था पर में उस टॉपिक पे बात की तो माँ से रहा नहीं गया और उन्होंने कहा
“रेशु..तुने सही कहा था एक तो बारिश्, ऊपर से भीगना और ठण्ड.मुझे एक नंबर जाना हे.. बस अब मैंने झट से एक साइड में देखा, तो एक घणा पेड़ दिखाई दिया,मैने पॉइंट कर के माँ से कार रोकने को कहा, माँ ने भी कार रोकि और उतर के उस पेड़ की और चल दि, पर फिर रुक गयी, मेरी और देख, पर कुछ कहा नहीं तो में संमझा नही, फिर वो चल दी और वहा जा के बैठ गयी. मेरी और ओफ़्कौर्से अपनी गांड कर के बैठी थी, दिख तो नहीं रहा था पर माँ ने अन्धेर में पेन्टी उतारी और बैठ के पेशाब करने के बाद, पेन्टी ऊपर की वो साफ़ पता चल रहा था फिर माँ मेरी और आई और मुझे ड्राइविंग सीट पे बैठने को कहा और वो मेरी सीट पे बैठ गयी.
“हाश.अब जा के चेन आया.. माँ ने कार में बैठते ही कहा. मैंने माँ को स्माइल दिया और कार चलाने लगा. और स्पीड में भगा के झट से घर पहुंचा दिया..दो तीन बार माँ ने टोका तो मैंने कहा की माँ चिंता मत करो, मुझे ठण्ड लग रही हे, और एक दो बार स्पीड ओवरटेक के टाइम माँ ने मेरा हाथ पकड़ लिया. हम फिर जैसे तइसे घर पहुंचे..८ बज रहे थे.
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