03-02-2021, 02:39 PM,
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desiaks
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RE: XXX Sex Stories डॉक्टर का फूल पारीवारिक धमाका
अपडेट 107
मैं दोपहर जो मा की पेन्टी पर अपना वीर्य गिराकर गया था वह अब तक वो सुख गया था और मैंने जो इतना सारा वीर्य उडेला था वो अब हल्का भी हो गया था
फिर शाम के ८ बाजे और वो लोग वापस लौट, बड़ी देर लग गयी थी. दोनों थक गये थे, लेकिन जब घर में आये तो पता चला की दोनों शॉपिंग करके आई थी, औरत सच में औरत ही होती हे, बिमार को देखने जाये फिर भी शॉपिंग का मौका मिल जाये तो छोडेगी नही. लेकिन माँ आ के सोफ़े पे बैठी और उनके मुँह से आह निकली.मुझे लगा की शायद थक जाने की वजह से ऐसा हो रहा था पर फिर चाची ने एक गिलास पाणी और एक पेनकिलर की गोली माँ को दी और माँ ने खायी तो बाद में चाची ने माँ से कहा
“अब कैसा लग रहा हे शीतल.?
“ठीक हे, दीदी”.
“क्या हुआ माँ”.?
“कुछ नहीं रेशु, तेरी माँ को चोट लग गयी हे”..
“कैसे क्या हुआ...?
“अरे जिस हॉस्पिटल में गए थे, वहा एक चेअर शायद टूटी हुई रक्खी थी और ग़लती से तेरी माँ उस पे बैठ गयी, और जैसे ही बैठी तो वो वैसे के वैसे ही गिर गयी..
मैने माँ की और देख, माँ का हाथ अपने आप उनकी गांड पे था मैं समझ गया की माँ को कहाँ चोट लगी हे.
“माँ ज्यादा तो नहीं लगी, क्या.? मेरी आवाज़ में एक परेशानी सी थी.
“अरे तेरी चाची ने अब प्रैक्टिस छोड़ दी तो क्या हुआ, अभी भी सब जानती हे, अंदरूनी चोट हे, कल तक ठीक हो जाएगी, चिंता मत कर.शीतल तेरा बेटा सच में बड़ा परेशान हो जाता हे, मैंने एक बार घर साफ़ करने निकला था और में भी गिर गयी थी, वैसे चोट आई थी, जैसे तुझे आई हे, तो इतना परेशान हो गया था और कहने लगा की लाओ चाची में मसाज कर के देता हू, मैंने मन किया पर नहीं माना, और मसाज कर के ही शांत हुआ.. चाची ने पूरी राम कहानी सुना दी. माँ ने मेरी और देखा और स्माइल किया मैंने भी माँ की और देखा और शर्म आ गयी.
“अरे हा, शीतल एक बार तू भी मसाज करवा ले, इससे बड़ा अच्छा लगेगा, अच्छा हाथ है इसका और अभी अभी सीखा हे, इसीलिए अच्छा कर रहा हे.. मैं तो खुश हो गया और मेरी नज़र माँ की गांड पे ही अटक गयी.
“नही..दीदि, अभी ठीक हे, इतना शॉपिंग किया, और इतना चल के आये है, अब सब ठीक हे..
“सच मे...?
“हाँ दीदी..सच में. और माँ ने डिस्कशन का एन्ड किया और चाचाजी भी आ गये, फिर सब ने डिनर निपटाये और चाची ने माँ को कमरे में आराम करने को कहा, और में चाची की किचन में मदद करने लगा. जैसे ही में सब प्लेट्स डाइनिंग टेबल से ले के किचन में एंटर किया तो चाची नल के निचे सब बर्तन ढो रही थी, और मैंने सारी प्लेट्स रख दी और बाहर जाने लगा, तो चाची ने बिना मेरी और देखे, कहा
“देख, मैंने बड़ा ट्राय किया, पर तेरी माँ नहीं मान रही, अब तू कुछ कर सके,. तो कर..
मैने चाची की और देखा और उन्होंने भी बर्तन ढोते ढोते मेरी और देखा, फिर कहा
“मैंने रूम में एंटर करते वक़्त ही देख लिया था की वो चेयर टूटी हे, तो मैंने ऐसा कुछ सोचा नहीं था की वो गिर पडेगि, पर वो जब गिरि तो मेरे दिमाग में ख्याल आया की तेरे मसाज के बारे में बात करूंग़ी, पर तेरी माँ नहीं मानि.. चाची ने सब बता दिया.
“थैंक्स..चाचि”.
“पता नही, तेरी मदद करने को दिल क्यों करता हे, जब की ये गलत हे, पर...
“अरे चाची पर वर छोडो आप, में अभी माँ को पटाने की ट्राय करता हू.. और चाची के गाल पे किस करके में अपने रूम की और भागा. माँ की मसाज...ये सोच ही मुझे एक्सट्रीम एक्साइट कर रही थी, चाची भी ना कब अपने रंग बदलती हे, कुछ समझ में ही नहीं आता, माँ के सामने उन्होंने मसाज के बारे में, इतने अच्छे से बयान किया की अब तो में माँ को मनाने मे हार जाऊं ऐसा होने नहीं दूंगा, मैंने कहा था ना..की थोड़ा सा दिमाग, थोडीसी एक्टिंग, काम बन जायेगा..हालाँकि मुझे माँ के दर्द के बारे में भी फ़िक्र थी, एक पल के लिए जब मैंने माँ की चोट के बारे में सुना, तो सच में मुझे एक झटका सा लगा, पर जब मसाज की बात आयी, तब मज़ा आ गया और लगा की अच्छा हुआ, की माँ को चोट लग गयी.
मै फुल्ली प्रेपर हो क़र, अपने रूम में एंटर हुआ, माँ को देखा तो वो नार्मल तरीके से, अपने पाँव को फैला के बेड पे लेट के बुक पढ़ रही थी, मैंने माँ को ऐसे नार्मल देख, समझ गया की भै, थोड़ा ज्यादा एफर्ट लगाना पड़ेगा, माँ शायद ठीक लग रही हे, लेकिन खुद को स्ट्रांग कर के में माँ के पास गया जैसे माँ पाँव फैला के बैठी थी, वैसे ही में भी माँ के साइड में बैठ गया. माँ को पता था की में आ चुक्का हूँ पर उन्होंने मेरी और देखा नहीं और वो अपनी बुक पड़ती रही, में थोड़ा सा झिझक रहा था पर माँ से पूछ्ना तो बनता था माँ शायद अपनी बुक में व्यस्त थी. लेकिन में जैसे ही आराम से आ के माँ के पास में बैठा फिर माँ ने थोड़ी देर बाद मेरी और देखा, में माँ की ही और देख रहा था मैंने माँ की और स्माइल किया और माँ ने भी रिटर्न में क्याजुअल स्माइल किया, और फिर से अपने बुक में खो गयी,
पर में ये मौका नहीं जाने देना चाहता था तो मैंने माँ से कहा
“मोम...
“हम्म्म”. बड़ी शान्ति से माँ ने मेरी और देखे बिना ही जवाब दिया. माँ का पोज़ भी बढ़िया था एक हाथ में किताब थी और दूसरा हाथ माँ ने अपने सर पे रखा था और वो बुक पढ़ रही थी.
“एक बात पुछू.?
एक टाइप की धीमि सी और सिडक्टिव आवाज़ होती हे, वैसे ही में आराम से अपने हर लब्ज़ को टाइम दे के बात कर रहा था
“ह्म्मम्... फिर से वही जवाब..इसका मतलब माँ को मेरी बात से ज्यादा अपनी बुक में इंटरेस्ट था ये साफ़ इशारा था की माँ से ये बात करने का सही टाइम नही, एक तो में जो रिक्वेस्ट करने वाला था वो ऐसे तो सोशली गलत, और ऊपर से गलत टाइम, तब तो रिजल्ट नेगेटिव होना था मुझे ये पता चल चुक्का था पर, फिर भी जब दिल में ऐसे सनसनी होती हे, और एक आईडिया आता हे, तो दिल बेचैन हो जाता हे..वईसा ही मेरे साथ था
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