RE: XXX Sex Stories डॉक्टर का फूल पारीवारिक धमाका
अपडेट 127
इस आंटी से भी सॉरी बोलने में शर्म तो आ ही रही थी, पर में डेरिंग कर के आंटी के पास में बैठ गया. जैसे ही में आंटी के पास बैठा उन्होंने मेरी और देखा, कोई एक्सप्रेशन नही, बस मुझे देखा और फिर बस की खिड़की के बाहर देखने लगी, और में तो उनको ही देख रहा था क्या मस्त बालों की लटे हवा में उड़ रही थी, कुछ कंधे पे बिखरि थी, और बालों में छुपा उनका गोरा गोरा शोल्डर भी मस्त लग रहा था २ मिनट तक में ऐसे ही आंटी को देख रहा था की फिर से उन्होंने मेरी और देखा, और में अब भी उनके सामने ही देख रहा था आम तौर पे मुझे शर्म आ जाती हे और आपने पहले भी पढ़ा होगा की शर्म आने पे में आपनि आँखें निचे कर लेता हू, पर इस बार पता नहीं मैंने उनके सामने देखते हुए आंटी को स्माइल दि, लेकिन इस बार भी एक्सप्रेशनलस, आंटी ने कुछ भी रियेक्ट नहीं किया और फिर से दूसरी तरफ मुँह कर के बाहर की और देखने लगी.
“टिकट...”
आंटी ने देखा तो कंडक्टर टिकट के लिए कह रहा था और फिर उन्होंने मेरी और देखा, में अपनी पॉकेट्स में हाथ दाल रहा था इतने में आंटी ने कंडक्टर से कहा
२ अम्बिका की टिकट देना... एक सच में मस्त सरप्राइज सा शॉक था मेरे लिये, आंटी ने फिर मेरी भी टिकट्स ले के अपने ही पास रक्खि, और फिर से बाहर की और देखने लगी, अब तो मुझे लगा की बात करनी ही पडेगी, क्यूँकि आंटी ने मेरी टिकट्स ले के एक और ऐहसान किया था एक तो मैंने इतना सताया, और अब तक सॉरी नहीं कहा था और फिर भी ऊपर से वो मेरी टिकट ले के अपना बड़प्पन दिखा रही थी,
“थैंक यू..” मैंने थैंक यु कहा, तो उन्होंने मेरी और देखा और इस बार मैंने स्माइल किया तो उन्होंने भी स्माइल से रिटर्न किया, पर कुछ कहा नही. अब आगे बात क्या करू.. ये सवाल था सॉरी बोल के ही आगे बात बढायी जा सकती थी, पर में सॉरी बोलना नहीं चाहता था ऐसे ही सॉरी बोलूँ की नहीं बोलु, इतने में हमारा स्टोप आ गया, और आंटी मुझसे छूटने के चक्कर में मेरे से पहले उठ गयी और वो मेरे पास से जा रही थी की इतने में बस ड्राइवर ने एक जोरदार ब्रेक लगयीई, और आंटी अपने आप को सम्हल नहीं पायी, और वो आगे की सीट से तकरा गयी, और जोर से टकराने से वो पीछे की और गिर पडी, और उनके पीछे में बैठा था और वो सीधे मेरे पर आ के गिर पडी, मैंने आंटी को अपने हाथों से सहारा दे दि, पर वो मुझ पर गिर पडी और जैसे ही उन्हें एहसास हुआ की वो मेरे पर हे, तो तुरंत से अपने आप को सम्हाला और वो फिर से वहीँ पर मेरे पास में अपनी पहलेवाली जगह आके बैठ गयी, अभी एक मिनट तक का सफर बाकि था, और वो एक मिनट का सफर सच में आंटी के लिए असहज था वो अपने आप को मेरे से बचा रही थी और में भी अब उनके सामने देख के उन्हें और भी असहज नहीं करना चाहता था तो मैंने भी आंटी के सामने नहीं देखा, हालाँकि उन्होंने मेरी और २-३ बार देखा, पर में दूसरी और देख रहा था १ मिनट सच में आंटी के लिए असहज था लेकिन फिर बस आराम से रुकि और अब हम आराम से उतरने लगे, मैंने इस बार भी जेंटलमैन की तरह आंटी को पहले उतरने दिया, और फिर उतरते वक़्त मैंने अपना हाथ रक्खा तो मुझे दर्द सा लगा तो में थोड़ा आराम से उतरा, दर्द थोड़ा सा हाथ में हो रहा था पर ठीक था में. हम घर की और चल रहे थे, बारिश तो बंद थी पर मस्त ठण्डी ठण्डी हवायें चल रही थी और मज़ा आ रहा था आंटी मेरे से आगे चल रही थी, उन्होंने एक दो बार मेरी और मूड के देखा की में उनके साथ साथ चल रहा हूँ की नही..फिर हम घर पहुंचे, हमारा घर और उनके घर का गेट पास पास में हे, तो उन्होंने अपने घर का गेट खोला और में अपने घर का गेट खोल रहा था की उन्होंने कहा
“ज्यादा लगी तो नही...”
हम्म्म. एक दम से सवाल से में चौंक गया, पहली बार वो मेरे से साफ़ साफ़ बात कर रही थी.
“नही, में ठीक हूँ औंटी..”
“सच मे..” आंटी का पता नहीं इतनी कंसर्न से क्यों पूछ रही थी, हाँ वो मेरे पे अचानक से जोर से गिरि तो थी.
“नहीं में ठीक हू, हाथ में थोड़ा दर्द हे, पर इट्स ओके फाइन..”
“अरे में होठ की बात कर रही थी..” हाथ में भी लगी हे क्य...? होठ की बात सुन के
मैने अपने होठ पे हाथ रक्खा तो पता चला की मेरे होठ पे हलकी सी ख़रोंच आई थी तो हल्का सा खून बाहर आ गया था अब में संमझा खून देख के आंटी पूछ रही थी. पर मैंने आंटी से कहा की में ठीक हूँ और अपने हाथ से होठ को दबाते हुए में अपने घर में चला गया ताकि की आंटी को लगे की मुझे दर्द हो रहा हे. फिर में जब डिनर निपटा के अपने रूम में पहुंचा तो मुझे लगा की वो अपने घर की बालकनी में थि, लेकिन मैंने दूसरी बार देखा तो नहीं थी वह, लेकिन पता नहीं मुझे ऐसा दो तीन बार लगा, फिर में लेट गया और उस पर ध्यान नहीं दिया.
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