RE: XXX Sex Stories डॉक्टर का फूल पारीवारिक धमाका
इधर मैंने ईमेल खोल के देखा तो माँ की और से रिप्लाई आया था और इस बार वो रिप्लाई सच में शॉकिंग था,मॉ ने मेरी स्टोरी के बदले मुझे थैंक्स कह के भेजा था ओहो माँ के इस थैंक्स ने मुझे सोचने पे मजबूर कर दिया था की अब में क्या रिप्लाई करू, पर बड़ा सोचने के बाद आईडिया आया की माँ भी मेरे रिप्लाई का वेट कर रही होगी, तो मैंने माँ को कोई रिप्लाई किया ही नहीं और लैपटॉप बंद कर के सो गया.दूसरे दिन जब चाचाजी ब्रेकफास्ट निपटा के क्लिनिक के लिए निकल गये, चाची और में डाइनिंग टेबल पे बैठे थे, चाचा निकल गये फिर भी चाची कुछ गुमसुम सी लग रही थी. मैंने हलके से अपने पाँव से चाची के पाँव को छुआ और चाची की मानो नींद उङी. वो एक दम से जागी हो जैसे, मेरी और देखने लगी.
“क्या बात हे चाची..? कुछ प्रॉब्लम हे क्य...”
चाची ने कुछ कहा नहीं बस ना में सर हिलाया.
“कुछ लग तो रहा हे.? मुझसे कुछ ग़लती तो नहीं हो गयी.?
“नही..मुझसे ग़लती हो गयी हे...” चाची ने चाय का कप अपने लैब से हटा के निचे टेबल पे रखते हुए कहा, सच में वो बड़ी सेक्सी लग रही थी, आज. क्रीम कलर की साड़ी पे रेड लिपस्टिक वाले लब मस्त लग रहे थे, एक मस्त बालों की लट गाल पे थी..वॉव चाची की ड्रेसिंग स्टाइल तो मार डाले ऐसे पहले से ही हे.
“क्या हुआ..चाचि? में कुछ कर सकता हू...”
“हान, ग़लती तो मेरे से हो गयी हे, पर तुझे ही सब करना हे..”
“चाची कुछ समझ में नहीं आ रहा, आप सीधे पॉइंट पे बात करीयेना..प्लीज”
“रेशु मुझे लगता हे, तुम बहुत बिगड गये हो, और इसमें मेरा बड़ा हाथ है, और यही बात मुझे बड़ा परेशान कर रही हे, तुम मुझसे ज्यादा खुले, हमारे बीच जो हुआ, उसके बाद से ही तुम बिगड गए हो, ऐसा मेरा मानना हे. प्लीज तुम इन सब बातों के बारे में सोचना बंद कर दो. और जो भी करना हे वो मेरे साथ करो, दूसरी औरतों को परेशान मत करो…”
चाची की बातों में एक ठहराव था वो साफ कर रहा था की चाची कब से मेरे बारे में सोच रही थी, तो मैंने भी चाची से कहा.
“चाची..शायद आप सही हो सकती हे, और शायद आपकी सारी बातें भी सही हो सकती हे, की ये सब गुनाह हे, और पाप हे, मुझे ऐसे नहीं करना चहिये, पर एक सच्चाई ये भी हे कि, जब में सोलह साल का था तब से आप को पसंद करता था, और सच में आप आज भी उतनी ही हसीन हो, पर तभी कहा नही, और आज दिल में जो था वो खुल गया आपसे, तो आप मानेंगे नही, पर आपके लिए प्यार और भी बढ़ गया हे,
आज आपको कुछ होगा तो सच में मुझे तकलीफ होगी, जब्कि पहले तकलीफ नहीं होती थी, बस एक चिंता होती थी…”
मैंने भी उसी ठेहराव से चाची के सामने एक दूसरा ही पेहलू रक्खा. चाची के पास मेरे आर्गुमेंट का कोई जवाब नहीं था इसीलिए वो अब जा के सीधे सीधे पॉइंट पे आयी, और कहा
“रेशु..तुम ठीक कह रहे हो, तुम्हे ही नहीं मुझे भी ऐसा लग रहा हे, की हम पहले से अभी ज्यादा क्लोज हे, पर ये जो तुम सामने वाली आंटी के साथ मस्ती कर रहे हो, और उसे परेशान कर रहे हो, ऐसा मत करो.. प्लीज किसी को ऐसे परेशान करना ठीक तो नही. दो दिनों से में उसे मिली नहीं तो कल दोपहर उस बिचारि ने मुझे सब तुम्हारी मस्ती के बारे में बताया, की तुमने उसे दो बार जोर से गेन्द मरि, वो भी जानबूझ कर. और ऊपर से तुम्हे इस बात का आफसोस भी नही. रेशु ये तो ठीक नही..”
अब समझ में आया की कल दोपहर सामनेवाली आंटी ने चाची को कॉल करके सब कम्प्लेन की होगी, पर कल शाम वाले इंसिडेंट के बारे में बताया नहीं होगा, और कल शाम के बाद उसे भी कम्प्लेन का पछतावा होगा तो में चुप रहा. और इसमें चाची का भी क़सूर नहीं था क्यूँकि उनसे मेरी कल शाम से मुलाकात नहीं हुई.
“चाची..आप उन्हें यहाँ बुलाये, और खुद उनसे बात करिये, वो कल की तरह नाराज़ नही होगी, और आपसे आराम से बात करेंगी”
चाची को समझ में नहीं आया, पर उन्होंने सामनेवाली आंटी को बुला लिया, तो में उठ के अपने रूम में चला गया और चाची से कहा, आप आराम से बात करिये, में अपने कामरे में हू, और अगर मेरी बात गलत निकले, तो मुझे आवाज़ दे दीजियेगा, में आ के आराम से सॉरी कह दूंगा”.
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