RE: XXX Sex Stories डॉक्टर का फूल पारीवारिक धमाका
एक हफ्ता हो गया था आंटी से बस इशारों से बात होती थी, बात भी नही, बस ऐसे ही एक दूसरे को हम देख रहे थे. संडे की इवनिंग थी, और में अपने फ्रेंड्स के साथ क्रिकेट खेल रहा था मेरी बारी आज भी लास्ट थी, और मैंने इस बार सोचा की क्यों न कुछ तो किया जाए, तो में जान बूझ के आंटी के घर की तरफ शॉट्स लगाने लगा, सब फ्रेंड्स बोल रहे थे की घरों की और मत खेल, मैदान में शॉट्स लगा, पर में सोच समझ के उसी और खेल रहा था और ४-५ बार ट्राय करने के बाद, आखिर मेरा एक शॉट, आंटी के घर में पहले फ्लोर पे चला गया, सब समझ गए की अब बॉल वापस नहीं आयेगी, और सब चले गये, पर में अपने घर आते आते, आंटी के घर की और चला गया, और आंटी के डोर पे नॉक किया. थोड़ी देर बाद आंटी ने डरवाजा खोला, वो अपने हाथ पोछ रही थी, शायद डिनर की प्रिपरेशन कर रही होगी. उन्होंने जैसे ही मुझे देखा की उनके हाथ रुक गये, और उनके फेस के एक्सप्रेशन मिक्स थे, खुश भी लग रही थी और कन्फ्यूज्ड भी. थोड़ी सी हेरान थी, पर बाद में सम्हलते हुए उन्होंने मुझे कुछ कहा नही, बस अपने सर के इशारे से पुछा क्या है. तो मैंने कहा
“आंटी..वो मेरी गेन्द आपके घर में आ गयी है.. मैंने गेन्द का इशारा हाथ गोल घुमा के किया, पर अन्जाने में ही मेरा हाथ जो की मैंने गोल घुमाय वो ठीक आंटी के बॉल के सामने था आंटी ने मेरे इस अन्जान बिहेवियर को डबल मीनिंग मान लिया, और मेरे हाथ को देख के उन्होंने अपने बूब की और देखा, और फिर मेरी और नजरें न मिलाते हुये, डरवाजे से बाहर झांका, मैदान में कोई नहीं था आंटी कुछ ज्यादा ही समझ रही थी मेरे बारे मे. उन्होंने देखा की मैदान में कोई नहीं हे, तो इससे पहले की उनके मन में कोई सवाल उठे मैंने अपने आप ही कह दिया..
“आंटी ओ..हम खेल रहे थे, तो मेरे से आपके घर में गेन्द आ गयी, तो सब अपने अपने घर चले गये, सब कह रहे थे की अब गेन्द नहीं आयेगी.. मैंने सारा एक्सप्लनेशन सच सच कह दिया. आंटी ने फिर सोचा और कहा
“आओ अंदर आओ”
और में अंदर आ गया, में आंटी के पीछे पीछे चल रहा था आंटी सीढिया चढ़ रही थी, मस्त गांड मटक रही थी. फिर आंटी ने ऊपर के कामरे में जा के देखा, तो मेरे बारह बज गये, मेरी गेन्द की वजह से आंटी का एक ग्लास का एक फ्लास्क टूट गया था. आंटी ने उसे देखा, उन्हें गुस्सा तो आ गया था. और ग़ुस्से में मेरी और पलट के देखा भी, पर कुछ कहा नही, और निचे बैठ के कांच के टूकड़े उठाने लगी. मैं भी उनकी मदद करने लगा. कांच के टूकड़े उठा के आंटी ने उसे डस्ट बीन में डाले, और फिर मेरी गेन्द मुझे देते हुए कहा,
“आइंदा, ये बॉल यहाँ नहीं आणि चहिये”...
“आई एम सॉरी आंटी,..आगे से में ध्यान रखूंगा...
“अगर ध्यान रखना हे तो ही कहना, क्यूँकि पता नहीं ऐसे तुम मुझे कितनी बार परेशान करोगे..दो बार जोर से मार चुके हो, अब ये नुक्सान”
आंटी ने फिर मुझे चलने का इशारा किया और में निकल गया. फिर २-३ डेज कुछ हुआ नही, फिर में एक शाम को अपने कॉलेज से वापस आरहा था की मैंने देखा की वो आंटी बस स्टैंड के पास खड़ी है, तो मैंने आंटी के पास गया और कहा.
“आंटी आप घर जा रही हे...? आंटी ने मुझे देखा और फिर सोचा की बैठूं की नही, लेकिन फिर बैठ गयी, आज बाइक चलाने का मज़ा आने वाला था. आंटी भी दूसरी फीमेल की तरह एक साइड से बैठी थी, में आराम से बाइक चला रहा था वैसे तो आंटी से इतनी बात नहीं होती थी, पर आज आंटी कुछ अलग ही मूड में लग रही थी..
“तुम इसी कॉलेज में पढते हो ना...
आंटी को पता था की में इसी कॉलेज में पढता हू, पर फिर भी बात शुरू करने के लिए उन्होंने पुछा और उन्होंने शुरूआती कदम लिया तो मुझे अच्छा लगा.
“हाँ...
थोडी ही देर में हम घर पहुँच रहे थे की मुझे मेरे बाइक पे हमारी सोसाइटी में एंटर करते हे एक एमरजेंसी ब्रेक लगानी पडी, इससे आंटी मेरे पास सरक गयी, मानो की मुझ पे गिर पडी हो ऐसे,
“आंटी सोर्री...
“अरे इसमें सॉरी कहने की क्या जरूरत हे, ठीक हे हो जाता हे”
फिर से में अच्छे से बाइक चलाने लगा, लेकिन आंटी हल्का सा भी पीछे नहीं हुई, ऊपर से बात करने लगी.
“अरे तुम तो बड़े डिसिप्लिन वाले लड़के हो.., ऐसी बात में सॉरी कहते हो...
मैने अपने घर के पास बाइक को रोकते हुये थैंक्स कहा..
तो आंटीने भी बाइक पे से उतरते हुए कहा..
“हाँ लेकिन जिस बात के लिए सॉरी कहना चहिये, उस पे नहीं कहता...
और फिर मुस्कुराके अंदर चलि गयी..जाते जाते मेरी और मुस्कुराके देखा भी.. शीट..यार, में कहाँ से इस सेक्स के चक्कर में फंस गया, रात को मेरे दिमाग में ये सब विचार चल रहे थे, आंटी को पटाने में इतनी मेहनत करनी पडेगी, मैंने सोचा नहीं था एक तो वो बात नहीं करति, बात करती हे तो वो ताना मारती हे, और एक नजर भी पड़ जाये तो गुस्सा तो हरदम नाक पे रहता हे. इससे अच्छा तो उनको पटने के बारे में छोड़ देना चाहिए था मैंने फिर यही डिसाइड किया और अपनी पढाई पे कसरते करने का सोचा, मैंने फिर दूसरे दिन से आंटी के खिड़की में देखना ही बंद कर दिया, अब तो में सुबह आराम से ९ बजे जाता और ५-६ बाजे वापस आ जाता, अब आंटी को इससे कुछ फरक पडता हे या नहीं इससे कोई लेना देना नहीं था वैसे भी कभी कभी मेरी चाची से चुदाई का तो प्रोग्राम बन ही जाता था तो मैंने आंटी के साथ सेक्स पे फुलस्टॉप लगा दिया.
ऐसे ही तक़रीबन १ महिना गुजर गया, आंटी ने शुरू शुरू में मेरे घर पे आ के मेरे बारे में चाची से एक दो बार पूछा भी सहि, पर चाची ने भी कुछ खास तवज्जो नहीं दि, और फिर तो आंटी ने भी आना बंद कर दिया, कभी रस्ते में मिल जाये तो वो हंस के स्माइल देती थी, तो में भी स्माइल रीटर्न करता था इतने में मेरे रिश्तेदार में एक शादी आ रही थी, तो घर में सब जमा होनेवाले थे. छोटी चाची को जैसे ही पता चला की उन्हें अहमदाबाद आना है, तो उन्होंने मुझे झट से कॉल किया और वो सच में मुझसे मिलने को डेस्पेरेट थी, और कोमल दीदी तो जैसे ही पता चला तो आना चाहती थी, पर वो तो एक ही सिटी में थी, तो आ नहीं सकती थी. लेकिन छोटी चाची शादी से २ दिन पहले ही आ गयी, जब्कि माँ और दिदी शादी की एक रात पहले आनेवाले थे. छोटी चाची सब से पहले आ गयी, और वो आई तब घर में में अकेला था उन्होंने मुझे आने से पहले कॉल कर लिया था और में भी उनके आने से पहले घर आ गया.
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